भारत में उद्योग

आधुनिक समय में जो अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं। ये उद्योग-धंधे एक बड़ी संख्या में श्रमिकों को रोजगार प्रदान करते हैं और कुल राष्ट्रीय संपत्ति/आय में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।

उद्योगों का वर्गीकरण:-उद्योगों का वर्गीकरण कच्चा माल, आकार और स्वामित्व के आधार पर किया जा सकता है।

कच्चा माल : कच्चे माल के उपयोग के आधार पर उद्योग कृषि आधारित, खनिज आधारित, समुद्र आधारित और वन आधारित हो सकते हैं। 

कृषि आधारित उद्योग कच्चे माल के रूप में वनस्पति और जंतु आधारित उत्पादों का उपयोग करते हैं। खाद्य संसाधन, वनस्पति तेल, सूती वस्त्र, डेयरी उत्पाद और चर्म उद्योग कृषि आधारित उद्योगों के उदाहरण हैं।

खनिज आधारित उद्योग प्राथमिक उद्योग हैं जो खनिज अयस्कों का उपयोग कच्चे माल के रूप में करते हैं। यह कई अन्य उत्पादों के विनिर्माण के लिए कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त किया जाता है जैसे भारी मशीनों, भवन निर्माण सामग्री तथा रेल के डिब्बे बनाने में।

समुद्र आधारित उद्योग सागरों और महासागरों से प्राप्त उत्पादों का उपयोग कच्चे माल के रूप में करते हैं। समुद्री खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और मत्स्य तेल निर्माण इसके कुछ उदाहरण हैं। 

वन आधारित उद्योग वनों से प्राप्त उत्पाद का उपयोग कच्चे माल के रूप में करते हैं। लुगदी एवं कागज, औषधी रसायन, फर्नीचर और भवन निर्माण वनों से संबंधित उद्योग हैं।

आकार : उद्योग के आकार का तात्पर्य निवेश की गई पूँजी की राशि, नियोजित लोगों की संख्या और उत्पादन की मात्रा से है। आकार के आधार पर उद्योगों को दो भागों में बाँटा जा सकता है  (1)लघु आकार  के उद्योग(2)बृहत आकार के उद्योग।

स्वामित्व : स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को 4 क्षेत्रों (1)निजी क्षेत्र (2)राज्य स्वामित्व अथवा सार्वजनिक क्षेत्र(3)संयुक्त क्षेत्र (4) सहकारी क्षेत्र में वर्गीकृत किया गया है। 

निजी क्षेत्र के उद्योगों का स्वामित्व और संचालन या तो एक व्यक्ति द्वारा या व्यक्तियों के समूह द्वारा किया जाता है। 

सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों का स्वामित्व और संचालन सरकार द्वारा होता है जैसे हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड और स्टील ऑथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड। 

संयुक्त क्षेत्र के उद्योगों का स्वामित्व और संचालन राज्यों और व्यक्तियों अथवा व्यक्तियों के समूह द्वारा होता है। मारुति उद्योग लिमिटेड संयुक्त क्षेत्र के उद्योग का एक उदाहरण है। 

सहकारी क्षेत्र के उद्योगों का स्वामित्व और संचालन कच्चे माल के उत्पादकों या पूर्तिकारों, कामगारों अथवा दोनों द्वारा होता है। आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड एवं सुधा डेयरी सहकारी उपक्रम के उदाहरण है।

उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारक वे कारकः

जो उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करते हैं, कच्चे माल की उपलब्धता, भूमि, जल, श्रम, शक्ति, पूँजी, परिवहन और बाजार हैं। उद्योग उन्हीं स्थानों पर केंद्रित होते हैं जहाँ इनमें से कुछ या ये सभी कारक आसानी से उपलब्ध होते हैं। कभी-कभी सरकार कम दाम पर विद्युत उपलब्धता, कम परिवहन लागत तथा अन्य अवसंरचना जैसे प्रोत्साहन प्रदान करती है ताकि पिछडे़ क्षेत्रों में भी उद्योग स्थापित किया जा सके। औद्योगीकरण से प्रायः नगरों और शहरों का विकास एवं वृद्धि होती है।

