भारत की पंचवर्षीय योजना
किसी योजना के स्पष्टतः निर्दिष्ट लक्ष्य होने चाहिए। पंचवर्षीय योजनाओं के लक्ष्य थेः संवृद्धि आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता और समानता। इसका अर्थ यह नहीं है कि प्रत्येक योजना में इन लक्ष्यों को एक समान महत्त्व दिया गया है। सीमित संसाधनों के कारण प्रत्येक योजना में ऐसे लक्ष्यों का चयन करना पड़ता है, जिनको प्राथमिकता दी जानी है। हाँ, योजनाकारों को यह सुनिश्चित करना होता है कि जहाँ तक संभव हो, चारों उद्देश्यों में कोई अंतर्विरोध न हो। संवृद्धि इसका अर्थ है देश में वस्तुओं और सेवाओं की उत्पादन क्षमता में वृद्धि इसका अभिप्राय उत्पादक पूँजी के अधिक भंडार या परिवहन, बैंकिग आदि सहायक सेवाओं का विस्तार या उत्पादक पूंँजी तथा सेवाओं की दक्षता में वृद्धि से है। अर्थशास्त्र की भाषा में आर्थिक संवृद्धि का प्रामाणिक सूचक सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में निरंतर वृद्धि है। जी.डी.पी. एक वर्ष की अवधि में देश में हुए सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन का बाजार मूल्य होता है।
देश का सकल घरेलू उत्पाद देश की अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रकों से प्राप्त होता है। ये क्षेत्रक हैं- कृषि क्षेत्रक, औद्योगिक क्षेत्रक और सेवा क्षेत्रक। इन क्षेत्रकों के योगदान से ही अर्थव्यवस्था का ढाँचा तैयार होता है। कुछ देशों में सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि में कृषि का योगदान अधिक होता हैं तो कुछ में सेवा क्षेत्राक की वृद्धि इसमें अधिक योगदान करती है।
आधुनिकीकरणः वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन बढ़ाने के लिए उत्पादकों को नई प्रौद्योगिकी अपनानी पड़ती है। उदाहरण के लिए, किसान पुराने बीजों के स्थान पर नई किस्म के बीजों का प्रयोग कर खेतों की पैदावार बढ़ा सकता है। उसी प्रकार, एक फैक्ट्री नई मशीनों का प्रयोग कर उत्पादन बढ़ा सकती है। नई प्रौद्योगिकी को अपनाना ही आधुनिकीकरण है।
आत्मनिर्भरताः कोई राष्ट्र आधुनिकीकरण और आर्थिक संवृद्धि अपने अथवा अन्य राष्ट्रों से आयातित संसाधनों के प्रयोग के द्वारा कर सकता है। हमारी प्रथम सात पंचवर्षीय योजनाओं में आत्मनिर्भरता को महत्त्व दिया गया, जिसका अर्थ है कि उन चीजों के आयात से बचा जाए, जिनका देश में ही उत्पादन संभव था। इस नीति को, विशेषकर खाद्यान्न के लिए अन्य देशों पर निर्भरता कम करने के लिए आवश्यक समझा गया।
समानताः केवल संवृद्धि आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भरता के द्वारा ही जनसामान्य के जीवन में सुधार लाने का प्रयास किया जा सकता है।
भारत में आर्थिक आयोजन संबंधी प्रस्ताव सर्वप्रथम वर्ष 1934 में ‘विश्वेश्वरैया की पुस्तक ‘प्लांड इकोनोमी फॉर इंडिया’ में आयी थी। इस पुस्तक में भारत के विकास के लिए 10 वर्षीय कार्यकाल प्रस्तुत किया गया था।
वर्ष 1938 में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में ‘राष्ट्रीय नियोजन समिति’ का गठन किया।
वर्ष 1944 में बम्बई के आठ उद्योगपतियों द्वारा बाम्बे प्लान प्रस्तुत किया गया जिसमें 15 वर्षीय सूत्रबद्ध योजना थी। इसी वर्ष भारत सरकार ने ‘नियोजन एवं विकास विभाग नामक नया विभाग खोला। इसी वर्ष नारायण अग्रवाल ने ‘गाँधीवादी योजना’ बनायी।
1945 में श्री एम0एन0राय ने ‘जन योजना’ बनायी।
आजादी के बाद 1947 में पं0 जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में आर्थिक नियोजन समिति गठित हुई। बाद में इसी समिति की सिफारिश पर 15 मार्च, 1950 में योजना आयोग का गठन एक गैर-सांविधिक तथा परामर्शदात्री निकाय के रूप में किया गया। भारत के प्रधानमंत्री इसके पदेन अध्यक्ष होते है। भारत की पहली पंचवर्षीय योजना 1 अपै्रल, 1951 से प्रारम्भ हुई। प्रथम योजना आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू एवं उपाध्यक्ष गुलजारी लाल नन्दा थे। हालांकि 15 अगस्त, 2014 को मोदी सरकार द्वारा योजना आयोग को समाप्त कर इसके स्थान पर 1 जनवरी, 2015 को ‘‘नीति आयोग’’ (राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान) की स्थापना की थी।
1. प्रथम पंचवर्षीय योजना(1951-56)
- इस योजना की अवधि 1951 से 1956 तक थी।
- यह योजना हैरोड-डोमर मॉडल पर आधारित थी।
