भारतीय वित्त व्‍यवस्‍था से जुडे कुछ महत्‍वपूर्ण तथ्‍य :


एक निर्धारित समय में सरकार की अनुमानित आय एवं व्यय का ब्यौरा वित्तीय वर्ष कहलाता है। भारत में वित्तीय वर्ष की अवधि 01 अपै्रल से 31 मार्च तक होता है। 

 

रिजर्व बैंक

  • रिजर्व बैंक की स्‍थापना 1 अप्रैल 1935 को 5 करोड की अधिकृत पूँजी से हुई। 

  • वर्ष 1 जनवरी 1949 को इसका राष्ट्रीयकरण किया गया। आरबीआई का लेखा वर्ष 01 जुलाई से 30 जून तक होता है। 

  • रिजर्व बैंक भारत का केन्‍द्रीय बैंक है, इसका मुख्‍यालय मुंबई में है। भारत में मौद्रिक (Monetary Policy)एवं साख नीति (credit policy)रिजर्व बैंक  द्वारा ही बनायी जाती है और लागू कि जाती है। मौद्रिक नीति ऐसी प्रक्रिया है, जिसकी मदद से रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में पैसे की आपूर्ति को नियंत्रित करता है.भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) हर दूसरे महीने मौद्रिक नीति की समीक्षा करता है.

  • जिस सामान्य ब्याज दर पर रिज़र्व बैंक द्वारा अन्य बैंकों को पैसा ऋण दिया जाता है, उसे बैंक दर कहते हैं। इसके द्वारा रिज़र्व बैंक साख नियंत्रण (Credit Control) का काम करता है।

  • यह भारत सरकार द्वारा जारी एक रूपये के नोट एवं सिक्को के अलावा समस्त करेंसी नोटों को जारी करता है। 

  • एक रूपये के नोट में केन्द्रीय वित्त सचिव के हस्ताक्षर अन्य समस्त करेंसी नोटों पर आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं। 

  • परिचालन के योग्य नहीं रहने पर करेंसी और सिक्कों को नष्ट करता है।

  • आरबीआई का उद्देश्य : आम जनता को अच्छी गुणवत्ता वाले करेंसी नोटों और सिक्कों की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराना।

  • सरकार का बैंकर : केंद्र और राज्य सरकारों के लिये यह वाणिज्यिकी बैंक की भूमिका निभाते हुए उनके बैंकर का कार्य भी करता है।

  • बैंकों के लिये बैंकर : सभी अनुसूचित बैंकों के बैंक खाते रखता है।

  • बैंकिंग व्यवस्था का नियमन एवं नियन्त्रण

  • सरकार को सलाह देना

  • विदेशी मुद्रा(Foreign Exchange) का नियंत्रण

 

 

·         सर ऑस्‍बोर्न स्मिथ 1.4.1935 से 30.6.1937 तक आरबीआई के प्रथम गर्वनर थे।

·         प्रथम भारतीय स्वतंत्र भारत के प्रथम आरबीआई गर्वनर सी.डी्.देशमुख 11अगस्‍त1943 से 30 जून 1949 थे। इन्हीं के समय से आरबीआई का राष्ट्रीयकरण किया गया।

·         बैंकों के राष्ट्रीयकरण के समय एल.के.झा. आरबीआई के गर्वनर थे।

RBI के इतिहास में 2 गवर्नर ऐसे भी रहे जो कभी नोटो पर हस्ताक्षर नही कर पाए। इनके नाम थे, के जी अंबेगाओंकर और ओसबोर्न आरकेल स्मिथ

आरबीआई के  वर्तमान गर्वनर शक्तिकान्त दास है।(2018 से अब तक)

 

नोट : हिल्‍टन यंग आयोग पहला आयोग था जिसने केन्‍द्रीय बैंक के रूप में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की संस्‍तुति की थी।

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·         भारतीय मुद्रा नोटों के छपाई के लिए कपास एवं कपास के लते का उपयोग छपाई सामग्री के रूप में किया जाता हे।

·         मुद्रा की दशमलव प्रणाली के साथ प्रचलित नया पैसा 1 अप्रैल 1957 से पैसा हो गया।

·         1 जुलाई 2011 से देश में 25 पैसे व हमसे कम मूल्‍य के सभी सिक्के प्रचलन में औपचारिक रूप से अमान्य हो गये।

नोट : भारतीय रिजर्व बैंक जम्मू एवं कश्मीर सरकार के कारोबार का संचालन नहीं करता है।

 

·         भारत को पहला व्यापारिक बैंक जेनरल बैंक ऑफ इण्डिया था। जिसे 1786 में खोला गया था। इसके बाद 1790 में बैंक ऑफ हिन्‍दुस्‍तान खोला गया। ये सभी बैंक युरापियन थे।

 

·         प्रथम भारतीय  अवध कॉमर्शियल बैंक था, जिसे 1881 में स्‍थापित किया गया था। 

 1994 मं पंजाब नेशनल बैंक स्‍थापित किया गया, जिसका पूर्ण रूप से भारतीयों द्वारा प्रबन्धन कार्य था। 

1921 में तीनों बैंक, बैंक ऑफ़ बंगाल, बैंक ऑफ़ मुंबई और बैंक ऑफ़ मद्रास को मिलाकर इंपीरियल बैंक की स्थापना की

14 बडे वाणिज्यिक बैंको का राष्ट्रीयकरण 19 जुलाई, 1982 में किया गया।

6 बडे अनुसूचित बैंको का राष्ट्रीयकरण 15 अपै्रल, 1980 में किया गया।

वर्ष 2021 में भारत में 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं,

·         सार्वजनिक बैंक वे बैंक होते जिसमें सरकार की धारिता(holding) 51प्रतिशत से अधिक है। वर्तमान में भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 12 रह गई है जो कि 2017 में 27 थी। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा कुल बैंक का लगभग 91 प्रतिशत नियंत्रण किया जाता है।

·         सार्वजनिक बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक समूह सबसे बड़ा है, जो कुल बैंक जमा का लगभग 29 प्रतिशत का नियंत्रण किया जाता हे।

 