खनिज:-खनिज दो प्रकार के होते है।(1)अधात्विक(2)धात्विक

अधात्विक: हीरा, संगमरमर, चूना पत्थर, ग्रेनाइट, अभ्रक, जिप्सम, गंधक, पाइराइट, एस्बेस्टस

धात्विक: 1.अलौह 2.लौह

अलौह: तांबा,  एल्युमीनियम, टिन,  सीसा,  चांदी, प्लेटिनम , जिंक

लौह: लौह अयस्क, मैंगनीज,  क्रोमियम, निकेल, कोबाल्ट, टंगस्टन 

भारत के प्रमुख उद्योग (Important Industries in India)


लौह एवं इस्पात उद्योग (Iron and Steel Industry)

देश का पहला लौह इस्पात कारखाना वर्ष  1874  कुल्टी (आसनसोल, पश्चिम बंगाल) नामक स्थान पर बंगाल आयरन वर्क्स के रूप में स्थापित किया गया था।

भारत में बड़े पैमाने पर लौह इस्पात का सबसे पहला का कारख़ाना 1907 में झारखण्ड राज्य में साकची नामक स्थान पर जमशेदजी टाटा द्वारा स्थापित किया गया गया था।

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत इस पर काफ़ी ध्यान दिया गया और वर्तमान में 7 कारखानों द्वारा लौह इस्पात का उत्पादन किया जा रहा है।
लौह अयस्क के कुल आरक्षित भंडारों का लगभग 95 प्रतिशत भाग ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, गोआ,आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु राज्यों में स्थित हैं।
हमारे देश में इस अयस्क के दो प्रमुख प्रकार- हेमेटाइट तथा मैग्नेटाइट पाए जाते हैं।

स्वतंत्रता के पूर्व स्थापित लोहा इस्पात कारखाना

भारतीय लौह इस्पात कंपनी -पश्चिम बंगाल की दामोदर नदी घाटी में हीरापुर (बाद में इसे बर्नपुर कहा गया) नामक स्थान पर वर्ष 1918 ई. में इसकी स्थापना की गई थी। यहां 1922 ई. से उत्पादन शुरू हुआ आगे चलकर कुल्टी, बर्नपुर तथा हीरापुर स्थित संयंत्रों को इसमें मिला दिया गया।

मैसूर आयरन एंड स्टील वर्क्स -1923 ईस्वी में मैसूर राज्य (वर्तमान कर्नाटक) के भद्रावती नामक स्थान पर स्थापित की गई थी इसका वर्तमान नाम विश्वेश्वरैया आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड है।

स्टील कॉरपोरेशन ऑफ बंगाल -इसकी स्थापना 1937 बर्नपुर (पश्चिम बंगाल) में की गई थी। बाद में 1953 ई. में इसे भारतीय लौह-इस्पात कंपनी में मिला दिया गया था।


दूसरी पंचवर्षीय योजना काल(1956-61) में स्थापित कारखाना

भिलाई इस्पात संयंत्र:-इसकी स्थापना 1955 ई. में तत्कालीन मध्य प्रदेश के भिलाई (छत्तीसगढ़) में पूर्व सोवियत संघ(रूस) की सहायता से की गई थी।

हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड, दुर्गापुर:-इसकी स्थापना 1956 ईस्वी. में पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर(पश्चिम बंगाल) नामक स्थान पर ब्रिटेन की सहायता से की गई थी। 

हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड, राउरकेला:-इसकी स्थापना 1959 ईस्वी. में  ओडिशा  के राउरकेला नामक स्थान पर पश्चिमी जर्मनी की सहायता से की गई थी। 

तृतीय पंचवर्षीय योजना काल में स्थापित कारखाना
बोकारो स्टील प्लांट- इसकी स्थापना 1964 में तत्कालीन बिहार राज्य (अब झारखण्ड) के बोकारो नामक स्थान पर पूर्व सोवियत संघ (रूसकी सहायता से की गई थी।

