मुगल साम्राज्य 

मुगल साम्राज्य की शुरुवात अप्रैल, 1526 में इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच हुए पानीपत के युद्ध के बाद हुई थी। इस युद्ध में जीत के बाद भारत में दिल्ली सत्लनत के शासन का खात्मा हुआ और मध्यकालीन भारत में मुगल वंश की नींव रखी गई, जिसके बाद करीब 18 वीं शताब्दी, देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम तक मुगलों ने भारतीय उपमहाद्धीप पर राज किया था। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के आने तक भारत में मुगलों ने अपना शासन चलाया था।

मुगल साम्राज्य एक काफी कुशल, समृद्ध एवं संगठित सम्राज्य था। मुगल वंश का शासन, भारत के मध्ययुगीन इतिहास के एक युग परिवर्तन को प्रदर्शित करता है। मुगलकालीन भारत में ही कला, शिल्पकला का विकास हुआ। भारत में ज्यादातर खूबसूरत एवं ऐतिहासिक इमारतें मुगलकाल के समय में ही बनाईं गईं थी।

इन इमारतों में सांची के स्तूप, आगरा में स्थित दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल, दिल्ली का लालकिला, अजंता-एलोरा की गुफाएं, उड़ीसा के प्रसिद्ध मंदिर, खजुराहो के मंदिर, तंजौर की अद्भुत मूर्तिकला, शेरशाह सूरी का ग्रैंड ट्रंक रोड, बीजापुर का गोल गुंबद आदि शामिल हैं।

मुगल वंश के शासकों की सूची – List of Mughal Emperors in Hindi

शासक का नाम शासनकाल 
बाबर(30 अप्रैल 1526-26 दिसम्बर 1530)
हुमायूं(26 दिसम्बर 1530 – 17 मई 1540)
अकबर(27 जनवरी 1556 – 27 अक्टूबर 1605)
जहांगीर(27 अक्टूबर 1605 – 8 नवम्बर 1627)
शाहजहाँ(8 नवम्बर 1627 – 31 जुलाई 1658)
औरंगजेब(31 जुलाई 1658 – 3 मार्च 1707)
बहादुरशाह(19 जून 1707 – 27 फ़रवरी 1712)
जहांदार शाह(27 फ़रवरी 1712 – 11 फ़रवरी 1713)
फर्रुख्शियार(11 जनवरी 1713 – 28 फ़रवरी 1719)
मोहम्मद शाह(27 सितम्बर 1719 – 26 अप्रैल 1748)
अहमद शाह बहादुर(26 अप्रैल 1748 – 2 जून 1754)
आलमगीर द्वितीय(2 जून 1754 – 29 नवम्बर 1759)
शाह आलम द्वितीय(24 दिसम्बर 1760 – 19 नवम्बर 1806)
अकबर शाह द्वितीय(19 नवम्बर 1806 – 28 सितम्बर 1837)
बहादुर शाह द्वितीय(28 सितम्बर 1837 – 14 सितम्बर 1857)
 बाबर 
  • बाबर का जन्म 24 फ़रवरी 1483 ई में हुआ था.
  • बाबर के पिता उमरशेख मिर्जा फरगाना नामक छोटे राज्य के शासक थे.
  • बाबर फरगाना की गद्दी पर 8 जून, 1494 ई में बैठा तो तब उसकी उम्र केवल बारह वर्ष की थी। 
  • मंगोलों की दूसरी शाखा, उजबेगों के आक्रमण के कारण उसे अपनी पैतृक गद्दी छोड़नी पड़ी। अनेक वर्षों तक भटकने के बाद उसने 1504 में काबुल पर कब्जा कर लिया।
  • बाबर ने 1507 ई में बादशाह की उपाधि धारण की, जिसे अब तक किसी तैमूर शासक ने धारण नहीं की थी.
  • बाबर के चार पुत्र थे, हुमांयू, कामरान, असकारी तथा हिंदाल.
  • बाबर ने भारत पर पांच बार आक्रमण किया.
  • बाबर का भारत के विरुद्ध किया गया प्रथम अभियान 1519 ई युसूफ जाई जाति के विरुद्ध था. इस अभियान में बाबर ने बाजौर और भेरा को अपने अधिकार में कर लिया.
  • बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण पंजाब के शासक दौलत खां लोदी और मेवाड़ के शासक राणा साँगा ने दिया था.
        मुगल साम्राज्य में बाबर द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध – 
    1. पानीपत का प्रथम युद्ध21  अप्रैल, 1526 ई को इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच हुआ. जिसमे बाबर विजयी हुआ.
    2. खानवा का युद्ध–17 मार्च, 1527 ई को राणा साँगा और बाबर के बीच हुआ, जिसमे बाबर विजयी हुआ.
    3. चंदेरी का युद्ध–29 जनवरी, 1528 ई को मेदनी राय और बाबर के बीच हुआ, जिसमे बाबर विजयी हुआ.
    4. घाघरा का युद्ध–6 मई 1529 ई को अफगानों और बाबर के बीच हुआ, जिसमे बाबर विजयी हुआ.
  • पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने पहलीबार तुगलमा युद्ध नीति और तौपखाने का प्रयोग किया था.
  • उस्ताद अली और मुस्तफा बाबर के दो प्रसिद्ध निशानेबाज थे, उसने पानीपत के प्रथम युद्ध में भाग लिया था.
  • बाबर को अपनी उदारता के लिए कलंदर की उपाधि दी गई.
  • खानवा युद्ध में विजय के बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की थी.
  • करीब 48 वर्ष की आयु में सत्ताईस दिसम्बर 1530 ई को आगरा में बाबर की मृत्यु हो गई.
  • प्रारम्भ में बाबर के शव को आगरा के आराम बाग़ में दफनाया गया, बाद में काबुल में उसके द्वारा चुने गए स्थान पर दफनाया गया.
  • बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा की रचना की, जिसका अनुवाद बाद में फ़ारसी भाषा में अब्दुल रहीम खाखाना ने किया. बाबर की मातृभाषा तुर्की थी। 
  • बाबर को मुबईयान नामक पघयशैली का भी जन्मदाता माना जाता है.
  • बाबर प्रसिद्ध नक्शबंदी सूफी ख्वाजा उबैदुल्ला अहरार का अनुयायी था.
  • बाबर का उत्तराधिकारी हुमायूँ हुआ.
  • अपनी मृत्यु से पहले बाबर ने दिल्ली और आगरा में मुगल नियंत्रण स्थापित किया। 
 हुमायूँ

