वैदिक सभ्यता
ऋग्वैदिक काल (1500 ई.पू. से 1000 ई.पू.)
वैदिक सभ्यता के निर्माता
- वैदिक सभ्यता के संस्थापक आर्य थे। आर्यो द्वारा विकसित सभ्यता वैदिक सभ्यता कहलायी।
- वैदिक सभ्यता मूलतः ग्रामीण थी।
- आर्य सर्वप्रथम पंजाब एवं अफगानिस्तान में बसे। आर्यो का मूल स्थान मध्य एशिया को माना जाता है।
- वैदिक सभ्यता की जानकारी के स्रोत वेद हैं। इसलिए इसे वैदिक सभ्यता के नाम से जाना जाता है।
- आर्यों ने ऋग्वेद की रचना की, जिसे मानव जाती का प्रथम ग्रन्थ माना जाता है। ऋग्वेद द्वारा जिस काल का विवरण प्राप्त होता है उसे ऋग्वैदिक काल कहा जाता है।
- ऋग्वेद भारत-यूरोपीय भाषाओँ का सबसे पुराना निदर्श है। इसमें अग्नि, इंद्र, मित्र, वरुण, आदि देवताओं की स्तुतियाँ संगृहित हैं।
- वैदिक सभ्यता के संस्थापक आर्यों का भारत आगमन लगभग 1500 ई.पू. के आस-पास हुआ। हालाँकि उनके आगमन का कोई ठोस और स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
- आर्यों के मूल निवास के सन्दर्भ में विभिन्न विद्वानों ने अलग-अलग विचार व्यक्त किये हैं।
- ‘अस्तों मा सद्गमय’ वाक्य ऋग्वेद से लिया गया है।
विद्वान | आर्यों का मूल निवास स्थान |
प्रो. मैक्समूलर | मध्य एशिया |
पं. गंगानाथ झा | ब्रह्मर्षि देश |
गार्डन चाइल्ड | दक्षिणी रूस |
बाल गंगाधर तिलक | उत्तरी ध्रुव |
गाइल्स | हंगर एवं डेन्यूब नदी की घाटी |
दयानंद सरस्वती | तिब्बत |
डॉ. अविनाश चन्द्र | सप्त सैन्धव प्रदेश |
प्रो. पेंक | जर्मनी के मैदानी भाग |
- अधिकांश विद्वान् प्रो. मैक्समूलर के विचारों से सहमत हैं कि आर्य मूल रूप से मध्य एशिया के निवासी थे।
भौगोलिक विस्तार
- ऋग्वेद में नदियों का उल्लेख मिलता है। नदियों से आर्यों के भौगोलिक विस्तार का पता चलता है।
- भारत में आर्य सर्वप्रथम सप्तसैंधव प्रदेश में आकर बसे इस प्रदेश में प्रवाहित होने वाली सैट नदियों का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है।
- ऋग्वैदिक काल की सबसे महत्वपूर्ण नदी सिन्धु का वर्णन कई बार आया है। ऋग्वेद में गंगा का एक बार और यमुना का तीन बार उल्लेख मिलता है।
- ऋग्वेद की सबसे पवित्र नदी सरस्वती थी। इसे नदीतमा (नदियों की प्रमुख) कहा गया है।
- सप्तसैंधव प्रदेश के बाद आर्यों ने कुरुक्षेत्र के निकट के प्रदेशों पर भी कब्ज़ा कर लिया, उस क्षेत्र को ‘ब्रह्मवर्त’ कहा जाने लगा। यह क्षेत्र सरस्वती व दृशद्वती नदियों के बीच पड़ता है।
ऋग्वैदिक नदियाँ | |
प्राचीन नाम | आधुनिक नाम |
शतुद्रि | सतलज |
आस्किनी | चिनाब |
विपाशा | व्यास |
कुभा | काबुल |
सदानीरा | गंडक |
सुवस्तु | स्वात |
पुरुष्णी | रावी |
वितस्ता | झेलम |
गोमती | गोमल |
दृशद्वती | घग्घर |
क्रुभ | कुर्रम |
- गंगा एवं यमुना के दोआब क्षेत्र एवं उसके सीमावर्ती क्षेत्रो पर भी आर्यों ने कब्ज़ा कर लिया, जिसे ‘ब्रह्मर्षि देश’ कहा गया।
- आर्यों ने हिमालय और विन्ध्याचल पर्वतों के बीच के क्षेत्र पर कब्ज़ा करके उस क्षेत्र का नाम ‘मध्य देश’ रखा।
- कालांतर में आर्यों ने सम्पूर्ण उत्तर भारत में अपने विस्तार कर लिया, जिसे ‘आर्यावर्त’ कहा जाता था।
राजनीतिक व्यवस्था
- भौगोलिक विस्तार के दौरान आर्यों को भारत के मूल निवासियों, जिन्हें अनार्य कहा गया है से संघर्ष करना पड़ा।
- दशराज्ञ युद्ध में प्रत्येक पक्ष में आर्य एवं अनार्य थे। इसका उल्लेख ऋग्वेद के 10वें मंडल में मिलता है।
- यह युद्ध रावी (पुरुष्णी) नदी के किनारे लड़ा गया, जिसमे भारत के प्रमुख काबिले के राजा सुदास ने अपने प्रतिद्वंदियों को पराजित कर भारत कुल की श्रेष्ठता स्थापित की।
- ऋग्वेद में आर्यों के पांच कबीलों का उल्लेख मिलता है- पुरु, युद्ध, तुर्वसु, अजु, प्रह्यु। इन्हें ‘पंचजन’ कहा जाता था।
- ऋग्वैदिक कालीन राजनीतिक व्यवस्था, कबीलाई प्रकार की थी। ऋग्वैदिक लोग जनों या कबीलों में विभाजित थे। प्रत्येक कबीले का एक राजा होता था, जिसे ‘गोप’ कहा जाता था।
- ऋग्वेद में राजा को कबीले का संरक्षक (गोप्ता जनस्य) तथा पुरन भेत्ता (नगरों पर विजय प्राप्त करने वाला) कहा गया है।
- राजा के कुछ सहयोगी दैनिक प्रशासन में उसकी सहायता कटे थे। ऋग्वेद में सेनापति, पुरोहित, ग्रामजी, पुरुष, स्पर्श, दूत आदि शासकीय पदाधिकारियों का उल्लेख मिलता है।
- शासकीय पदाधिकारी राजा के प्रति उत्तरदायी थे। इनकी नियुक्ति तथा निलंबन का अधिकार राजा के हाथों में था।