- इस योजना की मुख्य प्राथमिकता देश के कृषि विकास पर था।
- यह योजना सफल रही और 2.1% लक्ष्य से बढ़कर 3.6% की वृद्धि दर हासिल की थी।
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य ‘‘अर्थव्यवस्था के संतुलित विकास की प्रक्रिया आरम्भ करना’’ था।
2. दूसरी पंचवर्षीय योजना(1956 से 1961):
- यह योजना पी.सी. महालनोबिस मॉडल पर आधारित थी।
- यह योजना भी सफल रही और इसने 4.1% की वृद्धि दर हासिल की थी।
- इस योजनाकाल में भिलाई, राउरकेला एवं दुर्गापुर के इस्पात कारखाने की स्थापना की गयी।
- इसका मुख्य उद्देश्य समाजवादी समाज की स्थापना करना था।
3. तीसरी पंचवर्षीय योजना(1961 से 1966):
- इस योजना को 'गाडगिल योजना' भी कहा जाता है।
- इस योजना का मुख्य लक्ष्य अर्थव्यवस्था को गतिमान और आत्म निर्भर बनाना था।
- इस योजना में कृषि व उद्योग दोनों को प्राथमिकता दी गयी।
- अभूतपूर्व सूखा, चीन एवं पाकिस्तान से युद्ध के कारण, यह योजना फेल हो गयी थी।
- इस योजना की वृद्धि दर का लक्ष्य 5.6% था लेकिन वास्तविक वृद्धि दर 2.8% रही थी।
- इस योजना के अन्तर्गत 1964 में पूर्व सोवियत संघ के सहयोग से बोकारो(झारखण्ड) में बोकारो आयरन एण्ड स्टील इंडस्ट्री की स्थापना की गयी।
- इन तीन सालों में कोई भी पंचवर्षीय योजना नहीं बनायीं गयी थी बल्कि हर साल एक वर्षीय योजना बनायीं गयी थी और हर योजना में कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रों के साथ-साथ उद्योग क्षेत्र को समान प्राथमिकता दी गई थी।
- योजना अवकाश को बनाने के पीछे का कारण भारत-पाकिस्तान युद्ध, मूल्य स्तर में वृद्धि एवं सूखे के कारण संसाधनो की कमी थी।
- इस योजनावकाश में वार्षिक दर 3.8% रही थी।
5. चौथी पंचवर्षीय योजना(1969 से 1974):
- यह योजना डी0आर0 गाडगिल मॉडल पर आधारित थी।
- इस योजना के दो मुख्य उद्देश्य थे; पहला, स्थिरता के साथ विकास और दूसरा आत्मनिर्भरता की स्थिति प्राप्त करना।
- श्वेत क्रांति (ऑपरेशन फ्लड) इसी योजना काल में प्रारम्भ की गयी थी।
- इस योजनाकाल में भारत की कृषि वृद्धि दर सर्वाधिक रही है।
- यह योजना 5.7% की विकास दर के लक्ष्य के मुकाबले केवल 3.3% की वृद्धि दर हासिल कर सकी थी।
- इस योजना की असफलता का कारण मौसम की प्रतिकूलता एवं बांग्लादेशी शरणार्थियों का आगमन था।
6. पांचवीं पंचवर्षीय योजना(1974 से 1979):
- इस योजनाकाल मे बीस सूत्री कार्यक्रम की शुरूआत 1975 में हुई।
- इस योजना में कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई थी, इसके बाद उद्योग और खानों को वरीयता दी गयी थी।
- कुल मिलाकर यह योजना सफल रही थी जिसने 4.4% के लक्ष्य के मुकाबले 4.8% की वृद्धि दर हासिल की थी।
- इस योजना का ड्राफ्ट ‘डी.पी. धर’ द्वारा तैयार किया गया था. नव निर्वाचित मोरारजी देसाई सरकार(जनता पार्टी) ने इस योजना को समय से पहले ही 1978 में समाप्त कर दिया था।
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य ‘‘गरीबी उन्मूलन तथा आत्मनिर्भरता की प्राप्ति’’ थी।
- 1978 से 1983 की अवधि के लिए अनवरत योजना मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी सरकार के द्वारा बनायी गयी, लेकिन इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली नई सरकार द्वारा यह 1980 में ही समाप्त कर दी गयी।
- इस योजना के दौरान उच्च मूल्य की मुद्राओं की वैधता समाप्ति, शराबबंदी, जन वितरण प्रणाली का विस्तार तथा सार्वजनिक बीमा योजना की शुरूआत की गयी थी।
7. छठवीं पंचवर्षीय योजना(1980 से 1985):
- इस योजना का प्रारम्भ रोलिंग प्लान (1978-83) जो जनता पार्टी सरकार द्वारा बनायी गयी थी, के साथ समाप्त करके की गयी।
- इस योजना का मूल उद्देश्य गरीबी उन्मूलन और रोजगार में वृद्धि प्राप्त करना था।
- छठी पंचवर्षीय योजना ने भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की थी। मूल्य नियंत्रण समाप्त हो गए और राशन की दुकानें बंद कर दी गईं थी जिससे खाद्य कीमतों में वृद्धि हुई थी और देश में महंगाई ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे। इस प्रकार इस योजना के समय से नेहरु के समाजवाद का अंत हो गया था।
- इसी योजना के समय से देश में ‘फैमिली प्लानिंग’ की शुरुआत और नाबार्ड बैंक (1982) की स्थापना हुई थी.