  • नसीरुद्दीन हुमायूँ, 29 दिसम्बर 1530 ई को आगरा में 23 वर्ष की अवस्था में सिंहासन पर बैठा.
  • दिल्ली की गद्दी पर बैठने से पहले हुमायू बदख्शां का सूबेदार था.
  • अपने पिता के निर्देश के अनुसार हुमायूँ ने अपने राज्य का बटवारा अपने भाइयों में कर दिया. इसमें मिर्जा कामरान को काबुल और कंधार, मिर्जा असकरी को सम्भल, मिर्जा हिंदाल को अलवर और मेवाड़ की जागीरे दी. अपने चचेरे भाई सुलेमान मिर्जा को हुमायूँ ने बदख्शां प्रदेश दिया. भाई मिर्जा कामरान की महत्त्वाकाँक्षाओं के कारण हुमायूँ अपने अफगान प्रतिद्वंद्वियों के सामने जूझना पड़ गया। 
  • 1533 ई में हुमायूँ ने दीनपनाह नामक नए नगर की स्थापना की थी.
  • चौसा का युद्ध 25 जून 1539 ई में शेर खाँ और हुमायूँ के बीच हुआ. इस युद्ध में ढेर खाँ विजयी रहा. इसी युद्ध के बाद शेर खाँ ने शेरशाह की पद्वी ग्रहण कर ली.
  • बिलग्राम या कन्नौज युद्ध 17 मई, 1540 ई में शेर खाँ और हुमायूँ के बीच हुआ. इस युद्ध में भी हुमायूँ पराजित हुआ. शेर खाँ ने आसानी से आगरा और दिल्ली पर कब्ज़ा कर लिया.
  • बिलग्राम युद्ध के बाद हुमायूँ सिंध चला गया, जहाँ उसने 15 वर्षो तक घुमक्कड़ों जैसा निर्वासित जीवन व्यतीत किया.
  • निर्वासन के समय हुमायूँ ने हिंदाल के आध्यात्मिक गुरु फारसवासी शिया मीर बाबा दोस्त उर्फ़ मीर अली अकबर जामी की पुत्री हमीदा बानू बेगम से 29 अगस्त 1541 ई को निकाह कर लिया. कालांतर में हमीदा से ही अकबर जैसे महान सम्राट का जन्म हुआ.
  • 1555 ई में हुमायूँ ने पंजाब के शूरी शासक सिकन्दर को पराजित कर पुन: दिल्ली की गद्दी पर बैठा.
  • मुगल साम्राज्य में हुमायूँ द्वारा लडे गए चार प्रमुख युद्ध: –
    1. देवरा 1531 ई.  
    2. चौसा 1539 ई.
    3. बिलग्राम 1540 ई. 
    4. सरहिंद का युद्ध 1555 ई.
  • शेर खाँ ने हुमायूँ को दो बार हराया। 1539 ई. में चौसा में और 1540 ई. में कन्नौज में। इन पराजयों ने उसे ईरान की ओर भागने को बाध्य किया।
  • 1 जनवरी 1556 ई. को दीन पनाह भवन में स्थित पुस्तकालय की सीढियों से गिरने के कारण हुमायूँ की मृत्यु हो गई
  • हुमायूँनामा की रचना गुल-बदन बेगम ने की थी.
  • हुमायूँ ज्योतिष में विश्वास करता था, इसलिए इसने सप्ताह के सातों दिन सात रंग के कपडें पहनने के नियम बनाये.  
 शेरशाह
  • सूर साम्राज्य का संस्थापक अफगान वंशीय शेरशाह सूरी था.
  • शेरशाह का जन्म 1472 ई में बजवाडा होशियारपुर में हुआ था.
  • इनके बचपन का नाम फरीद खाँ था. यह सुर वंश से सम्बंधित था.
  • इनके पिता हसन खाँ जौनपुर राज्य के अंतर्गत सासाराम के जमीदार थे.
  • फरीद ने एक शेर को तलवार के एक ही वार से मार दिया था. उसकी इस बहादुरी से प्रसन्न होकर बिहार के अफगान शासक सुल्तान मुहम्मद बहार खाँ लोहानी ने उसे शेर खाँ की उपाधि प्रदान की.
  • शेरशाह बिलग्राम युद्ध 1540 ई के बाद दिल्ली की गद्दी पर बैठा.
  • शेरशाह की मृत्यु कालिंजर के किले को जीतने के क्रम में 22 मई 1545 ई को हो गई. मृत्यु के समय वह उक्का नाम का आग्नेयास्त्र चला रहा था.
  • कालिंजर का शासक कीरत सिंह था.
  • शेरशाह का मकबरा सासाराम में झील के बीच ऊँचे टीले पर निर्मित किया गया है.
  • रोहतासंगढ किला, किला-ए-कुहना दिल्ली नामक मस्जिद का निर्माण शेरशाह के द्वारा किया गया था.
  • शेरशाह का उत्तराधिकारी उसका पुत्र इस्लाम शाह था.
  • शेरशाह ने भूमि की माप के लिए 32 अंकवाला सिकंदरी गज और सन की डंडी का प्रयोग किया.
  • शेरशाह ने 178 ग्रेन चाँदी का रुपया और 380 ग्रेन तांबे के दाम चलवाया.
  • शेरशाह ने रोहतासगढ़ के दुर्ग और कन्नौज के स्थान पर शेरसूर नामक नगर बसाया.
  • शेरशाह के समय पैदावार का लगभग 1/3 भाग सरकार लगान के रूप में वसूल करती थी.
  • कबूलियत और पट्टा प्रथा की शुरुआत शेरशाह ने की.
  • शेरशाह ने 1541 ई में पाटलिपुत्र को पटना के नाम से पुन: स्थापित किया.
  • शेरशाह ने ग्रैंड ट्रक रोड की मरम्मत करवाई.
  • मलिक मुहम्मद जायसी शेरशाह के समकालीन थे.
  • डाक प्रथा का प्रचलन शेरशाह के द्वारा किया गया.
अकबर
  • सम्राट अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 ई. का हमीदा बानू बेगम के गर्भ से अमरकोट के राणा वीर साल के महल में हुआ.
  • अकबर जब 13 वर्ष का था तब उसका राज्याभिषेक 14 फ़रवरी 1556 ई. को पंजाब के कलानौर नामक स्थान पर हुआ.
  • कई लोग जलालुद्दीन अकबर मुगल बादशाहों में महानतम मानते हैं क्योंकि उसने न केवल अपने साम्राज्य का विस्तार ही किया बल्कि इसे अपने समय का विशालतम, दृढ़तम और सबसे समृद्ध राज्य बनाकर सुदृढ़ भी किया। अकबर हिंदुकुश पर्वत तक अपने साम्राज्य की सीमाओं के विस्तार में सफल हुआ और उसने ईरान के सफावियों और तूरान (मध्य एशिया) के उजबेकों की विस्तारवादी योजनाओं पर लगाम लगाए रखी.
  • अकबर का शिक्षक अब्दुल लतीफ ईरानी विद्वान था.
  • वह जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर बादशाही गाजी की उपाधि से राजसिंहासन पर बैठा.
  • बैरम खाँ 1556 से 1560 ई. तक अकबर का संरक्षण रहा.
  • पानीपत की दूसरी लड़ाई 5 नवम्बर 1556 ई. को अकबर और हेमू के बीच हुई थी. इस युद्ध में अकबर विजयी हुआ.
  • मक्का की तीर्थ यात्रा के दौरान पाटन नामक स्थान पर मुबारक खाँ नामक युवक ने बैरम खाँ हत्या कर दी.
  • मई 1562 ई में अकबर ने हरम दल से अपने को पूर्णत: मुक्त कर लिया.
  • हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 ई को मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुआ. इस युद्ध में अकबर विजयी हुआ. इस युद्ध में मुग़ल सेना का नेतृत्व मान सिंह और आसफ खाँ ने किया था.
  • अकबर का सेनापति मानसिंह था.
  • महाराणा प्रताप की मृत्यु 57 वर्ष की उम्र में 19 फ़रवरी 1597 ई में हो गई.
  • गुजरात विजय के दौरान अकबर सर्वप्रथम पुर्तगालियों से मिला और यहीं उसने सर्वप्रथम समुद्र को देखा.
  • दीन-ए-इलाही धर्म का प्रथान पुरोहित अकबर था.
  • दीन-ए-इलाही धर्म स्वीकार करने वाला प्रथम और अंतिम हिन्दू शासक बीरबल था.
  • अकबर ने जैनधर्म के जैनाचार्य हरिविजय सूरि को जगतगुरु की उपाधि प्रदान की थी.
  • राजस्व प्राप्ति की जब्ती प्रणाली अकबर के शासनकाल में प्रचलित थी.
  • अकबर के दीवान राजा टोडरमल ने 1580 ई में दहसाल बंदोबस्त व्यवस्था लागू की.
  • अकबर के दरबार का प्रसिद्ध संगीतकार तानसेन था.
  • अकबर के दरबार के प्रसिद्ध चित्रकार अब्दुस्समद, दसवंत और बसावन था.
  • अकबर के शासनकाल के प्रमुख गायक तानसेन, बाजबहादुर, बाबा रामदास और बैजू बाबरे थे.
  • अकबर की शासन प्रणाली की प्रमुख विशेषता मनसबदारी प्रथा थी.
  • अकबर के समकालीन प्रसिद्ध सूफी संत शेख सलीम चिश्ती थे.
  • अकबर को सिकंदराबाद के निकट दफनाया गया.
  • स्थापत्यकला के क्षेत्र में अकबर की महत्पूर्ण कृतिया है – दिल्ली में हुमायूँ का मकबग आगरा का लालकिला, फतेहपुरा सिकरी में शाहिमहल, दीवाने खास, पंचमहल, बुलंद दरवाजा, जोधाबाई का महल, इबादत खाना, इलाहाबाद का किला और लाहौर का किला.