- ऋग्वेद में सभा, समिति, विदथ जैसी अनेक परिषदों का उल्लेख मिलता है।
- ऋग्वैदिक काल में महिलाएं भी राजनीती में भाग लेती थीं। सभा एवं विदथ परिषदों में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी थी।
- सभा श्रेष्ठ एवं अभिजात्य लोगों की संस्था थी। समिति केन्द्रीय राजनितिक संस्था थी। समिति राजा की नियुक्ति, पदच्युत करने व उस पर नियंत्रण रखती थी। संभवतः यह समस्त प्रजा की संस्था थी।
- ऋग्वेद में तत्कालीन न्याय वयवस्था के विषय में बहुत कम जानकारी मिलती है। ऐसा प्रतीत होता है की राजा तथा पुरोहित न्याय व्यवस्था के प्रमुख पदाधिकारी थे।
- वैदिक कालीन न्यायधीशों को ‘प्रश्नविनाक’ कहा जाता था।
- न्याय वयवस्था वर्ग पर आधारित थी। हत्या के लिए 100 ग्रंथों का दान अनिवार्य था।
- राजा भूमि का स्वामी नहीं होता था, जबकि भूमि का स्वामित्व जनता में निहित था।
- आर्यों की प्रशासनिक इकाई पांच भागों में बंटी थी: (i) कुल (ii) ग्राम (iii) विश (iv) जन (iv) राष्ट्र.
- विश कई गावों का समूह था। अनेक विशों का समूह ‘जन’ होता था।
- विदथ आर्यों की प्राचीन संस्था थी।
वैदिक कालीन शासन के पदाधिकारी | |
पुरोहित | राजा का मुख्य परामर्शदाता |
कुलपति | परिवार का प्रधान |
वाजपति | गोचर भूमि का अधिकारी होता था। |
स्पर्श | गुप्तचर |
पुरुष | दुर्ग का अधिकारी |
सेनानी | सेनापति |
विश्वपति | विश का प्रधान |
ग्रामणी | ग्राम का प्रधान |
दूत | सुचना प्रेषित करना |
उग्र | अपराधियों को पकड़ने का कार्य करता था। |
सामाजिक व्यवस्था
- आर्यों का समाज पितृप्रधान था. समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार या कुल थी जिसका मुखिया पिता होता था जिसे कुलप कहते थे. पिता सम्पूर्ण परिवार, भूमि संपत्ति का अधिकारी होता था।
- पितृ-सत्तात्मक समाज के होते हुए इस काल में महिलाओं का यथोचित सम्मान प्राप्त था। महिलाएं भी शिक्षित होती थीं।
- प्रारंभ में ऋग्वैदिक समाज दो वर्गों आर्यों एवं अनार्यों में विभाजित था। किन्तु कालांतर में जैसा की हम ऋग्वेद के दशक मंडल के पुरुष सूक्त में पाए जाते हैं की समाज चार वर्गों- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र; मे विभाजित हो गया।
- संयुक्त परिवार प्रथा प्रचलन में थी।
- विवाह व्यक्तिगत तथा सामाजिक जीवन का प्रमुख अंग था। अंतरजातीय विवाह होता था, लेकिन बाल विवाह का निषेध था। विधवा विवाह की प्रथा प्रचलन में थी।
- पुत्र प्राप्ति के लिए नियोग की प्रथा स्वीकार की गयी थी। जीवन भर अविवाहित रहने वाली लड़कियों को ‘अमाजू कहा जाता था।
- सती प्रथा और पर्दा प्रथा का प्रचलन नहीं था।
- ऋग्वैदिक काल में दास प्रथा का प्रचलन था, परन्तु यह प्राचीन यूनान और रोम की भांति नहीं थी।
- आर्य मांसाहारी और शाकाहारी दोनों प्रकार का भोजन करते थे।
- आर्यों के वस्त्र सूत, ऊन तथा मृग-चर्म के बने होते थे।
- ऋग्वैदिक काल के लोगों में नशीले पेय पदार्थों में सोम और सुरा प्रचलित थे।
- मृतकों को प्रायः अग्नि में जलाया जाता था, लेकिन कभी-कभी दफनाया भी जाता था।
ऋग्वैदिक धर्म
- ऋग्वैदिक धर्म की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसका व्यवसायिक एवं उपयोगितावादी स्वरुप था।
- ऋग्वैदिक लोग एकेश्वरवाद में विश्वास करते थे।
- आर्यों का धर्म बहुदेववादी था। वे प्राकृतिक भक्तियों-वायु, जल, वर्षा, बादल, अग्नि और सूर्य आदि की उपासना किया करते थे।
- ऋग्वैदिक लोग अपनी भौतिक आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए यज्ञ और अनुष्ठान के माध्यम से प्रकृति का आह्वान करते थे।
- ऋग्वेद में देवताओं की संख्या 33 करोड़ बताई गयी है। आर्यों के प्रमुख देवताओं में इंद्र, अग्नि, रूद्र, मरुत, सोम और सूर्य शामिल थे।
- ऋग्वैदिक काल का सबसे महत्वपूर्ण देवता इंद्र है। इसे युद्ध और वर्षा दोनों का देवता माना गया है। ऋग्वेद में इंद्र का 250 सूक्तों में वर्णन मिलता है।
- इंद्र के बाद दूसरा स्थान अग्नि का था। अग्नि का कार्य मनुष्य एवं देवता के बीच मध्यस्थ स्थापित करने का था। 200 सूक्तों में अग्नि का उल्लेख मिलता है।
- ऋग्वैदिक काल में मूर्तिपूजा का उल्लेख नहीं मिलता है।
- देवताओं में तीसरा स्थान वरुण का था। इसे जाल का देवता माना जाता है। शिव को त्रयम्बक कहा गया है।
ऋग्वैदिक देवता
- आकाश के देवता- सूर्य, घौस, मिस्र, पूषण, विष्णु, ऊषा और सविष्ह।
