भारत की कृषि

भारत एक कृषि प्रधान देश है| भारत में कुल श्रमशक्ति का लगभग 54% भाग कृषि क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करता है, इसलिए भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है| कृषि एवं इससे संबद्ध क्षेत्र भारत की अधिकांश जनसंख्या, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों, के लिए आजीविका का मुख्य साधन है। यह सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) के निर्धारण में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। 

भारतीय कृषि को मौसम पर आधारित तीन फसली मौसमों में बांटा गया है:-

रबी फसल(Rabi crop)– शीत ऋतु की फसलें रबी कहलाती है। इन फसलों की बुआई के समय कम तापमान तथा पकते समय शुष्क और गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है।

फसलें सामान्यता अक्टूबर-नवंबर में बोई जाती हैं और मार्च-अप्रैल में काट ली जाती हैं इसके अंतर्गत प्रमुख फसलें गेहूँ, जौ, मटर, चना और सरसों कुछ मुख्य रबी फसलें हैं।

यद्यपि ये फसलें देश के विस्तृत भाग में बोई जाती हैं उत्तर और उत्तरी पश्चिमी राज्य जैसे पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश  गेहूँ और अन्य रबी फसलों के उत्पादन के लिए महत्त्वपूर्ण राज्य हैं।

शीत ऋतु में शीतोष्ण पश्चिमी विक्षोभों से होने वाली वर्षा इन फसलों के अधिक उत्पादन में सहायक होती है। पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ भागों में हरित क्रांति की सफलता भी उपर्युक्त रबी फसलों की वृद्धि में एक महत्त्वपूर्ण कारक है।

2 खरीफ फसल(Kharif crop)- यह वर्षाकाल की फसलें है इन फसलों को बोते समय अधिक तापमान एवं आर्द्रता तथा पकते समय शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती है। जो दक्षिण पश्चिम मानसून के प्रारंभ के साथ यानी जून-जुलाई मे बोई जाती हैं और सितंबर अक्टूबर तक काट ली जाती हैं

इसके अंतर्गत  ज्वार, बाजरा, धान, मक्का, मूंग, सोयाबीन, लोबिया, मूंगफली, कपास, जूट, गन्ना, तम्बाकू, कुछ मुख्य खरीफ फसलें हैं।

चावल की खेती मुख्य रूप से असम, पश्चिमी बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाणा, तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र विशेषकर कोंकण तटीय क्षेत्रों, उत्तर प्रदेश और बिहार में की जाती है। पिछले कुछ वर्षों में चावल पंजाब और हरियाणा में बोई जाने वाली महत्त्वपूर्ण फसल बन गई है।

3 जायद फसल(Zayed crop)-  एक अल्पकालिक ग्रीष्म ऋतु की फसल है जो रबी एवं खरीफ के मध्यवर्ती काल में मई-जून में बोयी जाती है और जुलाई-अगस्त में काट ली जाती है। 

इसकी मुख्य फसले हैं-जूट, राई, मक्का, ज्वार, महुआ, तरबूज, खरबूजे, खीरे, सब्जियों और चारे की फसलों की खेती कुछ मुख्य जायद फसलें हैं।। गन्ने की फसल को तैयार होने में लगभग एक वर्ष लगता है।

कुछ अन्य फसलें-

व्यापारिक फसलें(Trading crops)

वे फसलें जिन्हें उगाने का मुख्य उद्देश्य व्यापार करके धन अर्जित करना होता है। जिसे किसान या तो संपूर्ण रूप से बेच देते हैं या फिर आंशिक रूप से उपयोग करते है तथा शेष बड़ा हिस्सा बेच देते हैं। मुख्य  व्यापारिक  फसलें  इस प्रकार हैं:-

  • तिलहन: मूंगफली, सरसों, तिल, अलसी, अण्डी, सूर्यमुखी।
  • शर्करा वाली फसलें: गन्ना, चुकन्दर।
  • रेशे वाली फसलें: जूट, मेस्टा, सनई और कपास।
  • उद्दीपक फसलें: तम्बाकू।
  • पेय फसलें: चाय और कहवा।

भारतीय कृषि के प्रकार ( Types of Indian Agriculture )

