प्राणि विज्ञान या जन्तु विज्ञान (Zoology) जीव विज्ञान की शाखा है जो जन्तुओं और उनके जीवन, शरीर, विकास और वर्गीकरण (classification) से सम्बन्धित होती है।
जंतु जगत का वर्गीकरण:
जंतु जगत प्राणी विज्ञान के अंतर्गत आता है। संसार के समस्त जंतु जगत को दो उप जगतों में बांटा गया है– 1 एककोशिकीय प्राणी 2 बहुकोशिकीय प्राणी। एककोशिकीय प्राणी एक ही संघ प्रोटोजोआ में रखे गए जबकि बहुकोशिकीय प्राणियों को 9 संघों में विभाजित किया गया।
1. संघ प्रोटोजोआ
प्रमुख लक्षण
1. इनका शरीर केवल एक कोशिकीय होता है।2. इनके जीवद्रव्य में एक या अनेक केन्द्रक पाये जाते है।3. प्रचलन पदाभो, पक्षमों या कशाभों के द्वारा होता है।4. स्वत्रंत जीवी एवं परजीवी दोनों प्रकार के होते है5. सभी जैविक क्रियाएं एककोशिकीय शरीर के अन्दर होती है।6. श्वसन एवं उत्सृजन कोशिका की सतह से विसरण के द्वारा होते है। प्रोटोजोआ एंड अमीबा हिस्टोलिटिका का संक्रमण मनुष्य में 30-40 वर्षो के लिए बना रहता है।
2. संघ पोरिफेरा: इस संघ के सभी जंतु खारे जल में पाए जाते है।
प्रमुख लक्षण
1. ये बहुकोशिकीय जंतु है, परन्तु कोशिकाएँ नियमित ऊतकों का निर्माण नही करती है।2. शरीर पर असंख्य छिद्र पाए जाते है।3. शरीर में एक गहा पायी जाती है, जिसे स्पंज गुहा कहते है।4. कोशिकाओं में पाचन होता है (अंतराकोशिक)। 5. कंकाल शरीर को आधार प्रदान करता है। 6. स्पंज प्राणी में नर तथा मादा पृथक नहीं होते। वे उभयलिंगाश्रयी होते हैं। 7. अंडे तथा शुक्राणु दोनों एक द्वारा ही बनाए जाते हैं। उनमें अलैंगिक जनन विखंडन द्वारा तथा लैंगिक जनन युग्मकों द्वारा होता है।
उदाहरण-साइकन, मायोनिया, स्पंज आदि।
3. संघ सीलेन्ट्रेटा(नाइडेरिया)
प्रमुख लक्षण
1. प्राणी जलीय द्विस्तरीय होते है।2. मुख के चारों और कुछ धागे की तरह की संरचनायें पायी जाती है, जो भोजन आदि पकड़ने में मदद काती है।3. इन प्राणियों में केंद्रीय जठर संवहनी (गैस्ट्रोवेस्क्यूलर) गुहा पाई जाती है, जो अधोमुख (हाईपोस्टोम) पर स्थित मुख द्वारा खुलती है। इनमें अंतःकोशिकी एवं अंतराकोशिक दोनों प्रकार का है। 4. इनके कुछ सदस्यों (जैसे प्रवाल/कोरल) में कैल्सियम कार्बोनेट से बना कंकाल पाया जाता है। 5. इनका शरीर दो आकारों पालिप तथा मेडुसा से बनता है। पॉलिप स्थावर तथा बेलनाकार होता है। जैसे- हाइड्रा, जेलीफिश, सी एनीमोन, मूँगा।
4. संघ प्लैटीहेल्मिंथिस
प्रमुख लक्षण
1. तीन स्तरीय शरीर परंतु देहगुहा नही होते।2. प्रष्ट आधार तंत्र से चपड़ा शरीर।3. पाचन तंत्र विकसित नहीं होता है।4. उत्सर्जन फ्लेम कोशिकाओं द्वारा होता है।5. कंकाल, श्वसन, अंग, परिवहन अंग आदि नहीं होते।6. उभयलिंगी जन्तु है।7. इस समूह के अधिकांश प्राणी मनुष्य तथा अन्य प्राणियों में अंतः परजीवी के रूप में पाए जाते हैं। उदाहरण-प्लेनेरिया, लिवर पल्यूक, फीताकृमि।
5. संघ एस्केलमिंथिज
