मानव कंकाल तंत्र (Human Skeleton System)


शरीर का ढाँचा या आधार बनाने वाले अंग को कंकाल कहते हैं और इस अंग से बने तन्त्र को कंकाल तन्त्र कहते हैं। शरीर में उपस्थिति की दृष्टि से काल के दो प्रकार – बाह्य कंकाल तथा अन्तः कंकाल होते हैं। शरीर की बाहरी सतह पर पाये जाने वाले कंकाल को बाहा कंकाल तथा शरीर के अन्दर पाये जाने वाले कंकाल को अन्तःकंकाल कहते हैं। अन्तः कंकाल सभी कशेरुकीयो में पाया जाता है और हमेशा शरीर के अंदर स्थित होता है तथा मांसपेशियों से ढका रहता है। यही कशेरुकीयों का मुख्य कंकाल होता है और शरीर का मुख्य ढांचा बनाता है। अंत कंकाल के दो प्रकार होते हैं – अस्थि और उपास्थि।



प्राय: सभी कशेरुकियों के कंकाल को आधारभूत संरचना एक समान होती है और यह अन्त : कंकाल की बनी होती है जिसका मुख्य भाग अस्थि ही है। मनुष्य एक सामान्य और सबसे विकसित कशेरुकी है जिसका अन्त का 206 अस्थियों (Bones) का बना होता है। ये सभी आपस में सन्धियों द्वारा जुड़कर एक संयुक्त कंकाल बना देती है। मनुष्य का कंकाल सामान्य कशेरुकियों के ही समान 2 भागों का बना होता है। (A) अक्षीय कंकाल (B) उपांगीय कंकाल

(A) अक्षीय कंकाल । Axial Skeleton in Hindi

शरीर का मुख्य अक्ष बनाने वाले कंकाल को अक्षीय कंकाल कहते है। अक्षीय कंकाल में 80 अस्थियाँ होती हैं जो शरीर की मुख्य अक्ष पर वितरित होती हैं। करोटि, मेरुदंड, उरोस्थि (स्टर्नम) और पसलियाँ अक्षीय कंकाल का गठन करती हैं। इसके अन्तर्गत खोपडी, कशेरूक दण्ड तथा सीने(छाती) की अस्थियां आती है। 

1. खोपड़ी (Skull):

अन्तः कंकाल के भाग को खोपडी कहते है। इसमें 29 अस्थियाँ अवस्थित होती है। ये अस्थियाँ सीवनों द्वारा मजबूती से जुडी रहती है। 

मानव खोपड़ी को 4 भागों में बाँटा जा सकता है –

(i) क्रेनियम या मस्तिष्क बॉक्स क्रेनियम मस्तिष्क को सुरक्षित रखता है तथा यह कुल 8 अस्थियों से मिलकर बना होता है। एक फ्रंटल, दो पेराइटल, दो टेम्पोरल, एक ऑक्सीपिटल, एक स्फीनॉइड एवं एक इथ्मॉयड अस्थि।

(ii) चेहरे की अस्थियाँ मानव खोपड़ी की ये अस्थियाँ चेहरे वाला भाग बनाती हैं। इनकी संख्या 14 होती है। दो नेजल. दो मैक्सीलरी, एक मैण्डिबिल, दो स्क्वेमोजल दो लैक्राइमल, दो पैलेटाइन, दो टर्बिनल्स एवं एक वोमर अस्थि।

(iii) कर्णस्थियाँप्रत्येक मध्यकर्ण में तीन छोटी अस्थियाँ होती है  दो मैलियस, दो इनकस एवं दो स्टेपीज

(iv) हॉयड U  आकार की अस्थि है जो मुख गुहा के नीचे स्थित होती है। यह जीभ को सहारा प्रदान करती है

2. कशेरुक दण्ड(Vertebral column):

मनुष्य तथाः शेष सभी कशेरुकियों की पृष्ठ सतह पर बीच में सिर से लेकर शरीर के एकदम पीछे या पूँछ तक एक मोटी छड़ के समान संयुक्त अस्थि पायी जाती है, जिसे कशेरुक दण्ड या मेरुदण्ड कहते हैं। यह भ्रूण के नोटोकॉर्ड से विकसित होता है और अनेक छोटी-छोटी अस्थियों का बना होता है, जिन्हें कशेरुकाएँ कहते हैं। मनुष्य के कशेरुक दण्ड में 26 कशेरुकाएँ पायी जाती हैं लेकिन प्रारम्भिक अवस्था में इनकी संख्या 33 होती है। कशेरुक दण्ड की पहली कशेरुका को एटलस कहते हैं। इसी के ऊपर सिर टिका रहता है।