अकबर द्वारा जीते गए प्रदेश
प्रदेशशासकवर्षमुगल सेनापति
मालवाबाज बहादुर1561आधम खाँ, पीर मुहम्मद
चुनारअफगानों का शासन1562अब्दुल्ला खाँ
गोंडवानावीरनारायण एवं दुर्गावती1564आसफ खाँ
आमेरभारमल1562स्वेच्छा से अधीनता स्वीकारी
मेड़ताजयमल1562सरफुद्दीन
मेवाड़उदय सिंह एंव / राणा प्रताप1568 / 1576स्वयं अकबर / मान सिंह एवं आसफ खाॅं
कालिंजररामचन्द्र1569मजनू खाँ काकशाह
मारबाड़राव चन्द्रसेन1570स्वेच्छा से अधीनता स्वीकारी
जैसलमेररावल हरिराय1570स्वेच्छा से अधीनता स्वीकारी
बीकानेरकल्याणमल1570स्वेच्छा से अधीनता स्वीकार
गुजरातमुजफ्फर खाँ-III1571सम्राट अकबर
बिहार एवं बंगालदाउद खाँ1574-76मुनीम खाँ खानखाना
काबुलहकीम मिर्जा1581मानसिंह एवं अकबर
कश्मीरयुसुफ याकूब खाॅं1586भगवान दास एवं कासिम खाॅं
उड़ीसानिसार खाॅं1592मान सिंह
सिन्धजानी बेग1593अब्दुर्रहीम खानखाना
बलूचिस्तानपन्नी अफगान1595मीर मासूम
कन्धारमुजफ्फर हुसैन1595शाह बेग    

