गरीबी
भारत में गरीबी रेखा का आकलन करते समय खाद्य आवश्यकता के लिए वर्तमान सूत्र वांछित कैलोरी आवश्यकताओं पर आधारित है। भारत में स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन एवं नगरीय क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन है। चूँकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग अधिक शारीरिक कार्य करते हैं, अतः ग्रामीण क्षेत्रों में कैलोरी आवश्यकता शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक मानी गई है। निर्धनता रेखा का आकलन समय-समय पर (सामान्यतः हर पाँच वर्ष पर) प्रतिदर्श सर्वेक्षण के माध्यम से किया जाता है। यह सर्वेक्षण राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन अर्थात् नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (एन.एस.एस.ओ.) द्वारा कराए जाते हैं, तथापि विकासशील देशों के बीच तुलना करने के लिए विश्व बैंक जैसे अनेक अंतर्राष्ट्रीय संगठन निर्धनता रेखा के लिए एक समान मानक का प्रयोग करते है, जैसे $1.9 (2011 पी.पी.पी.) प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन के समतुल्य न्यूनतम उपलब्धता के आधार पर।
भारत में गरीबी निर्धारण हेतु प्रयास-
दादा भाई नौरोजीः इनकी पुस्तक ‘पावर्टी एण्ड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया’ में पहली बार गरीबी के मापन को न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति से लगाया था।
योजना आयोग कार्य समूह (वर्ष 1962)-जुलाई 1962 में भारत में निर्धनता रेखा के निर्धारण का पहला अधिकारिक प्रयास योजना आयोग द्वारा किया गया।
लकड़ावाला समिति (वर्ष 1989-93)-योजना आयोग द्वारा गठित इस समिति के अध्यक्ष प्रो0 डी0टी0 लकड़ावला थे। इस समिति के अनुसार प्रत्येक राज्य में मूल्य स्तर के आधार पर अलग-अलग निर्धनता रेखा का निर्धारण किया गया।
तेंदुलकर समिति (वर्ष 2004-2009)-वर्ष 2004 में योजना आयोग द्वारा सुरेश तेन्दुलकर की अध्यक्षता में तेन्दुलकर समिति गठित की गयी जिसने अपनी रिपोर्ट 2009 में सौंपी। जिसके प्रमुख बिन्दु निम्न है-
- तेंदुलकर समिति के अनुसार, भारत की कुल आबादी के 21.9 % (211-12)लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करते हैं।
- तेंदुलकर समिति ने अपनी रिपोर्ट में शहरी क्षेत्र में रह रहे परिवारों के संदर्भ में गरीबी रेखा को 1000 रुपए (प्रति व्यक्ति प्रति माह) और ग्रामीण परिवारों के लिये इसे 816 रुपए निर्धारित किया था।
- तेन्दुलकर समिति ने गरीबी रेखा के निर्धारण के लिए जीवन निर्वाह लागत सूचकांक यानी प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय को आधार बनाया।
- तेन्दुलकर समिति ने गरीबी रेखा के निर्धारण के लिए खाद्यान्न के अलावा छः बुनियादी आवश्यकताओं शिक्षा, स्वच्छ वातावरण, स्वास्थ्य, बुनियादी संरचना तथा महिलाओं की काम तथा लाभ तक पहुँच के आधार पर होगा।
गरीबी के प्रमुख कारण:
- निम्न पूंजी निर्माण
- आधारभूत संरचनाओं का अभाव
- मांग का अभाव
- जनसंख्या का दबाव
- सामाजिक/कल्याण व्यवस्था का अभाव
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