भारत में उद्योग
उद्योगों का वर्गीकरण:-उद्योगों का वर्गीकरण कच्चा माल, आकार और स्वामित्व के आधार पर किया जा सकता है।
कच्चा माल : कच्चे माल के उपयोग के आधार पर उद्योग कृषि आधारित, खनिज आधारित, समुद्र आधारित और वन आधारित हो सकते हैं।
कृषि आधारित उद्योग कच्चे माल के रूप में वनस्पति और जंतु आधारित उत्पादों का उपयोग करते हैं। खाद्य संसाधन, वनस्पति तेल, सूती वस्त्र, डेयरी उत्पाद और चर्म उद्योग कृषि आधारित उद्योगों के उदाहरण हैं।
खनिज आधारित उद्योग प्राथमिक उद्योग हैं जो खनिज अयस्कों का उपयोग कच्चे माल के रूप में करते हैं। यह कई अन्य उत्पादों के विनिर्माण के लिए कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त किया जाता है जैसे भारी मशीनों, भवन निर्माण सामग्री तथा रेल के डिब्बे बनाने में।
समुद्र आधारित उद्योग सागरों और महासागरों से प्राप्त उत्पादों का उपयोग कच्चे माल के रूप में करते हैं। समुद्री खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और मत्स्य तेल निर्माण इसके कुछ उदाहरण हैं।
वन आधारित उद्योग वनों से प्राप्त उत्पाद का उपयोग कच्चे माल के रूप में करते हैं। लुगदी एवं कागज, औषधी रसायन, फर्नीचर और भवन निर्माण वनों से संबंधित उद्योग हैं।
आकार : उद्योग के आकार का तात्पर्य निवेश की गई पूँजी की राशि, नियोजित लोगों की संख्या और उत्पादन की मात्रा से है। आकार के आधार पर उद्योगों को दो भागों में बाँटा जा सकता है (1)लघु आकार के उद्योग(2)बृहत आकार के उद्योग।
स्वामित्व : स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को 4 क्षेत्रों (1)निजी क्षेत्र (2)राज्य स्वामित्व अथवा सार्वजनिक क्षेत्र(3)संयुक्त क्षेत्र (4) सहकारी क्षेत्र में वर्गीकृत किया गया है।
निजी क्षेत्र के उद्योगों का स्वामित्व और संचालन या तो एक व्यक्ति द्वारा या व्यक्तियों के समूह द्वारा किया जाता है।
सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों का स्वामित्व और संचालन सरकार द्वारा होता है जैसे हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड और स्टील ऑथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड।
संयुक्त क्षेत्र के उद्योगों का स्वामित्व और संचालन राज्यों और व्यक्तियों अथवा व्यक्तियों के समूह द्वारा होता है। मारुति उद्योग लिमिटेड संयुक्त क्षेत्र के उद्योग का एक उदाहरण है।
सहकारी क्षेत्र के उद्योगों का स्वामित्व और संचालन कच्चे माल के उत्पादकों या पूर्तिकारों, कामगारों अथवा दोनों द्वारा होता है। आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड एवं सुधा डेयरी सहकारी उपक्रम के उदाहरण है।
उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारक वे कारकः
जो उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करते हैं, कच्चे माल की उपलब्धता, भूमि, जल, श्रम, शक्ति, पूँजी, परिवहन और बाजार हैं। उद्योग उन्हीं स्थानों पर केंद्रित होते हैं जहाँ इनमें से कुछ या ये सभी कारक आसानी से उपलब्ध होते हैं। कभी-कभी सरकार कम दाम पर विद्युत उपलब्धता, कम परिवहन लागत तथा अन्य अवसंरचना जैसे प्रोत्साहन प्रदान करती है ताकि पिछडे़ क्षेत्रों में भी उद्योग स्थापित किया जा सके। औद्योगीकरण से प्रायः नगरों और शहरों का विकास एवं वृद्धि होती है।
अधात्विक: हीरा, संगमरमर, चूना पत्थर, ग्रेनाइट, अभ्रक, जिप्सम, गंधक, पाइराइट, एस्बेस्टस