दक्षिण भारत के जीते गए प्रदेश

 

प्रदेश

शासक

वर्ष

मुगल सेनापति

खानदेश

अली खाँ

1591

स्वेच्छा से अधीनता स्वीकारी

दौलताबाद

चाँद बीबी

1599

मुराद, अब्दुर्रहीम खानखाना अबुलफजल, अकबर

अहमदनगर

बहादुर शाह चाँद बीबी

1600

-

असीरगढ़

मीरन बहादुर

1601

अकबर(यह अकबर का अंतिम अभियान था)

मुगल सम्राट अकबर के महत्वपूर्ण कार्यों की सूची:

कार्य

वर्ष (AD)

युद्ध के कैदियों को गुलाम बनाने, उनकी पत्नियों और बच्चों को बेचने, आदि की पुरानी प्रथा को प्रतिबंधित किया।

1562

अपने पालक माँ महामंगा की अगुवाई में हरम दल के नियंत्रण से मुक्त

1562

तीर्थयात्रा 'कर' समाप्त कर दिया

1563

जिज़िया 'कर' समाप्त कर दिया

1564

फतेहपुर सीकरी की स्थापना की और इसे अपनी राजधानी के रूप में विकसित किया

1571

इबादत खाना की स्थापना  (आराधना घर)

1575

इबादत खाने में सभी धर्मों के लोगों के प्रवेश की अनुमति

1578

मजहर की घोषणा

1579

दीन-ए-इलाही की स्‍थापना

1582

इलाही संवत की शुरुआत

1583

राजधानी लाहौर स्‍थानांतरित

1585

 मुगल बादशाह अकबर दरबार के नवरत्न:

  1. राजा बीरबल (मुगल सम्राट अकबर के मुख्य सलाहकार)
  2. सम्राट तानसेन (महान गायक)
  3. राजा मानसिंह (अकबर की सेना के प्रधान सेनापति)
  4. टोडरमल (मुगल सम्राट अकबर के वित्त मंत्री)
  5. अबुलफजल (महान दार्शनिक और साहित्यकार)
  6. फैजी (फारसी कवि)
  7. अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना (महान विद्दान और कवि)
  8. मुल्ला दो प्याजा (अकबर के सलाहकार )
  9. फकीर अजीउद्दीन (अकबर के रसोई घर के प्रधान)

