प्रकाश (Light) : किसी अँधेरे कमरे में हम कुछ भी देखने में असमर्थ हैं। कमरे को प्रकाशित करने पर चीजें दिखलाई देने लगती हैं। प्रकाश कहते है। प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है, जो विद्युत चुम्बकीय तरंगो के रूप से संचारित होती है। 

प्रकाश अनुप्रस्थ तंरग है। प्रकाश के वेग की गणना सबसे पहले रोमर ने की थी। वायु व निर्वात में प्रकाश की चाल सबसे अधिक होती है। पृथ्वी तक सूर्य के किरणे आने में 8 मिनट 16 सेकण्ड का समय लगता है। चन्द्रमा का परावर्तित प्रकाश पृथ्वी तक आने में 1.28 सेकेण्ड का समय लगता है। 

प्रकाश के आधार पर वस्तुओं के निम्न प्रकार -
  1. प्रदीप्त वस्तुएं (Luminous Bodies) :  जो वस्तुएं स्वयं के प्रकाश से प्रकाशित होती है। जैसे सूर्य, विद्युत, बल्ब आदि
  2. अप्रदीप्त वस्तुएं (Nonlumenous Bodies) : जो वस्तुएं स्वयं के प्रकाश से प्रकाशित नही होती है किन्तु प्रकाश पड़ने पर दिखाई देने लगती हैं जैसे : कुर्सी, मेज, किताब आदि।
  3. पारदर्शक वस्तुएं (Transparent Bodies) :जिन वस्तुओं से होकर प्रकाश की किरणे पार निकल जाती हैं। जैसे : शीशा।
  4. पारदर्शक वस्तुएं (Translucent Bodies) : जिन वस्तुओं से होकर प्रकाश की किरणे  बाहर नहीं निकल पाती है जैसे धातुएं, लकड़ी आदि।

प्रकाश का विवर्तन-यदि प्रकाश के पथ में रखी अपारदर्शी वस्तु अत्यंत छोटी हो तो प्रकाश सरल रेखा में चलने की बजाय इसके किनारों पर मुड़ने की प्रवृत्ति दर्शाता है, इस प्रभाव को प्रकाश का विवर्तन कहते हैं।

चिकने पृष्ठ, जैसे कि दर्पण, अपने पर पड़ने वाले अधिकांश
प्रकाश को परावर्तित कर देता है। परावर्तन के दो निम्न नियम हैः-
1. आपतन कोण, परावर्तन कोण वेफ बराबर होता है, तथा
2. आपतित किरण, दर्पण वेफ आपतन बिंदु पर अभिलंब तथा परावर्तित किरण, सभी
एक ही तल में होते हैं।

प्रकाश का प्रकीर्णन-जब प्रकाश किसी ऐसे माध्यम से गुजरता है, जिसमें धूल तथा अन्य पदार्थो के अत्यन्त सूक्ष्म कण होते है, तो इनके द्वारा प्रकाश सभी दिशाओं मे प्रसारित हो जाता है, इसे प्रकाश का प्रकीर्णन कहते है। लाल रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे कम एवं बैंगनी रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है। 

गोलीय दर्पण से परावर्तन 
गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते है।
1. अवतल दर्पण
2. उत्तल दर्पण
अवतल दर्पण-गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ अंदर की ओर अर्थात गोले के केन्द्र की ओर
वक्रित है, वह अवतल दर्पण कहलाता है। 
अवतल दर्पण का उपयोग-1. आँख, कान, नाक एवं दांत के डॉक्टर के द्वारा उपयोग 
2. मानव द्वारा स्वयं के मुख को देखने एवं दाढ़ी बनाने में
3. गाडी के हेड लाइट एवं सर्चलाइट में
4. सोलर कुकर में
उत्तल दर्पण-वह गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ बाहर की ओर वक्रित है, उत्तल दर्पण कहलाता है।
उत्तल दर्पण का उपयोग-1. सोडियम परावर्तक लैम्प में
2. गाडी में चालक द्वारा सीट के पीछे के दृश्य को देखने में

प्रकाश का अपवर्तन -जब प्रकाश की किरणें एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में प्रवेश करती हैं, तो दोनो माध्यमों को अलग करने वाले तल पर अभिलम्बवत् आपाती होने पर बिना मुडे सीधे निकल जाती है, परन्तु तिरछी आपाती होने पर बिना मुडे सीधे निकल जाती है, परन्तु तिरछी आपाती होने पर वे अपनी मूल दिशा से विचलित हो जाती है। प्रकाश का अपवर्तन कहते है। 
प्रकाश के अपर्वतन के कारण घटने वाली घटनाएँ:
1. पानी से भरे किसी बर्तन की तली में पडा हुआ सिक्का ऊपर उठा दिखाई पडता है।
2. जल के अन्दर पडी हुई मछली वास्तविक गहराई से कुछ ऊपर उठी हुई दिखाई पड़ती है।
3. सूर्योदय के पहले एवं सूर्यास्त के बाद भी सूर्य दिखाई देता हैं
4. डूबी हुई सीधी छड़ टेड़ी दिखाई पड़ती है। 
5. तारे टिमटिमाते हुए दिखाई देना। 