धात्विक: 1.अलौह 2.लौह
अलौह: तांबा, एल्युमीनियम, टिन, सीसा, चांदी, प्लेटिनम , जिंक
लौह: लौह अयस्क, मैंगनीज, क्रोमियम, निकेल, कोबाल्ट, टंगस्टन
भारत के प्रमुख उद्योग (Important Industries in India)
लौह एवं इस्पात उद्योग (Iron and Steel Industry)
स्वतंत्रता के पूर्व स्थापित लोहा इस्पात कारखाना
भारतीय लौह इस्पात कंपनी -पश्चिम बंगाल की दामोदर नदी घाटी में हीरापुर (बाद में इसे बर्नपुर कहा गया) नामक स्थान पर वर्ष 1918 ई. में इसकी स्थापना की गई थी। यहां 1922 ई. से उत्पादन शुरू हुआ आगे चलकर कुल्टी, बर्नपुर तथा हीरापुर स्थित संयंत्रों को इसमें मिला दिया गया।
मैसूर आयरन एंड स्टील वर्क्स -1923 ईस्वी में मैसूर राज्य (वर्तमान कर्नाटक) के भद्रावती नामक स्थान पर स्थापित की गई थी इसका वर्तमान नाम विश्वेश्वरैया आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड है।
स्टील कॉरपोरेशन ऑफ बंगाल -इसकी स्थापना 1937 बर्नपुर (पश्चिम बंगाल) में की गई थी। बाद में 1953 ई. में इसे भारतीय लौह-इस्पात कंपनी में मिला दिया गया था।
दूसरी पंचवर्षीय योजना काल(1956-61) में स्थापित कारखाना
भिलाई इस्पात संयंत्र:-इसकी स्थापना 1955 ई. में तत्कालीन मध्य प्रदेश के भिलाई (छत्तीसगढ़) में पूर्व सोवियत संघ(रूस) की सहायता से की गई थी।
हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड, दुर्गापुर:-इसकी स्थापना 1956 ईस्वी. में पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर(पश्चिम बंगाल) नामक स्थान पर ब्रिटेन की सहायता से की गई थी।
हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड, राउरकेला:-इसकी स्थापना 1959 ईस्वी. में ओडिशा के राउरकेला नामक स्थान पर पश्चिमी जर्मनी की सहायता से की गई थी।
बोकारो स्टील प्लांट- इसकी स्थापना 1964 में तत्कालीन बिहार राज्य (अब झारखण्ड) के बोकारो नामक स्थान पर पूर्व सोवियत संघ (रूस) की सहायता से की गई थी।
चौथी पंचवर्षीय योजना काल में स्थापित कारखाना
स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (SAIL):स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इण्डिया लिमिटेड (सेल) भारत में इस्पात निर्माण में लगी एक प्रमुख कंपनी है। यह पूर्णतः एकीकृत लोहे और इस्पात का सामान तैयार करती है। कंपनी में घरेलू निर्माण, इंजीनियरी, बिजली, रेलवे, मोटरगाड़ी और सुरक्षा उद्योगों तथा निर्यात बाजार में बिक्री के लिए मूल तथा विशेष, दोनों तरह के इस्पात तैयार किए जाते हैं।
कोयला उद्योग(Coal Industry)
कोयला को काला सोना भी कहा जाता है।
एल्युमीनियम उद्योग(Aluminum Industry)
सूती वस्त्र उद्योग(Cotton Textile Industry)
महाराष्ट्र भारत में सूती वस्त्रों का प्रमुख निर्माता है। मुम्बई को भारत के सूती वस्त्रों की राजधानी के उपनाम से जाना जाता है।
गुजरात महारास्ट्र के बाद सूती वस्त्रों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। अहमदाबाद को 'भारत का मैनचेस्टर और पूर्व का बोस्टन' कहा जाता है और यह मुंबई के बाद सूती वस्त्र उद्योग का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र भी है।
कानपुर को उत्तर भारत का मैनचेस्टर कहा जाता है।
कोयंबटूर को दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहा जाता है।
ऊँनी वस्त्र उद्योग(Woolen textile industry)
