मैदान समतल भूमि के बहुत बड़े भाग होते हैं। वे सामान्यतः माध्य समुद्री तल से 200 मीटर से अधिक ऊँचे नहीं होते हैं। कुछ मैदान काफी समतल होते हैं। कुछ उर्मिल तथा तरंगित हो सकते हैं। अधिकांश मैदान नदियों तथा उनकी सहायक नदियों के द्वारा बने हैं। नदियाँ पर्वतों के ढालों पर नीचे की ओर बहती हैं तथा उन्हें अपरदित कर देती हैं। वे अपरदित पदार्थों को अपने साथ आगे की ओर ले जाती हैं। अपने साथ ढोए जाने वाले पदार्थों जैसे- पत्थर, बालू तथा सिल्ट को वे घाटियों में निक्षेपित कर देती हैं। इन्हीं निक्षेपों से मैदानों का निर्माण होता है।
सामान्यतः मैदान बहुत अधिक उपजाऊ होते हैं। यहाँ परिवहन के साधनों का निर्माण करना आसान होता है। इसलिए ये मैदान विश्व के सबसे अधिक जनसंख्या वाले भाग होते हैं। नदियों के द्वारा बनाए गए कुछ बड़े मैदान एशिया तथा उत्तरी अमेरिका में पाए जाते हैं। एशिया में स्थित भारत में गंगा एवं ब्रह्मपुत्र का मैदान तथा चीन में यांगत्से नदी का मैदान इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
मैदान मनुष्यों के रहने के लिए सबसे उपयोगी क्षेत्र होते हैं। यहाँ की जनसंख्या बहुत अधिक होती है, क्योंकि मकानों के बनाने तथा खेती के लिए यहाँ समतल भूमि की प्रचुरता होती है। उपजाऊ मिट्टी के कारण यह भाग खेती के लिए काफी उपयुक्त होता है। भारत में गंगा का मैदान देश में सबसे अधिक जनसंख्या वाला क्षेत्र है।
मैदान अनेक प्रकार के होते हैं-
अपरदनात्मक मैदान:- नदी हिमानी पवन जैसी शक्तियों के अपरदन से इस प्रकार के मैदान बनते हैं जो निम्न है-
- लोयस मैदान:- हवा द्वारा उड़ा कर लाई गई मिट्टी एवं बालू के कणों से निर्मित होता है।
- कार्स्ट मैदान:- चूने पत्थर की चट्टानों के घूमने से निर्मित मैदान।
- समप्राय मैदान:- समुद्र तल के निकट स्थित मैदान ,जिनका निर्माण नदियों के अपरदन के फलस्वरुप होता है।
- ग्लेशियल मैदान :- हिम् के जमाव के कारण निर्मित दलदली मैदान ,जहां केवल वन ही पाए जाते है।
- रेगिस्तानी मैदान:- वर्षा के कारण बनी नदियों के बहने के फलस्वरूप इसका निर्माण होता है।
निक्षेपात्मक मैदान:- नदी निक्षेप द्वारा बड़े-बड़े मैदानों का निर्माण होता है। इसमें गंगा, सतलज ,मिसीसिपी ,एवं ह्वांगहो के मैदान प्रमुख हैं । इस प्रकार के मैदान में जलोढ़ का मैदान, डेल्टा का मैदान प्रमुख है।
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