भारतीय स्टेट बैंक(SBI)

भारत सरकार द्वारा इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया का अधिग्रहण (नाम बदलकर) कर इसका नाम 'भारतीय स्टेट बैंक' रखा गया। जिसके फलस्वरूप भारतीय स्टेट बैंक स्थापना दिवस 1 जुलाई 1955 को हुई। भारतीय स्टेट बैंक  1 जुलाई को अपना स्थापना दिवस मनाता है। 

भारत में प्रतिवर्ष 01 जुलाई को ‘नेशनल चार्टर्ड एकाउंटेंट्स दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

·         जीवन बीमा में प्रवेश करने वाला देश का पहला वाणिज्यिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक है (फ्रांस की कार्डिफ एस.ए. के साथ)

·         विदेशों में भारतीय स्टेट बैंक के सर्वाधिक कार्यालय है। इसके 28 देशों में 59 विदेशी कार्यालय है

·         नाबार्ड ने भारतीय स्टेट बैंक को स्‍वयं सहायता प्रोन्‍नयन संस्‍थान का दर्जा दिया है।   भारतीय स्टेट बैंक ने देश में सबसे पहला तैरता हुआ ए0टी0एम0 की सेवा का शुभारम्भ कोच्चि से किया। 

2021 में भारतीय स्‍टेट बैंक (SBI) के 7सहयोगी बैंकों का विलय SBI में हो गया है।

इन बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ़ इंदौर, स्टेट बैंक ऑफ़ सौराष्ट और स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, शामिल हैं।

  •  

श्री दिनेश कुमार खारा भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष हैं।(2021)

भारतीय स्टेट बैंक भारत का सबसे बड़ा और सबसे पुराना खुदरा बैंकिंग संस्थान है।

भारतीय महिला बैंक का वर्ष 2017 में भारतीय स्टेट बैंक में विलय हो गया.

 

पंजाब नेशनल बैंक (PNB)

पंजाब नेशनल बैंक की स्थापना 19 मई 1894 को हुई थी । पंजाब नैशनल बैंक को ऐसा पहला भारतीय बैंक होने का गौरव प्राप्त है जो पूर्णत: भारतीय पूँजी से प्रारम्भ किया गया था। पंजाब नैशनल बैंक का राष्ट्रीयकरण 13 अन्य बैंकों के साथ जुलाई, 1969 में हुआ। 

पंजाब नेशनल बैंक वाणिज्यिक बैकों द्वारा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना(VRS) को लागू करने वाला पहला सार्वजनिक क्षेत्र का पहला बैंक है। 

 

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (Regional Rural Banks)

2 अक्टूबर 1975 को 5 क्षेत्रीय बैंकों की स्थापना की गई । इस दिन 5 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको को स्थापित किया गया।  सिक्किम और गोवा को छोडकर देश के सभी राज्यों में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक कार्यरत हे। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की शुरुआत छोटे और सीमांत किसानों, खेतिहर मजदूरों, कारीगरों और ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे उद्यमियों को ऋण और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का उद्देश्य से किया गया।क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको में केन्‍द्र सरकार, राज्‍य सरकार तथा प्रवर्तक 50:15:35 के अनुपात में पूँजी लगाती है।

  • मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश)

  • गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)

  • शिवानी (हरियाणा)

  • जयपुर (राजस्थान)

  • मालदा (पश्चिम बंगाल)

 

नाबार्ड (NABARD)

12 जुलाई 1982 को शिवरमन समिति के सिफारिश पर नाबार्ड (NABARD) की स्थापना किया गया। इसका पूरा नाम राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक है। यह विश्व का सबसे बड़ा ग्रामीण बैंक है। इसका मुख्यालय मुंबई में है और 28 क्षेत्रीय कार्यालय हैं।

 

भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC)

19 जनवरी 1950 को केंद्र सरकार 245 भारतीय कंपनी और विदेशी कंपनियों को मिलाकर 1 सितंबर 1956 को राष्ट्रीयकरण कर LIC की स्थापना हुई।  LIC का प्रधान कार्यालय मुंबई है और चार क्षेत्रीय कार्यालय दिल्ली, कोलकाता, मद्रास और कानपुर है।  LIC की स्थापना का मुख्य उद्देश्य जनता की बचत को प्रसारित करना और देश के हित में उसका उपयोग करना है।  भारत से बाहर भी LIC कार्य करती है। LIC का मोटो है :जीवन के साथ भी, जीवन के बाद भी..

 

जनरल इंश्योरेंस कंपनी (GIC)

जनरल इंश्योरेंस कंपनी की स्थापना नवंबर 1972 में किया गया । यह 1 जनवरी 1973 से कार्य कर रही है। इसकी चार क्षेत्रीय सहायक कंपनियां है:

  • ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी

  • यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी

  • नेशनल इंश्योरेंस कंपनी

  • न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी

 

जीआईसी एयरलाइंस, एयर इंडिया, भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स, दुर्घटना योजना, कारखाना, मवेशी गायों की बीमा, फसलें और पशुपालन आदि इन सभी का बीमा करती है।

 

भारत के राष्ट्रीय बैंक 2021 सूची | Latest List of Nationalized Banks in India

 

Public Sector Bank

Headquarter

Tag Line

1. Punjab National Bank ( With the merger of Oriental Bank Of Commerce and United Bank Of India) 

New Delhi

The Name you can Bank Upon

एक बैंक जिस पर आप विश्‍वास करते हैं

2. Indian Bank( With Merger of Allahabad Bank)

Chennai

Your Tech-friendly bank

आपका टेक-फ्रेंडली बैंक

3. State Bank of India

Mumbai

With you all the way, Pure Banking Nothing Else, The Nation’s banks on us


हर तरह से आपके साथ,सिर्फ बैंकिंग और कुछ नहीं, देश के बैंक हम पर

4. Canara Bank( With Merger Of Syndicate Bank)

Bangalore

Together we can

हम साथ कर सकते हैं

5. Union Bank of India( With Merger Of Andhra Bank and Corporation Bank)

Mumbai

Good people to bank with

6. Indian Overseas bank

Chennai

Good people to grow with

7. UCO Bank

Kolkata

Honors Your Trust

8. Bank of Maharashtra

Pune

One Family One Bank

9. Punjab and Sind Bank

Rajendra Place, New Delhi

Where Service Is A Way Of Life

10. Bank of India

Mumbai

Relationships beyond Banking

11. Central Bank of India

Mumbai

Central To you Since 1911, Build A Better Life Around Us

12. Bank of Baroda

Gujarat

India’s International Bank

 