चौथी पंचवर्षीय योजना काल में स्थापित कारखाना

सलेम इस्पात सयंत्र: सलेम (तमिलनाडु)
विशाखापत्तन इस्पात सयंत्र: विशाखापट्नम (आंध्र प्रदेश)
विजयनगर इस्पात सयंत्र: हास्पेट वेलारी जिला (कर्नाटक)

स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (SAIL):स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इण्डिया लिमिटेड (सेल) भारत में इस्पात निर्माण में लगी एक प्रमुख कंपनी है। यह पूर्णतः एकीकृत लोहे और इस्पात का सामान तैयार करती है। कंपनी में घरेलू निर्माण, इंजीनियरी, बिजली, रेलवे, मोटरगाड़ी और सुरक्षा उद्योगों तथा निर्यात बाजार में बिक्री के लिए मूल तथा विशेष, दोनों तरह के इस्पात तैयार किए जाते हैं।

स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (सेल) की स्थापना 24 जनवरी, 1973 को हुई। भारत इस्पात प्रधिकरण (स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया) को भिलाई,  राउरकेला, बर्नपुर, दुर्गापुर, बोकारो,सलेम एंव विश्वेश्वरैया लौह इस्पात कारखाना को एक साथ मिलाकर संचालन करने की जिम्मेदारी दी गई।

वर्ष 2014 में भारत चीन, जापान तथा अमेरिका के बाद विश्व का चौथा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश है।
स्पंज आयरन के उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है।

भारत का पहला तटवर्ती इस्पात कारखाना विशाखापट्नम (आंध्र प्रदेश) में लगाया गया।

कोयला उद्योग(Coal Industry)

भारत में वाणिज्यिक कोयला खनन का इतिहास लगभग 220 वर्ष पुराना है जिसकी शुरूआत दामोदर नदी के पश्चिमी तट पर स्थित रानीगंज(पश्चिम बंगाल) कोलफील्ड में ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा 1774 को की गयी थी। 
वर्ष 1973 में भारत में कोयले के राष्ट्रीकरण के बाद वर्ष 1975 में कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Limited- CIL) की स्थापना की गई थी।  
 भारत दुनिया का दूसरा बड़ा कोयला उत्पादक है और कोयला भंडार के मामले में 5 वां बड़ा देश है(स्रोत-कोयला मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट-दिसम्बर, 2020)
देश उत्पादित कुल विद्युत का लगभग 50% से अधिक कोयला आधारित इकाइयों से ही आती है 
वर्तमान में देश के कुल कोयला उत्पादन में कोल इंडिया लिमिटेड की भागीदारी लगभग 82% है।  
वर्ष 2006-07 में भारत सरकार के सार्वजनिक उद्यम विभाग द्वारा CIL को ‘मिनीरत्न’ (Mini Ratna), वर्ष 2008-09 में ‘नवरत्न’ (Navratna) और अप्रैल 2011 में इसे ‘महारत्न’ (Maharatna) कम्पनी का दर्जा दिया गया था। 
लिग्नाइट को ‘भूरा कोयला’ भी कहते हैं।
एन्थ्रेसाइट कोयला उच्चकोटि का होता है। 
भारत में कोयला के उत्पादन में प्रमुख राज्य झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा है।

कोयला को काला सोना भी कहा जाता है। 


एल्युमीनियम उद्योग(Aluminum Industry) 

