नई शिक्षा नीति, 2020 (New Education Policy)
साल, 1986 में, राष्ट्रीय शिक्षा नीति(National Education Policy) तैयार की गई थी और बाद में 1992 में इसे संशोधित किया गया था। पिछली इस नीति के बाद से तीन दशक से अधिक हो गया था। इन तीन दशकों में, हमारे देश, समाज की अर्थव्यवस्था और दुनिया में बड़े पैमाने पर महत्वपूर्ण बदलाव हुए। 21 वीं शताब्दी की समय की मांग तथा देश की जरूरतों के कारण शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने की आवश्यकता थी। ऐसे तीन बिंदु हैं जो भारत को सुपर पावर बनने में मदद करेंगे: वे है क्वालिटी, इनोवेशन और रिसर्च।
गौरतलब है कि नई शिक्षा नीति 2020 की घोषणा के साथ ही मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। इस नीति द्वारा देश में स्कूल एवं उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधारों की अपेक्षा की गई है। इसके उद्देश्यों के तहत वर्ष 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% GER के साथ-साथ पूर्व-विद्यालय से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा के सार्वभौमिकरण का लक्ष्य रखा गया है।
महत्त्वपूर्ण तथ्य
§ अंतिम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में बनाई गई थी जिसमें वर्ष 1992 में संशोधन किया गया था। § वर्तमान नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है। § नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात (Gross Eurolment
Ratio-GER) को 100% लाने का लक्ष्य रखा गया है। § नई शिक्षा नीति के अंतर्गत केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र पर जीडीपी के 6% हिस्से के सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य रखा गया है। § नई शिक्षा नीति की घोषणा के साथ ही मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय का नाम परिवर्तित कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। |
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रमुख बिंदु
स्कूली शिक्षा संबंधी प्रावधान
§ नई शिक्षा नीति में 5 + 3 + 3 + 4 डिज़ाइन वाले शैक्षणिक संरचना का प्रस्ताव किया गया है जो 3 से 18 वर्ष की आयु वाले बच्चों को शामिल करता है।
o पाँच वर्ष की फाउंडेशनल स्टेज (Foundational Stage) -
3 साल का प्री-प्राइमरी स्कूल और ग्रेड 1, 2
o तीन वर्ष का प्रीपेट्रेरी स्टेज (Prepatratory Stage)
o तीन वर्ष का मध्य (या उच्च प्राथमिक) चरण - ग्रेड 6, 7, 8 और
o 4 वर्ष का उच (या माध्यमिक) चरण - ग्रेड 9, 10, 11, 12
§ NEP 2020 के तहत HHRO द्वारा ‘बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन’ (National Mission on
Foundational Literacy and Numeracy) की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है। इसके द्वारा वर्ष 2025 तक कक्षा-3 स्तर तक के बच्चों के लिये आधारभूत कौशल सुनिश्चित किया जाएगा।
भाषायी विविधता का संरक्षण
§ NEP-2020 में कक्षा-5 तक की शिक्षा में मातृभाषा/स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को अध्ययन के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गया है। साथ ही इस नीति में मातृभाषा को कक्षा-8 और आगे की शिक्षा के लिये प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।
§ स्कूली और उच्च शिक्षा में छात्रों के लिये संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं का विकल्प उपलब्ध होगा परंतु किसी भी छात्र पर भाषा के चुनाव की कोई बाध्यता नहीं होगी।
शारीरिक शिक्षा
§ विद्यालयों में सभी स्तरों पर छात्रों को बागवानी, नियमित रूप से खेल-कूद, योग, नृत्य, मार्शल आर्ट को स्थानीय उपलब्धता के अनुसार प्रदान करने की कोशिश की जाएगी ताकि बच्चे शारीरिक गतिविधियों एवं व्यायाम वगैरह में भाग ले सकें।
पाठ्यक्रम और मूल्यांकन संबंधी सुधार
§ इस नीति में प्रस्तावित सुधारों के अनुसार, कला और विज्ञान, व्यावसायिक तथा शैक्षणिक विषयों एवं पाठ्यक्रम व पाठ्येतर गतिविधियों के बीच बहुत अधिक अंतर नहीं होगा।