- अंतरिक्ष के देवता- इन्द्र, मरुत, रूद्र और वायु।
- पृथ्वी के देवता- अग्नि, सोम, पृथ्वी, वृहस्पति और सरस्वती।
- पूषण ऋग्वैदिक काल में पशुओं के देवता थे, जो उत्तर वैदिक काल में शूद्रों के देवता बन गए।
- ऋग्वैदिक काल में जंगल की देवी को ‘अरण्यानी’ कहा जाता था।
- ऋग्वेद में ऊषा, अदिति, सूर्या आदि देवियों का उल्लेख मिलता है।
- प्रसिद्द गायत्री मन्त्र, जो सूर्य से सम्बंधित देवी सावित्री को संबोधित है, सर्वप्रथम ऋग्वेद में मिलता है।
ऋग्वैदिक अर्थव्यवस्था
1. कृषि एवं पशुपालन
- ऋग्वैदिक अर्थव्यवस्था का आधार कृषि और पशुपालन था।
- गेंहू की खेती की जाती थी।
- इस काल के लोगों की मुख्य संपत्ति गोधन या गाय थी।
- ऋग्वेद में हल के लिए लांगल अथवा ‘सीर’ शब्द का प्रयोग मिलता है।
- सिंचाई का कार्य नहरों से लिए जाता था। ऋग्वेद में नाहर शब्द के लिए ‘कुल्या’ शब्द का प्रयोग मिलता है।
- उपजाऊ भूमि को ‘उर्वरा’ कहा जाता था।
- ऋग्वेद के चौथे मंडल में सम्पूर्ण मन्त्र कृषि कार्यों से सम्बद्ध है।
- ऋग्वेद के ‘गव्य’ एवं ‘गव्यपति’ शब्द चारागाह के लिए प्रयुक्त हैं।
- भूमि निजी संपत्ति नहीं होती थी उस पर सामूहिक अधिकार था।
- घोडा आर्यों का अति उपयोगी पशु था।
- आर्यों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन था। वे गाय, बैल, भैंस घोड़े और बकरी आदि पालते थे।
2. वाणिज्य- व्यापार
- वाणिज्य-व्यापार पर पणियों का एकाधिकार था। व्यापार स्थल और जल मार्ग दोनों से होता था।
- सूदखोर को ‘वेकनाट’ कहा जाता था। क्रय विक्रय के लिए विनिमय प्रणाली का अविर्भाव हो चुका था। गाय और निष्क विनिमय के साधन थे।
- ऋग्वेद में नगरों का उल्लेख नहीं मिलता है। इस काल में सोना तांबा और कांसा धातुओं का प्रयोग होता था।
- ऋण लेने व बलि देने की प्रथा प्रचलित थी, जिसे ‘कुसीद’ कहा जाता था।
3. व्यवसाय एवं उद्योग धंधे
- ऋग्वेद में बढ़ई, सथकार, बुनकर, चर्मकार, कुम्हार, आदि कारीगरों के उल्लेख से इस काल के व्यवसाय का पता चलता है।
- तांबे या कांसे के अर्थ में ‘आपस’ का प्रयोग यह संके करता है, की धातु एक कर्म उद्योग था।
- ऋग्वेद में वैद्य के लिए ‘भीषक’ शब्द का प्रयोग मिलता है। ‘करघा’ को ‘तसर’ कहा जाता था। बढ़ई के लिए ‘तसण’ शब्द का उल्लेख मिलता है।
- मिटटी के बर्तन बनाने का कार्य एक व्यवसाय था।
स्मरणीय तथ्य
- जब आर्य भारत में आये, तब वे तीन श्रेणियों में विभाजित थे- योद्धा, पुरोहित और सामान्य। जन आर्यों का प्रारंभिक विभाजन था। शुद्रो के चौथे वर्ग का उद्भव ऋग्वैदिक काल के अंतिम दौर में हुआ।
- इस काल में राजा की कोई नियमित सेना नहीं थी। युद्ध के समय संद्थित की गयी सेना को ‘नागरिक सेना’ कहते थे।
- ऋग्वेद में किसी परिवार का एक सदस्य कहता है- मैं कवि हूँ, मेरे पिता वैद्य हैं और माता चक्की चलने वाली है, भिन्न भिन्न व्यवसायों से जीवकोपार्जन करते हुए हम एक साथ रहते हैं।
- ‘हिरव्य’ एवं ‘निष्क’ शब्द का प्रयोग स्वर्ण के लिए किया जाता था। इनका उपयोग द्रव्य के रूप में भी किया जाता था। ऋग्वेद में ‘अनस’ शब्द का प्रयोग बैलगाड़ी के लिए किया गया है। ऋग्वैदिक काल में दो अमूर्त देवता थे, जिन्हें श्रद्धा एवं मनु कहा जाता था।
- वैदिक लोगों ने सर्वप्रथ तांबे की धातु का इस्तेमाल किया।
- ऋग्वेद में सोम देवता के बारे में सर्वाधिक उल्लेख मिलता है।
- अग्नि को अथिति कहा गया है क्योंकि मातरिश्वन उन्हें स्वर्ग से धरती पर लाया था।
- यज्ञों का संपादन कार्य ‘ऋद्विज’ करते थे। इनके चार प्रकार थे- होता, अध्वर्यु, उद्गाता और ब्रह्म।
- संतान की इचुक महिलाएं नियोग प्रथा का वरण करती थीं, जिसके अंतर्गत उन्हें अपने देवर के साथ साहचर्य स्थापित करना पड़ता था।
- ‘पणि’ व्यापार के साथ-साथ मवेशियों की भी चोरी करते थे। उन्हें आर्यों का शत्रु माना जाता था
वैदिक साहित्य
- ऋग्वेद स्तुति मन्त्रों का संकलन है। इस मंडल में विभक्त 1017 सूक्त हैं। इन सूत्रों में 11 बालखिल्य सूत्रों को जोड़ देने पर कुल सूक्तों की संख्या 1028 हो जाती है।
ऋग्वेद के रचयिता | |
मण्डल | ऋषि |
द्वितीय | गृत्समद |
तृतीय | विश्वामित्र |
चतुर्थ | धमदेव |
पंचम | अत्री |
षष्ट | भारद्वाज |
सप्तम | वशिष्ठ |
अष्टम | कण्व तथा अंगीरम |
- दसराज्ञ युद्ध का उल्लेख ऋग्वेद के सातवें मंडल में है, यह युद्ध रावी नदी के तट पर सुदास और दस जनों के बीच लड़ा गया था. जिसमें सुदास जीते थे.