 

 

 

 

नोट : भारत मं 43 विदेशी बैंक (अप्रैल 2016) कार्यरत है, जिसमें सर्वाधिक शाखा स्‍टैण्‍डर्ड चार्टर्ड बैंक का है। वर्तमान में इसकी 100 शाखाऍं कार्यरत है।

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·         बैंकिंग प्रणाली की पुनर्रचना के सम्बन्ध में सुझाव देने हेतु 1991 में नरसिम्‍हम समिति का गठन किया गया।

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नोट : किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरूआत अगस्‍त 1998 मं तत्कालीन वित्तमंत्री यशवन्‍त सिन्‍हा द्वारा की गयी थी ।

·         UTI बैंक का नाम बदलकर एक्सिस बैंक लिमिटेड कर दिया गया है। 30 जुलाई 2007 से

·         निजी क्षेत्र में दो नये बैंक :

o    बंधन बैंक इसका उद्घाटन 23 अगस्त 2015 को कोलकाता में किया गया।

o    IDFC बैंक इसका उद्घाटन 19 अक्‍टूबर 2015 को हुआ। मुख्‍यालय मुम्‍बई में है।

·         राष्‍ट्रीय कृषि सहकारी विपणन भारतीय संघ NAFED की स्‍थापना 2 अक्‍टूबर 1958 को हुई। यह राष्‍ट्रीय स्‍तर पर एक शीर्ष सहकारी संगठन है। इसका प्रमुख कार्य चुनी हुई कृषि वस्‍तुओं को प्राप्‍त करना, वितरण, निर्यात तथ आयात करना है। इसने मूल्‍य स्‍तर के स्थिरीकरण तथा बाजार में उत्पादकों तथ उपभोक्ताओं दोनों के हितों की रक्षा की दिशा में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा की हे।

·         राष्‍ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) की स्‍थापना 1963 में हुई।

·         भारतीय जन जातीय सहकारी विपणन विकास परिषद (TRIFED) की स्थापना 1987 में हुई थी।

·         भूमि विकास बैंक मूलतः: दीर्घकालीन साख उपलब्‍ध कराती है।

·         भूमि विकास बैंक का आरंभ भूमि बंधक बैंक के रूप में 1919 ई में हुआ था।

·         भारतीय औद्योगिक विकास बैंक की स्‍थापना 1 फरवरी 1964 को की गई। इसने अपना कार्य 1 जुलाई 1966 से शुरू किया।

·         भारतीय औद्योगिक पुनर्निमाण बैंक (IRBI) की स्‍थापना अस्वस्थ औद्योगिक इकाइयों के पुनर्निर्माण के उद्देश्‍य से 20 मार्च 1985 में की गई।

·         भारतीय यूनिट ट्रस्‍ट 1 फरवरी 1964 को संसदीय अधिनियम से स्‍थापित किया गया। यूटिआई अब निजी क्षेत्र की कम्‍पनी हो गया।

·         

 

 

 

भारतीय बैंकिंग प्रणाली में सबसे पहले:

  • भारत में पहला बैंक बैंक ऑफ हिंदुस्तान था (1770)

  • भारतीयों द्वारा प्रबंधित पहला बैंक वध वाणिज्यिक बैंक था(1881)

  • भारतीय पूंजी के साथ पहला बैंक पंजाब नेशनल बैंक था (बैंक के संस्थापक लाला लाजपत राय हैं)

  • भारत में पहला विदेशी बैंक HSBC(हांगकांग और शंघाई बैंकिंग निगम) है.

  • ISO सर्टिफिकेट पाने वाला पहला बैंक केनरा बैंक है.(1996)

  • भारत के बाहर पहला भारतीय बैंक बैंक ऑफ इंडिया है.

  • ATM शुरू करने वाला पहला बैंक HSBC (1987, मुंबई) है.

  • ATM में इस्तेमाल होने वाला PIN का  पूरा रूप -PERSONAL IDENTIFICATION NUMBER

  • पहला यूनिवर्सल बैंक ICICI (इंडस्ट्रियल क्रेडिट एंड इंवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) है.

  • बचत खाता शुरू करने वाला पहला बैंक प्रेसीडेंसी बैंक (1833) है.

  • चेक का परिचय कराने वाला पहला बैंक है बंगाल बैंक (1833)

  • इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा देने वाला पहला बैंक ICICI है.(1996)

  • म्यूचुअल फंड बेचने वाला पहला बैंक भारतीय स्टेट बैंक है(1987)

  • क्रेडिट कार्ड जारी करने वाला पहला बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया है(1980)

  • पहला डिजिटल बैंक डिजीबैंक है

  • आईसीआईसीआई बैंक ने 10 फ़रवरी 2015 को मोबाइल फोन पर भारत का पहला डिजिटल बैंक 'पॉकेट्स' का आरंभ किया

  • वॉयस बायोमेट्रिक पेश करने वाला पहला बैंक सिटी बैंक है

  • बैंकिंग सेवा में रोबोट पेश करने वाला पहला बैंक HDFC है

 प्रथम बैंक क्रेडिट कार्ड 1959 मं बैंक ऑफ अमेरिका द्वारा निर्गत किया गया था

             देश को पहला मोबाइल बैंक मध्‍यप्रदेश में खरगोन जिले में लक्ष्‍मी वाहिनी बैंक नाम के इस चलते-फिरते बैंक की स्‍थापना एक करोड रुपए की लागत से एक मोबाइल वैन में की गयी है।

 

