राजभाषा


भारतीय संविधान के भाग 17 अनुच्छेद 343 में संघ की राजभाषा हिंदी एवं लिपि देवनागरी घोषित की गई है

अनुच्छेद 344 राष्ट्रपति को राजभाषा से संबंधित सलाह देने के उद्देश्य से राजभाषा आयोग के गठन का प्रावधान करता है। 1955 ईस्वी में राष्ट्रपति द्वारा बी जी खेर की अध्यक्षता में प्रथम राजभाषा आयोग गठित किया गया प्रथम राजभाषा आयोग ने 1956 ईस्वी में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की

संविधान की आठवीं अनुसूची में आरंभ में सिर्फ 14 भाषाएं शामिल की गई थी परंतु बाद में कुछ संशोधनों के द्वारा 8 और भाषाओं को आठवीं अनुसूची में जोड़ा गया जिससे इन की कुल संख्या 22 हो गई, जो इस प्रकार है-

  • असमिया,  तेलुगु, हिंदी, सिंधी, मलयालम, मैथिली, तमिल, गुजराती, कोकणी, कश्मीरी, नेपाली, उड़िया, बंगला, उर्दू, कन्नड़, मणिपुरी, मराठी, संथाली, पंजाबी, डोगरी, संस्कृत, बोडो।
  • 21 वां संविधान संशोधन 1967–  सिंधी को जोड़ा गया
  • 71 वां  संविधान संशोधन 1992–  मणिपुरी, कोंकणी, एवं नेपाली को जोड़ा गया
  • 92वां संविधान संशोधन 2004– मैथिली, संथाली, डोगरी एवं  बोडो को जोड़ा गया

राजभाषा विभाग के कार्य:
राजभाषा संबंधी सांविधानिक और कानूनी उपबंधों का अनुपालन सुनिश्चित करने और संघ के सरकारी काम-काज में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए गृह मंत्रालय के एक स्वतंत्र विभाग के रूप में जून, 1975 में राजभाषा विभाग की स्थापना की गई थी। उसी समय से यह विभाग संघ के सरकारी काम-काज में हिंदी का प्रगामी प्रयोग बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। भारत सरकार (कार्य आबंटन) नियम, 1961 के अनुसार, राजभाषा विभाग को निम्न कार्य सौंपे गए हैं-

(1) संविधान में राजभाषा से संबंधित उपबंधों तथा राजभाषा अधिनियम, 1963 (1963 का 19) के उपबंधों का कार्यान्वयन, उन उपबंधों को छोड़कर जिनका कार्यान्वयन किसी अन्य विभाग को सौंपा गया है।

(2) किसी राज्य के उच्च न्यायालय की कार्यवाही में अंग्रेजी भाषा से भिन्न किसी अन्य भाषा का सीमित प्रयोग प्राधिकृत करने के लिए राष्ट्रपति का पूर्व अनुमोदन।

(3) केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए हिंदी शिक्षण योजना और पत्र-पत्रिकाओं और उससे संबंधित अन्य साहित्य के प्रकाशन सहित संघ की राजभाषा के रूप में हिंदी के प्रगामी प्रयोग से संबंधित सभी मामलों के लिए केंद्रीय उत्तरदायित्व।

(4) संघ की राजभाषा के रूप में हिंदी के प्रगामी प्रयोग से संबंधित सभी मामलों में समन्वय, जिनमें प्रशासनिक शब्दावली, पाठय़ विवरण, पाठय़ पुस्तकें, प्रशिक्षण पाठय़क्रम और उनके लिए अपेक्षित उपस्कर (मानकीकृत लिपि सहित) शामिल हैं।

(5) केंद्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा का गठन और संवर्ग प्रबंधन।

(6) केंद्रीय हिंदी समिति से संबंधित मामले।

(7) विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा स्थापित हिंदी सलाहकार समितियों से संबंधित कार्य का समन्वय।

(8) केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो से संबंधित मामले।

(9) हिंदी शिक्षण योजना सहित केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान से संबंधित मामले।

(10) क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालयों से संबंधित मामले।

(11) संसदीय राजभाषा समिति से संबंधित मामले।

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