1 निर्वाह कृषि(Subsistence farming)
भारत के अधिकांश किसान अनाज का उत्पादन स्वयं परिवार के उपयोग के लिए करते हैं इस पद्धति में किसानों द्वारा छोटी-छोटी कृषि भूमि पर अपने परिवार के सदस्य एवं भारवाहक पशुओं की सहायता से पुराने तरीके एवं उपकरणों से कृषि की जाती हैं

2 स्थानांतरित कृषि(Transferred farming)

इस प्रकार की कृषि भारत में असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ एवं आंध्र प्रदेश में मुख्यता की जाती है इसमें हस्तनिर्मित उपकरणों द्वारा सूखा धान मक्का बाजरा आदि की कृषि की जाती है

3 वाणिज्यिक कृषि(Commercial agriculture)

इस प्रकार की कृषि के मुख्य लक्षण आधुनिक निवेशों जैसे अधिक पैदावार देने वाले बीजों, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग से उच्च पैदावार प्राप्त करना है। कृषि के वाणिज्यीकरण का स्तर विभिन्न प्रदेशों में अलग-अलग है। उदाहरण के लिए हरियाणा और पंजाब में चावल वाणिज्य की एक फसल है परंतु ओडिशा में यह एक जीविका फसल है।

4 रोपण कृषि(Plantation farming)

भारत में चाय, कॉफी, रबड़, गन्ना, केला इत्यादि महत्त्वपूर्ण रोपण फसले हैं। असम और उत्तरी बंगाल में चाय, कर्नाटक में कॉफी वहाँ की मुख्य रोपण फसलें हैं। चूँकि रोपण कृषि में उत्पादन बिक्री के लिए होता है इसलिए इसके विकास में परिवहन और संचार साधन से संबंधित उद्योग और बाजार महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।

भारत की प्रमुख फसलें(Main crops of India)

1.चावल(Rice)- चावल भारत में सबसे अधिक उगाई जाने वाली फसल है। चावल उगाने के लिए 100 से.मी. से अधिक की वर्षा एवं 25 डिग्री सेल्शियस से अधिक तापमान की आवश्यकता होती है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में इसे सिंचाई करके उगाया जाता है। चिकनी, कछारी तथा दोमट मिट्टी को चावल की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।

छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, बिहार, आन्ध्र प्रदेश, ओड़िसा, उत्तर प्रदेश तथा तमिलनाडु चावल के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। कुल कृषि भूमि के 25%भाग पर चावल की खेती की जाती है। विश्व के कुल चावल उत्पादन में भारत का चीन के बाद दूसरा स्थान है। 

  • समुचित खाद:-जैसे हरी खाद,अमोनिया सल्फेट,सुपर-फास्फेट आदि।
  • किस्में:- ताईचुंग,कावेरी,मंसूरी,भवानी,रत्ना, पदमा, जया, IR-8,जमुना आदि।
2.मक्का(Maize):-यह एक ऐसी फसल है जो खाद्यान्न व चारा दोनों रूप में प्रयोग होती है। यह एक खरीफ फसल है जो 21 डिग्री सेल्सियस से 27 डिग्री सेल्सियस तापमान में और पुरानी जलोढ़ मिट्टी पर अच्छी प्रकार से उगायी जाती है। बिहार जैसे कुछ राज्यों में मक्का रबी की ऋतु में भी उगाई जाती है। आधुनिक प्रौद्योगिक निवेशों जैसे उच्च पैदावार देने वाले बीजों, उर्वरकों और सिंचाई के उपयोग से मक्का का उत्पादन बढ़ा है। कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश मक्का के मुख्य उत्पादक राज्य हैं।
3.ज्वार(Sorghum)-ज्वार भारत की प्रमुख फसलों में से एक है। ज्वार उगाने के लिए 30 से.मी. से 100 से.मी. तक की वर्षा की आवश्यकता होती है। ज्वार बोते समय 21 डिग्री सेल्शियस तथा काटते समय 25 डिग्री सेल्शियस तापमान होना चाहिए। हल्की दोमट मिट्टी को चावल की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।

महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, तथा तमिलनाडु ज्वार के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं क्षेत्रफल एवं उत्पादन की वृद्धि से चावल और गेहूं के बाद ज्वार देश में तीसरी सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान फसल ह विश्व में ज्वार का सबसे बड़ा उत्पादक देश भारत है।

