मराठा राज्य एक अन्य शक्तिशाली क्षेत्रीय राज्य था, जो मुगल शासन का लगातार विरोध करके उत्पन्न हुआ था। शिवाजी (1627-1680 ई.) ने शक्तिशाली योद्धा परिवारों (देशमुखों) की सहायता से एक स्थायी राज्य की स्थापना की। अत्यंत गतिशील कृषक-पशुचारक (कुनबी) मराठों की सेना के मुख्य आधार बन गए। शिवाजी ने प्रायद्वीप में मुगलों को चुनौती देने के लिए इस सैन्य-बल का प्रयोग किया। शिवाजी की मृत्यु के पश्चात्, मराठा राज्य में प्रभावी शक्ति, चितपावन ब्राह्मणों के एक परिवार के हाथ में रही, जो शिवाजी के उत्तराधिकारियों के शासनकाल में ‘पेशवा’ (प्रधानमंत्री) के रूप में अपनी सेवाएँ देते रहे। पुणे मराठा राज्य की राजधानी बन गया।
- मराठा साम्राज्य का संस्थापक शिवाजी थे.
- शिवाजी का जन्म 1627 ई. में शिवनेर दुर्ग जुन्नार के समीप में हुआ था.
- शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसले और माता का नाम जिजाबाई था.
- शाहजी भोंसले की दूसरी पत्नी का नाम तुकबाई मोहिते था.
- शिवाजी के गुरु कोंडदेव जी थे.
- आध्यात्मिक क्षेत्र में शिवाजी के आचरण पर गुरु रामदास का काफी प्रभाव था.
- शिवाजी का विवाह साईंबाई निम्बालकर से 1640 ई. में हुआ.
- शाहजी ने शिवाजी को पूना की जागीर प्रदान कर स्वयं बीजापुर रियासत में नौकरी कर ली.
- अपने सैन्य अभियान के अंतर्गत 1644 ई. में शिवाजी ने सर्वप्रथम बीजापुर के तौरण नामक पहाड़ी किले पर अधिकार किया.
- 1656 ई. में शिवाजी ने रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया.
- बीजापुर के सुल्तान ने अपने यौग्य सेनापति अफजल खाँ को सितम्बर 1665 ई. शिवाजी को पराजित करने के लिए भेजा. शिवाजी ने अफजल खाँ की हत्या कर दी.
- शिवाजी से सूरत को 1664 ई. और 1679 ई. में लूटा.
- पुरन्दर की संधि 1665 ई. में महाराजा जयसिंह और शिवाजी के मध्य सम्पन्न हुई.
- 16 जून 1674 ई को शिवाजी ने रायगढ़ में वाराणसी – काशी के प्रसिद्ध विद्वान श्री गंगा भट्ट द्वारा अपना राज्याभिषेक करवाया. मूल रूप से गंगाभट्ट महाराष्ट्र का एक सम्मानित ब्राह्मण था, जो लम्बे समय से वाराणसी में रह रहा था.
- शिवाजी को औरंगजेब ने 16 मई 1666 ई. में जयपुर भवन में कैद कर लिया, जहाँ से वे 16 अगस्त 1666 ई में भाग निकले.
- मात्र 53 वर्ष की आयु में 14 अप्रैल 1680 ई. को शिवाजी की मृत्यु हो गई.
- शिवाजी के मंत्रिमंडल को अष्टप्रधान कहा जाता था. अष्टप्रधान में पेशवा का पद सर्वाधिक महत्वपूर्ण और सम्मान का होता था.
- अष्टप्रधान में कुछ निम्न पद थे –
- पेशवा प्रधानमन्त्री– राज्य का प्रशासन और अर्थव्यवस्था की देख-रेख
- सरी-ए-नौबत सेनापति– सैन्य प्रधान
- वाकयानवीस– सूचना, गुप्तचर और संधि विग्रह के विभागों का अध्यक्ष
- चिटनिस– राजकीय पत्रों को पढ़कर उसकी भाषा शैली को देखना
- सुमंत– विदेशी मंत्री
- पंडित राव– धार्मिक कार्यों के लिए तिथि का निर्धारण
- न्यायाधीश– न्याय विभाग का प्रधान
- अमात्य राजस्वमंत्री– आय व्यय का लेखा जोखा
- शिवाजी के दरबार में मराठी को भाषा के रूप में प्रयोग किया.
