इकाई या मात्रक क्या है : प्रकार, मात्रकों की पद्धतियाँ

इस लेखा में हमलोग इकाई या मात्रक क्या है  अंतर्राष्ट्रीय पद्धति मात्रक क्या है, मात्रक के प्रकार, मात्रक के चयन के शर्तों, मात्रकों को निर्धारित करने वाली संस्था, मात्रकों की पद्धतियाँ, SI पद्धति में मूल मात्रक तथा पूरक मात्रक तथा मात्रकों के साथ आने वाले पुर्वलग्न के बारे में पढ़ने वाले है.

किसी राशि के मापन के लिए चुना गया वह मानक जिसके द्वारा उस भौतिक राशि को मापा जाता है उस राशि का मात्रक कहलाता है।

मात्रक और राशि जिसके लिए मात्रक परिभाषित किया गया है, की प्रकृति समान होती है।

जब किसी भौतिक राशि को मापा जाता है तब उस भौतिक राशि मेें दो चीजें रहती है– प्रथम संख्यात्मक मान (numerical value) तथा दूसरा उस राशि का मात्रक (unit of that quantity)

मात्रक दो प्रकार के होते है – 

1. मूल मात्रक (Basic units)

2. व्युत्पन्न मात्रक (Derived units)

1. मूल मात्रक (Basic units) – ऐसा मात्रक जो अन्य किसी मात्रक पर निर्भर नहीं करता है मूल मात्रक कहलाता है। उदाहरण के लिए मीटर, किलोग्राम, सकेण्ड इत्यादि।
मूल मात्रकों की संख्या सात है। ये सात मूल मात्रक है – मीटर, किलाग्राम, सकेण्ड, ऐम्पीयर, केल्विन, केण्डेला, मोल।

2. व्युत्पन्न मात्रक (Derived units) – ऐसा मात्रक जो मूल मात्रकोें द्वारा प्राप्त किया जाता है व्युत्पन्न मात्रक कहलाता है। जैसे मीटर प्रति सकेण्ड, मीटर प्रति वर्ग सकेण्ड.

चूंकि व्युत्पन्न मात्रक मूल मात्रक से प्राप्त किए जाते है इसलिए इसकी संख्या अधिक है।

मात्रक के चयन हेतु शर्त –

किसी भौतिक राशि को मापने के लिए जो मात्रक या इकाई का चयन किया जाता है उस मात्रक में निम्नलिखित आवश्यक विशेषताएं होनी चाहिए –
1. यह उपयुक्त आकार का होना चाहिए।

2. यह सही सही परिभाषित होना चाहिए।

3. यह आसानी से उपलब्ध होना चाहिए।

4. इसकी दूसरी प्रति आसानी से बनाये जाने योग्य होना चाहिए।

5. इसे समय के साथ नहीं बदलना चाहिए।

6. इस पर भौतिक परिस्थितियों जैसे – ताप दाब आदि के बदलने से कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए अर्थात ताप दाब आदि के बदलने से इसमें कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।

मात्रक को कौन निर्धारित करता है

किसी भौतिक राशि के मानक मात्रक के बारे में सबसे पहले आवश्यक बात यह है कि इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति प्राप्त होना चाहिए। यदि प्रत्येक व्यक्ति किसी भौतिक राशि के लिए अपना अपना मात्रक (unit in hindi) निर्धारित करने लगे तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्य कर रहे वैज्ञानिकों के लिए समन्वय स्थापित करना काफी मुश्किल हो जाएगा।

इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए भार एवं मापन पर महासभा (General Conference on Weights and Measures) नामक संस्था की स्थापना की गई और इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत मात्रक को तय करने की जिम्मेदारी दी गई। यह संस्था बैठकों का आयोजन करती है और मानक मात्रकों में होने वाले किसी भी परिवर्तन के लिए यह अपने प्रकाशनों के माध्यम से सूचना उपलब्ध कराता है।

मात्रकों की पद्धतियाँ (Systems of Units)

मात्रकों की मुख्य रूप से तीन प्रचलित पद्धतियाँ है –

1. फूट पाउंड सकेंड पद्धति (Foot Pound Second system)

2. सेंटीमीटर ग्राम सकेंड पद्धति (Centimeter Gram Second system) 

3. मीटर किलोग्राम सकेंड पद्धति (Meter Kilogram Second system)

1. फूट पाउंड सकेंड पद्धति – मात्रक के इस पद्धति में लंबाई को फूट में द्रव्यमान को पाउंड में तथा समय को सकेंड में मापा जाता है।
इस पद्धति को ब्रिटिश पद्धति (British System) भी कहा जाता है।