§ कक्षा-6 से ही शैक्षिक पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा को शामिल कर दिया जाएगा और इसमें इंटर्नशिप (Internship) की व्यवस्था भी की जाएगी।
§ ‘राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद’ (National Council of
Educational Research and Training- NCERT) द्वारा ‘स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा’ (National Curricular
Framework for School Education) तैयार की जाएगी।
§ छात्रों के समग्र विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए कक्षा-10 और कक्षा-12 की परीक्षाओं में बदलाव किया जाएगा। इसमें भविष्य में समेस्टर या बहुविकल्पीय प्रश्न आदि जैसे सुधारों को शामिल किया जा सकता है।
§ छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन के लिये मानक-निर्धारक निकाय के रूप में ‘परख’ (PARAKH) नामक एक नए ‘राष्ट्रीय आकलन केंद्र’ (National Assessment
Centre) की स्थापना की जाएगी।
§ छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन तथा छात्रों को अपने भविष्य से जुड़े निर्णय लेने में सहायता प्रदान करने के लिये ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ (Artificial
Intelligence- AI) आधारित सॉफ्टवेयर का प्रयोग।
शिक्षण व्यवस्था से संबंधित सुधार
§ शिक्षकों की नियुक्ति में प्रभावी और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन तथा समय-समय पर किये गए कार्य-प्रदर्शन आकलन के आधार पर पदोन्नति।
§ राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक ‘शिक्षकों के लिये राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक’ (National Professional
Standards for Teachers- NPST) का विकास किया जाएगा।
§ राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा NCERT के परामर्श के आधार पर ‘अध्यापक शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा’ [National Curriculum
Framework for Teacher Education-NCFTE) का विकास किया जाएगा।
§ वर्ष 2030 तक अध्यापन के लिये न्यूनतम डिग्री योग्यता 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड. डिग्री का होना अनिवार्य किया जाएगा।
उच्च शिक्षा से संबंधित प्रावधान
§ NEP-2020 के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में ‘सकल नामांकन अनुपात’ (Gross Enrolment
Ratio) को 26.3% (वर्ष 2018) से बढ़ाकर 50% तक करने का लक्ष्य रखा गया है, इसके साथ ही देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा।
§ NEP-2020 के तहत स्नातक पाठ्यक्रम में मल्टीपल एंट्री एंड एक्ज़िट व्यवस्था को अपनाया गया है, इसके तहत 3 या 4 वर्ष के स्नातक कार्यक्रम में छात्र कई स्तरों पर पाठ्यक्रम को छोड़ सकेंगे और उन्हें उसी के अनुरूप डिग्री या प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा (1 वर्ष के बाद प्रमाण-पत्र, 2 वर्षों के बाद एडवांस डिप्लोमा, 3 वर्षों के बाद स्नातक की डिग्री तथा 4 वर्षों के बाद शोध के साथ स्नातक)।
§ विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों से प्राप्त अंकों या क्रेडिट को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखने के लिये एक ‘एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’ (Academic Bank of
Credit) दिया जाएगा, ताकि अलग-अलग संस्थानों में छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें डिग्री प्रदान की जा सके।
§ नई शिक्षा नीति के तहत एम.फिल. (M.Phil) कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय अब शिक्षा मंत्रालय
मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया है. अब एचआरडी मंत्री को शिक्षा मंत्री कहा जाएगा. जब देश आजाद हुआ, तब से लेकर 1985 तक शिक्षा मंत्री और शिक्षा मंत्रालय ही हुआ करता था, लेकिन फिर राजीव गांधी सरकार ने इसका नाम बदलकर मानव संसाधन मंत्रालय कर दिया था. इस नाम को लेकर आरएसएस से जुड़े संगठन भारतीय शिक्षण मंडल ने आपत्ति जताई थी और साल 2018 के अधिवेशन में इस नाम बदलने की मांग उठाई थी. दलील ये थी कि मानव को संसाधन नहीं मान सकते, ये भारतीय मूल्यों के खिलाफ है.