कशेरुक दण्ड को 5 भागों में बाँटा जा सकता है।

(i) ग्रीवा कशेरुक – यह गर्दन क्षेत्र में स्थित होता है और 7 ग्रीवा कशेरुकाओं का बना होता है। प्रथम ग्रीवा कशेरुका को एटलस, दूसरी को एक्सिस तथा शेष को सामान्य ग्रीवा कशेरुका कहते हैं। ग्रीवा कशेरुकों की संख्या मनुष्य सहित लगभग सभी स्तनधारियों में 7 (सात) होती है। 

(ii) वक्षीय कशेरुक – यह सीने का भाग होता है और 12 कशेरुकाओं का बना होता है इससे 12 जोड़ी पसलियां जुड़ी होती है

(iii) कटि कशेरुक – यह कमर के भाग में होता है और 5 कशेरुकाओं का बना होता है।

(iv) त्रिक कशेरुक – यह श्रोणि मेखला के दोनों अद्धशों के बीच में स्थित होता है और 5 कशेरुकाओं का बना होता है। इसकी कशेरुकाएँ समेकित होकर एक हो गयी रहती हैं।

(v) अनुत्रिक कशेरुक – यह कशेरुक दण्ड के अन्त में स्थित होता है जो चार अनुत्रिक कशेरुकाओं के समेकन से बनता है। समेकित तिकोनी रचना को कॉक्सिक कहते हैं।

कार्य –
(i) यह खोपड़ी को साधता है। 

(ii) यह शरीर को सीधा बनाये रखता है | 

(iii) पसलियों तथा स्टर्नम को सहारा देता है। 

(iv) यह मेरुरज्जू की रक्षा करता है। 

(v) गर्दन को घुमाने की क्षमता प्रदान करता है। 

(vi) शरीर में लोच तथा झुकाव लाता है। 

(vii) कोमल आन्तरिक अंगों की रक्षा करता है।

(3) स्टर्नम एवं पसलियाँ(sternum and ribs):

वक्ष के अधर तल पर मध्य रेखा में वक्ष की सम्पूर्ण लम्बाई में स्थित अस्थि को स्टर्नम कहते हैं। मनुष्य का स्टर्नम केवल छड़ के समान अस्थि का बना होता है।

स्टर्नम के 3 भाग होते हैं – मनुब्रियम कोय एवं जिफाइड प्रोसेस

स्टर्नम के साथ 12 जोड़ी पसलियां जुड़ी होती है जो कि वक्ष गुहा का पिंजरा बनाती है शरीर के प्रमुख अंतरंग उसके अंदर सुरक्षित रहते हैं
वक्ष का पाश्र्व भाग कई पतली पतली मुड़ी अस्थियों का बना होता है जिन्हें पसलियां कहते हैं अधिकांश पसलियां कशेरुक दंड तथा स्टर्नम से जुड़ी होती है जबकि कुछ केवल कशेरुक दंड से जुड़ी होती है मनुष्य में कुल 24 पसलियाँ पाई जाती है

(4) उपांगीय कंकाल(Appendicular Skeleton):

शरीर के मुख्य अक्ष के इधर-उधर अर्थात् दोनों पार्श्वों में पाया जाने वाला कंकाल उपांगीय कंकाल कहलाता है। यह निम्न भागों अर्थात् अस्थि समूहों का बना होता है

(I) पाद अस्थियाँ-

प्रत्येक पाद में 30 अस्थियाँ पाई जाती हैं अग्रपाद (भुजा) की अस्थियाँ हैं- ह्यूमेरस, रेडियस और अल्ना, कार्पल्स (कलाई की अस्थियाँ - संख्या में 8), मेटा कार्पल्स (हथेली की अस्थियाँ- संख्या में 5) और फैलेंजेज (अंगुलियों की अस्थियाँ -संख्या में 14)। फीमर (उरु अस्थि - सबसे लम्बी अस्थि), टिबिया और फिबुला, टार्सल (टखनों की अस्थियाँ - संख्या में 7), मेटाटार्सल (संख्या में 5) और अंगुलि अस्थियाँ फैलेंजेज। कप के आकार की एक अस्थि जिसे पटेल्ला (Patella) कहते हैं।

