नाभिकीय विखंडन एवं नाभिकीय संलयन

नाभिकीय विखण्डन (Nuclear Fission)- नाभिकीय विखण्डन वह क्रिया है, जिसमें एक भारी नाभिक दो छोटे भागों में विभाजित हो जाता है।  नाभिकीय विखण्डन कहते है। इस क्रिया में अत्यधिक ऊर्जा का उत्सर्जन होता है जिसे नाभिकीय ऊर्जा कहते है। उदाहरण के लिए, जब यूरेनियम (92U235) को न्यूट्रॉन के प्रहार द्वारा विखण्डित किया जाता है तो बेरियम तथा क्रिप्टॉन के परमाणु बनते हैं।

92U235 0n1 -> 3 0n1 + 36Kr92 + 56Ba141 + ऊर्जा


अमेरिकी वैज्ञानिक स्ट्रासमैन एवं हॉन के द्वारा नाभिकीय विखण्डन की प्रक्रिया को प्रदर्शित किया गया। 

श्रृंखला अभिक्रिया(Chain Reaction)-जब यूरेनियम (92U235 )पर न्यूट्रॉन की बमबारी से नाभिकीय विखण्डन होने से अधिक ऊर्जा उत्पन्न होने के साथ तीन नये  न्यूट्रॉन उत्सर्जित होते है। ये उत्सर्जित न्यूट्रॉन यूरेनियम के अन्य नाभिको को विखण्डित करते है। यूरेनियम नाभिकों के विखण्डन की एक श्रृंखला बन जाने को ही श्रृंखला अभिक्रिया कहते है।  

श्रृंखला अभिक्रिया दो प्रकार की होती है। 

1. अनियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया(Uncontrolled chain reaction)-इसमें विखण्डन के द्वारा प्राप्त तीन नए न्यूट्रॉन पर नियंत्रण न होने के कारण नाभिको के विखण्डन की दर 1,3,9,27,81......के अनुरूप होती है। इस क्रिया के अत्यधिक ऊर्जा होने के कारण प्रचण्ड मात्रा का विस्फोट होता है। परमाणु बम में यही अभिक्रिया होती है। 

परमाणु बम-यूरेनियम तथा प्लूटोनियम का प्रयोग परमाणु बम बनाने मे किया जाता है। जो नाभिकीय विखण्डन के सिद्धान्त पर आधारित है। सर्वप्रथम परमाणु बम का सर्वप्रथम प्रयोग अमेरिका द्वारा जापान के विरूद्ध युद्ध में 06 अगस्त 1946 को हिरोशिमा एवं 09 अगस्त, 1945 को नागासाकी में परमाणु बम गिराये थे। परमाणु बम का आविष्कार जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर (J. Robert Oppenheimer) ने किया था।

2. नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया(Controlled chain reaction)-यह अभिक्रिया धीरे-धीरे होती है इससे प्राप्त ऊर्जा का उपयोग लाभकारी कार्यो में किया जाता है। नाभिकीय रिएक्टर या परमाणु भट्टी में यही अभिक्रिया को अपनाया जाता है। प्रो0 फर्मी के निर्देशन में सर्वप्रथम नाभिकीय रिएक्टर को शिकागो विश्वविद्यालय में बनाया गया।  नाभिकीय रिएक्टर का उपयोग विद्युत ऊर्जा के साथ चिकित्सा, विज्ञान, कृषि आदि में किया जा सकता है। 

नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) - वह नाभिकीय अभिक्रिया जिसमें दो बहुत हल्के नाभिक परस्पर संयुक्त होकर भारी नाभिक बनाते हैं जिससे अपार ऊर्जा उत्पन्न होती है, यह अभिक्रिया नाभिकीय संलयन कहलाती है। 

सूर्य एवं तारो से प्राप्त ऊर्जा एवं प्रकाश का स्रोत नाभिकीय संलयन ही है। 

हाइड्रोजन बम-हाइड्रोजन बम नाभिकीय संलयन पर आधारित अभिक्रिया होती है। यह परमाणु बम की अपेक्षा एक हजार गुना अधिक शक्तिशाली है। हाइड्रोजन बम का अविष्कार एडवर्ड टेलर(Edward Teller) ने किया था।

नाभिकीय रिएक्टर से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यः

  • रिएक्टर में ईधन के रूप में यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239 का प्रयोग किया जाता है।

  • रिएक्टर में मंदक के रूप में भारी जल या ग्रेफाइट का प्रयोग किया जाता है। मंदक रिएक्टर में न्यूट्रॉन की गति को धीमा करता है। 

  • रिएक्टर में नियंत्रक छड के रूप में कैडमियम या बोरॉन छड़ का उपयोग किया जाता है। इसकी सहायता से नाभिक के विखण्डन के समय निकलने वाले तीन नए न्यूट्रॉन में से दो को अवशोषित कर लिया जाता है। 




कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.