औरंगजेब (1658-17070)


औरंगजेब का जन्म गुजरात के दाहोद में 21 अक्टूबर, 1618 को हुआ।  औरंगजेब मुगल सम्राट शाहजहां का तीसरा पुत्र था।

औरंगजेब ने आगरा में कब्जाकर 31 जुलाई, 1658 0 में अपना राज्याभिषेकअब्दुल मुजफ्फर मुहउद्दीन मुजफ्फर औंरगजेब बहादुर आलमगीरकी उपाधि लेकर किया।

देवराई के युद्ध में सफल होने के बाद औरंगजेब ने दिल्ली में प्रवेश किया और 05 जून, 1659 को दूसरी बार राज्याभिषेक करवाया। 

औरंगजेब ने 1679 0 में जजिया कर को पुनः लागू किया। 

औरंगजेब ने अन्य मुगल सम्राटो की तुलना में सर्वाधिक हिन्दू मनसबदारों की नियुक्ति की। 

औंरगंजेब का गुरू मीर मुहम्मद हकीम था। 

औरगंजेब ने 1675 0 में इस्लाम धर्म स्वीकार करने के कारण सिक्खों के 9वें गुरू तेगबहादुर की हत्या करवा दी। 

औरगंजेब ने बीबी का मकबरा का निर्माण 1679 0 में औरंगाबाद(महाराष्ट्र) में करवाया। 

औरंगजेब एक कट्टर सुन्नी मुसलमान था। उसने गद्दी पर बैठते ही कुरान के नियमों का पालने करते हुए 80 प्रकार के करों को समाप्त कर दिया। औरगंजेब ने सिक्कों पर कलमा खुदवाना, नवरोज का त्यौहार मनाना,भांग की खेती करना आदि पर प्रतिबन्ध लगा दिया। राज्याभिषेक के 11वें वर्ष झरोखा दर्शन संगीत निषेध जबकि 12वें वर्ष तुलादान प्रथा बन्द कर दी 

औरंगजेब ने इतिहास की पुस्तकों को लिखने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था परन्तु सर्वाधिक इतिहास की पुस्तकें इसी के काल में लिखी गई। खाफी खाँ ने अपनी पुस्तक मुन्तखब-उल-लुबाब छिप करके के लिखा।


औरंगजेब ने संगीत पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। परन्तु संगीत की सर्वाधिक पुस्तकें इसी के काल में लिखी गई। वह स्वयं ही वीणा बजाता था। मनूची लिखता है कि सम्राट संगीत सुनता भी था।

औरंगजेब ने शिवाजी के पुत्र शम्भा जी को 1689 में फाँसी दे दी

औरंगजेब ने 1665 0 में हिन्दू मन्दिरों को तोड़ने का आदेश दिया। इसके शासनकाल में तोडे गए मंदिरों में सोमनाथ का मंदिर, बनारस का विश्वनाथ मंदिर एवं वीर सिंह देव द्वारा जहाँगीर काल में मथुरा में निर्मित्त केशव राय मंदिर थे। इन सब गतिविधियों से औरंगजेब के धर्मांध होने का प्रमाण मिलता है।

औरंगजेब के विजय अभियान 

  1. बीजापुर (1685):1685 ईसवी में मुगलों ने बीजापुर पर आक्रमण किया था। यह अभियान सफल रहा था। सुल्तान सिकंदर आदिल शाह ने 12 सितम्बर, 1686 ईसवी को समर्पण किया था।  इसे खान की उपाधि दी गई।
  2. गोलकुण्डा (1687):- 1686 ईसवी में शाह आलम के नेतृत्व में मुग़ल सेना ने गोलकुंडा पर आक्रमण किया था। अक्टूबर, 1687 ईसवी में गोलकुंडा मुग़ल साम्राज्य का भाग बन गया। यहाँ का सुल्तान अबुल हसन कुतुबशाह था। उसने शासन की जिम्मेदारी मदन्ना एवं अकन्ना नामक ब्राहमण को सौंप दी थी।

औरंगजेब के विरूद्ध प्रमुख विद्रोह

1. बुंदेला विद्रोह (1661 ई०)- ओरछा के छत्रसाल ने शिवाजी से प्रेरणा ली और विद्रोह कर दिया, 1707 ईसवी में वह बुंदलखंड का स्वतंत्र शासक बना।


2. अफगान विद्रोह (1667 ई०)- इस विद्रोह का आरंभ रोशनाई नामक सम्प्रदाय ने किया था। अफरीदी नेता अकमल खां ने स्वयं को शासक घोषित किया और अपने नाम से सिक्के जारी करवाए।


3. जाट विद्रोह(1669 ई०)- यह किसानो से सम्बंधित विद्रोह था,अंत में मथुरा ने निकट स्वतंत्र राज्य की स्थापना की गयी।


4. सतनामी विद्रोह (1672) :- 1672 ई. में किसानों और मुगलों के बीच मथुरा के निकट नारनौल नामक स्थान पर एक युद्ध हुआ जिसका नेतृत्व सतनामी नामक एक धार्मिक संप्रदाय ने किया था। सतनामी विद्रोह की शुरुआत एक सतनामी और मुगल सैनिक अधिकारी के बीच झगड़े को लेकर हुई। विद्रोह तब भड़क उठा जब मुगल सैनिक ने सतनामी को मार डाला। इस विद्रोह को तब कुचला जा सका जब औरंगजेब ने विद्रोह की कमान संभाली और सतनामियों को कुचलने के लिये तोपखाने के साथ 10,000 सैनिकों को भेजा। विद्रोह को दबाने में स्थानीय हिन्दू ज़मींदारों (जिनमें अधिकतर राजपूत थे) ने मुगलों का साथ दिया था।

5. अकबर का विद्रोह:- अकबर औरंगजेब का पुत्र था। उसने शिवाजी के पुत्र शम्भाजी के साथ मिलकर औरंगजेब के विरूद्ध षडयंत्र किया परन्तु औरंगजेब ने बड़े बुद्धिमानी से शम्भाजी को अलग कर दिया। अकबर 1681 ई0 में भागकर फारस चला गया।

औरंगजेब की मृत्यु 20 फरवरी, 1707 को हुई तथा खुलदाबाद में दफनाया गया। 


 


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