भारतीय उच्च शिक्षा आयोग
नई शिक्षा नीति (NEP) में देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिये एक एकल नियामक अर्थात् भारतीय उच्च शिक्षा परिषद (Higher Education Commision of India-HECI) की परिकल्पना की गई है जिसमें विभिन्न भूमिकाओं को पूरा करने हेतु कई कार्यक्षेत्र होंगे। भारतीय उच्च शिक्षा आयोग चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये एक एकल निकाय (Single
Umbrella Body) के रूप में कार्य करेगा।
HECI के कार्यों के प्रभावी निष्पादन हेतु चार निकाय-
§ राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद (National Higher
Education Regulatroy Council-NHERC) : यह शिक्षक शिक्षा सहित उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये एक नियामक का कार्य करेगा।
§ सामान्य शिक्षा परिषद (General Education
Council - GEC) : यह उच्च शिक्षा कार्यक्रमों के लिये अपेक्षित सीखने के परिणामों का ढाँचा तैयार करेगा अर्थात् उनके मानक निर्धारण का कार्य करेगा।
§ राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (National Accreditation
Council - NAC) : यह संस्थानों के प्रत्यायन का कार्य करेगा जो मुख्य रूप से बुनियादी मानदंडों, सार्वजनिक स्व-प्रकटीकरण, सुशासन और परिणामों पर आधारित होगा।
§ उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद (Higher Education
Grants Council - HGFC) : यह निकाय कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के लिये वित्तपोषण का कार्य करेगा।
नोट: गौरतलब है कि वर्तमान में उच्च शिक्षा निकायों का विनियमन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) जैसे निकायों के माध्यम से किया जाता है।
§ देश में आईआईटी (IIT) और आईआईएम (IIM) के समकक्ष वैश्विक मानकों के ‘बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय’ (Multidisciplinary
Education and Reserach Universities - MERU) की स्थापना की जाएगी।
विकलांग बच्चों हेतु प्रावधान
§ इस नई नीति में विकलांग बच्चों के लिये क्रास विकलांगता प्रशिक्षण, संसाधन केंद्र, आवास, सहायक उपकरण, उपर्युक्त प्रौद्योगिकी आधारित उपकरण, शिक्षकों का पूर्ण समर्थन एवं प्रारंभिक से लेकर उच्च शिक्षा तक नियमित रूप से स्कूली शिक्षा प्रक्रिया में भागीदारी सुनिश्चित करना आदि प्रक्रियाओं को सक्षम बनाया जाएगा।
डिजिटल शिक्षा से संबंधित प्रावधान
§ एक स्वायत्त निकाय के रूप में ‘‘राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच’’ (National
Educational Technol Foruem) का गठन किया जाएगा जिसके द्वारा शिक्षण, मूल्यांकन योजना एवं प्रशासन में अभिवृद्धि हेतु विचारों का आदान-प्रदान किया जा सकेगा।
§ डिजिटल शिक्षा संसाधनों को विकसित करने के लिये अलग प्रौद्योगिकी इकाई का विकास किया जाएगा जो डिजिटल बुनियादी ढाँचे, सामग्री और क्षमता निर्माण हेतु समन्वयन का कार्य करेगी।
पारंपरिक ज्ञान-संबंधी प्रावधान
भारतीय ज्ञान प्रणालियाँ, जिनमें जनजातीय एवं स्वदेशी ज्ञान शामिल होंगे, को पाठ्यक्रम में सटीक एवं वैज्ञानिक तरीके से शामिल किया जाएगा।
विशेष बिंदु
§ आकांक्षी जिले (Aspirational
districts) जैसे क्षेत्र जहाँ बड़ी संख्या में आर्थिक, सामाजिक या जातिगत बाधाओं का सामना करने वाले छात्र पाए जाते हैं, उन्हें ‘विशेष शैक्षिक क्षेत्र’ (Special
Educational Zones) के रूप में नामित किया जाएगा।
§ देश में क्षमता निर्माण हेतु केंद्र सभी लड़कियों और ट्रांसजेंडर छात्रों को समान गुणवत्ता प्रदान करने की दिशा में एक ‘जेंडर इंक्लूजन फंड’ (Gender Inclusion
Fund) की स्थापना करेगा।
§ गौरतलब है कि 8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा हेतु एक राष्ट्रीय पाठ्यचर्या और शैक्षणिक ढाँचे का निर्माण एनसीआरटीई द्वारा किया जाएगा।
वित्तीय सहायता
§ एससी, एसटी, ओबीसी और अन्य सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों से संबंधित मेधावी छात्रों को प्रोत्साहन के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986
§ इस नीति का उद्देश्य असमानताओं को दूर करने विशेष रूप से भारतीय महिलाओं, अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जाति समुदायों के लिये शैक्षिक अवसर की बराबरी करने पर विशेष ज़ोर देना था। § इस नीति ने प्राथमिक स्कूलों को बेहतर बनाने के लिये "ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड" लॉन्च किया। § इस नीति ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के साथ ‘ओपन यूनिवर्सिटी’ प्रणाली का विस्तार किया। § ग्रामीण भारत में जमीनी स्तर पर आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिये महात्मा गांधी के दर्शन पर आधारित "ग्रामीण विश्वविद्यालय" मॉडल के निर्माण के लिये नीति का आह्वान किया गया। |
पूर्ववर्ती शिक्षा नीति में परिवर्तन की आवश्यकता क्यों?