भारत में एल्युमीनियम का पहला कारखाना वर्ष 1937 में पश्चिम बंगाल में आसनसोल के निकट जे0के0 नगर में स्थापित किया गया था। 
हिंदुस्तान एल्युमिनियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HINDALCO)- इसकी स्थापना कनाडा के सहयोग से  1958 में रेणुकूट, उत्तर प्रदेश में की गयी।
नेशनल एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (NALCO)- इसकी स्थापना 1981 में फ्रांस के सहयोग से ओडिशा के कोरापुट ज़िले में की गयी।
वेदांता समूहः इसकी स्थापना जर्मनी के सहयोग से छत्तीसगढ़ के कोरबा और ओडिशा के झारखुगुडा में संयंत्र स्थापित हैं।
भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (BALCO)- यह संयंत्र छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में, कोरबा नामक स्थान पर स्थित है। इस संयंत्र को बॉक्साइट मध्य प्रदेश के अमरकंटक से एवं बिजली, कोरबा ताप विद्युत संयंत्र से प्राप्त होती है।

एलुमिनियम उद्योग

कंपनी 
सहायक देश 
प्रमुख केंद्र 
बाल्को 
सोवियत संघ 
कोरबा एवं कोयना 
नाल्को 
फ़्रांस 
दामनजोड़ी (ओडिशा)
हिंडाल्को 
अमेरिका 
रेणुकूट (उत्तर प्रदेश)
इंडाल्को 
कनाडा 
JK नगरी, मूर्ति,  अल्वाय 
माल्को 
इटली 
चेन्नई, मैटूर, सलेम
वेदांता 
जर्मनी 
झारसुगुड़ा (ओडिशा)

एल्युमिनियम उत्पादन करने में भारत का विश्व में आठवां स्थान है।

सूती वस्त्र उद्योग(Cotton Textile Industry)

सूती वस्त्र उद्योग भारत का सबसे प्राचीन एवं बड़ा उद्योग है। यह देश का सबसे बड़ा संगठित एवं व्यापक उद्योग है।
भारत में सूत्री वस्त्र की पहली मिल वर्ष 1818 में कोलकाता के समीप फोर्ट ग्लस्टर में की गयी थी। जो असफल रही। 

सबसे पहला सफल आधुनिक सूती कपड़ा कारखाना 1854 में मुंबई में कवासजी डावर द्वारा खोला गया। 1856 ई. से इसमें उत्पादन प्रारंभ हुआ।

महाराष्ट्र भारत में सूती वस्त्रों का प्रमुख निर्माता है। मुम्बई को भारत के सूती वस्त्रों की राजधानी के उपनाम से जाना जाता है। 

गुजरात महारास्ट्र के बाद सूती वस्त्रों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। अहमदाबाद को 'भारत का मैनचेस्टर और पूर्व का बोस्टन' कहा जाता है और यह मुंबई के बाद सूती वस्त्र उद्योग का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र भी है।

कानपुर को उत्तर भारत का मैनचेस्टर कहा जाता है।

कोयंबटूर को दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहा जाता है।

सूती वस्त्र उद्योग के अन्य प्रमुख राज्य हैं - पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, केरल व उत्तर प्रदेश।
मुंबई को भारत के सूती वस्त्रों की राजधानी के उपनाम से जाना जाता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था एवं रोजगार प्रदान में कपड़ा उद्योग का स्थान कृषि के बाद दूसरा है।

ऊँनी वस्त्र उद्योग(Woolen textile industry)

भारत में ऊँनी वस्त्र उद्योग अपने आरंभिक समय में कुटीर उद्योग के रूप में जाना जाता था । इसके अंतर्गत कंबल, कालीन, शॉले, स्वेटर आदि का निर्माण किया जाता था।

भारत में पहली आधुनिक ऊनी वस्त्र मिल की स्थापना वर्ष 1876 में ‘कानपुर में की गई थी।

ऊँनी वस्त्र उद्योग के प्रमुख केंद्र:-

पंजाब-धारीवाल, अमृतसर, लुधियाना, चंडीगढ़

उत्तर प्रदेश- शाहजहाँपुर, मिर्जापुर


जूट उद्योग(Jute Industry)