- यह योजना बहुत सफल हुई थी। इसका विकास लक्ष्य 5.2% था लेकिन इसने 5.7% की वृद्धि दर हासिल की थी।
- इस योजना के दौरान समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम(2 अक्टूबर 1980) की शुरूआत हुई। जो ग्रामीण गरीब परिवारों को गरीबी रेखा के ऊपर उठाने के लिये थी।
8. सातवीं पंचवर्षीय योजना(1985 से 1990):
- यह योजना जॉन डब्ल्यू मिलर मॉडल पर आधारित थी।
- ‘‘भोजन, काम और उत्पादन’’ का नारा इसी योजना में दिया गया था।
- इस योजना में पहली बार निजी क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र की तुलना में अधिक में प्राथमिकता मिली थी।
- इसका विकास लक्ष्य 5.0% था लेकिन इसने 6.02% वृद्धि दर हासिल की थी।
योजना अवकाश(1990-92): केंद्र में अस्थिर राजनीतिक स्थिति एवं आर्थिक संकट के कारण आठवीं पंचवर्षीय योजना समय पर शुरू नहीं हो सकी, इस कारण 1990-91 और 1991-92 में दो वार्षिक योजनायें बनायीं गयी थीं।
9. आठवीं पंचवर्षीय योजना(1992 से 1997):
- इस योजना में मानव संसाधन विकास जैसे रोजगार, शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई थी।
- इस योजना के दौरान ही नरसिम्हा राव सरकार ने भारत की नयी आर्थिक नीति को मंजूरी दी थी। अर्थात देश में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (एलपीजी मॉडल) की शुरुआत हुई थी।
- यह योजना सफल रही थी और इसके विकास का लक्ष्य 5.6% रखा गया था लेकिन इस योजना ने 6.8% की वार्षिक वृद्धि दर हासिल की थी।
- इसका मुख्य उद्देश्य गरीबी महिलाओं को आमदनी सृजन के कार्यो के लिए या संपत्ति निर्माण के लिए लघु ऋण प्रदान करना।
10. नौवीं पंचवर्षीय योजना(1997 से 2002):
- इस योजना का मुख्य फोकस "न्याय और समानता के साथ विकास" पर था।
- इसे भारत की आजादी के 50 वें वर्ष में लॉन्च किया गया था।
- यह योजना अपने विकास लक्ष्य 6.5% की दर को प्राप्त करने में सफल नहीं रही थी और इसने केवल 5.4% की वृद्धि दर हासिल की थी।
- इस योजना में क्षेत्रीय संतुलन जैसे मुददे को भी इस योजना में विशेष स्थान दिया गया।
- इस योजना की असफलता का कारण अन्तर्राष्ट्रीय मंदी को जिम्मेदार माना गया।
11. दसवीं पंचवर्षीय योजना(2002 से 2007):
- इस योजना का लक्ष्य अगले 10 वर्षों में भारत की प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करने के साथ ही गरीबी और बेरोजगारी समाप्त करना था।
- इसका उद्देश्य 2012 तक गरीबी अनुपात को 15% कम करना था।
- योजना में 8.0% विकास दर हासिल करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन वास्तव में केवल 7.5% की वृद्धि दर हासिल की जा सकी थी।
- इस योजना में 75 % साक्षरता, वनो में 25 % वृद्धि के साथ 5 करोड रोजगार का भी लक्ष्य रखा गया।
12. ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना(2007 से 2012 ):
- यह योजना सी. रंगराजन द्वारा तैयार की गयी थी।
- इस योजना का मुख्य लक्ष्य "तेज़ और अधिक समावेशी विकास" थी। जिसमें समाज के सभी वर्गों के लोगों के जीवन की गुणवत्ता सुधारने और उन्हें अवसरों की समानता उपलब्ध कराने की बात कही गई।
- इस योजना में 9.0 % विकास दर हासिल करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन वास्तव में केवल 8.3% की वृद्धि दर हासिल की जा सकी थी।
13. बारहवीं पंचवर्षीय योजना(2012 से 2017):
- यह योजना सी. रंगराजन द्वारा तैयार की गयी थी।
- इसकी मुख्य थीम "तेज़, अधिक समावेशी और सतत विकास" थी।
- इस योजना में 9.0 % विकास दर हासिल करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन वास्तव में केवल 6.8% की वृद्धि दर हासिल की जा सकी थी।
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