बैंकिंग क्षेत्र की प्रचलित शब्दावली
बैंक दर : जिस सामान्य ब्याज दर पर रिजर्व बैंक द्वारा वाणिज्य बैंकों को पैसा उधार दिया जाता है, बैंक दर कहलाती है। इसके माध्यम से रिजर्व बैंक द्वारा साख नियंत्रण किया जाता है। वर्तमान में बैंक दर 4.25% है।
रेपो रेट : अल्पकालिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु जिस ब्याज दर कॉमर्शियल बैंक रिजर्व बैंक से नकदी ऋण प्राप्त करते है, 'रेपो रेट' कहलाती है। दूसरे शब्दों में बैंक को अपनी जरूरत या रोजमर्रा के कामकाज के लिए काफी रकम की जरूरत पड़ती है. इसके लिए बैंक भारतीय रिजर्व बैंक से कर्ज लेते हैं. बैंक इस लोन पर रिजर्व बैंक को जिस दर ब्याज चुकाते हैं, उसे रेपो रेट कहते हैं.
रिवर्स रेपो दर : अल्पकालिक अवधि के लिए रिजर्व बैंक द्वारा कॉमर्शियल बैंकों से जिस ब्याज दर पर नगदी प्राप्त की जाती है, 'रिवर्स रेपों दर' कहलाती है।
बचत बैंक दर : बैंक ग्राहक की छोटी-छोटी बचतों पर बैंक द्वारा दी जाने वाली ब्याज दर को बचत बैंक दर कहा जाता है।
नकद आरक्षित अनुपात(सी.आर.आर.) : किसी वाणिज्यिक बैंक में कुल जमा राशि का वह प्रतिशत भाग जिसे रिजर्व बैंक के पास अनिवार्य रूप से जमा करना पडता है, नकद आरक्षित अनुपात कहा जाता है। दूसरे शब्दों में देश में में कामकाज कर रहे बैंकों के लिए कुछ दिशा निर्देश बनाए गए हैं. ये नियम रिजर्व बैंक ने बनाये हैं. बैंकिंग नियमों के तहत हर बैंक को अपने कुल कैश रिजर्व का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना ही होता है. इसे कैश रिजर्व रेश्यो अथवा नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) कहते हैं. वर्तमान में नकद आरक्षित अनुपात दर 4.00% है।
वैधानिक तरलता अनुपात (एस.एल.आर.) : किसी भी वाणिज्यिक बैंक में कुल जमा राशि का वह प्रतिशत भाग जो नकद स्वर्ण व विदेशी मुद्रा के रूप में उसें अपने पास अनिवार्य रूप से रखना पडता है वैधानिक तरलता अनुपात कहलाता है। रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में नकदी की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए जिन उपायों का सहारा लेता है उनमें एसएलआर एक महत्वपूर्ण उपाय है. वर्तमान में वैधानिक तरलता अनुपात दर 18.00% है।
प्राइस लैडिंग रेट (पी.एल.आर.) : किसी बैंक के लिए प्राइम लैडिंग रेट वह ब्याज दर है, जिस पर बैंक उस ग्राहक को जिसके संबंध में जोखिम शून्य है, को ऋण देने को तैयार है। यह दर एक तरह से आधार दर के रूप में कार्य करती है जिसका ध्यान में रखकर अन्य उद्यमियों के संबंध में बैंक अपनी ब्याज दर निर्धारित करता है।
आधार दर प्रणाली (बेस रेट) : आरबीआई ने पीएलआर आधारित उधार देय प्रणाली के स्थान पर जुलाई 2010 से आधार दर प्रणाली लागू किया है। इसकी गणना लागत आधारित सूत्र से की जाएगी यह पीएलआर से कम होगा तथा कोई भी बैंक इससे नीची दर पर किसी को उधार नहीं देगा। दूसरे शब्दों में आधार दर वह ब्याज दर है जिससे कम दर पर कोई भी अनुसूचित बैंक अपने ग्राहकों को कोई भी ऋण प्रदान नहीं करेंगे।
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