भारत में ऊँनी वस्त्र उद्योग अपने आरंभिक समय में कुटीर उद्योग के रूप में जाना जाता था । इसके अंतर्गत कंबल, कालीन, शॉले, स्वेटर आदि का निर्माण किया जाता था।
भारत में पहली आधुनिक ऊनी वस्त्र मिल की स्थापना वर्ष 1876 में ‘कानपुर में की गई थी।
ऊँनी वस्त्र उद्योग के प्रमुख केंद्र:-
पंजाब-धारीवाल, अमृतसर, लुधियाना, चंडीगढ़
उत्तर प्रदेश- शाहजहाँपुर, मिर्जापुर
- प्रमुख जूट उत्पादक राज्यों में पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, आंध्र प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा शामिल हैं।
- इसे गोल्डन फाइबर के रूप में जाना जाता है। इसका उपयोग जूट की थैली, चटाई, रस्सी, सूत, कालीन और अन्य कलाकृतियों को बनाने में किया जाता है।
चीनी उद्योग(Sugar Industry)
उत्तर प्रदेश |
देवरिया,भटनी, पडरौना, गोरखपुर, गौरी बाजार, सिसवां बाजार, बस्ती, बलरामपपुर, गोंडा, बाराबंकी, सीतापुर, हरदोई, बिजनौर, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बुलंदशहर, कानपुर, फ़ैजाबाद एवं मुजफ्फरनगर। |
बिहार |
मोतिहारी, सुगौली, मझोलिया, चनपटिया, नरकटियागंज, मण्डौर,
सासामुसा, मोतीपुर, गोपालगंज, डालमियानगर एवं दरभंगा। |
महाराष्ट्र |
मनसद, नासिक, अहमदनगर, पूना,
शोलापुर एवं कोल्हापुर। |
पश्चिम बंगाल |
तेलडांगा, पलासी, हावड़ा एवं मुर्शिदाबाद। |
पंजाब |
हमीरा, फगवाड़ा, अमृतसर। |
हरियाणा |
जगधारी एवं रोहतक |
तमिलनाडु |
अरकाट, मदुरै, कोयंबटूर, तिरुचिलपल्ली। |
आंध्र
प्रदेश |
सीतापुरम, पीठापुरम, भेजवाडा, हास्पेट एवं सांभल कोट। |
राजस्थान |
गंगानगर, भूपालसागर। |
सीमेंट उद्योग(Cement Industry)
मध्य
प्रदेश |
सतना, कटनी, जब्बलपुर, रतलाम |
छत्तीसगढ़ |
दुर्ग, जामुल, तिलदा, मंधार, अलकतरा। |
झारखण्ड |
जपला, खेलारी, कल्याणपुर, सिंदरी, झींकपानी |
आंध्रा |
कृष्णा, विजयवाड़ा, मनचेरियल, मछेरिया, पनयम। |
कर्नाटक |
भोजपुर, भद्रावती, बागलकोट, बंगलुरु। |
तमिलनाडु |
डालमियापुरम, मधुकराय, तुलकापट्टी, |
राजस्थान |
जयपुर, लखेरी। |
पंजाब |
सूरजपुर |
केरल |
कोटायम। |
उत्तर प्रदेश |
मिर्ज़ापीर, चुर्क। |
ओडिशा |
राजगंगपुर |
हरियाणा |
चरखी, दादरी |
विद्युत उपकरण उद्योग
इस उद्योग के अंतर्गत विद्युत उत्पादन, संप्रेषण, वितरण और उपयोग हेतु प्रयुक्त उपकरण, जैसे-जनरेटर, बॉयलर, टरबाइन, स्विच गियर, ट्रांसफॉर्मर एवं अन्य बिजली के उपकरणों का निर्माण किया जाता है।
इस उद्योग के अंतर्गत विद्युत उत्पादन, संप्रेषण, वितरण और उपयोग हेतु प्रयुक्त उपकरण, जैसे-जनरेटर, बॉयलर, टरबाइन, स्विच गियर, ट्रांसफॉर्मर एवं अन्य बिजली के उपकरणों का निर्माण किया जाता है।
भारत में प्रमुख रूप से अधिकांश उत्पाद भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) द्वारा निर्मित किये जाते हैं, जिसकी स्थापना वर्ष 1964 में की गई थी।
- वर्तमान में इसकी सात इकाइयाँ- भोपाल, तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु), रामचंद्रपुरम (हैदराबाद), जम्मू, बंगलूरू, झाँसी और हरिद्वार में कार्यरत हैं।
कागज उद्योग
- भारत में अखबारी कागज की पहली मिल मध्य प्रदेश के 'नेपानगर' में 1947 में लगाई गई थी।
रासायनिक उर्वरक उद्योग
जलयान निर्माण उद्योग:
- कोचीन शिपयार्ड भारत का आधुनिक तथा सबसे बड़ा पोत प्रांगण है, जिसका निर्माण वर्ष 1972 में जापान के सहयोग से हुआ।
वायुयान निर्माण उद्योग
