प्राक्कलन समिति
- यह भारतीय संसद की सबसे बड़ी समिति होती है । इस समिति में 30 सदस्य, सभी सदस्य लोकसभा के होते हैं। समिति के सदस्यों का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली द्वारा एकल संक्रमणीय पद्धति के आधार पर होता है। इस समिति के सदस्य मंत्री नहीं हो सकते हैं।
- इसके सदस्यों का कार्यकाल 1 वर्ष का होता है। प्रत्येक वर्ष मई में समिति का कार्यकाल प्रारम्भ होता है तथा अगले वर्ष 30 अप्रैल को समाप्त हो जाता है।
- समिति का अध्यक्ष लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा मनोनीत किया जाता है, किन्तु यदि लोकसभा का उपाध्यक्ष इस समिति में चुना जाता है तो फिर वही समिति का अध्यक्ष भी चुना जाता है।
- यह समिति वार्षिक अनुमानित बजट का सूक्ष्म अध्ययन तथा जांच करती है और वित्तीय प्रशासन में मितव्ययता, कुशलता, दक्षता, सुधार तथा वैकल्पिक नीतियों के संबंध में सुझाव देती है। समिति के सुझावों पर सदन में बहस नहीं होती है परंतु यह समिति अपना कार्य वर्ष भर करती है तथा अपना दृष्टिकोण सदन के समक्ष रखती है।
- प्राक्कलन समिति सबसे बडी संसदीय समिति है।
प्राक्कलन समिति के कार्यः
(क) प्राक्कलनों से संबंधित नीति से संगत क्या मितव्ययता, संगठन में सुधार, कार्यकुशलता या प्रशासनिक सुधार किए जा सकते हैं इस संबंध में प्रतिवेदित करना।
(ग) प्राक्कलनों में अंतर्निहित नीति की सीमा में रहते हुए धन ठीक ढंग से लगाया गया है या नहीं इसकी जांच करना।
(घ) प्राक्कलन किस रूप में संसद में प्रस्तुत किए जाएंगे इसका सुझाव देना। समिति ऐसे सरकारी उपक्रमों के संबंध में, जो सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति को इन नियमों द्वारा अथवा अध्यक्ष द्वारा सौंपे गए हों, अपने कृत्यों का निर्वहन नहीं करती है।
संसदीय समितियों की सदस्यता तथा इनके कार्यकाल नीचे दर्शाए गए हैं:
क्र.सं. |
समिति का नाम |
सदस्यों की संख्या |
कार्यकाल |
सदस्य नाम निर्देशित अथवा निर्वाचित |
1. |
प्राक्कलन समिति |
30 |
1 वर्ष |
लोक सभा द्वारा निर्वाचित |
2. |
लोक लेखा समिति |
22 (15 लोक सभा + 7 राज्य सभा) |
1 वर्ष |
दोनों सदनों द्वारा निर्वाचित |
3. |
सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति |
22 (15 लोक सभा + 7 राज्य सभा) |
1 वर्ष |
दोनों सदनों द्वारा निर्वाचित |
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