- जो लोग सूफी संतो से सदस्यता ग्रहण करते थे उन्हें मुरीद कहा जाता था।
- सूफी जिन आश्रमों में निवास करते थे उन्हें खानकाह या मठ कहा जाता था।
- सूफियों के धर्म संघ बा-शारा (ईस्लामी सिद्धांत के समर्थक) और बे-शारा (इस्लामी सिद्धांत से बंधे नहीं) में विभाजित थे।
- भारत में चिश्ती एवं सुहरावर्दी सिलसिले की जड़े काफी गहरी थी।
- 1192 ई. में मुहम्मद गौरी के साथ ख्वाजा मुईनुद्धीन चिश्ती भारत आये. इन्होने यहाँ चिश्ती परम्परा के कुछ अन्य महत्वपूर्ण संत थे वह निजामुद्दीन औलिया, बाबा फरीद, बख्तियार काफी और शेख बुरहानुद्दीन गरीब. बाबा फरीद बख्तियार काकी के शिष्य थे.
- बाबा फरीद की रचनाये गुरु ग्रन्थ साहिब में शामिल है.
- बाबा फरीद के दो महत्वपूर्ण शिष्य थे–हजरत निजामुद्दीन औलिया और हजरत अलाउद्दीन साबिर.
- हजरत निजामुद्दीन औलिया ने अपने जीवनकाल में दिल्ली के सात सुल्तानों का शासन देखा था. निजामुद्दीन औलिया के प्रमुख शिष्य थे. शेख सलीम चिश्ती, अमीर खुसरो, अमीर हसन देहलवी.
- शेख बुरहानुद्दीन गरीब ने 1340 ई. दक्षिण भारत के क्षेत्रों में चिश्ती सम्प्रदाय की शुरुआत की और दौलताबाद को मुख्य केंद्र बनाया.
- सूफियों के सुहरावर्दी धर्मसंघ या सिलसिला की स्थापना शेख शिहाबुद्दीन उमर सुहरावर्दी ने की, किन्तु 1262 ई. इसके सुदृढ़ संचालन का श्रेय शेख बदरुद्दीन जकारिया को है. इन्होने सिंध और मुल्तान को मुख्य केंद्र बनाया.
- सुहरावर्दी धर्मसंघ के अन्य प्रमुख संत थे. जलालुद्दीन तबरीजी, सैय्यद सुर्ख जोश, बुरहान आदि.
- सुहरावर्दी सिलसिला ने राज्य के संरक्षण को स्वीकार किया था.
- शेख अब्दुल्ला सत्तारी ने सत्तारी सिलसिले की स्थापना की थी. इसका मुख्य केंद्र बिहार था.
- कादरी धर्मसंघ या सिलसिला की स्थापना सैय्यद अबुल कादिर अल जिलानी ने की थी. भारत में सिलसिला का प्रचार ख्वाजा बाकी बिल्लाह के शिष्य अकबर के समकालीन शेख अहमद सरहिंदी ने किया था.
- फिरदौसी सुहरावर्दी सिलसिला की ही एक शाखा थी. जिसका कार्य क्षेत्र बिहार था. इस सिलसिले को शेख शरीफउद्दीन याहया ने लोकप्रिय बनाया. याहया ख्वाजा निजामुद्दीन के शिष्य थे.
सूफी आंदोलन
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