शीत युद्ध 

शीत युद्ध (Cold War) क्या है?

  • शीत युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ एवं उसके आश्रित देशों (पूर्वी यूरोपीय देश) और संयुक्त राज्य अमेरिका एवं उसके सहयोगी देशों (पश्चिमी यूरोपीय देश) के बीच भू-राजनीतिक तनाव की अवधि (1945-1991) को कहा जाता है।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व दो महाशक्तियों – सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के वर्चस्व वाले दो शक्ति समूहों में विभाजित हो गया था।
  • शीत युद्ध सहयोगी देशों (Allied Countries), जिसमें अमेरिका के नेतृत्व में यू.के., फ्रांस आदि शामिल थे और सोवियत संघ एवं उसके आश्रित देशों (Satellite States) के बीच शुरू हुआ था।

शीत युद्ध के कारण:

द्वितीय विश्व युद्ध में सहयोगी देश (अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस) और सोवियत संघ ने धुरी शक्तियों (Axis Powers) (नाज़ी जर्मनी, जापान, ऑस्ट्रिया) के विरुद्ध साथ मिलकर संघर्ष किया था। लेकिन विभिन्न कारणों से यह युद्धकालीन गठबंधन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद साथ नहीं रह सका।

शीत युद्ध की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ:

बर्लिन की घेराबंदी (Berlin Blockade), 1948

  • जैसे ही सोवियत संघ और सहयोगी देशों के बीच तनाव बढ़ा सोवियत संघ ने वर्ष 1948 में बर्लिन की घेराबंदी शुरू कर दी।
  • बर्लिन की घेराबंदी सोवियत संघ द्वारा सहयोगी देशों के नियंत्रण वाले बर्लिन क्षेत्र में उनकी गतिशीलता को सीमित करने का एक प्रयास था।
  • इसके अतिरिक्त 13 अगस्त, 1961 को जर्मन डेमोक्रेटिक रिपब्लिक (पूर्वी जर्मनी) की साम्यवादी सरकार ने पूर्वी और पश्चिमी बर्लिन के बीच एक काँटेदार बाड़ और कंक्रीट की दीवार (बर्लिन की दीवार) का निर्माण भी शुरू कर दिया।
  1. इसने मुख्य रूप से पूर्वी बर्लिन से पश्चिमी बर्लिन में बड़े पैमाने पर प्रवसन को रोकने के उद्देश्य को पूरा किया।
  2. विशेष परिस्थितियों को छोड़कर पूर्वी और पश्चिमी बर्लिन के लोगों को सीमा पार करने की अनुमति नहीं दी गई थी।
  • वर्ष 1989 में बर्लिन की दीवार के ध्वस्त होने से पहले तक यह अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रतीक या स्मारक बना रहा।

शीत युद्ध का अंत

वर्ष 1991 में कई कारणों से सोवियत संघ का विघटन हो गया जिसने शीत युद्ध की समाप्ति को चिह्नित किया क्योंकि दो महाशक्तियों में से एक अब कमज़ोर पड़ गया था।

सोवियत संघ के विघटन के कारण

  • सैन्य कारण:अंतरिक्ष और हथियारों की प्रतिस्पर्द्धा में सैन्य आवश्यकताओं को पूरा करने में सोवियत संघ के संसाधनों का बड़ा नुकसान हुआ था।


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