उच्च न्यायालय



संविधान के अनुच्छेद 214 के अनुसार प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय होगा। वर्तमान मे भारत में 25 उच्च न्यायालय है। केन्द्रशासित प्रदेशो में केवल दिल्ली एवं जम्मू कश्मीर में उच्च न्यायालय स्थापित है। अनुच्छेद 231 के तहत दो अथवा दो से अधिक राज्यों के लिए एक समान उच्च न्यायालय का गठन किया जा सकता है


उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की योग्यताएँ

  • भारत का नागरिक हो
  • भारत के राज्य क्षेत्र में कम-से-कम 10 वर्षों तक किसी न्यायिक पद पर रह चुका, अथवा किसी राज्य के या दो से अधिक राज्यों के उच्च न्यायालयों में कम-से-कम 10 वर्षों तक अधिवक्ता रह चुका है.
  • उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को उस राज्य, जिसमें उच्च न्यायालय स्थित है,का राज्यपाल उसके पद की शपथ दिलाता है।

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश का वेतन, भत्ते 

  • वेतन और भत्ते राज्य की संचित निधि पर भारित होते हैं। 
  • उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को रू0 2,50,000 प्रतिमाह वेतन तथा अन्य न्यायाधीशों को रू0 2,25,000 प्रतिमाह वेतन मिलता है।
  • राज्य का विधानमंडल उनके भत्ते आदि में कटौती नहीं कर सकता. वित्तीय आपात की घोषणा होने पर उनके वेतन कम किए जा सकते हैं
  • सेवानिवृत्त  होने पर उन्हें पेंशन दिया जाता है. सेवानिवृत्त होने पर वे किसी भी न्यायालय में वकालत नहीं कर सकते

उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल

  • अनुच्छेद 217 उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति से सम्बंधित है. इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा होती है। भिन्न-भिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की संख्या अलग-अलग होती है। 
  • उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का अवकाश ग्रहण करने की अधिकतम आयु सीमा 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दिया गया है। (114 संविधान संसोधन)
  • जिस व्यक्ति ने उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीश के रूप में कार्य किया है, वह उस न्यायालय में वकालत नही कर सकता किन्तु वह किसी दूसरे उच्च न्यायालय में अथवा उच्चतम न्यायालय में वकालत कर सकता है। 
  • राष्ट्रपति आवश्यकतानुसार किसी भी उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि कर सकता है अथवा अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति कर सकता है।
  • संविधान में यह उपबंध है कि उच्च न्यायालय का कोई भी न्यायाधीश तब तक अपने पद से हटाया नहीं जा सकता जब तक संसद के दोनों सदन उसपर सिद्ध कदाचार अथवा अक्षमता का आरोप लगाकर उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से और समस्त संख्या के बहुमत से इस हेतु उसी अधिवेशन में एक प्रस्ताव पास करके राष्ट्रपति के पास भेज दें. ऐसा प्रस्ताव पारित हो जाने पर राष्ट्रपति के आदेश से न्यायाधीश पदच्युत किये जा सकते हैं.
  • उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अपने पद से, राष्ट्रपति को संबोधित कर, कभी भी त्याग-पत्र दे सकता है। 
  • उच्च न्यायालय एक अभिलेख न्यायालय होता है। उसके निर्णय आधिकारिक माने जाते है तथा उनके आधार पर न्यायालय अपना निर्णय देते है। 
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श कर राष्ट्रपति उच्च न्यायालय के किसी भी न्यायाधीश का स्थानान्तरण किसी दूसरे उच्च न्यायालय में कर सकता है। 

उच्च न्यायालय की शक्तियां एवं क्षेत्राधिकार

राज्य का सबसे बड़ा न्यायालय उच्च न्यायालय ही है. उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को हम निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत रख सकते हैं

प्राथमिक अधिकार क्षेत्र: उच्च न्यायालयों को बंदी-प्रत्यक्षीकरण, परमादेश (MANDAMUS), प्रतिषेध (PROHIBITION), अधिकार-पृच्छा (QUO-WARRANTO), उत्प्रेषण (CERTIORARI) इत्यादि लेख जारी करने का अधिकार दिया गया है. इन अधिकारों का प्रयोग केवल मूल अधिकारों के रक्षार्थ ही नहीं बल्कि अन्य कार्यों के लिए भी किया जा सकता है. 

