पृथ्वी और उसका सौर्यिक संबंध (Earth and its solar relationship)


पृथ्वी की गतियाँ (Movements of the Earth):

पृथ्वी अपनी धुरी पर और सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है जिससे पृथ्वी पर बहुत सारे परिवर्तन होते हैं. इस गति को निम्नलिखित दो वर्गों में बांटा जाता है-

  1. घूर्णन या दैनिक गति (Rotation or daily motion)
  2. परिक्रमण या वार्षिक गति (Revolution or annual speed)
घूर्णन या दैनिक गति: पृथ्वी सदैव अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व घूमती रहती है जिसे पृथ्वी का घूर्णन या परिभ्रमण कहते हैं । इसके कारण दिन व रात होते हैं। अतः इस गति को घूर्णन या दैनिक गति भी कहते है।

घूर्णन या दैनिक गति के महत्वपूर्ण तथ्यः-

  • अक्ष वह कल्पित रेखा है जो पृथ्वी के केन्द्र से होकर उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों को मिलाती है और यह अक्ष अपने कक्ष तल (Plane of Orbit) के साथ 66 ½ डिग्री का कोण बनाती है.
  • इस गति की वजह से ही पृथ्वी पर दिन और रात होते हैं.
  • जब कभी भी पृथ्वी मध्याह्न रेखा के ऊपर उत्तरोत्तर दो बार गुजर लेती है तो बीच की अवधि नक्षत्र दिवस (Sidereal day) कहलाती है
  • जिसकी लम्बाई 23 घंटे 56 मिनट और 4 सैकेण्ड के बराबर होती है.
  • जब सूर्य को गतिहीन मानकर पृथ्वी द्वारा उसके परिक्रमण की गणना दिवसों के रूप में की जाती है तब सौर दिवस ज्ञात होता है। इसकी अवधि 24 घंटे की होती है, तथा गति 29.8 कि0मी0/सेकेण्ड होती है। 
  • पृथ्वी का वह भाग जो सूर्य के सामने आता है उसे दिन कहते हैं और बाकी पीछे वाला भाग अन्धकार के कारण रात्रि कहलाता है. इस प्रकार दिन रात का उपक्रम होता है.
  • यह दैनिक गति भूमध्य रेखा पर तीव्र और ध्रुवों पर मन्द होती है.
  • इस प्रकार वह भाग जो पृथ्वी के पूर्व में स्थित है वहां पर पहले दिन होते हैं एवं पश्चिम में स्थित भाग पर बाद में दिन होते हैं.
  • पृथ्वी की दैनिक गति के कारण ही हवाओं और समुद्री धाराओं की दिशा पर प्रभाव पड़ता है.
  • पृथ्वी की चुम्बकीय शक्ति का होना और ज्वार-भाटे का आना भी इसी पर निर्भर करता है.

परिक्रमण या वार्षिक गति: पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमने के साथ-साथ सूर्य के चारों ओर एक दीर्घवृत्तीय मार्ग पर परिक्रमा करती है जिसे परिक्रमण या वार्षिक गति कहते है। पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरा करने में 365 दिन 6 घंटे का समय लगता है।

परिक्रमण या वार्षिक गति के महत्वपूर्ण तथ्यः- 

  • पृथ्वी अपनी धुरी (अक्ष) पर घूमने के साथ-साथ सूर्य के चारों ओर अण्डाकार मार्ग पर जिसे भू-कक्षा (Earth orbit) कहते हैं, 365 दिन और 6 घंटे में पूरा चक्कर लगा लेती है.
  • यह पृथ्वी की वार्षिक गति या परिक्रमण गति कहलाती है.
  • वर्ष की अवधि और ऋतु परिवर्तन इसी गति के द्वारा सम्भव है.
  • समय पूरा न होने के कारण प्रत्येक 4 साल बाद लीप वर्ष (Leap year) में फरवरी 29 दिन की होती

उपसौर(Perihelion):- 3 जनवरी को पृथ्वी सूर्य से सबसे निकट अर्थात् 14 करोड़, 70 लाख किलोमीटर दूर होती है। इस स्थिति को ‘उपसौर’ कहा जाता है। इसलिए पृथ्वी द्वारा प्राप्त वार्षिक सूर्यातप (insolation) 3 जनवरी को 4 जुलाई की अपेक्षा अधिक होता है फिर भी सूर्यातप की भिन्नता का यह प्रभाव दूसरे कारकों, जैसे स्थल एवं समुद्र का वितरण तथा वायुमंडल परिसंचरण के द्वारा कम हो जाता है। यही कारण है कि सूर्यातप की यह भिन्नता पृथ्वी की सतह पर होने वाले प्रतिदिन के मौसम परिवर्तन पर अधिक प्रभाव नहीं डाल पाती है।