2. सेंटीमीटर ग्राम सकेंड पद्धति – मात्रक के इस पद्धति में लंबाई को सेंटीमीटर में द्रव्यमान को ग्राम में तथा समय को सकेंड में मापा जाता है।

CGS पद्धति का दोष यह है कि इसमें व्यक्त किये गए व्युत्पन्न मात्रक इतने छोटे होते है कि इसका प्रयोग असुविधाजनक हो जाता है।

3. मीटर किलोग्राम सकेंड पद्धति – मात्रक की इस पद्धति में लंबाई को मीटर में द्रव्यमान को किलोग्राम में तथा समय को सकेंड में मापा जाता है।

MKS पद्धति का लाभ यह है कि इस पद्धति में व्यक्त किये गए कुछ व्युत्पन्न मात्रक प्रयोग में सुविधाजनक होते है।

मात्रकों की अंतर्राष्ट्रीय पद्धति – नाम SI फ्रेंच भाषा का शब्द (“Le Systeme International d’ unites”) का संक्षिप्त रूप है जिसका अंग्रेजी समतुल्य International system of units होता है। इस पद्धति की शुरूआत 1960 में भार एव मापन की महासभा नें की। वास्तव में यह पद्धति मीटर किलोग्राम सकेंड पद्धति का ही संशोधित रूप है।

मात्रकों की अंतर्राष्ट्रीय पद्धति (si unit in hindi) को सबसे अधिक प्रयोग में लाया जाता है।

मात्रकों की अंतर्राष्ट्रीय पद्धति निम्नलिखित सात मूल मात्रकों तथा दो पूरक मात्रकों पर आधारित है-

अंतर्राष्ट्रीय पद्धति के मूल मात्रक 

क्रमांक

मूल भौतिक राशिमूल मात्रक

संकेत

1

द्रव्यमान(Mass)किलोग्राम

kg

2  

लम्बाई (Length)मीटर

m

3

समय (Time)सकेंड

s

4

ताप (Temperature)केल्विन

K

5

विद्युत धारा (Electric Current)एम्पेयर

A

6

ज्योति तीव्रता (Luminous Intensity)केंडिला

cd

7

पदार्थ की मात्रा (Amount of Substance)मोल

mol

अंतर्राष्ट्रीय पद्धति के पूरक  मात्रक 

क्रमांक

पूरक भौतिक राशिपूरक मात्रकसंकेत

1

समतल कोणरेडियन

rad

2ठोस कोणस्टेरेडियन

sr

उपरोक्त मूल इकाई तथा पूरक इकाई के अलावा इस मात्रक पद्धति में बहुत सारे व्युत्पन्न मात्रक है जिसमें से कुछ नीचे सारणी में दिए गए है –

क्रमांक

भौतिक राशिव्युत्पन्न  मात्रकसंकेत

1

बलन्यूटन

N

2  

कार्य या उर्जाजूलJ
3शक्तिवाट

W

4

विद्युत आवेशकूलम्बC

5

विद्युत विभव  वोल्टV
6विद्युत धारिताफैराड

F  

7चुम्बकीय फ्लक्सवेबर

Wb

8

प्रेरकत्वहेनरीH
9प्रतिरोधओम

ohm

अंतर्राष्ट्रीय पद्धति में मूल मात्रक एवं पूरक मात्रक का विवरण

माप एवं भार महासभा द्वारा सात मूल मात्रक और दो पूरक मात्रकों को निम्न रूप से परिभाषित किया गया है –

1.   मीटर

एक मीटर वह दूरी है जिसमें शुद्ध क्रिप्टाॅन-86 से उत्सर्जित होने वाली नारंगी प्रकाश की 1650763.73 तरंगें आती है।

1983 में भार एवं मापन के 17वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में निर्वात में प्रकाश के वेग c को 299,792,458 m/sec मानते हुए मीटर की नयी परिभाषा दी गयी। इस परिभाषा के अनुसार-

एक मीटर वह दूरी है जो निर्वात में प्रकाश द्वारा सकेंड के 1/299792458 भाग में तय किया जाता है।

सुविधा के लिए मीटर की सहायता से लम्बाई के और भी मात्रक बनाए गए हैं जो मीटर से निम्नलिखित रूप से जुड़े हुए है –

