कृषि

कृषि एवं इससे संबद्ध क्षेत्र भारत की अधिकांश जनसंख्या, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों, के लिए आजीविका का मुख्य साधन है। यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के निर्धारण में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। भारत एक कृषि प्रधान देश है | भारत में कुल श्रमशक्ति का लगभग 54% भाग कृषि क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करता है, इसलिए भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है | 

 

खरीफ फसलें देश के विभिन्न क्षेत्रों में मानसून के आगमन के साथ बोई जाती हैं और सितंबर-अक्तूबर में

काट ली जाती हैं। इस ऋतु में बोई जाने वाली मुख्य फसलों में चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, तुर (अरहर), मूँग,

उड़द, कपास, जूट, मूँगफली और सोयाबीन शामिल हैं। चावल की खेती मुख्य रूप से असम, पश्चिमी बंगाल,

ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाणा, तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र विशेषकर कोंकण तटीय क्षेत्रों, उत्तर प्रदेश और

बिहार में की जाती है। पिछले कुछ वर्षों में चावल पंजाब और हरियाणा में बोई जाने वाली महत्त्वपूर्ण फसल बन

गई है। असम, पश्चिमी बंगाल और ओडिशा में धान की तीन फसलें - ऑस, अमन और बोरो बोई जाती हैं।


रबी और खरीफ फसल ऋतुओं के बीच ग्रीष्म ऋतु में बोई जाने वाली फसल को शायद कहा जाता है। शायद

ऋतु में मुख्यत तरबूज, खरबूजे, खीरे, सब्जियों और चारे की फसलों की खेती की जाती है। गन्ने की फसल को

तैयार होने में लगभग एक वर्ष लगता है।


रबी फसलों को शीत ऋतु में अक्तूबर से दिसंबर के मध्य बोया जाता है और ग्रीष्म ऋतु में अप्रैल से जून के

मध्य काटा जाता है। गेहूँ, जौ, मटर, चना और सरसों कुछ मुख्य रबी फसलें हैं। यद्यपि ये फसलें देश के विस्तृत भाग में बोई जाती हैं उत्तर और उत्तरी पश्चिमी राज्य जैसे पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश  गेहूँ और अन्य रबी फसलों के उत्पादन के लिए महत्त्वपूर्ण राज्य हैं।

शीत ऋतु में शीतोष्ण पश्चिमी विक्षोभों से होने वाली वर्षा इन फसलों के अधिक उत्पादन में सहायक होती है। पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ भागों में हरित क्रांति की सफलता भी उपर्युक्त रबी फसलों की वृद्धि में एक महत्त्वपूर्ण कारक है।


मुख्य फसलें-मिट्टी, जलवायु और कृषि पद्धति में अंतर के कारण देश के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक प्रकार की खाद्य और अखाद्य फसलें उगाई जाती हैं। भारत में उगाई जाने वाली मुख्य फसलें, चावल, गेहूँ, मोटे अनाज, दालें, चाय, कॉफी, गन्ना, तिलहन, कपास और जूट इत्यादि हैं।

चावल -भारत में अधिकांश लोगों का खाद्यान्न चावल है। हमारा देश चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है। यह एक खरीफ की फसल है जिसे उगाने के लिए उच्च तापमान (25 सेल्सियस से ऊपर) और अधिक आर्द्रता (100 सेमी. से अधिक वर्षा) की आवश्यकता होती है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में इसे सिंचाई करके उगाया जाता है। चावल उत्तर और उत्तर-पूर्वी मैदानों, तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में उगाया जाता है। नहरों के जाल और नलकूपों की सघनता के कारण पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ कम वर्षा वाले क्षेत्रों में चावल की फसल उगाना संभव हो पाया है।

गेहूँ- गेहूँ भारत की दूसरी सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। जो देश के उत्तर और उत्तर-पश्चिमी भागों में पैदा की जाती है। रबी की फसल को उगाने के लिए शीत ऋतु और पकने के समय खिली धूप की आवश्यकता होती है। इसे उगाने के लिए समान रूप से वितरित 50 से 75 सेमी. वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। देश में गेहूँ उगाने वाले दो मुख्य क्षेत्र हैं उत्तर-पश्चिम में गंगा-सतलुज का मैदान और दक्कन का काली मिट्टी वाला प्रदेश। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ भाग गेहूँ पैदा करने वाले मुख्य राज्य हैं।

भारत में भी यह प्रारंभिक किस्म की खेती अनेक नामों से जानी जाती है, जैसे मध्य प्रदेश में ‘बेबर या दहिया’, आंध्रप्रदेश में ‘पोडु’ अथवा ‘पेंडा’, ओडिशा में ‘पामाडाबी’ या ‘कोमान’ या ‘बरीगाँ’, पश्चिम घाट में ‘कुमारी’, दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में ‘वालरे’ या ‘वाल्टरे’, हिमालयन क्षेत्रा में ‘खिल’, झारखंड में ‘कुरुवा’ और उत्तर पूर्वी प्रदेशों में ‘झूम’ आदि।

विभिन्न प्रकार की कृषि विधियाँ

कृषि नामसम्बन्धित क्षेत्र
सेरीकल्चर:- रेशमकीट पालन
एपीकल्चर:- मधुमक्खी पालन
पिसीकल्चर:- मत्स्य पालन
फ्लोरीकल्चर:- फूलों का उत्पादन
विटीकल्चर:- अंगूर की खेती
वर्मीकल्चर:- केंचुआ पालन
पोमोकल्चर:- फलों का उत्पादन
ओलेरीकल्चर:- सब्जियों का उत्पादन
हॉर्टीकल्चर:- बागवानी
एरोपोर्टिक:- हवा में पौधों को उगाना
हाइड्रोपोनिक्स:- जल में पौधों को उगाना (मृदारहित कृषि)

विभिन्न कृषि क्रांतियाँ 

क्रांति नामसम्बन्धित क्षेत्र
हरित क्रान्ति:- खाद्यान्न उत्पादन
श्वेत क्रान्ति:- दुग्ध उत्पादन
नीली क्रान्ति:- मत्स्य उत्पादन
भूरी क्रान्ति:- उर्वरक उत्पादन
रजत क्रान्ति:- अंडा उत्पादन
पीली क्रान्ति:- तिलहन उत्पादन
कृष्ण क्रान्ति:- बायोडीजल उत्पादन
लाल क्रान्ति:- टमाटर/मांस उत्पादन
गुलाबी क्रान्ति:- झींगा मछली उत्पादन
बादामी क्रान्ति:- मसाला उत्पादन
सुनहरी क्रान्ति:- फल उत्पादन
अमृत क्रान्ति:- नदी जोड़ो परियोजनाएं

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