ग्रहो की गति संबंधित केप्लर का नियम:
i) प्रत्येक ग्रह सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्ताकार (eliiptical) कक्षा में परिक्रमा करता है तथा सूर्य ग्रह की कक्षा के एक फोकस बिंदु पर स्थति होता है. होता है.
ii) प्रत्येक ग्रह का क्षेत्रीय वेग (areal velocity) नियत रहता है. इसका प्रभाव यह होता है कि जब ग्रह सूर्य के निकट होता है, तो उसका वेग बढ़ जाता है और जब वह दूर होता है, तो उसका वेग कम हो जाता है.
iii) सूर्य के चारों ओर ग्रह एक चक्कर जितने समय में लगाता है, उसे उसका परिक्रमण काल (T) कहते है. परिक्रमण काल का वर्ग (T^2) ग्रह की सूर्य से औसत दूरी (r) के घन (r^3) के अनुक्रमानुपाती होता है. यानी कि T^2 ∝ r^3
यानी कि सूर्य से अधिक दूर के ग्रहों का परिक्रमण काल भी अधिक होता है. उदाहरण: सूर्य के निकटतम ग्रह बुध का परिक्रमण काल 88 दिन है, जबकि दूरस्थ ग्रह वरुण(neptune) का परिक्रमण काल 165 वर्ष है.
नोट: आईएयु (I.A.U.) ने यम (PLUTO) के ग्रह की श्रेणी से निकाल दिया है इसलिए अब दूरस्थ ग्रह वरुण है.
उपग्रह (satellite): किसी ग्रह के चारों ओर परिक्रमा करने वाले पिंड को उस ग्रह का उपग्रह कहते हैं. जैसे चन्द्रमा पृथ्वी का उपग्रह है.
i) उपग्रह की कक्षीय चाल उसकी पृथ्वी तल से उंचाई पर निर्भर करती है. उपग्रह पृथ्वी तल से जितना दूर होगा, उतनी ही उसकी चल कम होगी.
ii) उपग्रह की कक्षीय चाल उसके द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करती है. एक ही त्रिज्या के कक्षा में भिन्न-भिन्न द्रव्यमानों के उपग्रहों की चाल समान होगी.
नोट: पृथ्वी तल के अति निकट चक्कर लगाने वाले उपग्रह की कक्षीय चाल लगभग 8 किमी./ सेकंड होती है.
उपग्रह का परिक्रमण काल (orbital speed of a satellite): उपग्रह अपनी कक्षा में पृथ्वी का एक चक्कर जितने समय में लगाता है, उसे उसका परिक्रमण काल कहते हैं.
अतः परिक्रमण काल = कक्षा की परिधि/कक्षीय चाल
i) उपग्रह का परिक्रमण काल भी केवल उसकी पृथ्वी तल से ऊंचाई पर निर्भर करता है और उपग्रह जितना दूर होगा उतना ही अधिक उसका परिक्रमण काल होता है.
ii) उपग्रह का परिक्रमण काल उसके द्रव्यमान पर निर्भर नही करता है.
नोट: पृथ्वी के अति निकट चक्कर लगाने वाले उपग्रह पर परिक्रमण काल 1 घंटा 24 मिनट होता है.
भू-स्थायी उपग्रह (geo-stationary satellite): ऐसा उपग्रह जो पृथ्वी के अक्ष के लंबवत तल में पश्चिम से पूर्व की ओर पृथ्वी की परिक्रमा करता है तथा जिसका परिक्रमण काल पृथ्वी के परिक्रमण काल (24 घंटे) के बराबर होता है, भू-स्थायी उपग्रह कहलाता है. यह उपग्रह पृथ्वी तल से लगभग 36000 किमी. की ऊंचाई पर रहकर पृथ्वी का परिक्रमण करता है. भू-तुल्यकालिक (geosynchronous) कक्षा में संचार उपग्रह स्थापित करने की संभावना सबसे पहले ऑथर सी क्लार्क ने व्यक्त की थी.
पलायन वेग (escape velocity): पलायन वेग वह न्यूनतम वेग है जिससे किसी पिंड की पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर फेंके जाने पर वह गुरुत्वीय क्षेत्र को पार कर जाता है, पृथ्वी पर वापिस नहीं आता. पृथ्वी के लिए पलायन वेग का मान 11.2 km/s है यानी कि पृथ्वी तल से किसी वस्तु को 11.2 km/s या उससे अधिक वेग से ऊपर किसी भी दिशा में फेंक दिया जाए तो वस्तु फिर पृथ्वी तल पर वापिस नहीं आएगी.
उपग्रह के लिए कक्षीय वेग Vo = √gRe तथा पृथ्वी तल से पलायन वेग Ve = √2gRe' अतः Ve = √2Vo यानी कि पलायन वेग कक्षीय वेग का √2 (यानी कि 41%) बढ़ा दिया जाए तो वह उपग्रह अपनी कक्षा को छोड़कर पलायन कर जाएगा.
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