राजा बीरबल (मुगल सम्राट अकबर के मुख्य सलाहकार और सर्वोच्च न्याय अधिकारी)

वर्ष 1528 में कालपी के एक ब्राह्णाण वंश में जन्में बीरबल, मुगल सम्राट अकबर के नवरत्नों में सबसे ज्यादा प्रसिद्द थे। अकबर अपनी वाक् पटुता और चतुराई के लिए जाने जाते थे। बीरबल एक योग्य वक्ता, और मशहूर कहानीकार थे, जिन्हें उनकी हाजिर जवाबी और हास्य चुटकुलों के कारण काफी पसंद किया जाता था। अकबर-बीरबल के रोचक किस्से आज भी काफी पसंद किये जाते हैं। बीरबल पहले एवं आखिरी हिन्दु राजा थे, जिन्होंने दीन-ए-इलाही धर्म को स्वीकार किया था।

बीरबल की योग्यता से प्रभावित होकर मुगल सम्राट अकबर ने उन्हें अपने दरबार में सर्वोच्च न्याय अधिकारी के पद पर नियुक्त किया था, और उन्हें कविराज और राजा की उपाधि प्रदान की थी, इसके साथ ही उन्हें 2000 का मनसब भी तोहफे के रुप में दिए थे।

दीन-ए-इलाही धर्म स्वीकार करने वाला प्रथम एवं अन्तिम हिन्दू शासक राजा बीरबल था । महेशदास नामक ब्राह्मण को राजा बीरबल की पदवी दी गयी थी जो हमेशा अकबर के साथ रहता था।

सम्राट अकबर युद्ध समेत अपने तमाम महत्वपूर्ण फैसले, अत्यंत बुद्दिजीवी राजा बीरबल की सलाह से लेते थे। आपको बता दें कि साल 1586 में युसुफजइयों के विद्रोह को दबाने के लिए गए बीरबल की हत्या कर दी गई थी, बीरबल की हत्या से सम्राट अकबर को गहरा सदमा पहुंचा था।

सम्राट तानसेन (महान गायक)

ग्वालियर में जन्में संगीत सम्राट तानसेन, अकबर के नौरत्नों में से एक थे। तानसेन का वास्तविक नाम रामतुन पाण्डेय था।उनके संगीत के मुगल सम्राट अकबर भी दीवाने थे। उनके अद्भुत और मधुर संगीत सुनकर अकबर मंत्रमुग्ध हो जाते थे।

मियां तानसेन की अद्भुत गायकी से प्रभावित होकर ही अकबर ने उन्हें अपने दरबार में प्रमुख स्थान दिया था और उन्हें ‘कण्ठाभरणवाणीविलास’ की उपाधि से भी नवाजा था। इसकी प्रमुख कृतियाँ-मियाँ का मल्हार, मियाँ की टोडी, मियाँ का सांरग, दरबारी कान्हरा आदि थी। तानसेन, अकबर के दरबार में आने से पूर्व रीवाँ के राजा रामचन्द्र के राजाश्रय में थे।

राजा मानसिंह (अकबर की सेना के प्रधान सेनापति)

अकबर के पसंदीदा दरबारियों में से एक राजा मानसिंह अपनी बुद्दिमत्ता और अद्भुत साहस के लिए काफी तारीफें बटोरते थे। वे राजस्थान के आम्बेर (जयपुर) के शासक थे और अकबर की विशाल सेना के प्रधान सेनापति थे।

राजा मानसिंह ने शहंशाह अकबर के मुगल सम्राज्य के विस्तार करने में काफी सहयोग दिया था। राजा मानसिंह से मिलने के बाद, सम्राट अकबर ने हिन्दुओं के प्रति अपना नजरिया बदल, उदारता का व्यवहार किया और जजिया कर को खत्म कर दिया था।

इसके साथ ही आपको बता दें कि बिहार, बंगाल और काबुल समेत तमाम प्रदेशों में राजा मानसिंह ने सैनिक अभियान भी चलाया था। 

राजा टोडरमल (मुगल सम्राट अकबर के राजस्व और वित्त मंत्री)

अकबर के नौरत्नों में से एक राजा टोडरमल वित्तीय मामलों के उच्च कोटि के जानकार थे, उन्हें वित्तीय मामलों में काफी अच्छा अनुभव था। उनकी इस प्रतिभा को देखकर मुगल सम्राट उन्हें काफी पसंद करते थे और इसलिए उन्होंने राजा टोडरमल को अपने दरबार में वित्त मंत्री के पद पर नियुक्त किया था।

आपको बता दें कि राजा टोडरमल ने भूमि पैमाइश के लिए दुनिया की पहली मापन प्रणाली भी तैयार की थी। इसके साथ ही राजा टोडरमल ने मुगल बादशाह अकबर के शासन-काल में भूमि बंदोबस्त, दहसाल बन्दोबस्त और मालगुजारी में कई प्रमुख सुधार किए थे।

