भारत शासन अधिनियम 1919 ( मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार अधिनियम ) 

~ इस अधिनियम को मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है। क्यूंकि 1919 ई. में लॉर्ड मांटेग्यू भारत के राज्य सचिव तथा लॉर्ड चेम्सफोर्ड भारत के वायसराय थे।

~ मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार अधिनियम द्वारा भारत में प्रथम बार महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया गया।

~ इस अधिनियम ने केंद्र में द्विसदनात्मक व्यवस्था और प्रत्यक्ष निर्वाचन की पद्धति प्रारम्भ की।

~ आरक्षित विषयों पर गवर्नर कार्यपालिका परिषद् की सहायता से शासन करता था, जो विधान परिषद के प्रति उत्तरदायी नहीं थी।

~ इस अधिनियम के द्वारा ही भारत में सिविल सेवकों की भर्ती के लिए सन् 1926 में केन्द्रीय लोक सेवा आयोग का गठन किया गया।

~ इस अधिनियम ने पहली बार केंद्रीय बजट को राज्यों के बजट से अलग कर दिया। और राज्य विधानसभाओं को अपना बजट स्वयं बनाने के लिए अधिकृत कर दिया।

~ इस अधिनियम के तहत वायसराय की कार्यकारी परिषद के छह सदस्यों में से ( कमांडर- इन – चीफ को छोड़कर ) तीन सदस्यों का भारतीय होना आवश्यक था।

~ हस्तांतरित विषयों पर गवर्नर मंत्रियों की सहायता से शासन करता था, जो विधान परिषद के प्रति उत्तरदायी थे।

~ इस अधिनियम ने सांप्रदायिक आधार पर सिखों, भारतीय ईसाईयों, आंग्ल – भारतीयों और यूरोपियों के लिए भी पृथक् निर्वाचन की पद्धति को शुरू किया।

~इस अधिनियम ने भारत में एक लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान किया।

~ भारत सचिव को अधिकार दिया गया कि वह भारत में महालेखा परीक्षक की नियुक्ति कर सकता है। 

~ प्रांतों में द्वैध शासन प्रणाली की शुरुआत हुई। इस प्रणाली के अनुसार प्रांतीय विषयों को दो भागों में विभाजित किया गया – आरक्षित विषय और हस्तांतरित विषय।

~इस अधिनियम ने प्रांतीय स्तर पर कार्यपालिका हेतु  द्वैध शासन प्रणाली (दो व्यक्तियों/पार्टियों का शासन) की शुरुआत की। 

  • द्वैध शासन (Diarchy) को आठ प्रांतों में लागू किया गया था जिसमें
    असम, बंगाल, बिहार और उड़ीसा, मध्य प्रांत, संयुक्त प्रांत, बॉम्बे, मद्रास और पंजाब प्रांत शामिल थे।
  • द्वैध शासन व्यवस्था के तहत प्रांतीय सरकारों को अधिक अधिकार  प्रदान किये गए थे।
  • गवर्नर प्रांत का  कार्यकारी प्रमुख था।


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