जूट के रेशों से सामानों का निर्माण करने में भारत का विश्व में प्रथम स्थान प्राप्त है।
इसका पहला कारखाना कोलकाता के समीप रिशरा नामक स्थान पर 1855 में खोला गाया था।
भारतीय जूट निगम लिमिटेड की स्थापना 1971 में कोलकाता में हुई। इसकी स्थापना जूट के आयात, निर्यात तथा आंतरिक बाजार की देखभाल करने के लिए की गई थी।
भारत विश्व के 35% जूट के सामानों का निर्माण करता है और दूसरा बड़ा निर्यातक राष्ट्र है।
  • प्रमुख जूट उत्पादक राज्यों में पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, आंध्र प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा शामिल हैं।
  • इसे गोल्डन फाइबर के रूप में जाना जाता है। इसका उपयोग जूट की थैली, चटाई, रस्सी, सूत, कालीन और अन्य कलाकृतियों को बनाने में किया जाता है।
जूट उद्योग से सबंधित प्रमुख स्थान:
पश्चिम बंगाल टीटागढ़, रिशरा, बाली, अगरपाड़ा, बाँसबेरिया, कान किनारा, उलबेरिया, सीरामपुर, बजबज, हावड़ा, श्यामनगर एंव शिवपुर   
आंध्रा प्रदेश विशाखापत्तनम, गुण्टूर  
उत्तर प्रदेश कानपूर, सहजनवां (गोरखपुर)
बिहार पूर्णिया, कटिहार, सहरसा एंव दरबंगा   

राष्ट्रीय जूट बोर्ड और राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान अहमदाबाद में स्थित है।

अंतरराष्ट्रीय जूट संगठन की स्थापना 1984 में हुई थी। इसका मुख्यालय बांग्लादेश की राजधानी ढाका में है।

चीनी उद्योग(Sugar Industry) 

चीनी उद्योग देश का दूसरा सबसे अधिक महत्वपूर्ण कृषि-आधारित उद्योग है। भारत विश्व में गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक देश है और चीनी के उत्पादन में भारत, ब्राजील के बाद विश्व में दूसरे स्थान पर है तथा उपभोक्ता के रूप में भारत विश्व में प्रथम स्थान पर है ।
यह विश्व के कुल चीनी उत्पादन का लगभग 8 प्रतिशत उत्पादन करता है। इसके अतिरिक्त गन्ने से खांडसारी और गुड़ भी तैयार किए जाते हैं।
भारत में आधुनिक चीनी उद्योग वर्ष 1903 में बिहार में पहली चीनी मिल की स्थापना के साथ प्रारम्भ हुई। 
गन्ने का सर्वाधिक उत्पादक राज्य- उत्तर प्रदेश ।

भारत के प्रमुख सीमेन्ट उत्पादक राज्य

उत्तर प्रदेश 

देवरिया,भटनी, पडरौना, गोरखपुर, गौरी बाजार, सिसवां बाजार, बस्ती, बलरामपपुर, गोंडा, बाराबंकी, सीतापुर, हरदोई, बिजनौर, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बुलंदशहर, कानपुर, फ़ैजाबाद एवं मुजफ्फरनगर।   

बिहार 

मोतिहारी, सुगौली, मझोलिया, चनपटिया, नरकटियागंज, मण्डौर, सासामुसा, मोतीपुर, गोपालगंज, डालमियानगर एवं दरभंगा। 

महाराष्ट्र 

मनसद, नासिक, अहमदनगर, पूना, शोलापुर एवं कोल्हापुर। 

पश्चिम बंगाल 

तेलडांगा, पलासी, हावड़ा एवं मुर्शिदाबाद। 

पंजाब

हमीरा, फगवाड़ा, अमृतसर। 

हरियाणा 

जगधारी एवं रोहतक 

तमिलनाडु 

अरकाट, मदुरै, कोयंबटूर, तिरुचिलपल्ली। 

आंध्र प्रदेश

सीतापुरम, पीठापुरम, भेजवाडा, हास्पेट एवं सांभल कोट। 

राजस्थान 

गंगानगर, भूपालसागर। 



सीमेंट उद्योग(Cement Industry) 

