कुछ प्रमुख विस्फोटक(Some Major Explosives)
1)डायनामाइट (Dynamite)-
डाइनामाइट का आविष्कार अल्फ्रेड नोबेल. ने 1867 में किया था। यह नाइट्रोग्लिसरीन को किसी अक्रिय पदार्थ जैसे लकड़ी के बुरादे या कीजेलगूर (Kieselguhr) में अवशोषित करके बनाया जाता है।
आधुनिक डाइनामाइट में नाइट्रोग्लिसरीन की जगह सोडियम नाइट्रेट का प्रयोग किया जाता है। जिलेटिन डायनामाइट में नाइट्रो सेलुलोस की भी मात्रा उपस्थित रहती है । इसके विस्फोट के समयउत्पन्न गैसों का आयतन बहुत अधिक होता है।
आधुनिक डाइनामाइट में नाइट्रोग्लिसरीन की जगह सोडियम नाइट्रेट का प्रयोग किया जाता है। जिलेटिन डायनामाइट में नाइट्रो सेलुलोस की भी मात्रा उपस्थित रहती है । इसके विस्फोट के समयउत्पन्न गैसों का आयतन बहुत अधिक होता है।
2) टी०एन०टी० (T.N.T)—
यह हल्का पीला क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ है। इसका पूरा रूप ट्राईनाइट्रो-टाल्वीन (T.N.T.) है। यह टाल्वीन (C6H5CH3) के साथ सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल(H2SO4) व सान्द्र नाइटिक अम्ल(HNO3) की क्रिया से बनाया है। इसका सबसे अधिक उपयोग विस्फोटक के रूप में किया है ।
यह हल्का पीला क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ है। इसका पूरा रूप ट्राईनाइट्रो-टाल्वीन (T.N.T.) है। यह टाल्वीन (C6H5CH3) के साथ सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल(H2SO4) व सान्द्र नाइटिक अम्ल(HNO3) की क्रिया से बनाया है। इसका सबसे अधिक उपयोग विस्फोटक के रूप में किया है ।
3)ट्राईनाइट्रो ग्लिसरीन (T.N.G)-
ट्राई नाइट्रो ग्लिसरीन एक रंगहीन तैलीय द्रव है। यह डाइनामाइट बनाने के काम आता है। इसे नोबल का तेल (Nobel’s Oil) भी कहा जाता है। यह सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल व सान्द्र नाइट्रिक अम्ल की ग्लिसरीन के साथ क्रिया करके बनाया जाता है।
ट्राई नाइट्रो ग्लिसरीन एक रंगहीन तैलीय द्रव है। यह डाइनामाइट बनाने के काम आता है। इसे नोबल का तेल (Nobel’s Oil) भी कहा जाता है। यह सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल व सान्द्र नाइट्रिक अम्ल की ग्लिसरीन के साथ क्रिया करके बनाया जाता है।
4) टाई-नाइट्रो-फिनॉल (T.N.P)—
इसे पिकरिक अम्ल भी कहा जाता है। यह फीनाल व सान्द्र नाइट्रिक अम्ल (HNO3) की अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता है । यह हल्का पीला, क्रिस्टलीय ठोस होता है तथा अत्यधिक विस्फोटक होता है।
इसे पिकरिक अम्ल भी कहा जाता है। यह फीनाल व सान्द्र नाइट्रिक अम्ल (HNO3) की अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता है । यह हल्का पीला, क्रिस्टलीय ठोस होता है तथा अत्यधिक विस्फोटक होता है।
5) ‘आर०डी० एक्स०’ (RDX)—
RDX का पूरा रूप Research and
Developed Explosive (अनुसंधान और विकसित विस्फोटक) है। इस विस्फोटक को सं० रा० अमेरिका में ‘साइक्लोनाइट’ ; जर्मनी में ‘हेक्सोजन’ तथा इटली में ‘टी-4’ के नाम से जाना जाता है। इसमें प्लास्टिक पदार्थ जैसे पालिब्यूटाइन, एक्रिलिक अम्ल या पोलियूरेथेन को मिला कर ‘प्लास्टिक बान्डेड एक्सप्लोसिव’ बनाया जाता है ।
इसके एक रूप को ‘सी-4′ भी कहते हैं। यह एक प्रचंड विस्फोटक है तथा इसके तापमान व आग फैलाने की गति को बढ़ाने के लिये इसमें ऐल्युमिनियम चूर्ण को मिलाया जाता है। प्लास्टिक विस्फोटक’ का प्रयोग आतंकवादी करते हैं। आर. डी. एक्स. की विस्फोटक ऊष्मा 1510 किलोकैलोरी प्रति किया. होती है।
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