बैंको का राष्ट्रीयकरण

19 जुलाई 1969 को श्रीमती इंदिरा गांधी ने हजारी समिति के सिफारिश पर जिन 14 बैंकों की पूंजी 50 करोड़ थी, उसका अधिग्रहण या राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।  पुनः 15 अप्रैल 1980 को श्रीमती गांधी ने 6 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। राष्ट्रीयकृत बैंकों की संख्या 20 हो गई थी लेकिन 1993 में न्यू बैंक ऑफ इंडिया को पंजाब नेशनल बैंक में विलय कर दिया गया इसीलिए राष्ट्रीयकृत बैंक 19 हो गई है। वर्ष 2021 में भारत में 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैंवर्ष 2017 में ये संख्या 27 थी।  

 

 

 

 

 

 

 

बजट (Budget) :

सरकारी बजट-किसी देश का सरकारी बजट उस देश के एक वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च तक) में सरकारी आय और व्ययों का विवरण होता है। इसमें एक वित्तीय वर्ष के दौरान अनुमानित प्राप्तियों एवं व्यय को भी दिखाया जाता है। संविधान के अनुच्छेद-112 के अन्‍तर्गत प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए केन्‍द्र सरकार की अनुमानित प्राप्तियों तथा व्ययों का एक विवरण संसद के सामने रखना आवश्यक होता हे। इस वार्षिक वित्तीय विवरण को केन्‍द्र सरकार का बजट कहा जाता है। राज्‍य सरकारों की बजट के संबंध में व्‍यवस्‍था अनुच्छेद 202 में दी गई है।

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·      भारत में बजट प्रणाली की शुरूआत का श्रेय वायसराय कैनिंग को जाता है। 

       भारत में बजट प्रणाली का संस्थापक जेम्‍स विल्‍सन को माना जाता है।

·         संविधान के अनुच्छेद-112 के अन्‍तर्गत प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए , जो 1 अप्रैल से 31 मार्च तक चलता है, केन्‍द्र सरकार की अनुमानित प्राप्ति यों तथा व्ययों का एक विवरण पार्लियामेंन्‍ट के सामने रखना आवश्यक होता हे। इस वार्षिक वित्तीय विवरण (संविधान में बजट के लिए प्रयुक्त शब्‍द) को केन्‍द्र सरकार का बजट कहा जाता है। (राज्‍य सरकारों की बजट के संबंध में व्‍यवस्‍था अनुच्छेद 202 में दी गई है।)

·           राष्ट्रपति द्वारा निर्देशित तिथि पर लोकसभा में बजट पेश की जाती है। परम्परागत रूप में प्रत्येक वर्ष फरवरी के अंतिम कार्य दिवस पर बजट लोक सभा में पेश की जाती है।

 

 स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 अक्‍टूबर 1947 को पहले वित्तमंत्री आर. के. षणमुखम शेट्टी द्वारा पेश किया गया था। यह बजट 15 अगस्‍त 1947 से 31 मार्च 1948 तक के साढे़ सात साल माह की अवधि के लिए था।

·         जॉन मथाई को वर्ष 1950 में गणतंत्र भारत का पहला केन्‍द्रीय बजट पेश करने का गौरव प्राप्‍त हुआ।

·         जवारहलाल नेहरू ने वर्ष 1958-59 का बजट पेश किया और बजट को पेश करते हुये उन्होंने घोषणा की थी कि अगले वर्ष से बजट 28 फरवरी के दिन ही पेश किया जायेगा।

·         भारत में अभी तक (वर्ष 2013), सबसे अधिक बार बजट पेश करने वाले वित्तमंत्री मोरारजी देसाई थे। उन्होंने 10 बजट पेश किये, जबकि पी. चिदम्‍बरम ने 8 बजट पेश किये ।

·         भारत में बजट सामान्यतः: निम्नलिखित अनुमानों को व्‍यक्‍त करता है।

o    विगत वर्ष के वास्‍तविक प्राप्ति तथा व्‍यय

o    चालू वित्त वर्ष के बजट अनुमान और संशोधित अनुमान

o    आगामी वर्ष के प्रस्‍तावित बजट अनुमान,

इस प्रकार भारत में बजट प्रस्तुतीकरण का संबंध 3 वर्षो के ऑकडों से होता है।

आम बजट को हम पारम्परिक बजट या ट्रेडिशनल बजट के नाम से भी जानते हैं। सरकार द्वारा जारी इस बजट में सरकार की आय के साथ-साथ में इस बात का लेखा-जोखा होता है कि सरकार आने वाले वितीय वर्ष में किस क्षेत्र के विकास पर कितनी राशि खर्च करेगी लेकिन इसमें इस बात का जिक्र नहीं होता कि वह राशि खर्च करने के पश्चात हमें परिणाम क्या मिलेंगे।

वह बजट जो पूरे वित्त वर्ष के लिए न होकर मात्र कुछ महीनों के लिए प्रस्तुत किया जाता है को अंतरिम बजट कहा जाता है। 

 

·         प्रारंभ में रेल बजट और आम बजट एक साथ ही प्रस्‍तुत किया जाता था लेकिन 1921 में नियुक्त ऑकवर्थ समिति की सिफारिशों के आधार पर 1924 में निर्णय लिया गया कि रेल बजट को आम बजट से अलग प्रस्‍तुत किया जाये और 1925 में पहली बार रेल बजट को अलग बजट से अलग पेश किया जाने लगा। लेकिन 2017 में भाजपा सरकार ने रेल बजट को आम बजट के साथ पेश करने का निर्णय लिया ओर 2017  के रेल बजट को आम बजट के साथ ही पेश किया गया

  • इसके बाद 25 फरवरी सन 2016 में आखिरी रेल बजट पेश किया गया, जिसे श्री सुरेश प्रभु द्वारा प्रस्तुत किया गया था।(92 साल पुरानी प्रथा समाप्त)

  • वर्ष 2000 में, ममता बनर्जी पहली महिला रेल मंत्री बनीं

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कर (Tax) :

·   कर एक अनिवार्य शुल्क या वित्तीय शुल्क है जो सरकार द्वारा किसी व्यक्ति या संस्था पर राजस्व जुटाने के लिए लगाया जाता है। जमा हुए कर की कुल राशि को विभिन्न सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए उपयोग किया जाता है। कानून के मुताबिक, खुद से या गलती से कर भुगतान ना करने पर जुर्माना या सज़ा मिलने सकती है।