विश्व में सबसे पहले आधुनिक रूप से सीमेंट का निर्माण 1824 में ब्रिटेन के पोर्टलैंड नामक स्थान पर किया गया था।
भारत में आधुनिक आधार पर सीमेन्ट बनाने का पहला कारखाना 1904 ई0 में मद्रास में लगाया गया था, जो असफल रहा। 
इण्डियन सीमेन्ट कम्पनी लि0 द्वारा 1912 में गुजरात के पोरबन्दर में सीमेन्ट कारखाने की स्थापना की गयी जिसका उत्पादन 1914 से प्रारम्भ हुआ। 
एसोसिएट सीमेंट कंपनी लिमिटेड की स्थापना 1936 में की गई थी।
1991 में घोषित औद्योगिक नीति के अन्तर्गत सीमेन्ट उद्योग को लाइसेन्स मुक्त कर दिया गया।
इस उद्योग की अधिक इकाइयाँ गुजरात में लगाई गई हैं, क्योंकि यहाँ से इसे खाड़ी के देशों के बाजार की उपलब्धता है
गुणवत्ता में सुधार के कारण, भारत की बड़ी घरेलू माँग के अतिरिक्त, पूर्वी. एशिया, मध्यपूर्व, अफ्रीका तथा दक्षिण एशिया के बाजारों में माँग बढ़ी है।

भारत के प्रमुख सीमेन्ट उत्पादक राज्य

मध्य प्रदेश 

सतना, कटनी, जब्बलपुर, रतलाम

छत्तीसगढ़

दुर्ग, जामुल, तिलदा, मंधार, अलकतरा।

झारखण्ड 

जपला, खेलारी, कल्याणपुर, सिंदरी, झींकपानी

आंध्रा 

कृष्णा, विजयवाड़ा, मनचेरियल, मछेरिया, पनयम। 

कर्नाटक 

भोजपुर, भद्रावती, बागलकोट, बंगलुरु। 

तमिलनाडु 

डालमियापुरम, मधुकराय, तुलकापट्टी, 

राजस्थान 

जयपुर, लखेरी। 

पंजाब 

सूरजपुर

केरल 

कोटायम। 

उत्तर प्रदेश 

मिर्ज़ापीर, चुर्क। 

ओडिशा 

राजगंगपुर 

हरियाणा 

चरखी, दादरी 


विद्युत उपकरण उद्योग
इस उद्योग के अंतर्गत विद्युत उत्पादन, संप्रेषण, वितरण और उपयोग हेतु प्रयुक्त उपकरण, जैसे-जनरेटर, बॉयलर, टरबाइन, स्विच गियर, ट्रांसफॉर्मर एवं अन्य बिजली के उपकरणों का निर्माण किया जाता है।

भारत में प्रमुख रूप से अधिकांश उत्पाद भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) द्वारा निर्मित किये जाते हैं, जिसकी स्थापना वर्ष 1964 में की गई थी।

  • वर्तमान में इसकी सात इकाइयाँ- भोपाल, तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु), रामचंद्रपुरम (हैदराबाद), जम्मू, बंगलूरू, झाँसी और हरिद्वार में कार्यरत हैं।

कागज उद्योग 

कागज उद्योग, कच्चे माल के रूप में लकड़ी का उपयोग करते हुए लुगदी, कागज, गत्ते एवं अन्य सेलुलोज-आधारित उत्पाद निर्मित करता है।
कागज का पहला सफल कारखाना 1879 में लखनऊ में लगाया गया।
  • भारत में अखबारी कागज की पहली मिल मध्य प्रदेश के 'नेपानगर' में 1947 में लगाई गई थी।
होशंगाबाद में नोट छापने के कागज बनाने का सरकारी कारखाना है।

