चक्रवात एवं प्रतिचक्रवात(Cyclones & Anticyclone)
चक्रवात-केन्द्र में कम दाब बनने पर बाहर की ओर दाब बढता जाता है। इस अवस्था में हवाएँ बाहर से भीतर की ओर चलती है। इसे ही ‘चक्रवात’ कहा जाता है। वायु वेग और वायु दिशा चक्रवात के तापमान और आर्द्रता में वृद्धि करने वाले कुछ कारक हैं। चक्रवात को विश्व के विभिन्न भागों में भिन्न-भिन्न नाम से जाना जाता है। अमेरिकी महाद्वीप में इसे हरिकेन कहते हैं। फिलीपीन्स और जापान में यह टाइफून कहलाता है।
चक्रवात की चलने की दिशा:-
दक्षिणी गोलार्द्ध में इसकी चलने की दिशा घडी की सुईयों की अनुकूल दिशा (Clockwise) में होती है और उत्तरी गोलार्द्ध में चक्रवात की दिशा घड़ी की सुईयों के विपरीत (Anticlockwise) होती है।
हरिकेन -हरिकेन अटलांटिक महासागर से उठने वाला तूफान है। हरिकेन जलीय तूफान है जो पानी की सतह से उठते हैं। इसकी गति 121 किमी/घंटा होती है।
टाइफून-टाइफून प्रशान्त महासागर से उठने वाला तूफान है। टाइफून जलीय तूफान है जो पानी की सतह से उठते हैं। इसकी गति 160 किमी/घंटा होती है।
टॉरनेडो-टॉरनेडो जमीन एवं जलीय पर उठने वाले तूफान को कहते हैं। आस्ट्रेलिया एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के मिसीसिपी इलाको में इस तूफान को ‘टॉरनेडो’ कहा जाता है। वैसे तो हर तूफान अपने साथ बर्बादी लाता है फिर भी हरिकेन और टायफून के मुकाबले, टॉरनेडो कम बर्बादी मचाता है। टॉरनेडो जब आता है तो यह फनल के आकार जैसा दिखता है। अमेरिका में टॉरनेडो को बोलचाल की भाषा में ट्विस्टर भी कहा जाता है। इसकी गति 325 किमी/घंटा होती है।
विली-विलीज-विली-विलीज पश्चिमी आस्ट्रेलिया से उठने वाला तूफान है। विली-विलीज जलीय तूफान है जो पानी की सतह से उठते हैं।
प्रतिचक्रवात-केन्द्र में अधिक दाब बनने पर केन्द्र से हवाएँ बाहर की ओर चलती है। ‘प्रतिचक्रवात’ कहा जाता है।
दक्षिणी गोलार्द्ध में इसकी चलने की दिशा घडी की सुईयों के विपरीत दिशा (Anticlockwise)में होती है और उत्तरी गोलार्द्ध में चक्रवात की दिशा घड़ी की सुईयों के अनुकूल दिशा(Clockwise) में होती है।
चक्रवात में हवा केन्द्र की तरफ आती है और ऊपर उठकर ठंडी होती है और वर्षा कराती है, जबकि प्रतिचक्रवात में मौसम साफ होता है।
हवा जब तूफानी तरीके से घेरा बनाकर चलती है तो उसे सायक्लोन कहते हैं। भारत के तटीय प्रदेशों में साइक्लोन आते रहते है।
भारत में चक्रवात-भारत की संपूर्ण तटरेखा विशेष रूप से पूर्वी तट चक्रवातों के लिए संवेदनशील हैं, जबकि भारत का पश्चिमी तट चक्रवातों की प्रबलता और आवृत्ति दोनों ही संदर्भों में अपेक्षाकृत कम संवेदनशील है।
उपग्रहों और राडार की उपलब्ध्ता से अब यह संभव हो गया है कि किसी भी संभावित झंझा के 48 घंटे पहले ही चक्रवात आने की सूचना जारी कर दी जाती है और चक्रवात चेतावनी भी कम से कम 24 घंटे पहले जारी कर दी जाती है। जब चक्रवात तट के निकट होता है, तो हर घंटे अथवा आधे घंटे पर उसकी प्रगति और दिशा के बारे में संदेश प्रसारित किए जाते हैं।
भारत में चक्रवात चेतावनी केन्द्र विशाखापट्टनम में स्थित है।
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