- ऋग्वेद में 2 से 7 मण्डलों की रचना हुई, जो गुल्समद, विश्वामित्र, वामदेव, अभि, भारद्वाज और वशिष्ठ ऋषियों के नाम से है।
- ऋग्वेद का नौवां मंडल सोम को समर्पित है।
- प्रथम एवं दसवें मण्डल की रचना संभवतः सबसे बाद में की गयी। इन्हें सतर्चिन कहा जाता है।
- गायत्री मंत्र ऋग्वेद के दसवें मंडल के पुरुष सूक्त में हुआ है।
- 10वें मंडल में मृत्यु सूक्त है, जिसमे विधवा के लिए विलाप का वर्णन है।
- ऋग्वेद के दसवें मण्डल के 95वें सूक्त में पुरुरवा,ऐल और उर्वशी संवाद है।
- ऋग्वेद के नदी सूक्त में व्यास (विपाशा) नदी को ‘परिगणित’ नदी कहा गया है।
हाथीगुम्फा अभिलेख |
खारवेल |
खारवेल के शासन
की घटनाओं का
क्रमबद्ध विवरण |
जूनागढ़ अभिलेख (गिरनार अभिलेख) |
रुद्रदामन |
इसमें रुद्रदामन की विजयों,
व्यक्तित्व एवं कृतित्व का
विवरण प्राप्त होता है।
|
नासिक अभिलेख |
गौतमी बलश्री (रचनाकार) |
सातवाहनकालीन घटनाओं का विवरण
(गौतमीपुत्र शातकर्णी से संबंधित) |
प्रयाग स्तंभ लेख |
समुद्रगुप्त |
इसके विजय एवं नीतियों
का पूरा विवरण |
ऐहोल अभिलेख |
पुलकेशिन द्वितीय |
हर्ष एवं पुलकेशिन द्वितीय
के युद्ध का
विवरण
|
भीतरी स्तंभ लेख |
स्कंदगुप्त |
इसके जीवन की अनेक
महत्वपूर्ण घटनाओं का विवरण |
मंदसौर अभिलेख |
मालवा नरेश यशोधर्मन |
सैनिक उपलब्धियों का वर्णन
|
वैदिक सभ्यता
वैदिक काल प्राचीन
भारतीय संस्कृति का एक
काल खंड है.
उस दौरान वेदों
की रचना हुई
थी. हड़प्पा संस्कृति
के पतन के
बाद भारत में
एक नई सभ्यता
का आविर्भाव हुआ. इस सभ्यता की जानकारी के स्रोत वेदों के आधार पर इसे
वैदिक सभ्यता का नाम दिया गया.
(1) वैदिक काल का विभाजन दो भागों ऋग्वैदिक काल- 1500-1000 ई. पू. और उत्तर वैदिक काल- 1000-600 ई. पू. में किया गया है.
(2) आर्य सर्वप्रथम पंजाब और
अफगानिस्तान में बसे
थे. मैक्समूलर ने
आर्यों का निवास
स्थान मध्य एशिया
को माना है.
आर्यों द्वारा निर्मित सभ्यता
ही वैदिक सभ्यता कहलाई है.
(3) आर्यों द्वारा
विकसित सभ्यता ग्रामीण सभ्यता थी.
ऋग्वैदिककालीन देवता
देवता |
संबंध |
इंद्र |
युद्ध का नेता
और वर्षा का
देवता |
अग्नि |
देवता और मनुष्य के बीच मध्यस्थ |
वरुण |
पृथ्वी और सूर्य के निर्माता,
समुद्र का देवता, विश्व के नियामक एवं शासक, सत्य का प्रतीक, ऋतु परिवर्तन एवं
दिन-रात का कर्ता |
द्यौ |
आकाश का देवता (सबसे प्राचीन)
|
सोम |
वनस्पति देवता |
मरुत |
आंधी-तूफान का देवता |
विष्णु |
विश्व के संरक्षक और पालनकर्ता
|
पूषन |
पशुओं का देवता |
आश्विन |
विपत्तियों को हरने वाले देवता
|
उषा |
प्रगति एवं उत्थान देवता |
(4) आर्यों की भाषा संस्कृत थी.
(5) आर्यों की प्रशासनिक इकाई इन पांच भागों में बंटी थी: (i) कुल (ii) ग्राम (iii) विश (iv) जन (iv) राष्ट्र.
(6) वैदिक काल में राजतंत्रात्मक प्रणाली प्रचलित थी.
(7) ग्राम के मुखिया
ग्रामीणी और विश
का प्रधान विशपति
कहलाता था. जन
के शासक को
राजन कहा जाता
था. राज्याधिकारियों में पुरोहित और सेनानी प्रमुख थे.
