संविधान की महत्वपूर्ण शब्दावली (Important terminology of Indian constitution)
1. धन विधेयक:– संसद में राजस्व एकत्र करने अथवा अन्य प्रकार से धन से संबंध विधेयक को धन विधेयक कहते हैं। संविधान के अनुच्छेद 110 (1) के उपखंड (क) से( छ) तक में उल्लेखित विषयों से संबंधित विधेयकों को धन विधेयक कहा जाता है। धन विधेयक को राष्ट्रपति पुनर्विचार के भी लौटा नहीं सकता है ।
2. सदन का स्थगन:- सदन में स्थगन द्वारा सदन में काम का जो को विनिर्दिष्ट समय के लिए स्थगित कर दिया जाता है। यह कुछ घंटे दिन या सप्ताह का भी हो सकता है, जबकि सत्रावसान द्वारा सत्र की समाप्ति होती है।
3. विघटन:- विघटन केवल लोकसभा का ही हो सकता है। इससे लोकसभा का अंत हो जाता है।
4. अनुपूरक प्रश्न:- सदन में किसी सदस्य द्वारा अध्यक्ष की अनुमति से किसी विषय जिसके संबंध में उत्तर दिया जा चुका है के स्पष्टीकरण हेतु अनुपूरक प्रश्न पूछने की अनुमति प्रदान की जाती है।
5. तारांकित प्रश्न:- जिन प्रश्नों का उत्तर सदस्य तुरंत सदन में चाहता है उसे तारांकित प्रश्न कहा जाता है तारांकित प्रश्नों का उत्तर मौखिक दिया जाता है तथा तारांकित प्रश्नों के अनुपूरक प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं। इस प्रश्न पर तारा लगाकर अन्य प्रश्नों से इसका भेद किया जाता है।
6. अतारांकित प्रश्न:- जिन प्रश्नों का उत्तर सदस्य लिखित चाहता है उन्हें अन तार्किक प्रश्न कहा जाता है। अन तार्किक प्रश्न का उत्तर सदन में नहीं दिया जाता और इन प्रश्नों के अनुपूरक प्रश्न नहीं पूछे जाते।
7. स्थगन प्रस्ताव:- स्थगन प्रस्ताव पेश करने का मुख्य उद्देश्य किसी अविलंबनीय लोक महत्व के मामले की ओर सदन का ध्यान आकर्षित करना है। जब इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाता है तब सदन अविलंब ने लोक महत्व के निश्चित मामले पर चर्चा करने के लिए सदन का नियमित कार्य रोक देता है। इस प्रस्ताव को पेश करने के लिए न्यूनतम 50 सदस्यों की स्वीकृति आवश्यक है।
8. अल्प सूचना प्रश्न:- जो प्रश्न अविलंबनीय लोक महत्व का होता था जिन्हें साधारण प्रश्न के लिए निर्धारित 10 दिन की अवधि से कम सूचना देकर पूछा जा सकता है उन्हें अल्प सूचना प्रश्न कहा जाता है।
9. संचित निधि:- संविधान के अनुच्छेद 266 में संचित निधि का प्रावधान है संचित निधि से धन संसद में प्रस्तुत अनुदान मांगों के द्वारा ही व्यय किया जाता है राज्यों को करो एवं सुन को में से उनका अंश देने के बाद जो धन बचता है निधि में डाल दिया जाता है। राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक आदि के वेतन तथा भत्ते इसी निधि पर भारित होते हैं।
10. आकस्मिक निधि:- संविधान के अनुच्छेद 267 के अनुसार भारत सरकार एक आकाशमिक निधि की स्थापना करेगी। इसमें जमा धनराशि का व्यय विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार किया जाता है। संसद की स्वीकृति के बिना इस मध्य से धन नहीं निकाला जा सकता है। विशेष परिस्थितियों में राष्ट्रपति अग्रिम रूप से इस निधि से धन निकाल सकते हैं
11. आधे घंटे की चर्चा:- जिन प्रश्नों का उत्तर सदन में दे दिया गया है उन प्रश्नों से उत्पन्न होने वाले मामलों पर चर्चा लोकसभा में सप्ताह में 3 दिन यथा सोमवार बुधवार तथा शुक्रवार को बैठक के अंतिम आधे घंटे में की जा सकती है। राज्यसभा में ऐसी चर्चा किसी दिन जिसे सभापति नियत करें सामान्यता 5:00 बजे से 5:30 बजे के बीच की जा सकती है । ऐसी चर्चा का विषय पर याद तो लोक महत्व का होना चाहिए तथा विषय हाल के किसी तारांकित अतारांकित या अल्प सूचना का प्रश्न रहा हो और जिसके उत्तर के किसी तथ्यात्मक मामले का स्पष्टीकरण आवश्यक हो। ऐसी चर्चा को उठाने की सूचना कम से कम 3 दिन पूर्व दी जानी चाहिए।
12. अल्पकालीन चर्चाएं:- भारत में इस प्रथा की शुरुआत 1953 ईस्वी के बाद हुई इसमें लोक महत्त्व के प्रश्न पर सदन का ध्यान आकर्षित किया जाता है ऐसी चर्चा के लिए स्पष्ट कारणों सहित सदन में महासचिव को सूचना देना आवश्यक होता है इस सूचना पर कम से कम 2 अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर होना भी आवश्यक है।
