लसिका परिसंचरण तंत्र(Lymph Circulatory System)

रक्त जब ऊतक की कोशिकाओं से होकर गुजरता है तब बड़े प्रोटीन अणु एवं संगठित पदार्थों को छोड़कर रक्त से जल एवं जल में घुलनशील पदार्थ कोशिकाओं से बाहर निकल जाते हैं। इस तरल को अंतराली द्रव या ऊतक द्रव कहते हैं। इसमें प्लैज्मा के समान ही खनिज लवण पाए जाते हैं। रक्त तथा कोशिकाओं के बीच पोषक पदार्थ एवं गैसों का आदान प्रदान इसी द्रव से होता है। वाहिकाओं का विस्तृत जाल जो लसीका तंत्र (लिंफैटिक सिस्टम) कहलाता है इस द्रव को एकत्र कर बड़ी शिराओं में वापस छोड़ता है। लसीका तंत्र में उपस्थित यह द्रव/तरल को लसीका कहते हैं। 

लसीका एक रंगहीन द्रव है जिसमें विशिष्ट लिंफोसाइट मिलते हैं। लिंफोसाइट शरीर की प्रतिरक्षा अनुक्रिया के लिए उत्तरदायी है। लसीका पोषक पदार्थ, हार्मोन आदि के संवाहन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। आंत्र अंकुर में उपस्थित लैक्टियल वसा को लसीका  द्वारा अवशोषित करते हैं।

लसिका के कार्यः

  • लसिका घाव भरने में सहायता करती है।
  • लसिका उत्तकों से शिराओं में विभिन्न वस्तुओं का परिसंचरण करती है।
  • लसिका मेंं उपस्थित लिंफोसाइट्स हानिकारक जीवाणुओं का भक्षण करके रोगों की रोकथाम में सहायक होता है।











कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.