• प्रमुख चरण: प्रागैतिहासिक चित्रों के तीन प्रमुख चरण हैं:
    • उत्तर पुरापाषाण युगीन चित्रकला 
    • मध्यपाषाण युगीन चित्रकला 
    • ताम्रपाषाणयुगीन चित्रकला 
  • प्रमुख चरण: प्रागैतिहासिक चित्रों के तीन प्रमुख चरण हैं:
    • उत्तर पुरापाषाण युगीन चित्रकला 
    • मध्यपाषाण युगीन चित्रकला 
    • ताम्रपाषाणयुगीन चित्रकला 
  • शैलोत्कीर्ण:
    • शिकार के दृश्यों, जानवरों के समूहों और नृत्य करती मानव आकृतियों वाले शैलोत्कीर्ण (Petroglyphs) जम्मू-कश्मीर की शैल चित्र कला के मुख्य विषय हैं।
    • उत्तराखंड में कुमाऊँ की पहाड़ियों में भी कुछ शैल चित्र पाए गए हैं।
    • शैलोत्कीर्ण कर्नाटक में भी देखे जाते हैं, जहाँ पत्थर पर मवेशियों, हिरणों और शिकार के दृश्यों जैसी आकृतियों को दर्शाया गया है।
  • उत्तर पुरापाषाणकालीन चित्र

    • उत्तर पुरापाषाण युग: लगभग 40,000 वर्ष पूर्व के काल को उत्तर पुरापाषाण युग माना जाता है।
      • इस युग में आदिम मानव ने सबसे अधिक सांस्कृतिक प्रगति की। हड्डी, दाँत और सींग से बने उपकरणों के साथ क्षेत्रीय पत्थरों के औज़ार उद्योगों का उद्भव इस युग की विशेषता थी।
      • भारत में इन स्थलों को आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश के मध्य भाग में (Central Madhya Pradesh), महाराष्ट्र, दक्षिणी उत्तर प्रदेश और दक्षिण बिहार के पठार में खोजा गया था।
    • चित्रकला तकनीक: उत्तर पुरापाषाण युग के चित्र हरी और गहरी लाल रेखाओं से बनाए गए हैं।
      • शैलाश्रयों गुफाओं की दीवारें क्वार्टज़ाइट (Quartzite) से बनाई गई थीं।
      • रंग और रंजक द्रव्य विभिन्न पत्थरों तथा खनिजों को कूट-पीस कर तैयार किये जाते थे। 
      • लाल रंग हिमरच (जिसे गेरू भी कहा जाता है) से बनाया जाता था। हरा रंग कैल्सेडोनी नामक पत्थर की हरी किस्म से तैयार किया जाता था तथा सफेद रंग संभवतः चुना पत्थर से बनाया जाता था। 
    • उन्होंने लाल, सफेद, पीले और हरे आदि रंगों को बनाने के लिये विभिन्न खनिजों का उपयोग किया।
      • बड़े जानवरों को चित्रित करने के लिये सफेद, गहरे लाल और हरे रंग का उपयोग किया गया था।
      • लाल रंग का उपयोग शिकारियों के चित्रण के लिये और हरे रंग का प्रयोग नर्तकियों के चित्रण के लिये किया जाता था।
    • जानवरों का चित्रण: इन चित्रों में मुख्य रूप से विशाल जानवरों की आकृतियाँ जैसे कि बाइसन, हाथी, बाघ, गैंडे और छड़ी जैसी मानव आकृतियाँ शामिल हैं।

