गैसीय ईंधन (Gaseous fuel)
एल. पी. जी. अत्यधिक ज्वलनशील होती है, अतः इससे होने वाली दुर्घटना से बचने के लिए इसमें सल्फर के यौगिक (मिथाइल मरकाप्टन) को मिला देते है, ताकि इससे रिसाव को इसकी गंध से पहचान लिया जाय।
गोबर गैस(Bio Gas): इस गैस को बनाने में उपयोग होने वाला आरंभिक पदार्थ मुख्यतः गोबर है, इसलिए इसका प्रचलित नाम ‘गोबर गैस‘ है। गीले गोबर (पशुओं के मल) के सड़ने पर ज्वलनशील मिठाने गैस बनती है, जो वायु की उपस्थिति में सुगमता से जलती है। गोबर गैस संयंत्र में शेष रहे पदार्थ का उपयोग कार्बनिक खाद के रूप में किया जाता है।
प्रोड्यूसर गैस(Producer Gas): यह गैस लाल तप्त कोक पर वायु प्रवाहित करके बनायी जाती है। इसमें मुख्यतः कार्बन मोनोक्साइड ईंधन का काम करता है। इसमें 70% नाइट्रोजन, 25% कार्बन मोनोक्साइड एवं 4% कार्बनडाइ आक्साइड रहता है। इसका उष्मीय मान 1100 से 1750 kcal/ kg होता है। कांच एवं इस्पात उद्योग में इसका उपयोग ईंधन के रैप में किया जाता है।
जल गैस (Water Gas): इसमें हाइड्रोजन 49%, कार्बन मोनोक्साइड 45% तथा कार्बन डाइ आक्साइड 4.5% होता है। इसका उष्मीय मान 2500 से 2800 kcal/ kg होता है। इसका उपयोग हाइड्रोजन एवं अल्कोहल के निर्माण में अपचायक के रूप में होता है।
कोल गैस(Coal Gas): यह कोयले के भंजक आसवन से बनाया जाता है। यह रंगहीन तीक्ष्ण गंध वाली गैस है। यह वायु के साथ विस्फोटक मिश्रण बनती है। इसमें 54% हाइड्रोजन, 35% मीथेन, 11% कार्बन मोनोक्साइड, 5% हाइड्रोकार्बन, 3% कार्बनडाइ आक्साइड होता है।
ईंधन का उष्मीय मान उसकी कोटि का निर्धारण करता है।
अल्कोहल को जब पेट्रोल में मिला दिया जाता है, तो उसे पॉवर अल्कोहल (Power alcohol) कहते है, जो ऊर्जा का एक वैकल्पिक स्त्रोत है।
सिगरेट लाइटर में ब्यूटेन का प्रयोग होता है।
Post a Comment