मोटरगाड़ी उद्योग
मोटरगाड़ी उद्योग को विकास उद्योग के नाम से जाना जाता है।
इस उद्योग के अंतर्गत व्यावसायिक वाहनों, यात्री वाहनों, दुपहिया और तिपहिया वाहनों एवं उससे संबंधित अन्य उपकरण, कलपुर्जे आदि का निर्माण किया जाता है ।
उदारीकरण के पश्चात्, नए और आधुनिक मॉडल के वाहनों का बाजार तथा वाहनों की माँग बढ़ी है, जिससे इस उद्योग में विशेषकर कार, दोपहिया तथा तिपहिया वाहनों में अपार वृद्धि हुई है। 1991 में मोटर वाहन उद्योग को लाइसेंस मुक्त कर दिया गया ।
विश्व में दुपहिया वाहन बनाने में भारत का दूसरा स्थान है, (पहले स्थान पर चीन)जबकि सबसे अधिक ट्रैक्टर भारत में ही बनाए जाते हैं ।
इस उद्योग से सबंधित प्रमुख इकाइयां हैं-
- हिंदुस्तान मोटर - (कोलकत्ता)
- प्रीमियर ऑटोमोबाइल्स लि. - (मुंबई)
- अशोक लीलैंड - (चेन्नई)
- टाटा इंजिनियरिंग एन्ड लोकोमोटिव कम्पनी लि. - (जमशेदपुर)
- महिंद्रा एन्ड महिंद्रा लिमिटेड - (पुणे)
- मारुती उद्योग लि. - गुड़गांव (हरियाणा)
- सनराइज इंडस्ट्रीज - (बंगलुरु)
शीशा उद्योग
पश्चिम बंगाल |
बेलगछिया, सीतारामपुर,
रिसड़ा, बर्द्धवान, रानीगंज एंव आसनसोल। |
झारखंड
|
जमशेदपुर, हजारीबाग, धनबाद। |
महाराष्ट्र |
मुंबई, पुणे, दादर, सतारा, शोलापुर एंव नागपुर।
|
गुजरात
|
बड़ौदा, मौरवी
|
बिहार
|
पटना एंव कुहलगाँव
|
राजस्थान
|
जयपुर
|
उत्तर प्रदेश
|
नैनी, रामनगर, बहजोई, बालाबाली एंव फिरोजाबाद।
|
अन्य स्थान
|
अम्बाला, अमृतसर, हैदराबाद, जबलपुर एंव गुवाहाटी।
|
अभियांत्रिकी उद्योग
- इंजीनियरिंग उद्योग के अंतर्गत विभिन्न प्रकार की पूंजीगत, टिकाऊ वस्तुओं, मशीनों तथा यंत्रों का निर्माण किया जाता है ।
- भारी इंजीनयरिंग निगम लिमिटेड (HEC) रांची की स्थापना 1958 में की गई थी।
रेशम उद्योग
कर्नाटक भारत में रेशम का सबसे बड़ा उत्पादक है। यहां शाहतूती रेशम बनाया जाता है। यह देश का 56% रेशमी धागा बनाया जाता है। भारत में कुल कपड़ा निर्यात में रेशमी वस्त्रों का योगदान लगभग 3% है।
गैर शहतुती रेशम मुख्य असम बिहार और मध्य प्रदेश से प्राप्त होता है।
संस्थान | स्थान |
केन्द्रीय रेशम अनुसंधान प्रशिक्षण | मैसूर एवं ब्रहा्रपुर |
केन्द्रीय ईरी रेशम अनुसंधान | मेन्दी पाथर (मेघालय) |
केन्द्रीय टसर अनुसंधान प्रशिक्षण | राँची (झारखण्ड) |
चर्म उद्योग
- 1948 में कुटीर उद्योग बोर्ड की स्थापना हुई थी।
- केंद्रीय सिल्क बोर्ड की स्थापना 1949 में हुई थी।
- अखिल भारतीय हैंडलूम बोर्ड की स्थापना 1950 में हुई थी।
- अखिल भारतीय हस्तशिल्प बोर्ड की स्थापना 1953 में हुई थी।
- अखिल भारतीय खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड की स्थापना 1954 में हुई थी।
- 1954 में लघु उद्योग बोर्ड की स्थापना हुई थी।
- केन्द्रीय बिक्री संगठन की स्थापना 1958 में हुई थी।
- 1948 में कुटीर उद्योग बोर्ड की स्थापना हुई थी।
- केंद्रीय सिल्क बोर्ड की स्थापना 1949 में हुई थी।
- अखिल भारतीय हैंडलूम बोर्ड की स्थापना 1950 में हुई थी।
- अखिल भारतीय हस्तशिल्प बोर्ड की स्थापना 1953 में हुई थी।
- अखिल भारतीय खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड की स्थापना 1954 में हुई थी।
- 1954 में लघु उद्योग बोर्ड की स्थापना हुई थी।
- केन्द्रीय बिक्री संगठन की स्थापना 1958 में हुई थी।
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