रासायनिक उर्वरक उद्योग 

ऐतिहासिक रूप से देश में सुपर फास्फेट उर्वरक का पहला कारखाना 1906 में तमिलनाडु के रानीपेट नामक स्थान पर स्थापित किया गया था।
1944 में कर्नाटक के बैलेगुला नामक स्थान पर मैसूर केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स के नाम से अमोनिया उर्वरक का कारखाना लगाया गया।
1947 में अमोनिया सल्फेट का पहला कारखाना केरल के अलवाय नामक स्थान पर खोला गया।
भारतीय उर्वरक निगम की स्थापना 1951 में की गई। इसके तहत एशिया का सबसे बड़ा उर्वरक संयंत्र सिंदरी में स्थापित किया गया।
भारत पोटाश उर्वरक के लिए पूरी तरह आयात पर निर्भर है।
भारत में नाइट्रोजन उर्वरक की खपत सबसे अधिक है।
कोक आधारित उर्वरक इकाइयां तालचर (उड़ीसा), रामागुंडम (आंध्रप्रदेश) तथा कोरबा (छत्तीसगढ़) में अवस्थित है।
कृभको का गैस आधारित यूरिया-अमोनिया सयंत्र हजीरा (गुजरात) में है।
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर तथा जगदीशपुर के कारखाना भी गैस आधारित है।

जलयान निर्माण उद्योग: 

भारत में जलयान निर्माण का प्रथम कारखाना 1941 ई. में सिंधिया स्टीम नेविगेशन कंपनी द्वारा विशाखापट्टनम में स्थापित किया गया था।
1952 में भारत सरकार द्वारा इसका अधिग्रहण करके हिंदुस्तान शिपयार्ड विशाखापट्टनम नाम दिया गया था।
  • कोचीन शिपयार्ड भारत का आधुनिक तथा सबसे बड़ा पोत प्रांगण है, जिसका निर्माण वर्ष 1972 में जापान के सहयोग से हुआ।
सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य इकाइयां जो जलयानों का निर्माण करती हैं -
1.गार्डेनरीच वर्कशॉप लिमिटेड - कोलकात्ता
2.गोवा शिपयार्ड लिमिटेड - गोवा
3.मंझ गांव डाक लिमिटेड - मुम्बई

वायुयान निर्माण उद्योग 

भारत में हवाई का निर्माण का प्रथम कारखाना 1940 में बेंगलुरु में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट कंपनी के नाम से स्थापित किया गया है। अब इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के नाम से जाना जाता है।
हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड द्वारा लड़ाकू विमान, एयरोस्पेस क्राफ्ट, हेलीकॉप्टर, इंजन, सुखोई  मिग एवं जगुआर जैसे उन्नत विमानों का निर्माण किया जाता है ।
वर्तमान में बेंगलुरु में ही 5 इकाइयां तथा कोरापुट, कोरवा, नासिक, बैरकपुर, लखनऊ, हैदराबाद तथा कानपुर में एक-एक इकाइयाँ वायुयानों के निर्माण कार्य होते है। ।

मोटरगाड़ी उद्योग

मोटरगाड़ी उद्योग को विकास उद्योग के नाम से जाना जाता है।

इस उद्योग के अंतर्गत व्यावसायिक वाहनों, यात्री वाहनों, दुपहिया और तिपहिया वाहनों एवं उससे संबंधित अन्य उपकरण, कलपुर्जे आदि का निर्माण किया जाता है ।

उदारीकरण के पश्चात्, नए और आधुनिक मॉडल के वाहनों का बाजार तथा वाहनों की माँग बढ़ी है, जिससे इस उद्योग में विशेषकर कार, दोपहिया तथा तिपहिया वाहनों में अपार वृद्धि हुई है। 1991 में मोटर वाहन उद्योग को लाइसेंस मुक्त कर दिया गया ।

विश्व में दुपहिया वाहन बनाने में भारत का दूसरा स्थान है, (पहले स्थान पर चीन)जबकि सबसे अधिक ट्रैक्टर भारत में ही बनाए जाते हैं ।

इस उद्योग से सबंधित प्रमुख इकाइयां हैं-

  • हिंदुस्तान मोटर - (कोलकत्ता)
  • प्रीमियर ऑटोमोबाइल्स लि. - (मुंबई)
  • अशोक लीलैंड - (चेन्नई)
  • टाटा इंजिनियरिंग एन्ड लोकोमोटिव कम्पनी लि. - (जमशेदपुर)
  • महिंद्रा एन्ड महिंद्रा लिमिटेड - (पुणे)
  • मारुती उद्योग लि. - गुड़गांव (हरियाणा)
  • सनराइज इंडस्ट्रीज - (बंगलुरु)