  • किस्में:-सी एस एच-1,सी एस एच-4,सी एस वी-2 आदि।
4.बाजरा(Millet)-बाजरा भारत की प्रमुख फसलों में से एक है। बाजरा उगाने के लिए 50 से.मी. से 70 से.मी. तक की वर्षा की आवश्यकता होती है। बाजरा बोते समय 25 डिग्री सेल्शियस तथा काटते समय 35 डिग्री सेल्शियस तापमान होना चाहिए। बालुई मिट्टी को बाजरा की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।

रागी शुष्क प्रदेशों की फसल है और यह लाल, काली, बलुआ, दोमट और उथली काली मिट्टी पर अच्छी तरह उगायी जाती है।

कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, सिक्किम, झारखंड और अरुणाचल प्रदेश बाजरा के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं बाजरा अफ़्रीकी मूल का पौधा है। यह गरीबो की प्रमुख फसल है। बाजरा विश्व में बाजरा के क्षेत्रफल एवं उत्पादन की दृष्टि से भारत का प्रथम स्थान है।

  • किस्में:- सी ओ 1-5, के-1, एक्स-3, एच बी-67
5.गेहूँ(wheat)-चावल के बाद गेहूँ,भारत की दूसरी प्रमुख फसल है। रबी की फसल को उगाने के लिए शीत ऋतु और पकने के समय खिली धूप की आवश्यकता होती है। इसे उगाने के लिए समान रूप से वितरित 50 से 75 सेमी. वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। उष्ण जलवायु के कारण उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत में गेहूँ कम समय में पक जाता है। भारत में हरित-क्रांति का सबसे अनुकूल प्रभाव गेहूँ की कृषि पर पड़ा है। देश में गेहूँ उगाने वाले दो मुख्य क्षेत्र हैं- उत्तर-पश्चिम में गंगा-सतलुज का मैदान और दक्कन का काली मिट्टी वाला प्रदेश। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, और राजस्थान के कुछ भाग गेहूँ पैदा करने वाले मुख्य राज्य हैं।
6.तंबाकू(Tobacco)-तंबाकू भारत में 1508 ईसवी में पुर्तगालियों द्वारा लाया गया था आज भारत चीन के बाद तंबाकू का दूसरा बड़ा उत्पादक है वर्तमान में यह सरकार के राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है! तंबाकू के उत्पादन में आंध्र प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश एवं गुजरात का प्रमुख स्थान है आंध्र प्रदेश का प्रकाशन एवं गुंटूर जिला कृष्णा नदी का डेल्टा क्षेत्र तंबाकू उत्पादन हेतु प्रसिद्ध है|31 मई विश्व तंबाकू निषेध दिवस
  • वर्षा 50 से 100 सेंटीमीटर|
  • तापमान 16 डिग्री से 18 सेंटीग्रेड मिट्टी हल्की दोमट बलुई कछारी
  • किस्में- हेमा, गौतमी, CM-12 ,भव्या, वर्जिना 1158
  • प्रमुख उत्पादक आंध्र प्रदेश गुजरात, कर्नाटक ,तमिलनाडु, उड़ीसा|

7.मूंगफली(Peanut)-मूंगफली भारत की प्रमुख फसलों में से एक है। मूंगफली उगाने के लिए 75 से.मी. से 150 से.मी. तक की वर्षा की आवश्यकता होती है। मूंगफली बोते समय 15 डिग्री सेल्शियस तथा काटते समय 25 डिग्री सेल्शियस तापमान होना चाहिए। हल्की रेतीली मिट्टी को मूंगफली की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।

गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र तथा छत्तीसगढ़ मूंगफली के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।

8.चाय(TEA)-चाय की खेती रोपण कृषि का एक उदाहरण है। यह एक महत्त्वपूर्ण पेय पदार्थ की फसल है जिसे शुरुआत में अंग्रेज भारत में लाए थे। चाय का पौधा उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु, ह्यूमस और जीवांश युक्त गहरी मिट्टी तथा सुगम जल निकास वाले ढलवाँ क्षेत्रों में भली-भाँति उगाया जाता है। 

चाय की झाड़ियों को उगाने के लिए वर्षभर कोष्ण, नम और पालारहित जलवायु की आवश्यकता होती है। 

चाय उगाने के लिए 200 से.मी. से 300 से.मी. तक की वर्षा की आवश्यकता होती है। चाय बोते समय 24 डिग्री सेल्शियस तथा काटते समय 30 डिग्री सेल्शियस तापमान होना चाहिए। हल्की तथा उपजाऊ मिट्टी को चाय के बगानों के लिए उपयुक्त माना जाता है।