- शिवाजी ने किले की सुरक्षा के लिए निम्न अधिकारी नियक्त किये जो की इस प्रकार है –
- हवलदार– किले की आंतरिक व्यवस्था की देख रेख
- सरेनौबत– किले की सेना का नेतृत्व
- सवनिस– किले की अर्थव्यवस्था, पत्र व्यवहार और भंडार की देख-रेख के लिए
- शिवाजी की सेना तीन महत्वपूर्ण भागो में विभक्त किया गया था जो कि इस प्रकार है –
- पैदल– पैदल सेना
- सिलहदार– अस्थायी घुड़सवार सैनिक
- पागा सेना– नियमित घुड़सवार सैनिक
- शिवाजी की कर व्यवस्था मलिक अम्बर की कर व्यवस्था पर आधारित थी. शिवाजी ने रस्सी द्वारा माप की व्यवस्था के स्थान पर काठी और मानक छड़ी के प्रयोग को आरम्भ किया.
- शिवाजी के समय कुल उपज का 33% भाग राजस्व के रूप में वसूला जाता था, जो बढ़ कर 40% जो गया था.
- चौथ और सरदेशमुखी नामक का शिवाजी के द्वारा लगाया गया.
- चौथ-जमींदारों द्वारा वसूले जाने वाले भू-राजस्व का 25 प्रतिशत। दक्कन में इनको मराठा वसूलते थे।
- सरदेशमुखी-दक्कन में मुख्य राजस्व संग्रहकर्त्ता को दिए जाने वाले भू-राजस्व का 9-10 प्रतिशत हिस्सा।
- सरदेशीमुखी का दावा करके शिवाजी स्वयं को सर्वश्रेठ देशमुख प्रस्तुत करना चाहते थे.
- शिवाजी का उत्तराधिकारी शम्भाजी था.
- शम्भाजी ने उज्जैन के हिंदी और संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान् कवि कलश को अपना सलाहकार नियुक्त किया.
- 21 मार्च 1689 ई. को मुग़ल सेनापति मखर्रब खाँ ने संगमेश्वर में छिपे हुए शम्भाजी और कवि कलश को गिरफ्तार कर लिया और उसकी हत्या कर दी.
- शम्भाजी के बाद 1689 ई. में राजा राम को नए छत्रपति के रूप में राज्याभिषेक किया गया.
- राजा राम ने अपनी दूसरी राजधानी सतारा को बनाया.
- राजाराम मुगलों से संघर्ष करता हुआ 1700 ई. में मारा गया.
- राजाराम की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी ताराबाई अपने चार वर्षीय पुत्र शिवाजी-II का राज्याभिषेक करवाकर मराठा साम्राज्य की वास्तविक संरक्षिका बन गई.
- 1707 ई. में औरंगजेब की मृत्यु के बाद शम्भाजी के पुत्र साहू जो औरंगजेब के कब्जे में था उसे वापस महाराष्ट्र आता.
- साहू और ताराबाई के बीच 1707 ई. में खेडा का युद्ध हुआ, जिसमे साहू विजयी हुआ.
- साहू ने 22 जनवरी 1708 ई. को सतारा में अपना राज्याभिषेक करवाया.
- साहू के नेतृत्व में नवीन मराठा साम्राज्यवाद के प्रवर्त्तक पेशवा लोग थे, जो साहू के पैतृक प्रधानमन्त्री थे. पेशवा पद पहले पेशवा के साथ ही वंशानुगत हो गया था.
- 1713 ई. में साहू ने बालाजी विश्वनाथ को पेशवा बनाया. इनकी मृत्यु 1720 ई. में हुई. इसके बाद पेशवा बाजीराव प्रथम हुए.
- पेशवा बाजीराव प्रथम ने मुग़ल साम्राज्य की कमजोर हो रही स्थिति का फायदा उठाने के लिए साहू को उत्साहित करते हुए कहा कि आओ, हम इस पुराने वृक्ष के खोखले तने पर प्रहार करे, शाखाए तो स्वयं गिर जाएगी, हमारे प्रयत्नों से मराठा पताका कृष्णा नदी से अटक तक फहराने लगेगी. उत्तर से साहू ने कहा. निश्चित रूप से ही आप इसे हिमालय के पार गाड़ देंगे. निसंदेश आप योग्य पिता के योग्य पुत्र है.