(8) शासन का प्रमुख
राजा होता था. राजा वंशानुगत तो होता था लेकिन जनता उसे हटा सकती थी. वह क्षेत्र विशेष
का नहीं बल्कि जन विशेष का प्रधान होता था.
(9) राजा युद्ध का
नेतृत्वकर्ता था. उसे कर वसूलने का अधिकार नहीं था. जनता अपनी इच्छा से जो देती थी,
राजा उसी से खर्च चलाता था.
(10) राजा का प्रशासनिक
सहयोग पुरोहित और सेनानी 12 रत्निन करते थे. चारागाह के प्रधान को वाज्रपति और लड़ाकू
दलों के प्रधान को ग्रामिणी कहा जाता था.
(11) 12 रत्निन इस
प्रकार थे: पुरोहित- राजा का प्रमुख परामर्शदाता, सेनानी- सेना का प्रमुख, ग्रामीण-
ग्राम का सैनिक पदाधिकारी, महिषी- राजा की पत्नी, सूत- राजा का सारथी, क्षत्रि- प्रतिहार,
संग्रहित- कोषाध्यक्ष, भागदुध- कर एकत्र करने वाला अधिकारी, अक्षवाप- लेखाधिकारी, गोविकृत-
वन का अधिकारी, पालागल- राजा का मित्र.
(12) पुरूप, दुर्गपति
और स्पर्श, जनता की गतिविधियों को देखने वाले गुप्तचर होते थे. (13) वाजपति-गोचर भूमि
का अधिकारी होता था.
(13) वाजपति-गोचर भूमि
का अधिकारी होता था.
(14) उग्र-अपराधियों
को पकड़ने का कार्य करता था.
(15) सभा और समिति
राजा को सलाह देने वाली संस्था थी.
(16) सभा श्रेष्ठ और
संभ्रात लोगों की संस्था थी, जबकि समिति सामान्य जनता का प्रतिनिधित्व करती थी और विदथ
सबसे प्राचीन संस्था थी. ऋग्वेद में सबसे ज्यादा विदथ का 122 बार जिक्र हुआ है.
(17) विदथ में स्त्री
और पुरूष दोनों सम्मलित होते थे. नववधुओं का स्वागत, धार्मिक अनुष्ठान जैसे सामाजिक
कार्य विदथ में होते थे.
(18) अथर्ववेद
में सभा और
समिति को प्रजापति
की दो पुत्रियां
कहा गया है.
समिति का महत्वपूर्ण
कार्य राजा का
चुनाव करना था.
समिति का प्रधान
ईशान या पति कहलाता
था.
(19) अलग-अलग क्षेत्रों
के अलग-अलग विशेषज्ञ थे. होत्री- ऋग्वेद का पाठ करने वाला, उदगात्री- सामवेद की रिचाओं
का गान करने वाला, अध्वर्यु- यजुर्वेद का पाठ करने वाला और रिवींध- संपूर्ण यज्ञों
की देख-रेख करने वाला.
(21) दसराज्ञ युद्ध का उल्लेख ऋग्वेद के सातवें मंडल में है, यह युद्ध रावी नदी के तट पर सुदास और दस जनों के बीच लड़ा गया था. जिसमें सुदास जीते थे.
(22) ऋग्वैदिक समाज ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र में विभाजित था. यह विभाजन व्यवसाय पर आधारित था. ऋग्वेद के 10वें मंडल में कहा गया है कि ब्राह्मण परम पुरुष के मुख से, क्षत्रिय उनकी भुजाओं से, वैश्य उनकी जांघों से और शुद्र उनके पैरों से उत्पन्न हुए हैं.
(23) एक और वर्ग ' पणियों ' का था जो धनि थे और व्यापार करते थे.
(24) भिखारियों और कृषि दासों का अस्तित्व नहीं था. संपत्ति की इकाई गाय थी जो विनिमय का माध्यम भी थी. सारथी और बढ़ई समुदाय को विशेष सम्मान प्राप्त था.
(25) आर्यों का समाज पितृप्रधान था. समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार या कुल थी जिसका मुखिया पिता होता था जिसे कुलप कहते थे.
(26) महिलाएं इस काल में अपने पति के साथ यज्ञ कार्य में भाग लेती थीं.
(27) बाल विवाह और पर्दाप्रथा का प्रचलन इस काल में नहीं था.
(28) विधवा अपने पति के छोटे भाई से विवाह कर सकती थी. विधवा विवाह, महिलाओं का उपनयन संस्कार, नियोग गन्धर्व और अंतर्जातीय विवाह प्रचलित था.
(29) महिलाएं पढ़ाई कर सकती थीं. ऋग्वेद में घोषा, अपाला, विश्वास जैसी विदुषी महिलाओं को वर्णन है.
(30) जीवन भर अविवाहित रहने वाली महिला को अमाजू कहा जाता था.
(31) आर्यों का मुख्य पेय सोमरस था. जो वनस्पति से बनाया जाता था.
(32) आर्य तीन तरह
के कपड़ों का
इस्तेमाल करते थे.
(i) वास (ii) अधिवास (iii) उष्षणीय (iv) अंदर पहनने
वाले कपड़ों को
निवि कहा जाता
था. संगीत, रथदौड़,
घुड़दौड़ आर्यों के मनोरंजन के साधन थे.
(33) आर्यों का मुख्य
व्यवसाय खेती और पशुपालन था.
(34) गाय को न मारे
जाने पशु की श्रेणी में रखा गया था.
(35) गाय की हत्या
करने वाले या उसे घायल करने वाले के खिलाफ मृत्युदंड या देश निकाला की सजा थी.
(36) आर्यों का प्रिय पशु घोड़ा और प्रिय देवता इंद्र थे.
(37) आर्यों द्वारा खोजी गई धातु लोहा थी.
(38) व्यापार के दूर-दूर जाने वाले व्यक्ति को पणि कहा जाता था.
(39) लेन-देन में वस्तु-विनिमय प्रणाली मौजूद थी.
