ज्वार-भाटा(Tides)
चंद्रमा एवं सूर्य के आकर्षण के कारण दिन में एक बार या दो बार समुद्र तल का नियतकालिक उठने या गिरने को ज्वारभाटा कहा जाता है। सागरीय जल के ऊपर उठकर आगे बढ़ने को ज्वार तथा सागरीय जल को नीचे गिरकर पीछे लौटने को भाटा कहते है।
महासागरों और समुद्रो में ज्वार भाटा के लिए उत्तरदायी कारक-
1-सूर्य के गुरुत्वाकर्षण
2-पृथ्वी का अपकेन्द्रीय बल है, जो कि गुरुत्वाकर्षण को संतुलित करता है।
3-चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण
पृथ्वी पर प्रत्येक स्थान पर प्रतिदिन 12 घण्टे 26 मिनट के बाद ज्वार तथा ज्वार के 6 घण्टा 13 मिनट बाद भाटा आता है।
ज्वार प्रतिदिन दो बार आता है-एक बार चन्द्रमा के आकर्षण से और दूसरी बार पृथ्वी के अपकेन्द्रीय बल के कारण।
ज्वार-भाटा के महत्वपूर्ण तथ्यः-
- सामान्यतः ज्वार प्रतिदिन दो बार आता है किन्तु इंग्लैण्ड के दक्षिणी तट पर स्थित साउथैप्टन में ज्वार प्रतिदिन चार बार आते है।
- विश्व का सबसे ऊँचा ज्वार-भाटा कनाडा के नवास्कोशिया में स्थित फंडी की खाड़ी में आता है।
- अमावस्या और पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा, सूर्य एवं पृथ्वी एक सीध में होते है। अतः इस दिन उच्च ज्वार उत्पन्न होता है।
- जब सूर्य और चन्द्रमा पृथ्वी के केन्द्र पर समकोण बनाते है इस स्थिति में सूर्य और चन्द्रमा के आकर्षण बल एक-दूसरे को संतुलित करने के प्रयास में प्रभावहीन हो जाते है। अतः इस दिन निम्न ज्वार उत्पन्न होता है।
- चन्द्रमा का ज्वार-उत्पादक बल सूर्य की अपेक्षा दुगुना होता है, क्योंकि यह सूर्य की तुलना में पृथ्वी के अधिक निकट है।
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