चाय के मुख्य उत्पादक क्षेत्रों में असम, पश्चिमी बंगाल में दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी जिलों की पहाड़ियाँ, तमिलनाडु और केरल हैं। इनके अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, मेघालय, आंध्र प्रदेश और त्रिपुरा आदि राज्यों में भी चाय उगाई जाती है।

9.कपास(Cotton)-यह खरीफ की फसल है और इसे तैयार होने में 6 से 8 महीने लगते हैं। इस फसल को उगाने के लिए उच्च तापमान, हल्की वर्षा या सिंचाई, 210 पाला रहित दिन और खिली धूप की आवश्यकता होती है। यह खरीफ की फसल है और इस पककर तैयार होने में 6 से 8 महीने लगते हैं।

दक्कन पठार के शुष्कतर भागों में काली मिट्टी कपास उत्पादन के लिए उपयुक्त मानी जाती है। 

महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश कपास के मुख्य उत्पादक राज्य हैं।

10.गन्ना(Sugarcane)-गन्ना भारत की प्रमुख फसलों में से एक है। गन्ना उगाने के लिए 75 से.मी. से 100 से.मी. तक की वर्षा एवं 21 डिग्री सेल्सियस से 27 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। यह फसल  दोमट या नमी वाली गहरी तथा चिकनी मिट्टी को गन्ने की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।

गन्ने का उपयोग चीनी, गुड़, खांडसारी और शीरा बनाने के काम आता है।

उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाणा, बिहार, पंजाब और हरियाणा गन्ना के मुख्य उत्पादक राज्य हैं।

11.जूट(JUTE)-जूट को सुनहरा रेशा कहा जाता है। जूट की फसल बाढ़ के मैदानों में जलनिकास वाली उर्वरक मिट्टी में उगाई जाती है जहाँ हर वर्ष बाढ़ से आई नई मिट्टी जमा होती रहती है। इसके बढ़ने के समय उच्च तापमान की आवश्यकता होती है। कांप मिट्टी को जूट की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।

पश्चिम बंगाल, बिहार, असम और ओडिशा तथा मेघालय जूट के मुख्य उत्पादक राज्य हैं। इसका प्रयोग बोरियाँ, चटाई, रस्सी, तंतु व धागे, गलीचे और दूसरी दस्तकारी की वस्तुएँ बनाने में किया जाता है। 

12.सरसों(Mustard)-सरसों भारत की प्रमुख फसलों में से एक है। सरसों उगाने के लिए 75 से.मी. से 150 से.मी. तक की वर्षा की आवश्यकता होती है। सरसों बोते तथा काटते समय 20 डिग्री सेल्शियस तापमान होना चाहिए। दोमट मिट्टी को सरसों की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है। 

राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, पंजाब तथा असम सरसों के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।

13.रेपसीड(कैनोला)(Rapeseed)-रेपसीड भारत की प्रमुख फसलों में से एक है  रेपसीड उगाने के लिए 75 से.मी. से 150 से.मी. तक की वर्षा की आवश्यकता होती है  रेपसीड बोते तथा काटते समय 20 डिग्री सेल्शियस तापमान होना चाहिए। दोमट मिट्टी को रेपसीड की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।

राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, पंजाब तथा असम रेपसीड के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।

14.चने की फसल(Gram crop)-चना भारत की प्रमुख फसलों में से एक है। चना उगाने के लिए 75 से.मी. से 150 से.मी. तक की वर्षा की आवश्यकता होती है। चना बोते समय 20डिग्री सेल्शियस तथा काटते समय 35 डिग्री सेल्शियस तापमान होना चाहिए।  हल्की दोमट तथा चिकनी मिट्टी को चने की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।

पंजाब, हरियाणा , उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तथा महाराष्ट्र चना के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।

15.मोटे अनाज(Millets)- ज्वार, बाजरा और रागी भारत में उगाए जाने वाले मुख्य मोटे अनाज हैं। यद्यपि इन्हे मोटा अनाज कहा जाता है परंतु इनमें पोषक तत्त्वों की मात्रा अत्यधिक होती है। उदाहरणतया, रागी में प्रचुर मात्रा में लोहा, कैल्शियम, सूक्ष्म पोषक और भूसी मिलती है। क्षेत्रफल और उत्पादन की दृष्टि से ज्वार देश की तीसरी महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। यह फसल वर्षा पर निर्भर होती है। अधिकतर आर्द्र क्षेत्रों में उगाए जाने के कारण इसके लिए सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।