अपसौर(Aphelion): सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के समय पृथ्वी 4 जुलाई को सूर्य से सबसे दूर अर्थात् 15 करोड़, 20 लाख किलोमीटर दूर होती है। पृथ्वी की इस स्थिति को अपसौर कहा जाता है।

एपसाइड रेखा: उपसौरिक एवं अपसौरिक को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा सूर्य के केंद्र से गुजरती है। इसे एपसाइड देखा कहते है।


अक्षांश रेखायें (Latitude Linear)

  • विषुवत वृत्त से उत्तर या दक्षिण दिशा में स्थित किसी स्थान की कोणीय दूरी को अक्षांश कहते है। यह कोण पृथ्वी के केन्द्र पर बनता है। इसे विषुवत वृत्त से दोनो और अंशों में मापा जाता है। 
  • विषुवत वृत्त की उत्तरी एवं दक्षिणी दिशा में 1° के अन्तराल से खींचे जाने पर 90-90 अक्षांश वृत्त होते है। इससे ज्ञात होता है कि किसी भी स्थान का अक्षांश 90° से अधिक नहीं हो सकता। 
  • विषुवत वृत्त के उत्तरी भाग को उत्तरी गोलार्द्ध और दक्षिणी भाग को दक्षिणी गोलार्द्ध कहते है।
  • काल्पनिक रेखाओं का एक ऐसा समूह जो पृथ्वी के चारो ओर पूर्व से पश्चिम दिशा में विषुवत रेखा के समानान्तर खींचा जाता है, अक्षांश रेखा कहलाता है। 
  • दूसरे शब्दों, में भूमध्य रेखा से एकसमान कोणीय दूरी वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा को अक्षांश रेखा कहते है। 
  • भूमध्य रेखा 0° की अक्षांश रेखा है, यानी इस पर स्थित सभी स्थानो का अक्षांश 0° होगा। 
  • भूमध्य रेखा के उत्तर में स्थित अक्षांश रेखाओं को उत्तरी अक्षांश रेखाएँ तथा इसके दक्षिण में स्थित अक्षांश रेखाओं को दक्षिणी अक्षांश रेखाएँ कहते है। दो अक्षांश रेखाओं के बीच की दूरी 111 कि0मी0 होती है। किन्तु विषुवत वृत्त से ध्रुवों की ओर अक्षांशों की लंबाई में कुछ परिवर्तन आता है। विषुवत वृत्त पर यह लंबाई 110.6 किलोमीटर है, जबकि ध्रुवों पर यह 111.7 किलोमीटर है। किसी स्थान का अक्षांश सूर्य की तुंगता(ऊंचाई) या ध्रुवतारे की सहायता से निर्धारित किया जा सकता है।
  • भूमध्य रेखा के उत्तर में 23½ अक्षांश को कर्क रेखा(Tropics of Cancer)और दक्षिण में 23½ अक्षांश को मकर रेखा(Tropics of Capricorn) कहते है। 
  • भूमध्य रेखा के उत्तर में 66½° अक्षांश को आर्कटिक वृत्त और दक्षिण में 66½° अक्षांश को अंटार्कटिक वृत्त कहते है। 


कर्क रेखा पर बसे हुए देश

वाई द्वीप (USA)

मैक्सिको

मॉरिटानिया

माली

अल्जीरिया

नाइजर

लीबिया

चाड

मिश्र

सऊदी अरब

संयुक्त अरब अमीरात (UAE)

ओमान

भारत

बांग्लादेश

म्यांमार

चीन

ताइवान

बहमास

मकर रेखा पर बसे हुए देश

चिली

अर्जेंटीना

पराग्वे

ब्राजील

नामीबिया

बोत्सवाना

दक्षिण अफ्रीका

मोजाम्बिक

मेडागास्कर

ऑस्ट्रेलिया

फ्रेच पोलीनेशिया

टोंगा

 

विषुवत रेखा पर बसे हुए देश

इक्वाडोर

कोलंबिया

ब्राजील

गैबोन

कांगो

कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य

युगांडा

केन्या

सोमालिया

इंडोनेशिया

साओ टोम और प्रिंसेप

मालदीव

किरिबाती

 

देशान्तर (Longitude)