शीशा उद्योग 

भारत में शीशा उद्योग का केन्द्रीयकरण रेल की सुविधा वाले स्थानों में देखने को मिलता है।
इस उद्योग का विकास मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र व तमिलनाडु राज्य में हुआ है।
फिरोजाबाद एंव शिकोहाबाद भारत में शीशा उद्योग के महत्वपूर्ण केंद्र हैं।

भारत के प्रमुख शीशा उत्पादक राज्य

पश्चिम बंगाल 

बेलगछिया, सीतारामपुर, रिसड़ा, बर्द्धवान, रानीगंज एंव आसनसोल।

झारखंड

जमशेदपुर, हजारीबाग, धनबाद।

महाराष्ट्र

मुंबई, पुणे, दादर, सतारा, शोलापुर एंव नागपुर।

गुजरात

बड़ौदा, मौरवी

बिहार

पटना एंव कुहलगाँव

राजस्थान

जयपुर

उत्तर प्रदेश

नैनी, रामनगर, बहजोई, बालाबाली एंव फिरोजाबाद।

अन्य स्थान

अम्बाला, अमृतसर, हैदराबाद, जबलपुर एंव गुवाहाटी।


अभियांत्रिकी उद्योग 

  • इंजीनियरिंग उद्योग के अंतर्गत विभिन्न प्रकार की पूंजीगत, टिकाऊ वस्तुओं, मशीनों तथा यंत्रों का निर्माण किया जाता है ।
  • भारी इंजीनयरिंग निगम लिमिटेड (HEC) रांची की स्थापना 1958 में की गई थी।

रेशम उद्योग 

भारत चीन के बाद प्राकृतिक रेशम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और प्राकृतिक रेशम की सभी चार किस्मों का उत्पादन करने वाला एकमात्र देश है: शहतूत, तसर, एरी और मूंगा
मूंगा रेशम उत्पादन में भारत को एकाधिकार प्राप्त है।

कर्नाटक भारत में रेशम का सबसे बड़ा उत्पादक है। यहां शाहतूती रेशम बनाया जाता है। यह देश का 56% रेशमी धागा बनाया जाता है। भारत में कुल कपड़ा निर्यात में रेशमी वस्त्रों का योगदान लगभग 3% है।

गैर शहतुती रेशम मुख्य असम बिहार और मध्य प्रदेश से प्राप्त होता है।

संस्थान 

स्थान

केन्द्रीय रेशम अनुसंधान प्रशिक्षण 

मैसूर एवं ब्रहा्रपुर

केन्द्रीय ईरी रेशम अनुसंधान 

मेन्दी पाथर (मेघालय)

केन्द्रीय टसर अनुसंधान प्रशिक्षण 

राँची (झारखण्ड)


चर्म उद्योग 

भारत में चर्म उद्योग के मुख्य केंद्र कानपुर, आगरा, मुंबई, कोलकाता, पटना तथा  बेंगलुरु में है।
कानपुर चर्म उद्योग का सबसे बड़ा केंद्र है। यह जूते बनाने के लिए प्रसिद्ध है।


  • 1948 में कुटीर उद्योग बोर्ड की स्थापना हुई थी।
  • केंद्रीय सिल्क बोर्ड की स्थापना 1949 में हुई थी।
  • अखिल भारतीय हैंडलूम बोर्ड की स्थापना 1950 में हुई थी।
  • अखिल भारतीय हस्तशिल्प बोर्ड की स्थापना 1953 में हुई थी।
  • अखिल भारतीय खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड की स्थापना 1954 में हुई थी।
  • 1954 में लघु उद्योग बोर्ड की स्थापना हुई थी।
  • केन्द्रीय बिक्री संगठन की स्थापना 1958 में हुई थी।

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