§ बदलते वैश्विक परिदृश्य में ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिये मौजूदा शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन की आवश्यकता थी।
§ शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने, नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये नई शिक्षा नीति की आवश्यकता थी।
§ भारतीय शिक्षण व्यवस्था की वैश्विक स्तर पर पहुँच सुनिश्चित करने के लिये शिक्षा के वैश्विक मानकों को अपनाने के लिये शिक्षा नीति में परिवर्तन की आवश्यकता थी।
नई शिक्षा नीति से संबंधित चुनौतियाँ
§ राज्यों का सहयोगः शिक्षा एक समवर्ती विषय होने के कारण अधिकांश राज्यों के अपने स्कूल बोर्ड हैं इसलिये इस फैसले के वास्तविक कार्यान्वयन हेतु राज्य सरकारों को सामने आना होगा। साथ ही शीर्ष नियंत्रण संगठन के तौर पर एक राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामक परिषद को लाने संबंधी विचार का राज्यों द्वारा विरोध हो सकता है।
§ महँगी शिक्षाः नई शिक्षा नीति में विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त किया गया है। विभिन्न शिक्षाविदों का मानना है कि विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रवेश से भारतीय शिक्षण व्यवस्था के महँगी होने की आशंका है। इसके फलस्वरूप निम्न वर्ग के छात्रों के लिये उच्च शिक्षा प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
§ शिक्षा का संस्कृतिकरणः दक्षिण भारतीय राज्यों का यह आरोप है कि ‘त्रि-भाषा’ सूत्र से सरकार शिक्षा का संस्कृतिकरण करने का प्रयास कर रही है।
§ फंडिंग संबंधी जाँच का अपर्याप्त होनाः कुछ राज्यों में अभी भी शुल्क संबंधी विनियमन मौजूद है, लेकिन ये नियामक प्रक्रियाएँ असीमित दान के रूप में मुनाफाखोरी पर अंकुश लगाने में असमर्थ हैं।
§ वित्तपोषणः वित्तपोषण का सुनिश्चित होना इस बात पर निर्भर करेगा कि शिक्षा पर सार्वजनिक व्यय के रूप में जीडीपी के प्रस्तावित 6%खर्च करने की इच्छाशक्ति कितनी सशक्त है।
§ मानव संसाधन का अभावः वर्तमान में प्रारंभिक शिक्षा के क्षेत्र में कुशल शिक्षकों का अभाव है, ऐसे में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत प्रारंभिक शिक्षा हेतु की गई व्यवस्था के क्रियान्वयन में व्यावहारिक समस्याएँ भी हैं।
स्कूलों में क्या बदलेगा?
# अभी हमारा स्कूली सिस्टम 10+2 है. यानी 10वीं तक सारे सब्जेक्ट और 11वीं में स्ट्रीम तय करनी होती है. नए सिस्टम को
5+3+3+4 बताया गया है. इसमें स्कूल के आखिर चार साल यानी 9वीं से लेकर 12वीं तक एकसमान माना गया है, जिसमें सब्जेक्ट गहराई में पढ़ाए जाएंगे, लेकिन स्ट्रीम चुनने की जरूरत नहीं होगी मल्टी स्ट्रीम पढ़ाई होगी. फिजिक्स वाला चाहे तो हिस्ट्री भी पढ़ पाएगा. या कोई एक्ट्रा करिक्यूलम एक्टिविटी, जैसे म्यूजिक या कोई गेम है, तो उसे भी एक सब्जेक्ट की तरह ही शामिल कर लिया जाएगा. ऐसी रुचि वाले विषयों को एक्स्ट्रा नहीं माना जाएगा.