(II) मेखलाएँ -

कशेरुकी जन्तुओं में अग्र पाद तथा पश्च पाद को अक्षीय कंकाल पर साधने के लिए दो चाप पाये जाते हैं, जिन्हें मेखलाएँ कहते हैं। अग्र पाद को साधने वाली मेखला अंश मेखला तथा पश्च पाद को साधने वाली मेखला श्रोणि मेखला कहलाती है। अंश मेखला के दोनों पावों में अग्रपाद की ट्यूमरस अस्थि के जुड़ने के लिए एक-एक गुहा पायी जाती है जिसे ग्लीनॉयड गुहा कहते हैं। इसी प्रकार की गुहाएँ श्रोणि मेखला में भी पायी जाती हैं। जिनमें पश्च पाद की फीमर अस्थि फिट होती है, इन गुहाओं को एसीटाबुलम कहते हैं। प्रत्येक मेखला दो अद्धशों की बनी होती है। अंश मेखला चार (2 स्कैपुला तथा 2 क्लैविकल) अस्थियों तथा श्रोणि मेखला का प्रत्येक अर्द्धांश केवल एक ही अस्थि का बना होता है जिसे ऑस-इन्नॉमिनेट्स कहते हैं। वास्तव में प्रत्येक ऑस-इन्नॉमिनेट्स इलियम, इश्चियम, प्यूबिस कार्टीलायड अस्थियों के समेकन से बनता है।

कशेरुकियों में पायी जाने वाली अस्थियों को आकार एवं आकृति के आधार पर लम्बी (Long), छोटी (Short), चपटी (Flat) और अनियमित (Irregular) कहते हैं। ह्यूमरस एवं फीमर लम्बी, छाती की अस्थि स्टर्नम एवं कंधे की अस्थि स्कैपुला चपटी, कार्पल्स एवं मेटाकार्पल्स व खोपड़ी की अस्थियाँ छोटी और कशेरुकाएँ अनियमित अस्थियों के उदाहरण हैं। आगे दी गयी सारणी में मनुष्य की विभिन्न अस्थियों के नाम उनकी संख्या एवं इनसे बनने वाले भाग का नाम दिया गया है।

कंकाल तंत्र के कार्य । Skeletal System Function in Hindi

(1) यह शरीर को एक निश्चित आकार देकर इसका ढाँचा बनाता है।

(2) यह शरीर के कोमल अंगों जैसे-हृदय, फेफड़े इत्यादि की रक्षा करता है।

(3) यह शरीर में पायी जाने वाली पेशियों के लिये जुड़ने का आधार देता है जिसके कारण ही जन्तुओं में गति एवं प्रचलन होता है।

(4) यह सम्पूर्ण शरीर को एक साथ बाँधे रखता है।

(5) जन्तु शरीर की लगभग 40% कंकाली पेशियाँ समूहों में स्थित होकर टेण्डन का निर्माण करती हैं। इन टेण्डन्स की सहायता से कुछ अस्थियाँ (हाथ तथा पैर) उत्तोलक का कार्य करती हैं जिससे विभिन्न अंगों में गतियाँ होती हैं ।

(6) यह श्वासोच्छ्वास में सहायता करता है। यह कर्णास्थियों के द्वारा सुनने में भी सहायता करता है।

(7) बड़ी अस्थियों के मध्य में एक गुहा पायी जाती है जिसे मज्जा गुहा (Bone marrow) कहते हैं, इस गुहा में रुधिर कोशिकाओं का निर्माण होता है।

(8) यह कुछ लवणों जैसे- कैल्सियम और फॉस्फेट के लिये संग्रहालय का कार्य करता है जो आवश्यकतानुसार विभिन्न कार्यों में सहायता करते हैं।

(9) यह भोजन को काटने तथा ग्रहण करने में मदद करता है।

कंकाल तंत्र के महत्वपूर्ण तथ्यः

मनुष्य के शरीर में कुल हड्डियों की संख्या-206

बाल्यावस्था में कुल हड्डियों की संख्या-208

सिर की कुल हड्डियों की संख्या-29(कर्ण-6, फेसियल-14, कपाल-8)

रीढ़ की कुल हड्डियों की संख्या-33(प्रारम्भ में)

रीढ़ की कुल हड्डियों की संख्या-26(विकसित होने पर में)

पसलियों की कुल हड्डियों की संख्या-24

शरीर की सबसे छोटी हड्डी-स्टेप्स(कान की हड्डी)

शरीर की सबसे बड़ी हड्डी-फीमर(जांघ की हड्डी)

अस्थि में अस्थि के जोड को लिंगामेंटस कहते है।

मांसपेशी एवं अस्थि के जोड़ को टेण्डन कहते है। 


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