मौलिक कर्तव्य
सरदार स्वर्ण सिंह समिति की अनुशंसा पर संविधान के 42वें संशोधन (1976 ई)० के द्वारा मौलिक कर्तव्य को संविधान में जोड़ा गया. इसे रूस के संविधान से लिया गया है. इसे भाग 4(क) में अनुच्छेद 51(क) के तहत रखा गया.
अनुच्छेद 51(क) |
भाग 4(क) |
यह भारत
के प्रत्येक नागरिक का
कर्तव्य होगा |
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(1) प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र गान का आदर करें; |
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(2) स्वतंत्रता
के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करनेवाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करे; |
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(3) भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे ; |
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(4) देश की रक्षा करे; |
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(5) भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे; |
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(6) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका निर्माण करे; |
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(7) प्राकृतिक
पर्यावरण की रक्षा और उसका संवर्धन करे; |
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(8) वैज्ञानिक
दृष्टिकोण और ज्ञानार्जन
की भावना का विकास करे; |
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(9) सार्वजनिक
संपत्ति को सुरक्षित रखे; |
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(10) व्यक्तिगत
एवं सामूहिक गतिविधियों
के सभी क्षेत्रों
में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करे; |
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(11) माता-पिता या संरक्षक द्वारा 6 से 14 वर्ष तक के आयु के अपने बच्चों को शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराना। (86 वें संविधान द्वारा जोड़ा गया) |
स्वर्ण सिंह समिति-वर्ष 1976 में मौलिक कर्तव्यों हेतु सिफारिश करने के लिये सरदार स्वर्ण सिंह की अध्यक्षता में समिति की स्थापना की गई थी, इस समिति की स्थापना का मुख्य उद्देश्य आपातकाल के दौरान मौलिक कर्तव्यों और उनकी आवश्यकता पर सिफारिशें करना था। समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए सरकार ने संविधान में एक अलग अनुच्छेद 51A शामिल किया और उसमें 10 मौलिक कर्तव्य शामिल किये गए। हालाँकि स्वर्ण सिंह समिति ने केवल आठ मौलिक कर्तव्यों को शामिल करने का सुझाव दिया था परंतु 42वें संविधान संशोधन में दस कर्तव्य शामिल थे।
वर्मा समिति-वर्ष 1998 में गठित वर्मा समिति का उद्देश्य प्रत्येक शिक्षण संस्थान में मौलिक कर्तव्यों को लागू करने और सभी विद्यालयों में इन कर्तव्यों को सिखाने के लिये दुनिया भर में शुरू किये गए कार्यक्रम हेतु एक रणनीति और कार्यप्रणाली तैयार करना था।
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