वैष्णव धर्म
वैष्णव धर्म का विकास छठी शताब्दी ई०पू० में हुआ इस धर्म का विकास भागवत धर्म से हुआ है।वैष्णव धर्म की आरंभिक जानकारी छांदोग्य उपनिषद से मिलती है।
वैष्णव धर्म के प्रवर्तक कृष्ण थे। ‘हेराकुलिज‘ कृष्ण का यूनानी नाम है।
ब्राह्मण ग्रंथों में विष्णु के 39 अवतारों का उल्लेख है जिनमें 10अवतारों को वैष्णव धर्म में मान्यता दी गई है।
वैष्णव धर्म में ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सर्वाधिक महत्व भक्ति को दिया गया है।
विष्णु के दस अवतार :
1. मत्स्य 6. परशुराम 2. कूर्म 7. राम 3. वराह 8. बलराम 4. नृसिंह 9. बुद्ध 5. वामन 10. कल्कि
1. मत्स्य | 6. परशुराम |
2. कूर्म | 7. राम |
3. वराह | 8. बलराम |
4. नृसिंह | 9. बुद्ध |
5. वामन | 10. कल्कि |
प्रमुख सम्प्रदाय, मत एवं आचार्य:
प्रमुख सम्प्रदाय |
मत |
आचार्य |
वैष्णव सम्प्रदाय |
विशिष्टाद्वैत |
रामानुज |
ब्रह्म सम्प्रदाय |
द्वैत |
आनंदतीर्थ |
रुद्र सम्प्रदाय |
शुद्धाद्वैत |
वल्लभाचार्य |
सनक सम्प्रदाय |
द्वैताद्वैत |
निम्बार्क |
प्रमुख सम्प्रदाय, संस्थापक एवं पुस्तक:
प्रमुख सम्प्रदाय |
संस्थापक |
पुस्तक |
बरकरी |
नामदेव |
— |
श्रीवैष्णव |
रामानुज |
ब्रह्मसूत्र |
परमार्थ |
रामदास |
दासबोध |
रामभक्त |
रामानंद |
अध्यात्म रामायण |
वैष्णव ग्रंथ:
ईश्वर संहिता |
ऐतरेय ब्राह्मण |
पाद्मतन्त |
महाभारत |
विष्णुसंहिता |
रामायण |
शतपथ ब्राह्मण |
विष्णु पुराण |
Post a Comment