तरंग (wave)
जब हम बोलते हैं, तो ध्वनि हवा (माध्यम) में हमसे दूर जाती है । परंतु इस प्रक्रिया में (वायु) एक भाग से दूसरे भाग में प्रवाहित नहीं होती । वायु में उत्पन्न हुए विक्षोभ हमें स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते, हमारे कानों अथवा माइक्रोफोनों द्वारा ही हम इनको जान पाते हैं। इस प्रकार के विक्षोभों के प्रतिरूप या पैटर्न जो द्रव्य के वास्तविक भौतिक स्थानांतरण अथवा समूचे द्रव्य के प्रवाह के बिना ही माध्यम के एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति करते हैं, तरंग कहलाते हैं।
(i) यांत्रिक तरंग (mechanical wave)
(ii) अयांत्रिक तरंग (non-mechanical wave)
यांत्रिक तरंग: वे तरंगें जो किसी पदार्थिक माध्यम (ठोस, द्रव, अथवा गैस) में संचरित होती है, यांत्रिक तरंगें कहलाती है. यांत्रिक तरंगों को मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है:
(a) अनुदैर्ध्य तरंग (longitudinal wave): जब तरंग गति की दिशा माध्यम के कणों के कंपन करने की दिशा के समांतर होती है, तो ऐसी तरंग को अनुदैर्ध्य तरंग कहते है. ध्वनि अनुदैर्ध्य तरंग का उदाहरण है.
(b) अनुप्रस्थ तरंग (transverse wave): जब तरंग गति की दिशा माध्यम के कणों के कंपन्न करने की दिशा के लंबवत होती है, तो इस प्रकार की तरंगों को अनुप्रस्थ तरंग कहते हैं.
(ii) अयांत्रिक तरंग या विद्युत चुंबकीय तरंग (electromagnetic waves): वैसे तरंगें जिसके संचरण के लिए किसी भी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है, अर्थात तरंगे निर्वात में भी संचरित हो सकती हैं, जिन्हें विद्युत चुंबकीय या अयांत्रिक तरंग कहते हैं:
विद्युत चुम्बकीय विकिरण की विशेषताएँ
तरंग-गति (wave motion): किसी कारक द्वारा उत्पन्न विक्षोभ के आगे बढ़ाने की प्रक्रिया को तरंग-गति कहते हैं.
कंपन की कला (phase of vibration): आवर्त गति में कंपन करते हुए किसी कण की किसी क्षण पर स्थिति तथा गति की दिशा को जिस राशि द्वारा निरूपित किया जाता है.
निम्न तरंगें विद्युत चुंबकीय नहीं है:-
(i) कैथोड किरणें(ii) कैनाल किरणें(iii) α-किरणें(iv) β- किरणें(v) ध्वनि तरंगें(vi) पराश्रव्य तरंगें
आयाम (amplitude): दोलन करने वाली वस्तु अपनी साम्य स्थिति की किसी भी ओर जितनी अधिक-से-अधिक दूरी तक जाती है, उस दूरी को दोलन का आयाम कहते हैं.
तरंगदैर्ध्य (wave-length): तरंग गति में समान कला में कंपन करने वाले दो क्रमागत कणों के बीच की दूरी को तरंगदैर्ध्य कहते हैं. इसे ग्रीक अक्षर λ(लैम्डा) से व्यक्त किया जाता है. अनुप्रस्थ तरंगों में दो पास-पास के श्रृगों अथवा गर्त्तो के बेच की दूरी तथा अनुदैर्ध्य तरंगों में क्रमागत दो सम्पीडनों या विरलनों के बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य कहलाती है. सभी प्रकार की तरंगों में तरंग की चाल, तरंगदैर्ध्य एवं आवृत्ती के बीच निम्न संबंध होता है-
तरंग-चाल = आवृत्ति x तरंगदैर्ध्य
तरंगदैर्ध्य का मात्रक m एवं विमाएँ [L] है।
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