प्रशासकीय अधिकारः उच्च न्यायालयों को अपने अधीनस्थ न्यायालयों में नियुक्त, पदोन्नति, अवकाश एवं पदावनति के संबंध में नियम निर्धारित कर सकता है.

अपीलीय अधिकार क्षेत्र:

  • दीवानी मामलों में उच्च न्यायालय में उन सब मामलों की अपील हो सकती है, जो पाँच लाख रूपये या उससे अधिक संपत्ति से संबद्ध हो। 
  • फौजदारी मामलों में अगर सत्र न्यायाधीश ने मृत्युदण्ड दिया हो, तो उच्च न्यायालय में उसके विरूद्ध अपील हो सकती है।
  • उच्च न्यायालय पेटेंट आरै डिजाइन, उत्तराधिकार, भूमि प्राप्ति, दिवालियापन और संरक्षकता आदि मामलों में भी अपील सुनता है। 
उच्च न्यायालय में मुकादमों का हस्तान्तरणः यदि किसी उच्च न्यायालय को ऐसा लगे कि जो अभियोग अधीनस्थ न्यायालय में विचाराधीन है, वह विधि के किसी सारगर्भित प्रश्न से सम्बद्ध है तो वह उसे अपने यहाँ हस्तान्तरित कर, या तो उसका निपटारा स्वयं कर देता है या विधि से सम्बद्ध प्रश्न को निपटाकर अधीनस्थ न्यायालय को निर्णय के लिए वापस भेज देता है। 

नोटः- उच्च न्यायालय राज्य में अपील का सर्वोच्च न्यायालय नही है। राज्य सूची में सम्बद्ध विषयो में भी उच्च न्यायालय के निर्णयों के विरूद्ध उच्चतम न्यायालय में अपील हो सकती है। 

वर्तमान में भारत में 25 उच्च न्यायालय हैं जिनकी सूची निम्नलिखित है-

नाम

स्थापना वर्ष

न्याय क्षेत्र 

स्था

खण्डपीठ

इलाहाबाद 

1866

उत्तर प्रदे

इलाहाबा

लखन

तेलंगाना

1954

तेलंगाना

हैदराबा

 

मुंबई 

1862

महाराष्ट्रगोवादादरा और नगर-हवेलीदमन और दी

मुंब

नागपुरपणजीऔरंगाबा

कलकत्ता 

1862

पश्चिम बंगालअंडमान और निकोबा

कलकत्त

पोर्ट ब्लेयर 

छत्तीसगढ़ 

2000

छत्तीसगढ

बिलासपु

 

दिल्ली 

1966

दिल्ली 

दिल्ली 

 

गुवाहाटी 

1948

अरुणाचल प्रदेशअसमनागालैण्ड, मिजोर

गुवाहाट

कोहिमा, आइजोल  इटानग

गुजरात 

1960

गुजरा

अहमदाबा

 

हिमाचल प्रदेश 

1971

हिमाचल प्रदे

शिमल

 

जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख  

1928

जम्मू और कश्मी

श्रीनगर  

 जम्म

झारखण्ड 

2000

झारखं

रांच

 

कर्नाटक 

1884

कर्नाट

बंगलुर

हुबली-धारवाड  गुलबर्ग

केरल 

1958

केरललक्षद्वी

अर्नाकुलम

 

मध्य प्रदेश 

1956

मध्य प्रदे

जबलपु

ग्वालियरइन्दौ

मद्रास 

1862

तमिलनाडु,पुडुचेर

चेन्न

मदुर

उड़ीसा 

1948

उड़ीसा 

कट

 

पटना 

1916

बिहा

पटन

 

पंजाब और हरियाणा 

1975

पंजाब,हरियाणा,चंडीगढ

चंडीगढ

 

राजस्थान 

1949

राजस्था

जोधपु

जयपु

सिक्किम 

1975

सिक्कि

गंगटो

 

उत्तराखण्ड 

2000

उत्तराखण्

नैनीता

 

मणिपुर 

2013

मणिपु

इम्फा

 

मेघालय 

2013

मेघाल

शिलां

 

त्रिपुरा 

2013

त्रिपुर

अगरतल

 

आंध्र प्रदेश 

2019

आंध्रप्रदे

अमरावत


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