अबुल फजल (महान दार्शनिक और साहित्यकार)

साल 1550 में जन्में अबुल फजल, एक महान साहित्यकार, इतिहासकार, लेखक, राजदूत, सेनानायक और दर्शनशास्त्र के विद्धान थे। वे वाद-विवाद में इतने तेज थे कि उनके सामने कोई टिक नहीं पाता था।

उनकी बुद्धिमत्ता और योग्यता से अकबर काफी प्रभावित थे, इसलिए अकबर ने उन्हें मुख्य सलाहकार और अपने मुख्य सचिव के तौर पर अपने दरबार में नियुक्त किया था। आपको बता दें कि अबुल फजल ने आइने अकबरी और अकबरनामा जैसे कई मुख्य ग्रन्थों की रचना की थी।

राज सिंहासन की चाहत में शहजादे सलीम ने, वीर सिंह बुंदेला के साथ मिलकर मुगलकालीन शिक्षा और साहित्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले अबुल फजल की हत्या की साजिश रची, और फिर साल 1602 में बुन्देला सरदार ने उनकी हत्या कर दी।

फैजी (फारसी कवि)

फैजी, अकबर के दरबार के मुख्य सलाहकार अबुल फजल के भाई थे, जो कि फारसी भाषा के विद्धान थे, उन्होंने फारसी भाषा में कई कविताएं भी लिखीं थी, उनके गुणों से प्रभावित होकर मुगल बादशाह अकबर ने उन्हें अपने पुत्र के लिए गणित शिक्षक के तौर पर नियुक्त करने के साथ अपने दरबार में उन्हें राज कवि के रुप में नियुक्त किया था।

आपको बता दें कि फैजी दीन-ए-इलाही धर्म के कट्टर समर्थक थे।

अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना (महान विद्दान और कवि)

अब्दुर्रहीम खान-ए- खाना, उच्च कोटि के विद्धान और कवि थे, जिन्हें अकबर के सबसे खास दरबारियों में से एक माना जाता था। अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना को फारसी ही नहीं बल्कि अरबी, हिन्दी, तुर्की, राजस्थानी और संस्कृत भाषाओं का भी अच्छा ज्ञान था।

अब्दुर्रहीम खान-ए- खाना ने ही तुर्की में लिखे बाबरनामा का फारसी भाषा में अनुवाद किया था। उनकी प्रतिभा से सम्राट अकबर काफी प्रभावित थे, इसलिए अकबर ने न सिर्फ उन्हें अपने दरबार के नौरत्नों में प्रमुख स्थान दिया बल्कि उन्हें खानखाना की उपाधि से भी सम्मानित किया।

मुल्ला दो प्याजा (अकबर के सलाहकार)

मुल्ला दो प्याजा, अकबर के दरबार में नौरत्नों में से एक थे, जिनका पूरा नाम अब्दुल हसन था और वे हुंमायूं के शासनकाल में भारत आए थे। अरब के रहने वाले मुल्ला दो प्याजा, सम्राट अकबर के मुख्य सलाहकार थे।

कहा जाता है कि उन्हें खाने में दो प्याज बेहद पसंद थी, इसलिए सम्राट अकबर ने उन्हें दो प्याजा की उपाधि प्रदान की थी, इसी के बाद वे मुल्ला दो प्याजा के नाम से प्रसिद्ध हुए थे।

फकीर अजीउद्दीन (अकबर के रसोई घर के प्रधान)

फकीर-अजुद्दीन, मुगल बादशाह अकबर के नौरत्नों में से एक थे। वे अकबर के दरबार के प्रमुख धार्मिक मंत्री, उनके प्रमुख सलाहकार और सूफी फकीर थे। उन्होंने कई महत्वपूर्ण विषयों पर उन्होंने मुगल सम्राट अकबर को धार्मिक सलाह दी थी।

दीन-ए-इलाही धर्म(1582):

दीन-ए-इलाही या तौहीद ए-इलाही था दैवी एकेश्वर- वाद अकबर द्वारा चलाया गया नया धर्म था। इसका प्रधान पुरोहित अकबर था इस धर्म को ग्रहण करने का दिन रविवार था। अकबर दीन-ए-इलाही की दीक्षा देता था। इस धर्म को ग्रहण करने वाले लोगों को बादशाह के पैरों को चूमना होता था। अभिवादन में अल्लाह-ओ-अकबर कहना पड़ता था। लोगों को मृत्यु भोज का आयोजन अपने जीवन काल में ही करना पड़ता था। इसमें प्रकाश का बहुत महत्व था।
दीन-ए-इलाही ज्यादा लोकप्रिय नही हुआ। प्रमुख हिन्दुओं में केवल बीरबल ने ही इसे अपनाया। स्मिथ ने लिखा है ’’दीन-ए-इलाही अकबर की भूल का स्मारक था उसकी बुद्धिमत्ता का नही।’’
1582 ई0 में अकबर ने एक नये सम्वत इलाही सम्बत (फसली सम्बत) को भी चलाया। यह सूर्य पर आधारित था। अकबर मृदंग अथवा नगाड़ा बजाता था।

  • अबुल फजल का बड़ा भाई फैजी अकबर के दरबार में राजकवि के पद पर आसीन था.