# सभी बच्चे 3, 5 और 8 की स्कूली परीक्षा देंगे. ग्रेड 10 और 12 के लिए बोर्ड परीक्षा जारी रखी जाएंगी, लेकिन इन्हें नया स्वरूप दिया जाएगा. एक नया राष्ट्रीय आकलन केंद्र ‘परख’ स्थापित किया जाएगा.
# 3 से 6 साल के बच्चों को अलग पाठ्यक्रम तय होगा, जिसमें उन्हें खेल के तरीखों से सिखाया जाएगा. इसके लिए टीचर्स की भी अलग ट्रेनिंग होगी.
# कक्षा एक से तीन तक के बच्चों को यानी 6 से 9 साल के बच्चों को लिखना पढ़ना आ जाए, इस पर खास ज़ोर दिया जाएगा. इसके लिए नेशनल मिशन शुरू किया जाएगा.
# कक्षा 6 से ही बच्चों को वोकेशनल कोर्स पढ़ाए जाएंगे, यानी जिसमें बच्चे कोई स्किल सीख पाए. बाकायदा बच्चों की इंटर्नशिप भी होगी, जिसमें वो किसी कारपेंटर के यहां हो सकती है या लॉन्ड्री की हो सकती है. इसके अलावा छठी क्लास से ही बच्चों की प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग होगी. कोडिंग सिखाई जाएगी.
# स्कूलों के सिलेबस में बदलाव किया जाएगा. नए सिरे से पाठ्यक्रम तैयार किए जाएंगे और वो पूरे देश में एक जैसे होंगे. जोर इस पर दिया जाएगा कि कम से कम पांचवीं क्लास तक बच्चों को उनकी मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाया जा सके. किसी भी विद्यार्थी पर कोई भी भाषा नहीं थोपी जाएगी. भारतीय पारंपरिक भाषाएं और साहित्य भी विकल्प के रूप में उपलब्ध होंगे. स्कूल में आने की उम्र से पहले भी बच्चों को क्या सिखाया जाए, ये भी पैरेंट्स को बताया जाएगा.
# प्री-स्कूल से माध्यमिक स्तर तक सबके लिए एकसमान पहुंच सुनिश्चित करने पर जोर दिया जाएगा. स्कूल छोड़ चुके बच्चों को फिर से मुख्य धारा में शामिल करने के लिए स्कूल के इन्फ्रॉस्ट्रक्चर का विकास किया जाएगा. साथ ही नए शिक्षा केंद्रों की स्थापना की जाएगी. नई शिक्षा नीति 2020 के तहत स्कूल से दूर रह रहे लगभग 2 करोड़ बच्चों को मुख्य धारा में वापस लाने का लक्ष्य है.
# बोर्ड की परीक्षाओं का अहमियत घटाने की बात है. साल में दो बार बोर्ड की परीक्षाएं कराई जा सकती हैं. बोर्ड की परीक्षाओं में ऑब्जेक्टिव टाइप क्वेशन पेपर भी हो सकते हैं.
# बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में मूल्यांकन सिर्फ टीचर ही नहीं लिख पाएंगे. एक कॉलम में बच्चा खुद मूल्यांकन करेगा और एक में उसके सहपाठी मूल्यांकन करेंगे.
# स्कूल के बाद कॉलेज में दाखिले के लिए एक कॉमन इंट्रेस एक्जाम हो, इसके लिए नेशनल एसेसमेंट सेंटर बनाए जाने की भी बात है.
# स्कूल से बच्चा निकलेगा, तो हर बच्चे के पास एक वोकेशनल स्किल होगा.
# एनसीईआरटी की सलाह से, एनसीटीई टीचर्स ट्रेनिंग के लिए एक नया सिलेबस NCFTE
2021 तैयार करेगा. 2030 तक, शिक्षण कार्य करने के लिए कम से कम योग्यता 4 वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड डिग्री हो जाएगी.
# शिक्षकों को प्रभावी और पारदर्शी प्रक्रिया के जरिए भर्ती किया जाएगा. प्रमोशन योग्यता आधारित होगी. राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय प्रोफेशनल मानक (एनपीएसटी) 2022 तक विकसित किया जाएगा.