(40) ऋण देकर ब्याज देने वाले को सूदखोर कहा जाता था.
(41) सभी नदियों में सरस्वती सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र नदी मानी जाती थी.
(42) उत्तरवैदिक काल में प्रजापति प्रिय देवता बन गए थे.
(43) उत्तरवैदिक काल में वर्ण व्यवसाय की बजाय जन्म के आधार पर निर्धारित होते थे.
(44) उत्तरवैदिक काल में हल को सीरा और हल रेखा को सीता कहा जाता था.
(45) उत्तरवैदिक काल में निष्क और शतमान मु्द्रा की इकाइयां थीं.
(46) सांख्य दर्शन भारत के सभी दर्शनों में सबसे पुराना था. इसके अनुसार मूल तत्व 25 हैं, जिनमें पहला तत्व प्रकृति है.
(47) सत्यमेव जयते, मुण्डकोपनिषद् से लिया गया है.
(48) गायत्री मंत्र सविता नामक देवता को संबोधित है जिसका संबंध ऋग्वेद से है.
(49) उत्तर वैदिक काल में कौशांबी नगर में पहली बार पक्की ईंटों का इस्तेमाल हुआ था.
(50) महाकाव्य दो हैं- महाभारत और रामायण.
(51) महाभारत का पुराना नाम जयसंहिता है यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है.
(52) सर्वप्रथम 'जाबालोपनिषद ' में चारों आश्रम ब्रम्हचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ तथा संन्यास आश्रम का उल्लेख मिलता है.
(53) गोत्र नामक संस्था का जन्म उत्तर वैदिक काल में हुआ.
(54) ऋग्वेद में धातुओं में सबसे पहले तांबे या कांसे का जिक्र किया गया है. वे सोना और चांदी से भी परिचित थे. लेकिन ऋग्वेद में लोहे का जिक्र नहीं है.
1.Q: ऋग्वैदिक काल किसे कहा जाता है?-
Ans:- 1000 ई.पू.-6 ई.पू.
2.Q: आर्य शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है? [UPSC 2009, 2013]
Ans:- श्रेष्ट या कुलीन
3.Q: किस नशीली फसल का ज्ञान वैदिक काल के लोगो को नही था? [SSC Mat. 2001]
Ans:- तम्बाकू
4.Q: उत्तर वैदिक काल के देवविरोधी और ब्राह्मणविरोधी धार्मिक शिक्षक को किस नाम से जाना जाता था? [SSC Mat 2001, 2003]
Ans:– श्रमण
5.Q: वैदिक गणित का मुख्य अंग क्या है? [UPSC 2003, BPSC 2005]
Ans:- शुल्व सूत्र
6.Q: किस वेद में प्राचीन वैदिक युग की संस्कृति के बारे में सुचना दिया गया है?
Ans:-ऋग्वेद
7.Q: उत्तर वैदिक काल में लिखे गए ग्रंथो का सही क्रम क्या है? [SSC 2011]
Ans:– वेद, ब्राह्मण, आरण्यक और उपनिषद्
8.Q: वेदों की संख्या कितना है? [SSC 2003]
Ans:– चार
9.Q: कौन-से तिन वेद संयुक्त रूप से वेदत्रयी कहलाते है? [UPSC, SSC Mat. 2007]
Ans:– ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद
10.Q: भारत के राजचिन्ह में शामिल शब्द “सत्यमेव जयते” किस उपनिषद् से लिया गया है?[RRB mubai CC 2005, Utt PSC]
Ans:- मुण्डक उपनिषद्
11.Q: ऋग्वेदिक काल में आर्यों का मुख्य व्यवसाय क्या था? [RRB Mubai 2005]
Ans:-व्यवसाय
12.Q: भारतीय संगीत का आदिग्रथ किसे कहा जाता है? [RRB Mubai 2005]
Ans:– सामवेद
13.Q: भारतीय इतिहास के प्रथम विधि निर्माता कौन है? [RRB Bhopal 2005]
Ans:– मनु
14.Q: कृष्ण भक्ति का प्रथम और प्रधान ग्रन्थ क्या है? [RRB Colcuta ASM/GG 2005]
Ans:– श्रीमद्भागवतगीता
15.Q: ऋग्वेद में सम्पति का प्रमुख रूप क्या था? [RRB Gorakhpur 2005]
Ans:– गोधन
16.Q: ऋग्वेद के किस मंडल में शुद्र का उल्लेख पहली बार किया गया है? [RRB Gorakhpur 2005]
Ans:– 10वें
17.Q: पुराणों की संख्या कितनी है? [RRB Gorakhpur ASM/GG 2005]
Ans:– 18
18.Q: वैदिक धर्म में किसकी समृधि के लिए उपासना की जाती थी? [RRB Mahendrughat 2004]
Ans:– प्रकृति
19.Q: किस देवता के लिए रेग्न्वेद में “पुरंदर” शब्द का प्रयोग किया गया है?
Ans:– इंद्र
20.Q: किस विषय से सम्बंधित “शुल्व सूत्र” पुस्तक है? [RRB Allahabad ASM/GG 2004]
Ans:– ज्यामिति
21.Q: “असतो मा सदगमय” शब्द कहाँ से लिया गया है? [RRB Mumbai Tech 2003]
Ans:– ऋग्वेद
22.Q: आर्य भारत में बाहर से आए और सर्वप्रथम कहाँ बसे थे? [RRB Allahabad ASM/GG 2003]
Ans:– पंजाब में
23.Q: “अपौरुषेय” वेदों को क्यों कहाँ गया है? [COP 2003]
Ans:– क्योकि वेदों की रचना देवताओ द्वरा की गई है.
24.Q: वैशेषिक दर्शन के प्रतिपादक क्या है?
Ans:– उलूक कणद
25.Q: पूर्व-वैदिक संस्कृति का काल किसे कहा जाता है?