·         कर दो प्रकार के होते हैं --

o    प्रत्‍यक्ष कर : हम उन करों को प्रत्‍यक्ष कर कहते हैं, जैसा किनाम से ही पता चलता है ये टैक्स करदाता (टैक्स देने वाला) द्वारा सीधे सरकार को दिया जाता है। भारत में इस प्रकार के टैक्स के सबसे अच्छे उदाहरण इनकम टैक्स 

o    अप्रत्यक्ष या परोक्ष कर : अप्रत्यक्ष कर को अलग तरीके से जमा किया जाता है और ये टैक्स सामान और सेवाओं के उपयोग पर आधारित होते हैं। अप्रत्यक्ष कर का भुगतान सामान/ सेवाओं के उपभोक्ता सीधे सरकार को नहीं करते हैं। उदाहरणों में सेल्स टैक्स, GST, VAT, आदि शामिल हैं।

 

प्रत्‍यक्ष कर

o    केन्‍द्र सरकार के प्रत्‍यक्ष कर

·         व्यक्तिगत आयकर(Income tax)

·         निगम कर

·         उपहार कर

·  आस्ति कर (Estate duty)

·         व्‍यय कर

·         सम्‍पत्ति कर

·         पूँजी लाभ कर

·         लाभांश कर

·         ब्याज कर

·  प्रतिभूति व्‍यवहार कर आदि

o    राज्‍य सरकार के प्रत्‍यक्ष कर

·         होटल प्राप्‍तियों पर कर

·         भू-राजस्‍व

·         कृषि आय पर

·         व्यवसाय कर

·     गैर-शहरी अचल सम्‍पत्तियों पर कर

·         रोजगारों पर कर

·         पथ कर

अप्रत्यक्ष कर

o    केन्‍द्र सरकार के अप्रत्यक्ष क

·         सीमा शुल्‍क

·         केन्‍द्रीय उत्पाद शुल्‍क

·         केन्‍द्रीय बिक्री कर

·         सेवा कर

o    राज्‍य सरकार के अप्रत्यक्ष कर

·         बिक्री कर/व्‍यापार कर

·         स्‍टाम्‍प एवं पंजीयन शुल्‍क

·         राज्‍य उत्पाद शुल्‍क

·         वाहनों पर कर

·         विज्ञापन पर कर

·         प्रवेश कर

·         शिक्षा उपकर

·         सट्टेबाजी पर कर

·         डीजल पेट्रोल पर बिक्री का

 

भारत में लगने वाले कुछ महत्वपूर्ण कर

इनकम टैक्स

यह सबसे साधारण टैक्स है जो एक नागरिक सरकार को व्यक्तिगत रूप से चुकाता है। इसमें व्यक्ति को अपनी इनकम का एक हिस्सा हर साल सरकार को टैक्स के रूप में देना होता है।

TDS 

TDS को टैक्स के सबसे आम तरीकों में से एक माना जाता है, इसमें एक नौकरीपेशा व्यक्ति का टैक्स उसके वेतन में से काटकर नियोक्ता/ कम्पनी द्वारा सरकार को भुगतान किया जाता है।

सर्विस टैक्स

सेवा देने वाले बाद में अपने ग्राहकों से यह टैक्स वसूलते हैं।  सामान्य उदाहरण जो ग्राहकों से सर्विस टैक्स वसूलते हैं, उनमें होटल, रेस्टोरेंट, मोबाइल कनेक्शन प्रदाता आदि शामिल हैं।

स्टांप ड्यूटी

  •  सरकार द्वारा एकत्र किया जाने वाला एक प्रकार का टैक्स है।

  • इसका भुगतान समय पर किया जाना चाहिए क्योंकि भुगतान में किसी भी तरह की देरी दंड का कारण बन सकती है।

  • जिस भी दस्तावेज को कानूनी दस्तावेज के रूप में माना जाता है, उसके लिए स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान किया जाता है।

  • स्टांप ड्यूटी के भुगतान में देरी के कारण राशि का 2% से 200% तक जुर्माना लगता सकता है।

  • आमतौर पर, खरीदार को स्टांप ड्यूटी का भुगतान करना पड़ता है। हालांकि, संपत्ति के दस्तावेजों के मामले में, दोनों पक्षों के बीच स्टांप ड्यूटी की राशि विभाजित की जाती है।

रोड टैक्स

  • सार्वजनिक सड़कों पर उपयोग के लिए सभी पहिया वाहनों पर रोड टैक्स लगाया जाता है।

  • यह राज्य सरकार द्वारा वाहन की खरीद पर लगाया जाता है।

  • निजी वाहन के लिए टैक्स एक बार होता है जबकि कमर्शियलवाहनों को रोड टैक्स का सालाना भुगतान करना होता है।

  • टैक्स की गणना इंजन की क्षमता, लागत मूल्य, वज़न, बैठने की क्षमता आदि पर निर्धारित है।

कस्टम ड्यूटी

  • वस्तुओं के आयात और निर्यात पर लगाया जाने वाला टैक्स कस्टम ड्यूटी कहलाता है।

  • यह मुख्य रूप से माल के आने और जाने पर नियंत्रित करता है।

  • घरेलू उद्योग की सुरक्षा के लिए यह समय-समय पर बदलता रहता है

कॉरपोरेट टैक्स (Corporative Tax) 

  • निगम कर या कॉरपोरेट टैक्स(Corporative Tax) एक प्रकार का प्रत्यक्ष कर है, जो कंपनियों के लाभ पर लगाया जाता है। इसी कारण इसे 'कंपनी लाभ कर' भी कहा जाता है। 

  • कॉरपोरेट टैक्स(Corporative Tax)  केंद्र सरकार द्वारा आरोपित एवं एकत्रित किया जाता है। यह राज्यों के मध्य विभाजित नहीं होता है।

टोल टैक्स

  • टोल टैक्स राजमार्ग के एक विशेष हिस्से पर यात्रा करने के लिए अधिकारियों द्वारा लगाया गया टैक्स है।