    मध्यपाषाण चित्रकला 

    • मध्यपाषाण काल: इस युग में विशिष्ट संस्कृतियों का वर्णन किया गया है यह पुरापाषाण और नवपाषाण काल के बीच की अवधि है।
      • जबकि मध्यपाषाण युग की शुरुआत और समाप्ति की तारीख भौगोलिक क्षेत्र से भिन्न होती है, यह लगभग 10,000 ईसा पूर्व से 8,000 ईसा पूर्व के बीच मानी जाती है।
      • इस युग में मुख्य रूप से लाल रंग का उपयोग देखा गया है।
      • इस अवधि के दौरान विभिन्न विषयों की संख्या कई गुना बढ़ गई, मगर चित्रों का आकार छोटा हो गया।
    • चित्रों के विषय: इस युग में शिकार के दृश्य प्रमुख हैं। चित्रों में दर्शाए गए कुछ दृश्य निम्नलिखित है:
      • समूहों में शिकार करते लोग।
      • काँटेदार भाले, नोकदार डंडे, तीर-कमान लेकर जानवरों का शिकार करते लोग।
      • कुछ चित्रों में आदिमानवों को जाल-फंदे लेकर या गड्ढे आदि खोदकर जानवरों को पकड़ने की कोशिश करते लोग।
    • जानवरों का चित्रण: मध्यपाषाण युग के कलाकार जानवरों को चित्रित करना अधिक पसंद करते थे।
      • कुछ चित्रों में हाथी, जंगली सॉंड, बाघ, शेर, सूअर, बारहसिंगा, हिरन, तेंदुआ, चीता, गैंडा, मछली, मेढक, छिपकली, गिलहरी जैसे छोटे-बड़े जानवरों और पक्षियों को भी चित्रित किया गया है।
    • सामाजिक जीवन: इन चित्रों में युवा, बूढ़े, बच्चे और महिलाओं को समान रूप से स्थान दिया गया है।
      • अनेक शैलाश्रयों में हम हाथ और मुट्ठी की छाप पाते हैं तो कुछ में उँगलियों के सिरों से बने निशान।

    भीमबेटका शैल चित्र

    • स्थान: यह मध्य प्रदेश के विंध्यन रेंज (Vidhyan Ranges) में भोपाल के दक्षिण में स्थित है, जहाँ 500 से अधिक शैल चित्र हैं।
      • भीमबेटका की गुफाओं की खोज वर्ष 1957-58 में डॉ. वी.एस. वाकणकर द्वारा की गई थी।
      • वर्ष 2003 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।
    • समय-सीमा: सबसे पुराना चित्र लगभग 30,000 वर्ष पुराना होने का अनुमान है जो गुफाओं में होने के कारण सुरक्षित है।
      • भीमबेटका में कुछ स्थानों पर चित्रों की 20 परतें तक हैं, जो एक-दूसरे के ऊपर बनाए गए हैं।
        • भीमबेटका के चित्र उत्तर पुरापाषाण, मध्यपाषाण, ताम्रपाषाणयुगीन, प्रारंभिक ऐतिहासिक और मध्यकालीन युग के हैं।
      • हालाँकि अधिकांश चित्रकारी मध्यपाषाण युग की है।
    • चित्रकारी तकनीक: प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त लाल, बैंगनी, भूरा, सफेद, पीला और हरा जैसे विभिन्न रंगों का उपयोग किया जाता था।
      • लाल रंग और सफेद रंग संभवतः चूना पत्थर से बनाया जाता था।
      • हरा रंग कैल्सेडोनी (Chalcedony) नामक पत्थर की हरी किस्म से तैयार किया जाता था।
      • पेड़ की पतली रेशेदार टहनियों से बने ब्रश का प्रयोग कर चित्र आदि बनाए जाते थे।
    • चित्रों के विषय: प्रागैतिहासिक काल के पुरुषों ने अपने रोजमर्रा के जीवन के दृश्य-अभिलेखों के लिये कई चित्र बनाए थे तथा इसमें मनुष्यों को छड़ी जैसे रूप में दिखाया गया है।
      • इनमें हाथी, बाइसन, हिरण, मोर और साँप जैसे विभिन्न जानवरों को चित्रित किया गया है।
      • सशस्त्र पुरुषों के साथ शिकार के दृश्य और युद्ध के दृश्य भी चित्रित किये गए थे।
      • सरल ज्यामितीय आकृतियाँ और प्रतीक भी बनाए जाते थे।

