मानव रक्त (Human Blood)
रक्त एक तरल संयोजी ऊतक है। यह शरीर के ताप को नियंत्रित रखता है और रोगों से शरीर की रक्षा करता है। मानव शरीर में रक्त की मात्रा शरीर के कुल भार का 6-7 % होती है। यह एक क्षारीय विलयन है जिसका pH मान 7.4 होता है। महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा आधा लीटर खून कम पाया जाता है। रक्त में दो प्रकार के पदार्थ प्लाज्मा और रुधिराणु पाए जाते हैं। रक्त का लगभग 60 % भाग प्लाज्मा और शेष 40 % भाग रुधिराणु के रूप में पाया जाता है।
प्लाज्मा (Plasma): प्लाज्मा यह रक्त का अजीवित तरल भाग होता है। प्लाज्मा का 90 % भाग जल 7% प्रोटीन 0.9%लवण और 0.1%ग्लूकोज तथा शेष पदार्थ बहुत कम मात्रा में होता है। रुधिराणु के तीन भाग होते हैं – लाल रक्त कण (RBC), श्वेत रक्त कण (WBC), रक्त बिम्बाणु (Blood Platelets).
लाल रक्त कण (Red Blood Cells)–RBC का निर्माण अस्थिमज्जा में होता है, परन्तु भ्रूण अवस्था में इसका निर्माण यकृत और प्लीहा में होता है। इसका जीवनकाल 20-120 दिन का होता है। इसकी मृत्यु यकृत और प्लीहा में होती है, इसीलिए इन्हे RBC का कब्र कहा जाता है। RBC में केन्द्रक नहीं पाया जाता है। परन्तु अपवाद स्वरूप ऊँट व लामा की RBC में केन्द्रक पाया जाता है। इसमें हीमोग्लोबिन पाया जाता है। RBC का कार्य शरीर की प्रत्येक कोशिका तक ऑक्सीजन को ले जाना और कार्बन डाई ऑक्साइड को वापस लाना होता है।
श्वेत रक्त कण (White Blood Cells)–इसका निर्माण अस्थिमज्जा, लिम्फ नोड और कभी कभी यकृत व प्लीहा में भी होता है। इसमे केन्द्रक पाया जाता है। इसका जीवनकाल 2-5 दिन होता है और इसकी मृत्यु रक्त में ही हो जाती है। WBC का अधिकांश भाग न्यूट्रोफिल्स कणिकाओं का बना होता है। ये कणिकाएं जीवाणुओं और रोगाणुओं का भक्षण करती हैं।
रक्त बिम्बाणु (Blood Platelets or Thrombocytes)–इनका निर्माण अस्थिमज्जा में होता है। ये सिर्फ स्तनधारी जीवों के रक्त में पाए जाते हैं। इनमे भी केन्द्रक पाया जाता है। इनका जीवनकाल 3-5 दिन का होता है और इनकी मृत्यु प्लीहा में हो जाती है। ये रक्त का थक्का बनाने में मदद करता है। डेंगू बुखार में मानव रक्त में प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है।
रक्त के कार्यः
- रक्त का कार्य शरीर के ताप को नियन्त्रित करना तथा रोगों/संक्रमण से शरीर की रक्षा करना।
- ऑक्सीजन (O2), कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), पचे हुए भोजन, उत्सर्जी पदार्थों तथा हार्मोन का संवहन करना।
- लैंगिक वरण में सहायता करना।
- घावों को भरना तथा रक्त का थक्का बनाना।
रक्त में थक्का निम्न प्रक्रियाओं द्वारा पूर्ण होता है
(1) थ्राम्बोप्लास्टिन + प्रोथ्रोम्बिन + कैल्शियम++ = थ्रोम्बिन
(2) थ्रोम्बिन + फाइब्रिनोजन B = फिबरीन (इनका निर्माण यकृत में विटामिन K सहायता से होता है।)
(3) फिबरीन + रक्त रुधिराणु = रक्त का थक्का
रक्त के थक्का बनाने के लिए अनिवार्य प्रोटीन फाइब्रिनोजन है।
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