बादल(Clouds)




बादल पानी की छोटी बूँदों या बर्फ के छोटे रवों की संहति होता है जो कि पर्याप्त ऊँचाई पर स्वतंत्र हवा में जलवाष्प के संघनन के कारण बनते हैं। चूँकि बादल का निर्माण पृथ्वी की सतह से कुछ ऊँचाई पर होता है इसलिए ये विभिन्न आकारों के होते हैं। बादल अल्प घनत्व के कारण वायुमण्डल में तैरते है। इनकी ऊँचाई, विस्तार, घनत्व तथा पारदर्शिता या अपारदर्शिता के आधार पर बादलों को चार रूपों में वर्गीकृत किया जाता है-

1. पक्षाभ बादल 2.कपासी बादल 3. स्तरी बादल 4. वर्षा बादल

1.पक्षाभ बादल-पक्षाभ बादलों का निर्माण 8,000-12,000 मी0 की ऊँचाई पर होता है। ये पतले तथा बिखरे हुए बादल होते हैं, जो पंख के समान प्रतीत होते हैं। ये हमेशा सफेद रंग के होते हैं। 

2.कपासी बादल-कपासी बादल रूई के समान दिखते हैं। ये प्रायः 4,000 से 7,000 मी0 की ऊँचाई पर बनते हैं। ये छितरे तथा इधर-उधर बिखरे देखे जा सकते हैं। ये चपटे आधार एवं गुम्बदनुमा वाले होते हैं।

3.स्तरी बादल-जैसा कि नाम से प्रतीत होता है ये परतदार बादल होते हैं जो कि आकाश के बहुत बड़े भाग पर फैले रहते हैं। ये बादल सामान्यतः या तो ऊष्मा के हा्स या अलग-अलग तापमानों पर हवा के आपस में मिश्रित होने से बनते हैं। ये 2,000 से 3,000 मी0 की ऊँचाई पर पाये जाते है। 

4.वर्षा बादल-वर्षा बादल काले या गहरे स्लेटी रंग के होते हैं। ये मध्य स्तरों या पृथ्वी के सतह के काफी नजदीक बनते हैं। ये सूर्य की किरणों के लिए बहुत ही अपारदर्शी होते हैं। कभी-कभी बादल इतनी कम ऊँचाई पर होते हैं कि ये सतह को छूते हुए प्रतीत होते हैं। वर्षा बादल मोटे जलवाष्प की आकृति विहीन संहति होते हैं।

बादल फटते क्यो है?
कहीं भी बादल फटने की घटना तब होती है जब काफी ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह पर रुक जाते हैं. वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं. बूंदों के भार से बादल का घनत्व बढ़ जाता है. फिर अचानक भारी बारिश शुरू हो जाती है. बादल फटने पर 100 मिमी प्रति घंटे की रफ्तार से बारिश हो सकती है.



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