1 किलोमीटर (km) = 103 मीटर

1 सेंटीमीटर (cm) = 10-2 मीटर

1 मिलीमीटर (mm) = 10-3 मीटर

1 माइक्रोमीटर (μm) = 10-6 मीटर

1 नैनोमीटर (nm) = 10-9 मीटर

1 ऐंग्स्ट्राॅम (Å) = 10-10 मीटर

1 पिकोमीटर (pm) = 10-12 मीटर

1 फेम्टोमीटर (fm) = 10-15 मीटर (फेम्टोमीटर को फर्मी भी कहा जाता है)

1 ऐटोमीटर (am) = 10-18 मीटर

लम्बाई के कुछ अन्य उपयोगी मात्रक निम्न है-

1 इंच = 0.0254 मीटर

1 फूट = 0.3048 मीटर

1 गज = 0.9144 मीटर

1 मील = 1.6 किलोमीटर 

1 नॉटिकल मील = 1.9 किलोमीटर

प्रकाश वर्ष (Light year in hindi)

प्रकाश द्वारा एक वर्ष में तय दूरी प्रकाश वर्ष (light year in hindi) कहलाता है।

लम्बाई का एक बड़ा मात्रक प्रकाश वर्ष है। इसका प्रयोग बहुत बड़ी दूरियों (खगोलीय दूरियों) को मापने के लिए किया जाता है।

एक प्रकाश वर्ष = (3 × 108 मीटर/सकेंड) × (365 × 24 × 60 × 60) सकेंड

= 9.46 × 1015 मीटर

खगोलीय मात्रक (Astronomical Unit or AU)

सूर्य के केंद्र से पृथ्वी के केंद्र के बीच की औसत दूरी खगोलीय मात्रक कहलाता है।

1 AU = 1.5 × 1011 मीटर

 पारसेक 

  1 पारसेक उस वृत्त की त्रिज्या है जिसके केंद्र पर एक खगोलीय मात्रक लम्बाई का चाप एक मिनट का कोण बनाता है। यह भी लम्बी दूरी के लिए अन्य महत्वपूर्ण मात्रक है।

1 पारसेक = 3.08 × 1016 मीटर

1 पारसेक = 3.26 प्रकाश वर्ष 

स्पष्ट रूप से एक पारसेक, एक प्रकाश वर्ष से बड़ा मात्रक है। एक प्रकाश वर्ष, एक खगोलीय मात्रक से बड़ा मात्रक (unit in hindi) है।

यह एक रोचक तथ्य है कि ब्रह्माण्ड का आकार 1016 प्रकाश वर्ष है। पृथ्वी के सबसे नजदीक जो तारा है उसका नाम अल्फा सेंचुरी है। यह सौर मंडल से बहार है तथा पृथ्वी से 4.3 प्रकाश वर्ष दूर है।

2.   किलोग्राम

फ्रांस में पेरिस के नजदीक भार मापन के अंतर्राष्ट्रीय ब्यूरों में रखे गए प्लेटिनम और इरिडियम मिश्रधातु के प्रोटोटाईप के द्रव्यमान को एक किलाग्राम परिभाषित किया गया है।

व्यवहार में 4 डिग्री सेल्सियस ताप पर एक लीटर जल का द्रव्यमान एक किलोग्राम होता है।

परमाण्विक स्तर पर, कार्बन 12 के 5.0188 × 1025 परमाणुओं का द्रव्यमान एक किलोग्राम होता है।

सुविधा के लिए द्रव्यमान के और भी मात्रक बनाये गए है-

1 टन या मीट्रिक टन = 1000 किलोग्राम या 10 क्विंटल 

1 क्विंटल = 100  किलोग्राम 

1 स्लग = 14.57 किलोग्राम 

1 पाउंड (lb) = 0.4536 किलोग्राम 

द्रव्यमान का सबसे बड़ा और व्यवहारिक मात्रक चन्द्र शेखर लिमिट (CSL) है।

1 CSL = 1.4 × सूर्य का द्रव्यमान 

बहुत छोटे मात्रक को मापने के लिए परमाणु द्रव्यमान इकाई (atomic mass unit or amu or u) का प्रयोग किया जाता है।

1 amu = 1.66 × 10-27 kg

3.  सकेंड

एक सकेंड वह समय अन्तराल है जिसमें परमाण्विक घड़ी में सीजियम- 133 का परमाणु 9192631760 बार कम्पन करता है।

परमाण्विक घड़ी इसी सिद्धांत पर कार्य करते है। यह इतना शुद्ध होता है कि 5000 साल में केवल 1 सकेंड की त्रुटि ही दर्शाता है।