प्रकाश का पूर्ण आन्तरिक परावर्तन-आपतन कोण का मान क्रान्तिक कोण से थोडा सा अधिक कर दे तो प्रकाश विरल माध्यम में बिल्कुल ही नही जाता, बल्कि सम्पूर्ण प्रकाश परावर्तित होकर सघन माध्यम में ही लौट आता है। पूर्ण आन्तरिक परावर्तन कहते है। 
क्रान्तिक कोण-क्रान्तिक कोण सघन माध्यम में बना वह आपतन कोण होता है, जिसके लिए विरल माध्यम में अपवर्तन कोण का मान 90 होता है। 
पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के उदाहरण हैः
1. काँच में आई दरार का चमकना।
2. हीरा का चमकना।
3. रेगिस्तान में मरीचिका का बनना।

प्रकाश का वर्ण विक्षेपण (Dispersion of light) : सूर्य का प्रकाश जब किसी प्रिज्म से गुजरता है तब अपवर्तन के कारण प्रिज्म के आधार की ओर झुकने के साथ साथ विभिन्न रंगों के प्रकाश में बँट जाता है। इस प्रकार प्राप्त रंगों के समूह को वर्णक्रम (Spectrum) कहते है, तथा प्रकाश के विभिन्न रंगों में विभक्त होने की क्रिया को वर्ण विक्षेपण कहते है। सूर्य के प्रकाश से प्राप्त रंगों में बैगनी रंग का विक्षेपण अधिक होने के कारण सबसे नीचे तथा लाल रंग का विक्षेपण कम होने के कारण सबसे ऊपर प्राप्त होता है। नीचे से ऊपर की ओर विभिन्न रंगों का क्रम क्रमशः बैगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी तथा लाल है। इसे संक्षेप में बैजनीहपीनाला (VIBGYOR) कहते है।


प्रकाश के लाल रंग की तरंगदैर्ध्य अधिकतम एवं बैंगनी रंग की तरंगदैर्ध्य न्यूनतम होती है। 
सूर्य के प्रकाश से प्राप्त रंगो में बैंगनी का विक्षेपण सबसे अधिक एवं लाल रंग का विक्षेपण सबसे कम होता है। 
प्रकाश के लाल रंग का अपवर्तनाक बैंगनी रंग के अपवर्तनाक से कम होता है। 
काँच में बैंगनी रंग के प्रकाश का वेग सबसे कम तथा अपवर्तनांक सबसे अधिक होता है तथा लाल रंग का वेग सबसे अधिक एवं अपवर्तनांक सबसे कम होता है। 
इन्द्र धनुष परावर्तन , पूर्ण आंतरिक परावर्तन तथा अपवर्तन का सबसे अच्छा उदाहरण है। 


मानव नेत्रः- मानव की स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 25 से0मी0 होती है। दृष्टि के अनुसार मानव के आँख में दो दोष या रोग पाये जाते है। 
1. निकट दृष्टिदोष
2. दूर दृष्टि दोष
निकट दृष्टिदोष-इस रोग से पीडित व्यक्ति नजदीक की वस्तु को देख लेता है परन्तु दूरी स्थित वस्तु को नही देख पाता।
कारण-1. लेन्स की क्षमता बढ़ जाती है।
2. लेन्स की फोकस दूरी घट जाती है।
3. लेन्स की गोलाई बढ़ जाती है।
लेन्स की उपरोक्त स्थिति में वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर न बनकर रेटिना के आगे बन जाता है।
निकट दृष्टिदोष रोग का उपचार-निकट दृष्टि दोष के निवारण के लिए उपयुक्त फोकस दूरी के अवतल लेन्स का प्रयोग किया जाता है। 

दूर दृष्टि दोष-इस रोग से पीडित व्यक्ति दूर की वस्तु को देख लेता है परन्तु नजदीक स्थित वस्तु को नही देख पाता।
कारण-1. लेन्स की क्षमता घट जाती है।
2. लेन्स की फोकस दूरी बढ़ जाती है।
3. लेन्स की गोलाई कम जाती है।
लेन्स की उपरोक्त स्थिति में वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर न बनकर रेटिना के आगे बन जाता है।
निकट दृष्टिदोष रोग का उपचार-निकट दृष्टि दोष के निवारण के लिए उपयुक्त फोकस दूरी के अवतल लेन्स का प्रयोग किया जाता है। 


जरा दृष्टि दोष-वृदावस्था के कारण आँख की सामंजस्य क्षमता घट जाती है या समाप्त हो जाती हैं जिसके कारण व्यक्ति न तो नजदीक और न ही दूर की वस्तु ठीक से नही देख पाता है। इसके लिए द्विफोकसी लेन्स(उभयातल लेन्स) या बाईफोकल लेन्स का उपयोग किया जाता है। 
दृष्टि वैषम्य या अबिन्दुकता-इसमें नेत्र क्षैतिज दिशा में तो ठीक देख पाता है, परन्तु उर्ध्व दिशा में नही देख पाता है। इसके निवारण हेतु बेलनाकार लेन्स का प्रयोग किया जाता है।



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