  • यह प्रधान याम्योत्तर(मध्याह्न) (ग्रीनविच-लंदन) के पूर्व या पश्चिम में स्थित किसी बिंदु की कोणीय स्थिति को डिग्री, मिनट एवं सेकेंड में व्यक्त करता है। देशांतर रेखाओं को प्रायः याम्योत्तर(मध्याह्न) कहा जाता है।
  • ग्रीनविच(लंदन) रेखा से किसी स्थान की कोणात्मक दूरी को उस स्थान का देशान्तर कहते है।
  • दूसरे शब्दो, में उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा को देशान्तर रेखा कहते है। 
  • देशान्तर रेखाएँ समानान्तर नही होती है किन्तु लम्बाई में बराबर होती है। 
  • ये रेखाएँ उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव पर एक बिन्दु पर मिल जाती है। 
  • ध्रुवों से विषुवत रेखा की ओर बढ़ने पर देशान्तरों के बीच की दूरी बढ़ती जाती है तथा विषुवत रेखा पर इसके बीच की दूरी अधिकतम(111.32 कि0मी0) तथा ध्रुवों पर न्यूनतम (0 किलोमीटर) होती है। मध्य में अर्थात् 45° अक्षांश पर यह 79 किलोमीटर होती है।
  • 0° देशान्तर रेखा ब्रिटेन के ग्रीनविच नामक नगर से होकर गुजरती है जो पूरी पृथ्वी को पश्चिमी एवं पूर्वी दो गोलार्द्ध में विभाजित करती है.
  • 0° देशान्तर रेखा के बांयी ओर की रेखाएँ पश्चिमी देशान्तर 180° और दाहिनी ओर की रेखाएँ पूर्वी देशान्तर 180° कहलाती है। 
  • पृथ्वी को 360° घूमने में एक दिन या 24 घंटे का समय लग जाता है और 1°  की दूरी तय करने में पृथ्वी को 4 मिनट लगते हैं.
  • 24*60/360=4 मिनट
  • पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है और सूर्योदय पूर्व में पहले होता है.
  • जिसके कारण पूर्व का समय आगे और पश्चिम का समय पीछे रहता है.
  • जिसकी वजह से पृथ्वी के सभी स्थानों पर भिन्न-भिन्न अक्षाशों में समय अलग-अलग पाया जाता है.
  • 15° देशान्तर पर 1 घन्टे का अन्तर पाया जाता है जो 75° देशान्तरों पर 5 घंटे और 180° देशान्तर पर 12 घंटे और 360° देशान्तर पर 24 घटें हो जाता हैं.
  • देशान्तर के आधार पर ही किसी स्थान का समय ज्ञात किया जाता है। दो देशान्तर रेखाओं के बीच की दूरी गोरे (Gore) नाम से जानी जाती है। 
  • शून्य अंश अक्षांश एवं शून्य अंश देशान्तर अटलांटिक महासागर में काटती है। 

संक्रान्ति(Solstics)-सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन की सीमा को संक्रान्ति कहते है। 

कर्क संक्रान्ति(Cancer Solstics)-21 जून को सूर्य कर्क रेखा (23½° ) पर लम्बवत होता है इसे कर्क संक्रान्ति कहते है। इस दिन उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन होता है।

मकर संक्रान्ति(Capricorn Solstics)-22 दिसम्बर को सूर्य मकर रेखा पर लम्बवत होता है। इसे मकर संक्रान्ति कहते है। इस दिन दक्षिणी गोलार्द्ध में सबसे बडा दिन होता है। 

विषुव(Equinox)-यह पृथ्वी का वह स्थिति है, जब सूर्य की किरणें विषुवत रेखा पर लम्बवत पडती है और सर्वत्र दिन एवं रात बराबर होती है। 
23 सितम्बर एवं 21 मार्च को सम्पूर्ण पृथ्वी पर दिन एवं रात बराबर होते है। 23 सितम्बर को शरद विषुव(Autumnal Equinox) एवं 21 मार्च को बसंत विषुव (Vernal Equinox)कहते है।

सूर्यग्रहण(Solar Eclipse)-जब सूर्य एवं पृथ्वी के बीच चन्द्रमा आ जाने से सूर्य चन्द्रमा के कारण दिखाई नही देता इस स्थिति को सूर्यग्रहण कहते हे। जब सूर्य का एक भाग छिप जाता है, तो उसे आंशिक सूर्यग्रहण और जब पूरा सूर्य ही कुछ क्षणों के लिए छिप जाता है, तो उसे पूर्ण सूर्यग्रहण कहते है। पूर्ण सूर्यग्रहण हमेशा अमावस्या को ही होता है। 



चन्द्रग्रहण(Lunar Eclipse)-जब सूर्य और चन्द्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है, तो सूर्य की पूरी रोशनी चन्द्रमा पर नही पडती हैं इस स्थिति को चन्द्रग्रहण कहते है। चन्द्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा की रात्रि में ही होता है। 