  • हालांकि, टोल टैक्स दरें अलग-अलग टोल प्लाज़ा पर विभिन्न हैं, क्योंकि प्रत्येक टोल प्लाज़ा राजमार्ग के अलग-अलग हिस्से का रखरखाव करते हैं।

शिक्षा सेस

  • शिक्षा सेस एक प्रकार का उपकर है जो टैक्स देने वाले की टैक्सराशि पर लगाया जाता है।

  • देश में शैक्षिक बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए शिखा सेस लियाजाता है।

  • व्यक्ति और साथ ही कॉर्पोरेट दोनों की इनकम पर 2% का अतिरिक्त शिक्षा सेस लगाया जाता है।

  •  

 

वस्‍तु एवं सेवा कर  (Goods & Service Tax) :

·         1 जुलाई 2017 से वस्‍तु एवं सेवा कर की व्‍यवस्‍था लागू की गई है। अब तक केन्‍द्र सरकार एवं राज्‍य सरकार या दोनों के द्वारा लगाए जाने वाले सभी कर की जगह सिर्फ एक जीएसटी लगेगा जो सभी वस्‍तुओं एवं सेवा के ऊपर लगेगा। एक वस्‍तु के ऊपर जो भी जीएसटी कर की दर होगी वह पूरे देश में एक ही रहेगी।

·         8 सितम्बर 2016 को अधिसूचित 101वें संविधान संशोधन के द्वारा जीएसटी को लागू किया गया है।

·         जीएसटी के तहत वस्‍तुओं और सेवाओं पर इन दरों पर कर लगेगा, 0.25प्रतिशत, 5प्रतिशत, 12प्रतिशत, 18प्रतिशत एवं 28प्रतिशत। अपरिष्कृत रत्नों और रत्नों पत्थरों पर 0.25प्रतिशत की विशेष दर और सोने पर 3प्रतिशत कर लगेगा।

·         संविधान में जीएसटी की परिभाषा के अनुसार मानव उपभोग के लिए अल्‍कोहल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। दूसरी ओर पॉंच पेट्रोलियम उत्पाद नामतः: कच्चा तेल, मोटर स्पिरिट (पेट्रोल) हाइस्‍पीड डीजल, प्राकृतिक गैस और एविएशन टरबाइन ईंधन को अस्थायी रूप से जीएसटी से बाहर रखा गया और जीएसटी परिषद इन पॉंच उत्‍पादों पर जीएसटी लागू करने की तिथि का निर्धारण कर सकती है।

·         जीएसटी लागू करने लिए संसद ने इन विधेयकों को पारित किया :

o    केन्‍द्रीय जीएसटी विधेयक, 2017

o    एकीकृत जीएसटी विधेयक, 2017

o    जीएसटी (राज्यों की क्षतिपूर्ति) विधेयक, 2017 तथा

o    केन्‍द्रशासित प्रदेश जीएसटी विधेयक, 2017

·         जीएसटी से मुक्त वस्‍तुऍं हैं --

o    प्राकृतिक मधु, दूध, फूल, झाडू, खुला खाद्य पदार्थ, लस्सी, खुला पनीर, दही, प्रसाद, जगेरी, नमक, गुड, स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं, काजल, चित्रकला की किताबें, शिक्षा सेवाएं, अंडा।

नोट : विश्‍व में सर्वप्रथम फ्रांस ने वर्ष 1954 में अपने यहां जीएसटी लागू किया था।

 

जीएसटी में समाहित अप्रत्यक्ष कर

क्रम.

केन्‍द्र सरकार

राज्‍य सरकार

1

केन्‍द्र उत्पाद शुल्‍क

राज्‍य वेट

2

उत्पाद शुल्‍क (औषधीय और प्रसाधन सामग्रियॉं)


3

अतिरिक्‍त उत्पाद शुल्‍क (विशेष महत्व की वस्‍तुऍं)

लग्‍जरी कार

4

अतिरिक्‍त उत्पाद शुल्‍क (कपड़ा और कपड़ा उत्पाद)

प्रवेश कर

5

अतिरिक्‍त कर

मनोरंजन कर (तब नहीं जब वह स्थानीय निकायों द्वारा वसूला जाए)

6

विशेष अतिरिक्‍त तटकर

विज्ञापन कर

7

सेवा कर

विक्रय कर

8

केन्‍द्रीय अधिभार और उपकर जब तक कि वे वस्‍तुओं और सेवाओं की आपूर्ति से संबंधित हो।

लॉटरी, सट्टे और जूए से जुडे कर

9


राज्‍य स्तरीय अधिभार और उपकर जब तक कि वे वस्‍तुओं और सेवाओं की आपूर्ति से संबंधित हो।

 

 

  • नोट : मूल्‍यवर्धित कर (वेट) सबसे पहले हरियाणा में और सबसे अन्त में उत्तरप्रदेश में लागू किया गया।

·         केन्‍द्र को सर्वाधिक निवल (नेट) राजस्‍व की प्राप्ति सीमा शुल्‍कों से होती है। सीमा शुल्‍क से प्राप्‍त राजस्‍व का बँटवारा राज्यों को नहीं करना होता है।

·         कर ढांचे में सुधार के लिए सुझाव देने हेतु 'चेलैया समिति' का गठन अगस्‍त 1991 में किया गया था।

·          थी।

·      केन्‍द्रीय बिक्री कर एक ऐसा कर है जिसे केन्‍द्र सरकार लगाती है पर जिसकी वसूली राज्‍य सरकार करती है तथा इसकी राजस्‍व प्राप्ति राज्‍य द्वारा ही ले ली जाती है। इसकी शुरूआत 1प्रतिशत की अत्यन्त ही अल्‍प दर से 1982 में शुरू किया गया था।

 

भारत में प्रतिभूति-मुद्रण एवं सिक्कों का उत्‍पादन :