  • अबुल फजल ने अकबरनामा ग्रन्थ की रचना की. वह दीन-ए-इलाही धर्म का कट्टर समर्थक था.
  • बीरबल के बचपन का नाम महेश दास था.
  • संगीत सम्राट तानसेन का जन्म ग्वालियर में हुआ था. इसकी प्रमुख कृतियाँ थी, मियाँ की टोडी, मियाँ का मल्हार, मियाँ का सारंग आदि.
  • कंठाभरण वाणीविलास की उपाधि अकबर ने तानसेन को दी थी.
  • अकबर ने भगवान दास आमेर के राजा भारमल के पुत्र को अमीर-ऊल-ऊमरा की उपाधि दी.
  • 1602 ई में सलीम जहाँगीर के निर्देश पर दक्षिण से आगरा की और आ रहे अबुल फजल को रास्ते में वीर सिंह बुंदेला नामक सरदार ने हत्या कर दी.
  • मुगलों की राजकीय भाषा फ़ारसी थी.
  • अकबर ने अनुवाद विभाग की स्थापना की। नकीब खाँ, अब्दुल कादिर बदायूंनी तथा शेख सुल्तान ने रामायण एवं महाभारत का फारसी अनुवाद किया व महाभारत का नाम ‘रज्जनामा’ रखा। 
  • पंचतंत्र का फारसी भाषा में अनुवाद अबुल फजल ने अनवर-ए-सादात नाम से तथा मौलाना हुसैन फैज ने यार-ए-दानिश नाम से किया.
  • अकबर के काल को हिंदी साहित्य का स्वर्णकाल कहा जाता है.
  • बुलंद दरवाजा का निर्माण अकबर ने गुजरात विजय के उपलक्ष्य में करवाया था.
  • अकबर ने शौरी कलम की उपाधि अब्दुससमद को और जड़ी कलम की उपाधि मुहम्द्द हुसैन कश्मीरी को दिया.
शाहजहाँ 


  • जहाँगीर के बाद सिंहासन पर शाहजहाँ बैठा.
  • जौधपुर के शासक मोटा राजा उदय सिंह की पुत्री जगत गोसाई के गर्भ से 5 जनवरी 1592 ई को खुर्रम शाहजहाँ का जन्म लाहौर में हुआ था.
  • 1612 ई में खुर्रम का विवाह आसफ खाँ की पुत्री अरजुमंद बानो बेगम से हुआ, जिसे शाहजहाँ ने मिलिका-ए-जमानी की उपाधि प्रदान की. 1631 ई में प्रसव पीड़ा के कारण उसकी मृत्यु हो गई.
  • 24 फ़रवरी 1628 ई को शाहजहाँ आगरे में अबुल मुज्जफर शहाबुद्दीन मुहम्मद साहिब किरन-ए-सानी की उपाधि प्राप्तकर सिंहासन पर बैठा.
  • शाहजहाँ ने आसफ खाँ को वजीर पद प्रदान किया.
  • इसने नूरजहाँ को दो लाख रुपए प्रतिवर्ष की पेंशन देकर लाहौर जाने दिया, जहाँ 1645 ई में उसकी मृत्यु हो गई.
  • अपनी बेगम मुमताज महल की याद में शाहजहाँ ने ताजमहल का निर्माण आगरे में उसकी कब्र के ऊपर करवाया.
  • ताजमहल का निर्माण करनेवाला मुख्य स्थापत्य कलाकार उस्ताद अहमद लाहौरी था.
  • मयूर सिंहासन का निर्माण शाहजहाँ ने करवाया था. इसका मुख्य कलाकार वे बादल खाँ था.
  • शाहजहाँ के शासनकाल को स्थापत्यकला का स्वर्णयुग कहा जाता है. शाहजहाँ द्वारा बनवाई गई प्रमुख इमारते है. दिल्ली का लालकिला, दीवाने आम, दीवाने खास, दिल्ली जामा मस्जिद, आगरा मोती मस्जिद, ताजमहल आदि.
  • शाहजहाँ ने 1638 ई ने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली लाने के लिए यमुना नदी के दाहिने तट पर शाहजहाँनाबाद की नीव डाली.
  • आगरे के जामा मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ की पुत्री जहाँआरा ने करवाई.
  • शाहजहाँ के दरबार के प्रमुख चित्रकार मुहम्मद फ़क़ीर और मीर हासिम थे.
  • शाहजहाँ ने संगीतज्ञ लाल खाँ को गुण समंदर की उपाधि दी थी.
  • शाहजहाँ के पुत्रों में दाराशिकोह सर्वाधिक विद्वान था. इसने भगवदगीता, योगवशिष्ट उपनिषद और रामायण का अनुवाद फ़ारसी में करवाया. इसने सर्र-ए-अकबर महान रहस्य नाम से उपनिषदों का अनुवाद करवाया था.
  • शाहजहाँ ने दिल्ली में एक कॉलेज का निर्माण और दार्रुल बका नामक की मरम्मत कराई.
  • शाहजहाँ के पुत्रों के बीच उत्तराधिकारी का युद्ध 1657 ई में शुरु हुआ.
  • 18 जून 1658 को औरंगजेब ने शाहजहाँ को बंदी बना लिया.
  • 25 अप्रैल 1658 ई में द्वारा और औरंगजेब के बीच धरमट का युद्ध हुआ. इस युद्ध में दारा की पराजय हुई.
  • सामुगढ़ का युद्ध 8 जून 1658 को द्वारा और औरंगजेब के बीच हुआ. इस युद्ध में भी दारा की हार हुई.
  • उत्तराधिकारी का अंतिम युद्ध देवराई की घाटी में 12 से 14 अप्रैल 1659 ई को हुआ. इस युद्ध में दारा के पराजित होने पर उसे इस्लाम धर्म की अवहेलना करने के अपराध में 30 अगस्त 1659 ई हत्या कर दी गई.
  • शाह बुलंद इकबाल के रूप में दारा शिकोह जाना जाता है.
  • आगरे के किले में अपने कैदी जीवन के आठवे वर्ष अर्थात 31 जनवरी 1666 ई को 74 वर्ष की अवस्था में शाहजहाँ की मृत्यु हो गई.
औरंगजेब 