16.दालें-भारत विश्व में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक तथा उपभोक्ता देश है। शाकाहारी खाने में दालें सबसे अधिक प्रोटीन दायक होती हैं। तुर (अरहर), उड़द, मूँग, मसूर, मटर और चना भारत की मुख्य दलहनी फसले हैं।

दालों को कम नमी की आवश्यकता होती है और इन्हें शुष्क परिस्थितियों में भी उगाया जा सकता है। फलीदार फसलें होने के नाते अरहर को छोड़कर अन्य सभी दालें वायु से नाइट्रोजन लेकर भूमि की उर्वरता को बनाए रखती हैं। अतः इन फसलों को आमतौर पर अन्य फसलों के आवर्तन (rotating)  में बोया जाता है। भारत में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक दाल के मुख्य उत्पादक राज्य हैं।

17.कॉफी-भारतीय कॉफी अपनी गुणवत्ता के लिए विश्वविख्यात है। हमारे देश में अरेबिका किस्म की कॉफी पैदा की जाती है जो आरम्भ में यमन से लाई गई थी। इस किस्म की कॉफी की विश्व भर में अधिक माँग है। इसकी कृषि की शुरुआत बाबाबूदन पहाड़ियों से हुई और आज भी इसकी खेती नीलगिरि की पहाड़ियों के आस पास कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में की जाती है।

18.रबड़-रबड़ भूमध्यरेखीय क्षेत्र की फसल है परंतु विशेष परिस्थितियों में उष्ण और उपोष्ण क्षेत्रों में भी उगाई जाती है। इसको 200 सेमी. से अधिक वर्षा और 25 सेल्सियस से अधिक तापमान वाली नम और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। रबड़ एक महत्त्वपूर्ण कच्चा माल है जो उद्योगों में प्रयुक्त होता है। इसे मुख्य रूप से केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, अंडमान निकोबार द्वीप समूह और मेघालय में गारो पहाड़ियों में उगाया जाता है।

भारत की प्रमुख फसलों के नाम एवं सर्वाधिक उत्पादक राज्यों की सूची:

फसल

सर्वाधिक उत्पादक राज्यों के नाम

चावल

पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, बिहार और पंजाब

गेंहू

उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान

ज्वार

महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान

बाजरा

गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश

दलहन

मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात और आंध्र प्रदेश

तिलहन

मध्य प्रदेशगुजरातउत्तर प्रदेशबिहारराजस्थान, पश्चिम बंगाल और ओडिशा

जौ

उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और पंजाब

गन्ना

उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, हरियाणा और पंजाब

मूंगफली

गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू, कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश

चाय

असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, त्रिपुरा, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश

कहवा

कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र

कपास

महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब, कर्नाटक, हरियाणा, राजस्थान, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश

रबड़

केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, असम और अंडमान निकोबार द्वीप समूह

पटसन

पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, ओडिशा और उत्तर प्रदेश

तम्बाकू

आंध्र प्रदेश, गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु

काली मिर्च

केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और पुडुचेरी

हल्दी

आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और बिहार

काजू

केरल, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश


  • तिलहन प्रौद्योगिकी मिशन की स्थापना 1986 में हुई।
  • भारत विश्व में उर्वरक (फर्टिलाइजर) का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है।
  • पोटाशियम फर्टिलाइजर का पूरी तरह आयात किया जाता है।
  • आम, केला, चीकू, खट्टे नींबू, काजू, नारियल, काली मिर्च, हल्दी के उत्पादन में भारत का स्थान पहला है।
  • फलों और सब्जियों के उत्पादन में भारत का स्थान दुनिया में दूसरा है।

प्रमुख फसल और उनके जन्म स्थान 

  1. धान - भारत और इंडोनेशिया 
  2. मक्का - मध्य अमेरिका 
  3. गेहू - मध्य एशिया 
  4. तम्बाकू - दक्षिण अमेरिका 
  5. रबड - दक्षिण अमेरिका ब्राजील 
  6. जौ - चीन 
  7. अरहर - अफ्रीका 
  8. सोयाबीन - चीन 
  9. मूंग - भारत
  10. ज्वार - भारत 
  11. उरद - भारत 
  12. मसूर - चीन 
  13. अमरुद - अमेरिका 
  14. टमाटर - मेक्सिको 
  15. बाजरा - अफ्रीका 
  16. चाय - चीन 
  17. कहवा - ब्राजील 
  18. आलू - पेरू 
  19. गन्ना - भारत 