1.   इण्डिया सिक्‍योरिटी प्रेस, नासिक (महाराष्‍ट्र) : नासिक रोड स्थित भारत प्रतिभूति मुद्रणालय में डाक सम्बन्धी लेखन सामग्री, डाक एवं डाक भिन्न टिकटों, अदालती एवं गैर-अदालती स्‍टाम्‍पों, बैंकों के चेकों, बॉण्‍डों, राष्‍ट्रीय बचत पत्रों, पोस्‍टल आर्डर, पासपोर्ट, इंदिरा विकास पत्रों, किसान विकास पत्रों आदि के अलावा राज्यों सरकार, सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों, वित्तीय निगमों  आदि के प्रतिभूति पत्रों की छपाई की जाती है।

2.   सिक्‍योरिटी प्रिन्टिंग प्रेस हैदराबाद : सिक्‍योरिटी प्रिन्टिंग प्रेस हैदराबाद की स्‍थापना दक्षिण राज्यों की डाक लेखन सामग्री की मॉगो को पुरा करने व पूरे देश की केन्‍द्रीय उत्पाद शुल्क स्‍टाम्‍प की मॉंग को पूरा करने के लिए 1982 में की गई थी, ताकि भारत प्रतिभूति मुद्रणालय, नासिक रोड के उत्‍पादन की अनु पूर्ति की जा सके।

3.   करेन्‍सी नोट प्रेस, नासिक (महाराष्‍ट्र) : नासिक रोड स्थित करेन्‍सी नोट प्रेस 10, 50, 100, 500, 1000 रुपये के बैंक नोट छापती है और उनकी पूर्ति करती है।

4.   बैंक नोट प्रेस, देवास (मध्‍यप्रदेश) : देवास स्थित बैंक नोट प्रेस 20 रुपये, 50 रुपये, 100रुपये के और उच्‍च मूल्‍य वर्ग के नोट छापती है। बैंक नोट प्रेस का स्याही का कारखाना प्रतिभूति पत्रों  की स्याही का निर्माण भी करता हे।

5.   शाहबनी (पश्चिम बंगाल) तथा मैसुर (कर्नाटक) के भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण लिमिटेड : दो नये एवं अत्याधुनिक करेन्‍सी नोट प्रेस मैसुर तथा साल्‍वोनी में स्‍थापित किय गये हे, यहां आरबीआई के नियंत्रण मं करेन्‍सी नोट छापे जाते है।

6.   सिक्‍यूरिटी पेपर मिल, होशंगाबाद (मध्‍यप्रदेश) : बैंक और करेन्‍सी नोट कागज तथा नॉन-ज्‍यूडिशियल स्‍टाम्‍प पेपर की छपाई में प्रयोग होने वाले कागज का उत्‍पादन करने लिए सिक्‍यूरिटी पेपर मिल होशंगाबाद में 1967-68 में चालू की गई थी।

टकसाल (Mints) : सिक्कों का उत्‍पादन करने तथा सोने और चांदी की परख करने एवं तमगों का उत्‍पादन करने के लिए भारत सरकार की चार टकसालें मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद तथा नोएडा में स्थित हैं। मुंबई, हैदराबाद और कोलकाता की टकसालें काफी समय पहले क्रमश: 1830, 1903 और 1950 में स्‍थापित की गई थी, जबकि नोएडा की टकसाल 1989 में स्‍थापित की गई थी। मुंबई तथा कोलकाता की टकसालों में सिक्कों के अलावा विभिन्‍न प्रकार के पदकों (मैडल) का भी उत्‍पादन किया जाता है। 



पना

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल, 1935 को हुई थी।

  • शुरुआत में रिज़र्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय कोलकाता में स्थापित किया गया था जिसे वर्ष 1937 में स्थायी रूप से मुंबई में स्थानांतरित कर दिया गया। केंद्रीय कार्यालय वह कार्यालय है जहाँ RBI का गवर्नर बैठता है और जहाँ नीतियाँ निर्धारित की जाती हैं।

  • यद्यपि प्रारंभ में यह निजी स्वमित्व वाला था, वर्ष 1949 में RBI के राष्ट्रीयकरण के बाद से इस पर भारत सरकार का पूर्ण स्वामित्व है।

प्रस्तावना

भारतीय रिज़र्व बैंक की प्रस्तावना में बैंक के मूल कार्य इस प्रकार वर्णित किये गए हैं:

“भारत में मौद्रिक स्थिरता प्राप्त करने की दृष्टि से बैंक नोटों के निर्गम को विनियमित करना तथा प्रारक्षित निधि को बनाए रखना और सामान्य रूप से देश के हित में मुद्रा एवं ऋण प्रणाली को संचालित करना, अत्यधिक जटिल अर्थव्यवस्था की चुनौती से निपटने के लिये आधुनिक मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क रखना, वृद्धि के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना।”

केंद्रीय बोर्ड

रिज़र्व बैंक का कामकाज केंद्रीय निदेशक बोर्ड द्वारा शासित होता है। भारत सरकार के भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के अनुसार इस बोर्ड की नियुक्ति/नामन चार वर्ष के लिये होती है।

  • गठन

  • सरकारी निदेशक

  • पूर्ण:कालिक : गवर्नर और अधिकतम चार उप गवर्नर

  • गैर:सरकारी निदेशक

  • सरकार द्वारा नामित : विभिन्न क्षेत्रों से दस निदेशक और दो सरकारी अधिकारी

  • अन्य : चार निदेशक - चार स्थानीय बोर्डों से प्रत्येक से एक

प्रमुख कार्य

1. मौद्रिक प्रधिकारी (Monetary Authority)

  • मौद्रिक नीति तैयार कर उसका कार्यान्वयन और निगरानी करता है।

  • उद्देश्य: विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना।

रिज़र्व बैंक यह कार्य वित्तीय पर्यवेक्षण बोर्ड (Board for Financial Supervision-BFS) के दिशा-निर्देशों के अनुसार करता है। इस बोर्ड की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय निदेशक बोर्ड की एक समिति के रूप में नवंबर 1994 में की गई थी।

मौद्रिक नीति समिति क्या है?

