लोक लेखा समिति


वर्तमान में इसमें 22 सदस्य हैं जिसमें से 15 लोकसभा से तथा 7 राज्यसभा से हैं। समिति के सदस्यों का संसद द्वारा प्रतिवर्ष आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर एकल संक्रमणीय मत प्रणाली की सहायता से चयन किया जाता है तथा इस समिति के अध्यक्ष का मनोनयन लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा किया जाता है। 

इस समिति के मुख्य कार्य निम्न हैं-

  • यह समिति भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक द्वारा दिया गया लेखा परीक्षण संबंधी प्रतिवेदनों की जाँच करती है।  जो राष्ट्रपति  द्वारा संसद में प्रस्तुत किया जाता है।
  • जिन क्षेत्रों तथा कार्यों के लिये सरकार द्वारा धन आवंटित किया गया है, व्यय भी उन्हीं क्षेत्रों में किया जा रहा है अथवा नहीं।
  • संसद द्वारा प्रदान की गयी धनराशि के अतिरिक्त धनराशि को व्यय किया गया हो, तो समिति उन परिस्थितियों की जाँच करती है जिसके कारण अतिरिक्त व्यय करना पड़ा। 
  • स्वीकृत राशि तथा उसकी तुलना में कम या अधिक व्यय का निर्धारण भी यह समिति ही करती है।
नोट-लोक लेखा समिति अपना प्रत्यावेदन लोकसभा को देती है जिसमें कि जो अनियमिताएँ उसके ध्यान में आई हैं उन पर संसद में बहस हो और उन पर प्रभावी कदम उठाये जा सके। 

इस समिति को प्राकक्लन समिति की ‘जुडवा बहन’ भी कहते है। 

संसदीय समितियों की सदस्‍यता तथा इनके कार्यकाल नीचे दर्शाए गए हैं:

क्र.सं.

समिति का नाम

सदस्‍यों की संख्‍या

कार्यकाल

सदस्‍य नाम निर्देशित अथवा निर्वाचित

1.

प्राक्‍कलन समिति

30

1 वर्ष

लोक सभा द्वारा निर्वाचित

2.

लोक लेखा समिति

22 (15 लोक सभा + 7 राज्‍य सभा)

1 वर्ष

दोनों सदनों द्वारा निर्वाचित

3.

सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति

22 (15 लोक सभा + 7 राज्‍य सभा)

1 वर्ष

दोनों सदनों द्वारा निर्वाचित


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