# इस नीति के जरिए 2030 तक 100% युवा और प्रौढ़ साक्षरता के लक्ष्य को प्राप्त करना है.
नई शिक्षा नीति की मोटी-मोटी बातें ये ही हैं. अब ये तो बहुत आदर्श स्थिति लगती है, लेकिन हमारे सरकारी स्कूलों की हालत तो हम जानते हैं. खुद सरकार के आंकड़े कहते हैं कि लगभग हर प्रदेश में स्कूलों में शिक्षकों की कमी है या फिर कहीं-कहीं तो स्कूल का भवन तक नहीं है. इसमें सुधार के लिए सरकार ने शिक्षा पर खर्च बढ़ाने का भी ऐलान किया है. अब जीडीपी का 6 फीसदी शिक्षा पर खर्च होगा, जो कि अभी 4.3 फीसदी के आसपास है.
अभी सिर्फ नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट को मंजूरी मिली है, अभी लागू होना बाकी है. उसके बाद भी कई इम्तिहानों से गुजरना होता है. मसलन क्या ये नई शिक्षा नीति की बातें शहरों से दूर गांव-देहात के उन बच्चों तक भी पहुंच पाएंगी? क्या जिन स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं, वहां अब म्यूजिक के टीचर और वोकेशनल कोर्स और ऐसी बाकी बातें लागू हो पाएंगी?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 21वीं सदी के भारत की जरूरतों को पूरा करने के लिये भारतीय शिक्षा प्रणाली में बदलाव हेतु जिस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को मंज़ूरी दी है अगर उसका क्रियान्वयन सफल तरीके से होता है तो यह नई प्रणाली भारत को विश्व के अग्रणी देशों के समकक्ष ले आएगी। नई शिक्षा नीति, 2020 के तहत 3 साल से 18 साल तक के बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के अंतर्गत रखा गया है। 34 वर्षों पश्चात् आई इस नई शिक्षा नीति का उद्देश्य सभी छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करना है जिसका लक्ष्य 2025 तक पूर्व-प्राथमिक शिक्षा (3-6 वर्ष की आयु सीमा) को सार्वभौमिक बनाना है। स्नातक शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, थ्री-डी मशीन, डेटा-विश्लेषण, जैवप्रौद्योगिकी आदि क्षेत्रों के समावेशन से अत्याधुनिक क्षेत्रों में भी कुशल पेशेवर तैयार होंगे और युवाओं की रोजगार क्षमता में वृद्धि होगी।
1.
मई 2016 में किसकी अध्यक्षता में 'नई शिक्षा नीति के विकास के लिए समिति' ('Committee for
Evolution of the New Education Policy') ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी?
A. स्वर्गीय श्री टी.एस.आर. सुब्रमण्यन (Late Shri T.S.R. Subramanian)
B. डॉ. के. कस्तूरीरंगन (Dr. K. Kasturirangan)
C. रीना रे (Rina Ray)
D. श्री संजय धोत्रे (Shri Sanjay Dhotre)
Ans. A
व्याख्या: स्वर्गीय श्री टी.एस.आर. सुब्रमण्यन, पूर्व कैबिनेट सचिव, की अध्यक्षता में
'नई शिक्षा नीति के विकास के लिए समिति ’
(Committee for Evolution of the New Education Policy’) ने मई 2016 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. और इसके आधार पर मंत्रालय ने 'कुछ इनपुट ड्राफ्ट नेशनल एजुकेशन पॉलिसी, 2016 के लिए तैयार किए हैं.
2. NEP
2020 के अनुसार, वर्तमान 10 + 2
शैक्षिक मॉडल को एक नए शैक्षिक पाठ्यक्रम प्रणाली के आधार पर विभाजित करने की बात कही गई है. वह नई शैक्षिक पाठ्यक्रम प्रणाली क्या है?
A. 3+4+4+5
B. 5+3+3+4
C. 4+3+3+5
D. 5+4+3+3
Ans. B
व्याख्या:
NEP 2020 के अनुसार, वर्तमान 10 + 2 शैक्षिक मॉडल को क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14 और
14-18 वर्ष की आयु के अनुसार एक नई शैक्षिक पाठ्यक्रम को
5+3+3+4 प्रणाली के आधार पर विभाजित करने की बात कही गई है.
3. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में, शिक्षक को किस कक्षा तक मातृभाषा/स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में पाठ पढ़ाने पर बल दिया गया है?