सुविधा के समय के और भी छोटे-छोटे मात्रक है जो सकेंड से निम्न रूप से संबंधित है-

1 मिली सकेंड = 10-3 सकेंड 

1 माइक्रो सकेंड = 10-6 सकेंड 

1 शैक = 10-8 सकेंड 

1 नैनो सकेंड = 10-9 सकेंड 

1 पिको सकेंड = 10-12 सकेंड 

1 मिनट = 60 सकेंड

1 घंटा = 60 मिनट = 60 × 60 सकेंड = 3600 सकेंड 

1 दिन = 24 घंटे = 24 × 60 × 60 सकेंड = 86400 सकेंड 

1 वर्ष = 365 × 24 × 60 × 60 सकेंड = 3.15 × 107 सकेंड 

1 सौर वर्ष = 365.25 सौर दिवस 

नोट – वह साल जिसमे 4 से भाग लग जाता है तथा जिसका फ़रवरी माह 29 दिन का होता है लीप वर्ष (leap year) कहा जाता है।

चन्द्र मास (Lunar month) – पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा को एक चक्कर लगाने में जो समय लगता है वह चन्द्र मास कहलाता है।

1 चन्द्र मास = 27.3 दिन 

4.  एम्पेयर 

एक एम्पेयर वह नियत विद्युत धारा है जो निर्वात में एक दुसरे से एक मीटर की दूरी पर स्थित दो सीधे अनंत लम्बाई के तारों में प्रवाहित करने पर तारों के बीच प्रत्येक तार के प्रति मीटर लम्बाई पर 2 × 10-7 N का बल लगाता है।

एम्पेयर विद्युत धारा का मात्रक है।

5.   केल्विन 

एक केल्विन जल के त्रिक बिन्दू के उष्मागतिक ताप का 1/273.16 वां भाग होता है।

सामान्य दाब पर जल के हिमांक तथा क्वथनांक के अंतर के सौवें भाग को एक केल्विन कहा जाता है।

केल्विन ताप का मात्रक है।

नोट – जल का त्रिक बिन्दू वह ताप है जिस पर जल के तीनों अवस्थाओं (ठोस, द्रव और गैस) का अस्तित्व होता है।

6.  कैण्डिला

1 कैण्डिला, कृष्णिका (ब्लेक बाॅडी) के पृष्ठ के क्षेत्रफल के लंबवत दिशा में ज्योति तीव्रता है जब कृष्णिका का ताप प्लेटिनम के गलनांक (2042K) के बराबर है।

यह ज्योति तीव्रता का मात्रक है।

7.   मोल

1 मोल किसी पदार्थ की वह मात्रा है जिसमें उस पदार्थ के अवयवों की संख्या कार्बन-12 के 12 ग्राम में या कार्बन के 0.012 किलोग्राम में उपस्थित परमाणुओं की संख्या के बराबर होती है।

कार्बन-12 के 12 ग्राम में उपस्थित परमाणुओं की संख्या को एबोगार्डो संख्या कहा जाता है तथा इसका मान होता है।

यह पदार्थ की मात्रा का मात्रक (unit in hindi) है।

अंतर्राष्ट्रीय पद्धति में पूरक मूल मात्रकों को निम्न रूप से परिभाषित किया जाता है –

1. रेडियन

वृत के त्रिज्या के बराबर चाप की लंबाई द्वारा वृत के केन्द्र पर बना कोण एक रेडियन कहलाता है।

यह समतल कोण (solid angle) का मात्रक है।

समतल कोण = चाप/त्रिज्या

dθ = ds/r

2. स्टेरेेडियन

वह घन कोण जो गोले के पृष्ठ के उस भाग द्वारा गोला के केंद्र पर बनता है जिसका क्षेत्रफल गोले की त्रिज्या के वर्ग के बराबर होता है।

यह ठोस कोण का मात्रक है।

घन कोण = क्षेत्रफल/दूरी का वर्ग

dΩ = dA/ r2

 दो पूरक मात्रकों के बाद अब मूल मात्रक (unit in hindi) की परिभाषा पूरी हुई

SI मात्रकों के पूर्वलग्न (Prefixes of SI unit)

10 के घात

पूर्वलग्न (prefix)

संकेत

10-1

डेसी

d

10-2

सेंटी

c

10-3

मिली

m

10-6

माइक्रो

μ

10-9

नैनो

n

10-12

पिकोp
10-15फेम्टो

f

10-18

एट्टोa

101

डेकाda
102हेक्टो

h

103किलो

k

106

मेगाM

109

गीगाG
1012टेरा

T

1015पेटा

P

1018

एक्सा

E

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