  • औरंगजेब का इतिहास उसके जन्म से है औरंगजेब  का जन्म 3 नवम्बर 1618 ई के दोहाद नामक स्थान पर हुआ था.
  • औरंगजेब के बचपन का अधिकांश समय नूरजहाँ के पास बिता.
  • 18 मई 1637 ई को फारस के राजघराने की दिलरास बानो बेगम के साथ औरंगजेब का निकाह हुआ.
  • आगरा पर कब्ज़ा कर जल्दबाजी में औरंगजेब में अपना राज्याभिषेक अबुल मुजफ्फर मुहउद्दीन मुजफ्फर औरंगजेब बहादुर आलमगीर की उपाधि से 31 जुलाई 1658 को करवाया.
  • देवराई के युद्ध में सफल होने के बाद 15 मई 1659 को औरंगजेब ने दिल्ली में प्रवेश किया और शाहजहाँ महल में जून 1659 को दूसरी बार राज्याभिषेक करवाया.
  • औरंगजेब के गुरु थे – मीर मुहम्मद हकीम
  • औरंगजेब सुन्नी धर्म को मानता था, उसे जिन्दा पीर कहा जाता था.
  • इस्लाम नहीं स्वीकार करने के कारण सिक्खों के 9 वे गुरु तेगबहादुर की हत्या औरंगजेब ने करवा दी थी.
  • जय सिंह और शिवाजी के बीच पुरंदर की संधि 22 जून 1665 ई को सम्पन्न हुई.
  • 22 मई 1666 ई को आगरे के किले के दीवाने आम में औरंगजेब के समक्ष शिवाजी उपस्थित हुए. यहाँ शिवाजी को कैद कर जयपुर भवन में रखा गया.
  • औरंगजेब ने 1679 ई में जाजिया कर को पुन: लागू किया.
  • औरंगजेब ने बीबी का मकबरा का निर्माण 1679 ई में औरंगाबाद महाराष्ट्र में करवाया.
  • 1686 ई में बीजापुर और 1697 में गोलकुंडा को औरंगजेब में मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया.
  • मदन्ना और अकन्ना नामक ब्राह्मणों का सम्बंध गोलकुंडा के शासक अबुल हसन से था.
  • औरंगजेब एक समय हुए जाट विद्रोह का नेतृत्व गोकुला और राजाराम ने किया था.
  • भरतपुर राजवंश की नीव औरंगजेब के शासनकाल में जाट नेता और राजाराम के भतीजा चुरामन ने डाली.
  • औरंगजेब के समय में हिन्दू मन सबदारों की संख्या लगभग 337 थी, जो अन्य मुग़ल सम्राटों की तुलना में अधिक थी.
  • औरंगजेब का पुत्र अकबर ने दुर्गादास के बहकावे में आकर अपने पिता के खिलाफ विद्रोह किया.
  • औरंगजेब ने कुरान को अपने शासन का आधार बनाया. इसने सिक्के पर कलमा खुदवाना नवरोज का त्यौहार मनाना, भाग की खेती करना, गाना-बजाना, झरोखा दर्शन, तुलदान प्रथा आदि पर प्रतिबन्ध लगा दिया.
  • औरंगजेब ने 1699 ई में हिन्दू मंदिरों को तौड़ने का आदेश दिया.
  • औरंगजेब की मृत्यु 4 मार्च 1707 ई को हुई, इसे दौलताबाद में स्थित फ़क़ीर बुहरानुद्दीन की कब्र के अहाते में दफना दिया गया.
  • औरंगजेब के समय सूबों की संख्या 20 थी.
  • औरंगजेब दारुल हर्ब  को दारुल इस्लाम में परिवर्तित करने को अपना महत्वपूर्ण लक्ष्य मानता था.

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