प्रमुख लक्षण
1. लम्बे, बेलनाकार, अखण्डित क्रमी।2. शरीर द्विपाश्र्व सम्मित,त्रिस्तरीय।3. आहारनाल स्पष्ट होती है, जिसमे मुख तथा गुदा दोनों ही होते है।4. परिवहन अंग तथा श्वसन अंग नहीं होते, परन्तु तंत्रिका तंत्र विकसित होता है।5. एकलिंगी होते है।उदाहरण-एस्केरिस, थ्रेडवर्म, वुचरेरिया, गोलकृमि
6. संघ ऐनेलिडा
प्रमुख लक्षण
1. शरीर लम्बा, पतला, द्विपाश्र्व सम्मित तथा खंडों में होता है।2. प्रचलन मुख्य्त: कैंटीन के बने सिटी द्वारा होता है।3. शवसन प्राय: त्वचा के द्वारा, कुछ जंतुओं में क्लोम के द्वारा होता है।4. रुधिर लाल होता है व तांत्रिका तंत्र साधरण होता है।उदाहरण-केंचुआ, जोंक, नेरीस आदि।
7. संघ आर्थोपोडा
प्रमुख लक्षण
1. शरीर तीन भागों में विभक्त होता है– सर, वक्ष एवं उदर।2. इनके पाद संधि युक्त होते है।3. रुधिर परिचारी तंत्र खिले प्रकार के होते है।4. इनकी देह गुहा हिमोसिल कहलाती है।5. यह प्राय: एकलिंगी होते है एवं निषेचन शरीर के अंदर होता है।6. आर्थोपोडा प्राणी जगत का सबसे बड़ा संघ है, जिसमें कीट भी सम्मिलित है। 7. आर्थोपोडा का शरीर काईटीनी वहिकंकाल से ढका रहता है।उदाहरण-तिलचट्टा, झींगा मछली, केकडा, खटमल, मक्खी, मच्छर, मधुमक्खी, टिड्डी।
8. संघ मोलस्का
प्रमुख लक्षण
1. शरीर तीन भागों में विभक्त होता है-सिर, अंतरंग तथा पाद।2. इनमे कवच सदैव उपस्थित रहता है।3. इनमे शवसन गिल्स या दिनीडिया द्वारा होता है।4. आहारनाल पूर्ण विकसित होता है।5. रक्त रंगहीन होता है।6. उत्सर्जन वृक्कों के द्वारा होता है।7. मोलस्का दूसरा सबसे बड़ा प्राणी संघ है।8. ये प्राणी स्थलीय अथवा जलीय (लवणीय एवं अलवणीय) तथा अंगतंत्र स्तर के संगठन वाले होते हैं। उदाहरण-घोंघा, सीपी आदि। 9. संघ इकाइनॉयमेंटा
प्रमुख लक्षण
1. इस संघ के सभी जंतु समुंद्री होते है।2. जल संवहन-तंत्र इस संघ की विशिष्टता है, जो चलन (गमन) तथा भोजन पकड़ने में तथा श्वसन में सहायक है। 3. प्रचलन भोजन ग्रहण करने हेतु नाल पाद होते है जो संवेदी अंग का कार्य करते है।4. तंत्रिका तंत्र में मस्तिक विकसित नहीं होता।5. पुनरुत्पादन की विशेष क्षमता होती है।6. इस संघ के प्राणियों में कैल्सियम युक्त अंतः कंकाल पाया जाता है।ये सब त्रिकोरकी तथा प्रगुही प्राणी होते हैं। पाचन-तंत्र पूर्ण होता है तथा सामान्यतः मुख अधर तल पर एवं मलद्वार पृष्ठ तल होता है। उदाहरण-हेग फिश, शैल फिश, जेली फिश, सिल्वर फिश, कैटल फिश, स्टार फिश, ब्रिटिल स्टार आदि।
10. कोर्डेटा
प्रमुख लक्षण
1. इनमें नोकोकार्ड उपस्थित होते है।2. इनमे क्लोम छिद्र अवश्य पाये होते है।3. इनमें नालदार तंत्रिका रज्जु अवश्य पाया जाता है।4. सब द्विपार्श्वतः सममित त्रिकोरकी तथा प्रगुही प्राणी हैं। 5. इनमें अंग तंत्र स्तर का संगठन पाया जाता है। इसमें गुदा-पश्च पुच्छ तथा बंद परिसंचरण-तंत्र होता है।
Post a Comment