प्रोटीन(Protein) 

प्रोटीन शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग जे0 बर्जेलियस ने किया था। यह एक जटिल कार्बनिक यौगिक है, जो 20 अमीनो अम्लों से मिलकर बने होते है। ऐमीनो अम्ल सामान्यतः रंगहीन क्रिस्टलीय ठोस होते हैं। मानव शरीर का लगभग 15 % भाग प्रोटीन से ही निर्मित्त होता है। सभी प्रोटीन में नाइट्रोजन पाया जाता है। प्रोटीन के प्रमुख स्रोत दूध, पनीर, दालें, मूँगफली, मछली तथा मांस आदि हैं। यह शरीर के प्रत्येक भाग में उपस्थित होते हैं तथा जीवन का मूलभूत संरचनात्मक एवं क्रियात्मक आधार बनाते हैं। 

मनुष्य के शरीर में 20 प्रकार की प्रोटीन की आवश्यकता होती है। जिनमें से 10 का संश्लेषण उसका शरीर स्वयं करता है तथा शेष 10 भोजन के द्वारा प्राप्त होते है। 

प्रोटीन के प्रकार –

1.सरल प्रोटीन–ऐसे प्रोटीन जो सिर्फ अमीनो अम्ल से बने होते होते है सरल प्रोटीन कहलाते है। उदाहरण एल्ब्यूमिंस, ग्लोब्युमिंस, हिस्टोन आदि सरल प्रोटीन है।

2.संयुग्मी प्रोटीन–ऐसे प्रोटीन जिनके अनुओ में अन्य समूह भी जुड़े होते है, उनको संयुग्मी प्रोटीन कहते है। उदाहरण – क्रोमोप्रोटीन, ग्लाइको प्रोटीन आदि प्रमुख है।

3.व्युत्पन्न प्रोटीन–ऐसे प्रोटीन जो प्राकृतिक प्रोटीन के जलीय अपघटन द्वारा प्राप्त होते है उन्हें व्युत्पन्न प्रोटीन कहते है। उदाहरण – प्रोटीअन्स, पेप्टोन, पेप्टाइड, आदि।

प्रोट्रीन के कार्यः
1. शरीर में आवश्यकता पडने पर ऊर्जा देते है।
2. ये जैव उत्प्रेरक एवं जैविक नियंत्रक के रूप में कार्य करते है।
3. आनुवंशिकी लक्षणों के विकास का नियंत्रण करते है।
4. ये संवहन में भी सहायक होते है।
5. ये शारीरिक वृद्धि के लिए आवश्यक होते है। 

प्रोटीन के प्रमुख स्रोत –शाकाहारी लोगो के लिए प्रोटीन के मुख्य स्रोत दालें होती है। भारत में पाई जाने वाली डाले चना, अरहर, मटर, उड़द, मूंग,सोयाबीन आदि है। सोयाबीन में सबसे अधिक प्रोटीन की मात्रा 42% होतीं है। इसके अलावा मछली, मांस, लीवर, अंडे आदि प्रोटीन के मुख्य स्रोत है।

प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग:
1. क्वाशियोर्कर–बच्चो में प्रोटीन की कमी से क्वाशियोर्कर(Kwashiorkor) रोग होता है। इस रोग में बच्चो का हाथ और पैर दुबला पतला हो जाता है और पेट बाहर निकल जाता है।
2. मरास्मस–इसमें बच्चो की मांशपेशियो कमजोर और ढीली हो जाती है।


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