सिक्ख मुग़ल एवं अंग्रेज

सिक्ख सम्प्रदाय की स्थापना गुरु नानक प्रथम ने की|

गुरु नानक बाबर व हुमायूं के समकालीन थे|

गुरुनानक ने गुरु का लंगर नामक निशुल्क भोजनालय स्थापित किये|

गुरुनानक ने अनेक स्थानों पर सांगत (धर्मशाला) और पंगत (लंगर) स्थापित किये|

1538 ईस्वी में करतारपुर में इनकी मृत्यु हुई|


1539 से 1552 ईसवी में दूसरे गुरु - गुरु अंगद हुए

इन्होने गुरुमुखी लिपि का आरंभ किया


1552 से 1574 ईसवी में तीसरे गुरु - गुरु अमर दास हुए 

इन्होने हिंदुओं से अलग विवाह पद्धति लवन को प्रचलित किया

ये अकबर के समकालीन थे|

अकबर ने गुरु अमरदास से गोविन्दवल जाकर भेंट की और गुरु पुत्री बीबी भानी को कई गांव दान में दी|


1574 से 1581 ईसवी में चौथे गुरु - गुरु रामदास हुए 

अकबर ने गुरु रामदास की पत्नी बीबी भानी को 500 बीघा भूमि दी इसे भूमि पर अमृतसर नामक जलाशय खुद वाया और अमृतसर नगर की स्थापना की गई|

गुरु रामदास ने अपने तीसरे पुत्र अर्जुन को गुरु पद सोंपा और गुरु पद को पैतृक बना दिया|


1581 से 1606 ईस्वी में पांचवे गुरु - गुरु अर्जुन हुए

इन्होने सिखों के धार्मिक ग्रंथ आदि ग्रंथ की रचना की|

अमृतसर जलाशय के मध्य हरमंदिर साहिब गोल्डन टेंपल का निर्माण करवाया|

1606 ईसवी में जहांगीर के पुत्र खुसरो  की सहायता करने के कारण जहांगीर ने इनकी हत्या करा दी थी|


1606 से 1645 ईसवी में छठे गुरु - गुरु हरगोविंद हुए

इन्होने सिखों को सैन्य संगठन का रूप दिया|

अकाल तख़्त या इश्वर के सिंघासन का निर्माण करवाया| 

ये दो तलवार बांध कर गद्दी पर बैठते थे| 

इन्होने अमृतसर की किलेबंदी की|


1645 से 1661 ईसवी में सातवें गुरु - गुरु हर राय हुए 

इन्होंने दारा शिकोह को मिलने आने पर आशीर्वाद दिया|


1661 से 1664 ईसवी में आठवें गुरु - गुरु हरकिशन हुए 

इन्होने दिल्ली जाकर औरंगजेब को गुरुपद के बारे में समझाया|

इनकी मृत्यु चेचक से हुई


1664 से 1675 ईसवी में नौवें गुरु - गुरु तेग बहादुर हुए 

इस्लाम ना स्वीकार करने के कारण औरंगजेब ने उन्हें मरवा दिया|


1675 से 1708 ईसवी में दसवें एवं अंतिम गुरु - गुरु गोविंद सिंह हुए 

इनका जन्म पटना में हुआ|

इन्होने अपने आप को सच्चा पादशाह कहा|

इन्होने सिखों के लिए पांच कंकार अनिवार्य किए केश, कंघा, कृपाण, कक्षा, और कड़ा|

1699 ईसवी में वैशाखी के दिन गुरुगोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की 

सिखों के धार्मिक ग्रन्थ आदिग्रंथ को वर्तमान रूप दिया और कहा की अब गुरुवाणी ही सिख सम्प्रदाय की गुरु का काम करेगी| इस प्रकार वे सिखों के अंतिम गुरु हुए|


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