स्थानीय और प्रमाणिक समय (Local and Standard Times)

  • प्रत्येक देशान्तर के पूर्व और पश्चिम में जाने पर 4 मिनट का अन्तर आता है.
  • किसी स्थान विशेष का सूर्य की स्थिति से परिकलित समय स्थानीय समय कहलाता है.
  • इस समय का आकलन उस समय किया जाता है जब सूर्य आकाश में सबसे उच्चतम स्थिति में पहुंच जाता है और भमि पर किसी वस्तु विशेष की छाया छोटी हो जाती है.
  • इसके विपरीत किसी देश के बीच से गुजरने वाली याम्योत्तर (Meredian) से लिए गए समय को उस देश का प्रमाणिक समय (Standard Time) कहते हैं जो सम्पूर्ण देश के लिए मान्य होता है .
  • अपने देश भारत का प्रमाणिक समय 82½° पूर्वी देशान्तर से लिया गया है जो इलाहाबाद से गुजरता है.
  • इसी प्रकार प्रत्येक देश की अपनी एक प्रमाणिक देशान्तर रेखा है जिससे देश का प्रमाणिक समय लिया जाता है.
  • लेकिन समस्या उस समय आती है जब देश का आकार बड़ा होता है खासकर पूर्व पश्चिम दिशा में.
  • ये देश जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस को अलग-अलग समय कटिबंधों (Time Zones) में बाँटा गया है जैसे कि संयुक्त राज्य अमेरिका को पांच और रूस को 11 समय कटिबंधों में बांटा गया है.
  • इन्हीं समय कटिबंधों से इन देशों का प्रमाणिक समय निर्धारित होता है.

अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (International Date Line) 

  • जहाँ विश्व को 24 टाइम जोन(Time Zone) में विभाजित किया गया है, वहीं एक स्थान तो ऐसा होगा जहाँ ग्रीनविच(लंदन) समय से पूरे दिन का अंतर होगा, अर्थात् ऐसा स्थान, जहाँ से पृथ्वी पर सचमुच दिन का प्रारंभ होता है। 180° देशांतर रेखा लगभग उसी स्थान पर स्थित है, जहाँ से अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा गुजरती है।
  • यह देखा जाता है कि 15° देशान्तर पर एक घन्टे का अन्तर आता है जो बढ़कर 75° देशान्तर पर पांच घंटे हो जाता है और 180° देशान्तर पर 12 घंटे का अन्तर आ जाता है.
  • यह अन्तर 360° देशान्तर पर 24 घंटे का हो जाता है.
  • इस स्थिति को समाप्त करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रो. डेविडसन ने अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा का निर्धारण किया जो पृथ्वी के स्थल खण्डों को छोड़ते हुये पृथ्वी पर 180° देशान्तर की समानता रखते हुए खींची गई है.
  • परन्तु स्थल के लोगों में समय सम्बन्धी कोई गड़बड़ न हो इसलिए कुछ भागों में यह रेखा मुड़ जाती है और जल से होकर गुजरती है.
  • इस देशांतर के समय में 0° देशांतर से ठीक 12 घंटे का अंतर होता है, चाहे प्रमुख याम्योत्तर से पूर्व जाएँ या पश्चिम। हम जानते हैं कि प्रमुख याम्योत्तर के पूर्व में समय बढ़ता है तथा पश्चिम में घटता है। इसलिए, जब कोई व्यक्ति प्रमुख याम्योत्तर से पूर्व दिशा की ओर जाता है, तो वहाँ का समय 0° देशांतर से 12 घंटे कम होगा और पश्चिम दिशा में जाने वाले दूसरे व्यक्ति के लिए समय 12 घंटे अधिक होगा।
  • उदाहरण के लिए, मंगलवार को पूर्व दिशा में जाने वाले व्यक्ति के लिए अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा को पार कर लेने पर बुधवार का दिन हो जाएगा। इसी प्रकार, मंगलवार  अपनी यात्रा शुरू करने वाले, लेकिन पश्चिम दिशा में जाने वाले व्यक्ति के लिए अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा पार कर लेने के बाद सोमवार का दिन हो जाएगा।
विषुवत रेखा(Equator)-पृथ्वी की मध्य सतह से होकर जाने वाली वह अक्षांश रेखा है जो उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव से बराबर दूरी पर होती हैं। यह शून्य अंश की अक्षांश रेखा है। विषुवत रेखा के उत्तरी भाग को उत्तरी गोलार्द्ध और दक्षिणी भाग को दक्षिणी गोलार्द्ध कहते है। 

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