- पालखेडा का युद्ध 7 मार्च 1728 ई. बाजीराव प्रथम और निजामुलमुल्क के बीच हुआ जिसमे निजाम की हार हुई. निजाम के साथ मुंशी शिवगाँव की संधि हुई.
- दिल्ली पर आक्रमण करने वाला प्रथम पेशवा बाजीराव प्रथम था, जिसने 29 मार्च 1737 ई. को दिल्ली पर धावा बोला था. उस समय मुग़ल बादशाह मुहम्मदशाह दिल्ली छोड़ने के लिए तैयार हो गया था.
- बाजीराव प्रथम मस्तानी नामक महिला ने सम्बंध होने के कारण चर्चित रहा था.
- 1740 ई. में बाजीराव प्रथम की मृत्यु हो गई.
- बाजीराव प्रथम की मृत्यु के बाद बालाजी बाजीराव 1740 ई. में पेशवा बना.
- 1750 ई. में संगोला संधि के बाद पेशवा के हाथ में सारे अधिकार सुरक्षित हो गए.
- बालाजी बाजीराव को नाना साहव के नाम से भी जाना जाता था.
- झलकी की संधि हैदराबाद के निजाम और बालाजी बाजीराव के मध्य हुई.
- बालाजी बाजीराव के समय में ही पानीपत का तृतीय युद्ध 14 जनवरी 1761 ई. हुआ, जिसमे मराठों की हार हुई. इस हार को नहीं सह पाने के कारण बालाजी की मृत्यु 1716 ई. में हो गई.
- माधवराव नारायण प्रथम 1761 में पेशवा बना. इसने मराठों को खोयी हुई प्रतिष्ठा को पुन: प्राप्त करने का प्रयास किया.
- माधवराव ने ईस्ट इंडिया कंपनी की पेंशन पर रह रहे मुग़ल बादशाह आलम-II को पुन: दिल्ली की गद्दी पर बैठाया. मुग़ल बादशाह अब मराठों का पेंशनभोगी बन गया.
- पेशवा नारायण राव (1772-73 ई.) की हत्या उसके चाचा रघुनाथ राव के द्वारा कर दी गई.
- पेशवा माधवराव नारायण-ll की अल्पायु के कारण मराठा राज्य की देख रेख बारहभाई सभा नाम की 12 सदस्यों की एक परिषद करती थी. इस परिषद के दो महत्वपूर्ण सदस्य थे:–
- पहला– महादजी सिंधिया और दूसरा– नाना फडनबीस.
- अंतिम पेशवा राघोवा का पुत्र बाजीराव-II था, जो अंग्रेजों की सहायता से पेशवा बना था. मराठों के पतन में सर्वाधिक योगदान इसी का था. यह सहायक संधि स्वीकार करने वाला प्रथम मराठा सरदार था.
- प्रथम आन्ग्ल मराठा युद्ध– यह युद्ध 1775 – 1782 ई. तक चला. इसके बाद 1776 ई. में पुरंदर की संधि हुई. इसके तहत कंपनी ने रघुनाथ राव के समर्थन को वापस लिया.
- द्वितीय आन्ग्ल मराठा युद्ध– यह युद्ध 1816 – 1818 ई. तक चला. इस युद्ध के बाद मराठा शक्ति और पेशवा के वंशानुगत पद को समाप्त कर दिया गया.
- शिवाजी का उत्तराधिकारी शासन में पेशवा बाजीराव-II ने कोरेगाँव और अष्टि के युद्ध में हारने के बाद फ़रवरी 1818 ई. में मेल्कम के सम्मुख आत्म समर्पण कर दिया. अंग्रेजो ने पेशवा के पद को समाप्त कर बाजीराव-II को कानपुर के निकट बिठूर में पेंशन पर जीने के लिए भेज दिया, जहाँ 1853 ई. में इसकी मृत्यु हो गई.
सन्धि | वर्ष |
सूरत की सन्धि | 1775 |
पुरन्दर की सन्धि | 1776 |
बड़गांव की सन्धि | 1779 |
सलाबाई की सन्धि | 1782 |
बसीन की संधि | 1802 |
देवगाँव की सन्धि | 1803 |
राजापुर घाट की सन्धि | 1804 |
नागपुर की सन्धि | 1816 |
ग्वालियर की सन्धि | 1817 |
पूना की संधि | 1817 |
मंडसौर की सन्धि | 1818 |
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