    ताम्रपाषाणकालीन चित्र

    • ताम्रपाषाण युग: नवपाषाण और प्रारंभिक कांस्य युग के बीच की अवधि, जिसके दौरान मानव समाज ने धातु के औज़ारों के साथ प्रयोग करना शुरू किया और धीरे-धीरे अपने समाजों को पुनर्गठित किया, ताम्रपाषाण युग कहा जाता है।
    • ताम्रपाषाण युग में हरे और पीले रंग का उपयोग करते हुए चित्रों की संख्या में वृद्धि देखी गई।
      • इस अवधि के चित्रों का समूह महाराष्ट्र के नरसिंहगढ़ में है।
        • महाराष्ट्र के नरसिंहगढ़ गुफाओं के चित्रों में चितकबरे हिरणों की खालों को सूखता हुआ दिखाया गया है।
        • हज़ारों वर्ष पहले हड़प्पा सभ्यता की मुहरों पर पहले से ही चित्र और रेखाचित्र दिखाई दिये थे।
    • सर्वाधिक विषय: अधिकांश चित्र युद्ध के दृश्यों को चित्रित करने पर केंद्रित हैं।
      • तीर-कमान लेकर चलने वाले पुरुषों के साथ घोड़ों और हाथियों की सवारी करने वाले पुरुषों के कई चित्र हैं, जो झड़पों (Skirmishes) की तैयारियों का संकेत देते हैं।
      • इस अवधि के चित्रों में भी वीणा की तरह अन्य वाद्य यंत्रों का चित्रण किया गया है।
      • कुछ चित्रों में सर्पिल रेखा (Spiral), विषमकोण (Rhomboid) और वृत्त (Circle) जैसी जटिल ज्यामितीय आकृतियाँ हैं।
    • छत्तीसगढ़ की चित्रकारी: छत्तीसगढ़ के कांकेर ज़िले में विभिन्न प्रकार की गुफाएँ मौजूद हैं, जैसे कि उडकुडा, गरगोड़ी, खापरखेड़ा, गोटिटोला, कुलगाँव आदि में मानव मूर्तियों, जानवरों, हथेलियों (Palms), ठप्पा (Print), बैलगाड़ियों आदि का चित्रण है।
      • बाद की अवधि के कुछ चित्र छत्तीसगढ़ के सरगुजा ज़िले में रामगढ़ पहाड़ियों के जोगीमारा गुफाओं में पाए गए।
        • जोगीमारा गुफा के चित्र अजंता और बाग की गुफाओं के शैल चित्रों से भी पुराने हैं और इनका संबंध बुद्ध (Buddha) से पूर्व की गुफाओं से है।
        • इसे 1000 ईसा पूर्व के आस-पास चित्रित किया गया है।
      • इसी तरह के चित्रों को कोरिया ज़िले के घोडासर (Ghodasar) और कोहबर शैल कला स्थलों (Kohabaur Rock Art Sites) में देखा जा सकता है।
      • एक और मनोरम स्थल चितवा डोंगरी (दुर्ग ज़िले) में है जहाँ गधे पर सवार एक चीनी व्यक्ति, ड्रैगन और कृषि वैज्ञानिकों के चित्र मिले हैं।

प्रागैतिहासिक काल (pragaitihasik kal) के महत्वपूर्ण Question & Answer

  1. आग का आविष्कार किस काल में हुआ – पुरा-पाषाणकाल
  2. सर्प्रथम पहिये का आविष्कार किस काल में हुआ – नव-पाषाणकाल
  3. मानव ने सर्प्रथम किस धातु का प्रयोग किया – ताँबा
  4. मनुष्य द्वारा बनाया जाने वाला प्रथम औजार क्या था – कुल्हाड़ी
  5. सर्प्रथम किस स्थल से कुल्हाड़ी मिलने के साक्ष्य मिलें – अतिरम्पक्कम
  6. कृषि का प्रथम उदाहरण किस स्थल से प्राप्त हुआ है – मेहरगढ़
  7. कृषि का आविष्कार किस काल में हुआ – नव-पाषाणकाल
  8. पुरापाषाण कालीन औजारों की खोज करने वाले प्रथम व्यक्ति कौन थे – रॉबर्ट ब्रुस फुट
  9. भारत का सबसे प्राचीन नगर कौन-सा था – मोहनजोदड़ो
  10. सिंधी भाषा में मोहनजोदड़ो का क्या अर्थ है – मृतकों का टीला
  11. इनामगांव किस युग की एक बड़ी बस्ती थी – ताम्रपाषाण युग
  12. नव-पाषाणकाल में मनुष्य ने सबसे पहले किस जीव को पालतू बनाया – कुत्ता
  13. मनुष्य में स्थायी निवास की प्रवृत्ति किस काल में हुई – नव-पाषाणकाल
  14. नव-पाषाणकाल में कृषि के लिए अपनाई गई सबसे प्राचीन फसल कौन-सी थी – गेहूँ एवं जौ
  15. चावल के प्राचीनतम साक्ष्य किस स्थल से मिले हैं – कोल्डिहवा (उत्तरप्रदेश)
  16. पूर्व-पाषाण युग में मानव की जीविका का मुख्य आधार क्या था – शिकार
  17. भारत में पूर्व प्रस्तर युग के अधिकांश औजार किस चीज के बने थे – स्फटिक (पत्थर)

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