  • केंद्र सरकार द्वारा धारा 45ZB के तहत गठित मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee-MPC) मुद्रास्फीति लक्ष्य को हासिल करने के लिये आवश्यक नीतिगत ब्याज दर निर्धारित करती है। पहले यह काम रिज़र्व बैंक के गवर्नर द्वारा किया जाता था।

  • रिज़र्व बैंक का मौद्रिक नीति विभाग मौद्रिक नीति निर्माण में इस समिति की सहायता करता है तथा अर्थव्यवस्था के सभी हितधारकों के विचारों और रिज़र्व बैंक के विश्लेषणात्मक कार्य से नीतिगत रेपो दर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में योगदान करता है।

2. वित्तीय प्रणाली का विनियामक और पर्यवेक्षक (Regulator and Supervisor of the Financial System)

  • बैंकिंग परिचालन के लिये विस्तृत मानदंड निर्धारित करता है जिसके अंतर्गत देश की बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली काम करती है।

  • उद्देश्यः प्रणाली में लोगों का विश्वास बनाए रखना, जमाकर्त्ताओं के हितों की रक्षा करना और आम जनता को किफायती बैंकिंग सेवाएँ उपलब्ध कराना।

3. विदेशी मुद्रा प्रबंधक (Manager of Foreign Exchange)

  • विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 का प्रबंध करता है।

  • उद्देश्यः विदेश व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाना एवं भारत में विदेशी मुद्रा बाज़ार का क्रमिक विकास करना तथा उसे बनाए रखना।

4. मुद्रा जारीकर्त्ता (Issuer of Currency)

  • यह करेंसी जारी करता है और उसका विनिमय करता है अथवा परिचालन के योग्य नहीं रहने पर करेंसी और सिक्कों को नष्ट करता है।

  • उद्देश्य : आम जनता को अच्छी गुणवत्ता वाले करेंसी नोटों और सिक्कों की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराना।

विकासात्मक भूमिका

  • राष्ट्रीय उद्देश्यों की सहायता के लिये व्यापक स्तर पर प्रोत्साहक कार्य करना।

संबंधित कार्य

  • सरकार का बैंकर : केंद्र और राज्य सरकारों के लिये यह व्यापारी बैंक की भूमिका अदा करता है; उनके बैंकर का कार्य भी करता है।

  • बैंकों के लिये बैंकर : सभी अनुसूचित बैंकों के बैंक खाते रखता है।

वार्षिक रिपोर्ट

  • वार्षिक रिपोर्ट रिज़र्व बैंक की सांविधिक रिपोर्ट (Statutory Report) है और इसे हर वर्ष अगस्त में जारी किया जाता है।

  • यह रिज़र्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की भारत सरकार को प्रस्तुत की जाने वाली रिपोर्ट है और इसमें शामिल होते हैं;

  • भारतीय अर्थव्यवस्था का आकलन और संभावनाएँ;

  • अर्थव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा;

  • वर्ष के दौरान रिज़र्व बैंक का कार्य;

  • आगामी वर्ष के लिये रिज़र्व बैंक का विज़न और एजेंडा; तथा

  • रिज़र्व बैंक के वार्षिक खाते (जुलाई-जून)

भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति पर रिपोर्ट

  • यह भी केंद्रीय बैंक द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला सांविधिक प्रकाशन (Statutory Publication) है।

  • वार्षिक रूप से प्रस्तुत यह दस्तावेज़ पिछले वर्ष के लिये वित्तीय क्षेत्र की नीतियों और कार्य निष्पादन की समीक्षा है।

  • अप्रैल से मार्च तक की अवधि को कवर करने वाले इस प्रकाशन को सामान्यतः नवंबर/दिसंबर में जारी किया जाता है। दिसंबर 2014 से यह प्रकाशन वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के एक भाग के रूप में प्रकाशित किया जा रहा है।

रिज़र्व बैंक की स्वायत्तता

  • RBI अधिनियम की धारा 7(1) के तहत केंद्र सरकार रिज़र्व बैंक के गवर्नर से परामर्श कर बैंक को ऐसे दिशा-निर्देश दे सकती है, जो जनता के हित में आवश्यक हों।

  • सेक्शन 7(2) के तहत इस तरह के किसी भी दिशा-निर्देश के बाद बैंक का काम एक केंद्रीय निदेशक मंडल को सौंप दिया जाएगा। यह निदेशक मंडल बैंक की सभी शक्तियों का उपयोग कर सकता है और रिज़र्व बैंक द्वारा किये जाने वाले सभी कार्यों को कर सकता है।

  • सेक्शन 7(3) के तहत रिज़र्व बैंक के गवर्नर और उनकी अनुपस्थिति में उनके द्वारा नामित डिप्टी गवर्नर की गैर-मौजूदगी में भी केंद्रीय निदेशक मंडल के पास बैंक के सामान्य मामलों एवं कामकाज के सामान्य अधीक्षण (General Superintendence) एवं निर्देशन की शक्तियाँ होंगी और वह उन सभी शक्तियों का इस्तेमाल कर पाएगा, जिसका अधिकार बैंक के पास है। हालाँकि RBI की स्वायत्तता को अनिवार्य करने वाला कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।

  • तथापि RBI को हमेशा एक स्वायत्त निकाय के रूप में देखा जाता है, जो सभी वाणिज्यिक बैंकों- चाहे वह पीएसबी हो या निजी बैंक या विदेशी बैंक, हेतु एक समग्र निकाय है।

  • इसमें न केवल मौद्रिक नीति तैयार करने की शक्तियाँ ही निहित हैं, बल्कि सभी बैंकों के कामकाज की निगरानी संबंधी शक्तियाँ भी निहित हैं।

  • पिछले कुछ समय से रिज़र्व बैंक और केंद्र सरकार के बीच केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता के मसले को लेकर टकराव की स्थिति बनी हुई है। इसके मुख्य कारण हैं: गैर-निष्पादित आस्तियों की जाँच के संबंध में RBI की विफलता, सख्त मौद्रिक नीति के कारण अर्थव्यवस्था में तरलता की कमी की समस्या, RBI द्वारा बैंकिंग प्रणाली में सुधार हेतु किये गए सुधारात्मक उपाय, जिन्हें सरकार द्वारा बहुत सकारात्मक नहीं माना गया, आदि।



 



 

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