13. विनियोग विधेयक:- विनियोग विधेयक में भारत की संचित निधि पर भारित व्यय की पूर्ति के लिए अपेक्षित धन तथा सरकार के खर्च हेतु अनुदान की मांग शामिल होती है। भारत की संचित निधि में से कोई धन विनियोग विधेयक के अधीन ही निकाला जा सकता है।
14. लेखानुदान:- जैसा की विधित है विनियोग विधेयक के पारित होने के बाद ही भारत की संचित निधि से कोई रकम निकाल ली जा सकती हैं । किंतु सरकार को इस विधेयक के पारित होने के पहले भी रुपयों की आवश्यकता हो सकती है अनुच्छेद 116 क के अंतर्गत लोकसभा लेखा अनुदान पारित कर सककार के लिए एक अग्रिम राशि मंजूर कर सकती है जिसके बारे में बजट विवरण देना सरकार के लिए संभव नहीं है।
15. वित्त विधेयक:- संविधान का अनुच्छेद 112 वित्त विधेयक को परिभाषित करता है। जैन विधि प्रस्ताव को सरकार आगामी वर्ष के लिए सदन में प्रस्तुत करती है उन विधेयक को कहते हैं जो राजस्व व्यय से संबंधित होता है संसद में प्रस्तुत सभी वित्त विधेयक धन विधेयक नहीं हो सकते। वित्त विधेयक धन विधेयक है या नहीं इसे प्रमाणित करने का अधिकार केवल लोकसभा अध्यक्ष को है ।
16. शून्यकाल:– संसद के दोनों सदनों में प्रश्नकाल के ठीक बाद के समय को शून्य काल कहा जाता है। यह 12 बजे के बाद प्रारंभ होता है और 1 बजे दिन तक चलता है। शून्य काल का लोकसभा या राज्यसभा की प्रक्रिया तथा संचालन नियम में कोई उल्लेख नहीं है इस काल अर्थात 12 बजे से 1 तक के समय को शून्य काल का नाम समाचार पत्रों द्वारा दिया गया इस काल के दौरान सदस्य अविलंबनीय महत्व के मामलों को उठाते हैं तथा उस पर तुरंत कार्यवाही चाहते हैं।
17. अविश्वास प्रस्तावः- अविश्वास प्रस्ताव सदन में विपक्षी दल के किसी सदस्य द्वारा रखा जाता है। प्रस्ताव के पक्ष में कम से कम 50 सदस्यों का होना आवश्यक है तथा प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने के 10 दिन के अन्दर इस पर चर्चा होना भी आवश्यक है। चर्चा के बाद अध्यक्ष मतदन द्वारा निर्णय की घोषणा करता है।
18. बजट सत्रः- यह सत्र फरवरी के दूसरे या तीसरे सप्ताह के सोमवार को आरम्भ होता है। इसे बजट सत्र इसलिए कहते है कि इस सत्र में आगामी वित्तीय वर्ष का अनुमानित बजट प्रस्तुत विचारित और पारित किया जाता है।
19. निंदा प्रस्ताव:-सरकार की गलत नीतियों की आलोचना करने के लिए संसद के किसी भी सदन में निंदा प्रस्ताव लाया जा सकता है ।
20. गुलेटिन:-वह संसदीय प्रक्रिया जिसमें सभी मांगों को जो नियत तिथि तक नहीं निपटाई गई हो बिना चर्चा के ही मतदान के लिए रखा जाता है ।
21. काकस:- किसी राजनीतिक दल अथवा गुट के प्रमुख सदस्यों की बैठक को काकस कहते हैं । इन प्रमुख सदस्यों द्वारा तय की गई नीतियों से ही पूरा दल संचालित होता है ।
22. धन्यवाद प्रस्तावः- राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद संसद की कार्य मंत्रणा समिति की सिफारिश पर तीन चार दिनों तक धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होती है। चर्चा प्रस्तावक द्वारा आरम्भ होती है तथा उसके बाद प्रस्तावक का समर्थक बोलता है। इस चर्चा में राष्ट्रपति के नाम का उल्लेख नही किया जाता है, क्योंकि अभिभाषण का विषय वस्तु के लिए सरकार उत्तरदायी होती है। अन्त में धन्यवाद प्रस्ताव मतदान के लिए रखा जाता है तथा उसे स्वीकृत किया जाता है।
23.अध्यादेशः- राष्ट्रपति या राज्यपाल संसद या विधान मण्डल के सत्रावसान की स्थिति में आवश्यक विषयों से संबंधित अध्यादेश का प्रख्यापन करते है। अध्यादेश में निहित विधि संसद या विधानमण्डल के अगले सत्र की शुरूआत के 6 सप्ताह के बाद प्रवर्तन योग्य नही रह जाती यदि संसद अथवा विधानमण्डल द्वारा उसका अनुमोदन नही कर दिया जाता है।
24. प्रश्नकाल:-दोनों सदनों में प्रत्येक बैठक के प्रारम्भ के एक घंटे तक प्रश्न किये जाते है और उनके उत्तर दिये जाते है। इसे प्रश्नकाल कहा जाता है।
25. सचेतक:- राजनीतिक दल में अनुशासन बनाए रखने के लिए सचेतक की नियुक्ति हर दल द्वारा की जाती है ।
26. गणपूर्ति:- सदन में किसी बैठक के लिए गणपूर्ति अध्यक्ष सहित कुछ सदस्य संख्या का दसवाँ भाग होती है। बैठक शुरू होने के पूर्व यदि गणपूर्ति नहीं है तो गणपूर्ति घंटी बजायी जाती है। अध्यक्ष तभी पीठासीन होता है, जब गणपूर्ति हो जाती है।
Post a Comment