रक्त वर्ग (Blood Group)
सन् 1900 ई. में कार्ल लैंडस्टीनर ने रक्त समूह की खोज की थी, जिसके लिये उन्हे सन 1930 ई. में नोबेल पुरस्कार मिला था। आर0बी0सी0 में पाये जाने वाले ग्लाइकोप्रोटीन है की उपस्थिति की वजह से रक्त के चार वर्ग होते हैं जिसे एण्टीजन कहते है। रूधिर चार वर्ग में विभाजित होता है जिसकी एण्टीबॉडी का वितरण निम्नलिखित हैः-
रुधिर वर्ग |
एण्टीजन |
एण्टीबॉडी |
A |
केवल A |
केवल b |
B |
केवल B |
केवल a |
AB (सर्वग्राह्य) |
A, B दोनों |
कोई नहीं |
O (सर्वदाता) |
कोई नहीं |
a, b दोनों |
1. जिनमें एण्टीजन A होता है-रूधिर वर्ग A
2. जिनमें एण्टीजन B होता है-रूधिर वर्ग B
3. जिनमें एण्टीजन A एवं B दोनो होते है-रूधिर वर्ग AB
4. जिनमें दोनो में से कोई एण्टीजन नही होता है-रूधिर वर्ग O
रक्त का आधान(Blood transfusion)
किसी एण्टीजन की अनुपस्थिति में एक विपरीत प्रकार की प्रोटीन रुधिर प्लाज्मा में पायी जाती हैं, जिसे एण्टीबॉडी कहा जाता हैं जो दो प्रकार का होता है एण्टीबॉडी a एवं एण्टीबॉडी b। एण्टीजन A एवं एण्टीबॉडी a, एण्टीजन B एवं एण्टीबॉडी b एक साथ नहीं रह सकते, क्योंकि एक साथ होने से ये चिपचिपे हो जाते हैं, जिससे रक्त नष्ट हो जाता है, जिसे रक्त का अभिश्लेषण (Agglutination) कहा जाता है । एण्टीजन एवं एण्टीबॉडी रचना और प्रकृति में प्रोटीन के समान होते हैं। जो हानिकारक एवं विपरीत प्रकृति के प्राटीन को शरीर के अन्दर नहीं जाने देते है।
Rh-तत्व (Rh-factor)-सन् 1940 में लैंडस्टीनर और वीनर ने रुधिर में एक विशेष प्रकार के एण्टीजन का पता लगाया जो रीसस बन्दर में पाया गया था। इस आधार पर इसे Rh-factor कहा गया ।
यदि Rh-रक्त वर्ग का रक्त Rh-रक्त वर्ग वाले व्यक्ति को दिया जाता हो, तो प्रथम बार कम मात्रा होने के कारण कोई प्रभाव नही पडता किन्तु जब दूसरी बार इसी प्रकार रक्ताधान किया गया तो अभिश्लेषण (Agglutination)के कारण Rh-वाले व्यक्ति् की मृत्यु हो जाती है।
जिन व्यक्तियों के रक्त में इस तत्व की उपस्थिति होती है उनका रक्त Rh-सहित (Rh-positive) कहलाता है जिनमें इसका अभाव होता है उसे Rh-रहित (Rh-negative) कहते हैं। Rh+ का रक्त Rh+ ko तथा Rh- का रक्त Rh- को ही दिया जा सकता है। अन्यथा Rh- की मृत्यु हो जाती है अभिश्लेषण (Agglutination) के कारण। यदि पिता का रक्त Rh+ हो माता का रक्त Rh- हो तो प्रथम संतान के बाद की संतान की मृत्यु हो जाती है।
यदि पिता का रक्त Rh- हो तथा माता का रक्त Rh-हो तो जन्म लेने वाले शिशु की मृत्यु हो जाती है। (ऐसा प्रथम संतान के बाद की संतान होने पर होता है।)
माता-पिता में मौजूद रक्त समूह और उनके अनुसार बच्चों के संभावित रक्त समूह
माता पिता का रक्त समूह |
बच्चों में संभावित रक्त समूह |
बच्चों में असंभावित रक्त समूह |
O×O |
O |
A, B, AB |
O×A |
O, A |
B, AB |
O×B |
O, B |
A, AB |
O×AB |
A, B |
O, AB |
A×A |
A, O |
B, AB |
A×B |
O, A, B, AB |
None |
A×AB |
A, B, AB |
O |
B×B |
B, O |
A, AB |
B×AB |
A, B, AB |
O |
AB×AB |
A, B, AB |
O |
रक्त के थक्का बनाने के लिए अनिवार्य प्रोटीन फाइब्रिनोजन है।
Post a Comment