Ans:– 1500 ईoपूo-1000 ईoपूo
26.Q: मीमांसा या पूर्व मीमांसा दशन के प्रतिपादक क्या है?
Ans:– जैमिनी
27.Q: वेदांत या उत्तर-मीमांसा दर्र्शन के प्रतिपादक क्या है?
Ans:– बादरायण
28.Q: ऋग्वेद का कौन-सा मंडल सोम को समर्पित है? [BPSC 1995, 1998]
Ans:– नौवां मंडल
29.Q: प्रसिद्ध दस राजाओं का युद्ध किस नदी के तट पर लड़ा गया था? [BPSC 1998]
Ans:– परुष्णी
30.Q: धर्मशास्त्रों में भूराजस्व की दर क्या है? [BPSC 1995]
Ans:– 1/6
31.Q: 800 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व का काल कौन-से युग से जुड़ा है? [BPSC 1994]
Ans:– ब्राह्मण युग
32.Q: किस काल से अछूत की अवधारणा स्पष्ट रूप से उदित हुयी थी? [BPSC 1994]
Ans:– उत्तर-वैदिक काल से.
33.Q: एशिया माईनर स्थिर बोगाजकोई का महत्व क्यों था? [BPSC 1994, 1998]
Ans:– क्योकि 4 देवताओं-इंद्र, वरुण, मित्र नासत्य- का उल्लेख मिलता है.
34.Q: गायत्री मंत्र का उल्लेख किस पुस्तक में पुस्तक में किया गया है? [BPSC 1994]
Ans:– ऋग्वेद
35.Q: न्यायदर्शन को किसने प्रचारित किया था? [UPSC 2005, RAS/RTS 2009]
Ans:– गौतम ने
36.Q: प्राचीन भारत में “निष्क” से क्या जाने जाते थे? [UPPSC 2005]
Ans:– स्वर्ण आभूषण
37.Q: योग दर्शन से कौन प्रतिपादक है? [UPPSC 2002, 2008, 2009]
Ans:– पतंजलि
38.Q: उपनिषद् पुस्तके किसपे आधारित होते है?
Ans:– दर्शन पर
39.Q: आरंभिक वैदिक शाहिटी में सर्वाधिक वर्णित नदी कौन-सी है? [UPSC 1999]
Ans:– सिन्धु
40.Q: उपनिषद् काल के राजा अश्वपति किस राज्य के शासक थे? [UPSC 1999]
Ans:– केकय के
41.Q: अध्यात्म ज्ञान के विषय में नचिकेता और यम का संवाद किस उपनिषद् से प्राप्त होता है? [UPSC 1999, 1997]
Ans:– कठोपनिषद में
42.Q: वैदिक काल में काबुल नदी का स्थान कहाँ निर्धारित होना चाहिए? [UPSC 1999]
Ans:– अफगानिस्तान से
43.Q: कपिल मुनि द्वारा प्रतिपादित दार्शनिक प्रणाली कौन-सी है? [UPSC 1998]
Ans:– संख्य दर्शन
43.Q: भारत के किस स्थल की खुदाई से लौह धातु के प्रचालन के प्राचीनतम साक्ष्य मिले है? [UPSC 1999]
Ans:– अतारंजिखेडा
44.Q: किस वेद का संकलन ऋग्वेद पर आधारित है? [UPSC 1997]
Ans:– सामवेद
45.Q: कर्म का सिधांत किससे सम्बंधित है? [UPSC 1999]
Ans:– मीमांसा से
46.Q: किस विषय से “चरक संहिता” नमक पुस्तक सम्बंधित है? [MPPSC 1999]
Ans:– चिकित्सा
47.Q: यज्ञ सम्बन्धी विधि विधानों का पता किस वेद से चलता है? [RAS/RTS 1994, 2000]
Ans:– यजुर्वेद से
48.Q: वैदिक युगीन सभा किससे सम्बंधित था? [RAS/RTS 1994, 2000]
Ans:– मंत्रिपरिषद
49.Q: वैदिक युग में प्रचलित लोकप्रिय शासन प्रणाली क्या थी? [RAS/RTS 1993]
Ans:– गणतंत्र
50.Q: भारत का सबसे पुराना/प्राचीन वेद कौन-सा है?
Ans:– ऋग्वेद
51.Q: भारतीय दर्शन की आरंभिक विचारधारा कौन-सी है? [SSC 2000]
Ans:– संख्य
52.Q: सांख्य, योग, न्याय,वैशेषिक,मीमांसा एवं वेदान्त- इन 6 भिन्न भारतीय दर्शनों की स्पष्ट रूप से अभिव्यक्ति किस युग में हुई?
Ans:– वैदिक युग में
53.Q: वह दस्तकारी कौन-सी है जो आर्यों द्वारा व्यवहार में कभी नही लाईगई थी? [CPO AC 2003]
Ans:– लुहार
54.Q: ऋग्वेद के किस 6 मंडलों को गोत्र मंडल कहा जाता है?
Ans:– 2रे मंडल से 7व़े मंडल तक
55.Q: किस वेद में जादुई माया और वाशिकरन का वर्णन किया गया है? [UPSC 2004, JPSC 2010]
Ans:– अथर्ववेद
56.Q: “आर्य शब्द” किसे इंगित करता है? [UPSC 1999, 2008, 2013]
Ans:– नृजाती समूह को
57.Q: ऋग्वेद में कुल किंतने मंडल है?
Ans:– 10
58.Q: “आर्य” भारत में कहाँ से आये? [SSC 2000, 2008]
Ans:– मध्य आशिया से
59.Q: कौन-सा “वेद” गद्द रूप में भी रचित है?
Ans:– यजुर्वेद
60.Q: “सभा और समिति प्रजापति के दो पुत्रियाँ थी” का उल्लेख किस वेद में किया गया है?