विभिन्न प्रकार की कृषि विधियाँ

कृषि नामसम्बन्धित क्षेत्र
सेरीकल्चररेशमकीट पालन
एपीकल्चरमधुमक्खी पालन
पिसीकल्चरमत्स्य पालन
फ्लोरीकल्चरफूलों का उत्पादन
विटीकल्चरअंगूर की खेती
वर्मीकल्चरकेंचुआ पालन
पोमोकल्चरफलों का उत्पादन
ओलेरीकल्चरसब्जियों का उत्पादन
हॉर्टीकल्चरबागवानी
एरोपोर्टिकहवा में पौधों को उगाना
हाइड्रोपोनिक्सजल में पौधों को उगाना (मृदारहित कृषि)

भारत में हरित क्रांति-भारत में हरित क्रांति लाने का श्रेय डॉ0 एम0एस0 स्वामीनाथन को जाता है। भारत में हरित क्रांति की शुरूआत 1967-68 ई0 में हुई। हरित क्रांति का सबसे अधिक प्रभाव गेहूँ और चावल की कृषि पर पड़ा। चावल की तुलना में गेहूँ के उत्पादन में वर्ष 2003-04 के मध्य तीन गुना से अधिक की वृद्धि हुई। 

भारत में द्वितीय हरित क्रांति 1983-84 ई0 में शुरू हुई। जिसमें अधिक अनाज उत्पादन, निवेश एवं कृषको को दी जाने वाली सेवाओं का विस्तार हुआ। 

हरित क्रान्ति का सम्बन्ध कृषि क्षेत्र में उत्पादन तकनीक के सुधार एवं कृषि उत्पादकता में वृद्धि करने से है इस क्रान्ति का श्रेय अमेरिका के डॉ. नॉर्मन बोरर्लाग और भारत के डॉ0 एम0एस0 स्वामीनाथन  को जाता है

भारत के प्रमुख कृषि संस्थान

केन्द्रीय चावल अनुसंधान केन्द्र -कटक
केन्द्रीय कपास अनुसंधान केन्द्र -नागपुर
राष्ट्रीय गन्ना प्रजनन संस्थान -कोयम्बटूर
भारतीय गन्ना अनुसंधान केन्द्र -लखनऊ
केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान -शिमला
राष्ट्रीय चाय अनुसंधान केन्द्र -जोरहट
राष्ट्रीय कॉफी अनुसंधान केन्द्र -चिकमंलूर
राष्ट्रीय रबर अनुसंधान केन्द्र -कोट्टायम
केन्द्रीय रेशम अनुसंधान केन्द्र- मैसूर
राष्ट्रीय जूट अनुसंधान केन्द्र -बैरकपुर
केन्द्रीय तंबाकू अनुसंधान केन्द्र -राजमुन्द्री
केन्द्रीय नारियल अनुसंधान संस्थान- काशरगोड
भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान- कानपुर
भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थान- हैदराबाद
केन्द्रीय कृषि मौसम विज्ञान केन्द्र -पूना
केन्द्रीय मिट्टी एवं जल संरक्षण अनुसंधान केन्द्र- देहरादून


विभिन्न कृषि क्रांतियाँ 

क्रांति नामसम्बन्धित क्षेत्र
हरित क्रान्तिखाद्यान्न उत्पादन
श्वेत क्रान्तिदुग्ध उत्पादन
नीली क्रान्तिमत्स्य उत्पादन
भूरी क्रान्तिउर्वरक उत्पादन
रजत क्रान्तिअंडा उत्पादन
पीली क्रान्तितिलहन उत्पादन
कृष्ण क्रान्तिबायोडीजल उत्पादन
लाल क्रान्तिटमाटर/मांस उत्पादन
गुलाबी क्रान्तिझींगा मछली उत्पादन
बादामी क्रान्तिमसाला उत्पादन
सुनहरी क्रान्तिफल उत्पादन
अमृत क्रान्तिनदी जोड़ो परियोजनाएं    

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.