A. कक्षा 3
B. कक्षा 4
C. कक्षा 5
D. उपरोक्त में से कोई नहीं
Ans. C
व्याख्या: NEP-2020
में, मातृभाषा / स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को कक्षा-5 तक की शिक्षा में अध्यापन के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गया है.
4. किस वर्ष तक, अध्यापन के लिए न्यूनतम डिग्री योग्यता 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड. डिग्री का होना अनिवार्य किया जाएगा?
A. 2021
B. 2025
C. 2028
D. 2030
Ans. D
व्याख्या: 2030
तक, अध्यापन के लिए न्यूनतम डिग्री योग्यता 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड. डिग्री का होना अनिवार्य किया जाएगा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार.
5. निम्नलिखित में से कौन जून 2017 में नवगठित ड्राफ्टिंग NEP 2020 के अध्यक्ष थे?
A. वसुधा कामत (Vasudha Kamat)
B. डॉ. के. कस्तूरीरंगन (Dr. K. Kasturirangan)
C. के जे अल्फोंस (K J Alphonse)
D. राम शंकर कुरील (Ram Shankar Kureel)
Ans. B
व्याख्या: प्रख्यात पूर्व इसरो (ISRO) प्रमुख डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में जून 2017 में नई शिक्षा नीति के निर्माण के लिये एक समिति का गठन किया गया था, जिसने 2019 में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा’ प्रस्तुत किया था.
6. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, उच्च शिक्षण संस्थानों में 'सकल नामांकन अनुपात' (Gross Enrolment Ratio) को कितना प्रतिशत बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है?
A. 25%
B. 30%
C. 40%
D. 50%
Ans. D
व्याख्या: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, उच्च शिक्षण संस्थानों में ‘सकल नामांकन अनुपात’ (Gross Enrolment Ratio) को 50% तक करने का लक्ष्य 2035 तक रखा गया है, इसके साथ ही देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा.
7. NEP
2020 में
MHRD द्वारा
........ की स्थापना की मांग की गई है?
A. बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Foundational Literacy and Numeracy)
B. उच्च शिक्षा आयोग (Higher Commission Education)
C. नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (National Research Foundation)
D. उपरोक्त में से कोई नहीं
Ans.C
व्याख्या: NEP
2020 में MHRD द्वारा ‘बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन’ (National Mission on Foundational Literacy and Numeracy) की स्थापना की मांग की गई है।
1. नई शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा पर सकल घरेलु उत्पाद का कितना खर्च किया जाएगा ?
उत्तर: 4.43%
2. नई शिक्षा नीति 2020 से अब प्रथम से पांचवीं कक्षा तक की शिक्षा किस भाषा में अनिवार्य कर दी गई है ?
उत्तर: मातृभाषा
3. मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदल कर क्या कर दिया गया है ?
उत्तर: शिक्षा मंत्रालय
4. लॉ (Law) और मेडिकल एजुकेशन को छोड़कर समस्त उच्च शिक्षा के लिए एक एकल निकाय के रूप में किस आयोग का गठन किया जाएगा ?
उत्तर: भारत उच्च शिक्षा आयोग (HECI)
5. किस कक्षा के बाद से ही वोकेशनल कोर्स शुरू किये जाएंगे, जिससे इच्छुक छात्र इंटर्नशिप कर सके ?
उत्तर: छठवीं कक्षा
6. किस विषय को बढ़ावा देने के लिए सभी कक्षाओं के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा ?
उत्तर: म्यूज़िक और आर्ट्स
7. ई-पाठ्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए कौन सा पोर्टल विकसित किया जा रहा है ?
उत्तर: राष्ट्रिय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फोरम (NETF)
8. नई शिक्षा नीति 2020 का सबसे महत्वपूर्ण बदलाव है ?
उत्तर: मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लागू होना
9. नई शिक्षा नीति के तहत किस कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया है ?
उत्तर: M.Phil
10. भारत के इतिहास में अब तक कितनी बार शिक्षा नीति आ चुकी है ?
उत्तर: 3 बार
11. 1986 में जो शिक्षा नीति लागू की गई थी, उसमें बदलाव कब किया गया था ?
उत्तर: 1992
12. नई शिक्षा नीति के अनुसार अब PHD करने
के लिए क्या अनिवार्य कर दिया गया है ?
उत्तर: 4
साल
की
स्नातक
डिग्री
Post a Comment