Ans:– अथर्ववेद में
61.Q: ऋग्वैदिक काल की सबसे प्राचीनतम संस्था कौन-सी थी? [SSC UDC 2012, JPSC 2010]
Ans:– विदथ
62.Q: ब्राह्मण ग्रंथो में सबसे प्राचीन गोत्र कौन-सी थी? [RRB/CPO 2008]
Ans:– शतपथ ब्राह्मण
63.Q: “गोत्र” व्यवस्था प्रचालन में कब आई थी?
Ans:– उत्तर-वैदिक काल में
64.Q: अनुलोम विवाह का अर्थ क्या होता है?
Ans:– उच्च वर्ण पुरुष का निम्न वर्ण नारी के साथ विवाह
65.Q: प्रतिलोम विवाह किसे माना जाता था?
Ans:– जब उच्च वर्ग की नारी निम्न वर्ग के पुरुष के साथ विवाह कर लेती थी
66.Q: वैदिक काल में “यव” किसे जाता था?
Ans:– जौ
67.Q: “व्रीही” शब्द किसके लिए प्रयुक्त होता था?
Ans:– चावल
68.Q: “अर्थव” का सही अर्थ क्या है?
Ans:– पवित्र जादू
69.Q: प्राचीनतम व्याकरण “अष्टाध्यायी” के रचनाकार कौन है?
Ans:– पाणिनि
70.Q: वैदिक कल के कौन-सी स्मृति प्राचीनतम है? [RAS/RTS 1993, 2007]
Ans:– मनु स्मृति
71.Q: “आदि काव्य” की संज्ञा किसे दी जाती है?
Ans:– रामायण
72.Q: प्राचीनतम पुराण कौन-सा है?
Ans:– मत्स्य पुराण
73.Q: ऋग्वेद में सबसे “पवित्र नदी” किसे मन गया है? [UPPCS 2002]
Ans:– सरस्वती
74.Q: वैदिक समाज की आधारभूत इकाई क्या थी?
Ans:– कुल/कुटुम्ब
75.Q: ऋग्वैदिक काल के सबसे प्रधान देवता का नाम बताए, जिसकी स्तुति में 250 सूक्तो की रचना की गयी थी?
Ans:– इंद्र
76.Q: किस वेद में सभा को “नस्ती” अर्थात सामूहिक वाद-विवाद या अनुल्ल्घनीय कहा गया है?
Ans:– अथर्ववेद
77.Q: किस रचना में नारी को सूरा और पांसा के साथ तिन प्रमुख बुराइयों में शामिल किया गया है?
Ans:– मैत्रायणी सहित
78.Q: उत्तर-वैदिक काल में किसे देवता को सबसे उच्च स्थान प्राप्त था? [SSC GG 1998, 2012]
Ans:– प्रजापति
79.Q: संस्कारो की कुल संक्या कितनी होती है?
Ans:– 16
80.Q: कौन-से ऋण तीन ऋण में शामिल नही है?
Ans:– मातृ ऋण
81.Q: ऋग्वैदिक काल से सम्बंधित मृदभांड संस्कृति कौन-सी है?
Ans:– गेरुवर्णी मृदभांड संस्कृति
82.Q: उत्तर-वैदिक काल से सम्बंधित मृदभांड संस्कृति कौन-सी है?
Ans:– चित्रित धूसर मृदभांड
83.Q: हरियाणा प्रान्त में चित्रित धूसर मृदभांड स्थल किस स्थान पर हल में के गए उत्खननो से प्रकाश में आया है?
Ans:– भगवानपुर
84.Q: प्राचीनतम विवाह संस्कार का वर्णन करने वाला “विवाह सूक्त” किसमे पाया जाता है?
Ans:– ऋग्वेद में
85.Q: ऋग्वेद में “अघन्य” शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है? [BPSC 2000]
Ans:– गाय
86.Q: प्राकृतिक स्थापित करने के कारन किस वैदिक देवता को “रतस्य” गोप कहा गया है?
Ans:– वरुण
87.Q: “जल या समुन्द्र” का देवता किसे माना जाता है?
Ans:– वरुण
88.Q: तीनो पगों में तीनो लोको को माप लेने के कारन किसे “उपक्रम” कहा कहा गया है?
Ans:– विष्णु
89.Q: “मनुस्मृति” किससे सम्बंधित है?
Ans:– समाज व्यवस्था से
90.Q: गायत्री मंत्र की रचना किसने किया था? [SSC, RTS/GG 2000, 2004]
Ans:– विश्वामित्र
91.Q: “अस्वेता और ऋग्वेद” में समानता है लेकिन “अस्वेत” किस क्षेत्र से सम्बंधित है? [UPSC 1994, 2003, 2011]
Ans:– ईरान से
92.Q: ऋग्वैदिक काल के आर्य लोहे के प्रयोग से परिचित थे या नही?
Ans:– हाँ, परिचित थे.
93.Q: ऋग्वेद में कौन-से नदियो का उल्लेख अफगानिस्तान के साथ सम्बन्ध का सूचक है? [UPSC 2003]
Ans:– कुम्भा, क्रमु
94.Q: आर्यों के आर्कटिक होम सिधान्त का पक्ष किसने लिया था?
Ans:– बी.जी.तिलक
95.Q: ऋग्वेद में कितने सूक्त है?
Ans:– 1028
96.Q: पूर्व-वैदिक आर्यों का प्रमुख धर्म क्या था?
Ans:– प्रकृति-पूजा और यज्ञ
97.Q: विश्व के प्रथम प्रमाणिक ग्रन्थ कौन-कौन से है? [CPO 2003, COP 2014]
Ans:– ऋग्वेद, सामवेद यजुर्वेद और अथर्ववेद
98.Q; ऋग्वेद में कितने प्रकार के देवो का प्रमाण मिलता है? [SSC, RAS 2003]
Ans:– 33 प्रकार के
99.Q: यजुर्वेद में किस विधि का वर्णन किया गया है?
Ans:– यज्ञ की
100.Q: यजुर्वेद की भाषा क्या थी? [RAS/RTS 1993, 2009]
Ans:– पद्द्मात्मक और ग्द्द्मातम दोनों थी
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