सौरमंडल(Solar System)
सूर्य
तथा
इसकी
परिक्रमा
करने
वाले
खगोलीय
पिंडों
से
मिलकर
सौर
परिवार
बना
है।
इस
परिवार
में
बहुत
से
पिंड
हैं,
जैसे-ग्रह,
धूमकेतु,
क्षुद्रग्रह
तथा
उल्काएँ।
सूर्य
तथा
इन
पिंडों
के
बीच
गुरुत्वाकर्षण
बल
के
कारण
ये
पिंड
सूर्य
की
परिक्रमा
करते
रहते
हैं।
हमारे
सौरमंडल
में
आठ
ग्रह
(बुध,
शुक्र,
पृथ्वी,
मंगल,
बृहस्पति,
शनि,
अरूण तथा
वरूण)हैं।
नीहारिका
को
सौरमंडल
का
जनक
माना
जाता
है
उसके
ध्वस्त
होने
व
क्रोड
के
बनने
की
शुरूआत
लगभग
5 से
5.6 अरब
वर्षों
पहले
हुई
व
ग्रह
लगभग
4.6 से
4.56 अरब
वर्षों
पहले
बने।
हमारे
सौरमंडल
में
सूर्य
(तारा),
8 ग्रह,
63 उपग्रह,
लाखों
छोटे
पिंड
जैसे-क्षुद्र
ग्रह
(ग्रहों
के
टुकड़े)
(Asteroids), धूमकेतु
(Comets) एवं
वृहत्
मात्रा
में
धूलकण
व
गैस
हैं।
सूर्य(Sun):
सूर्य सौरमंडल
के
केन्द्र
में
स्थित
है।
यह
बहुत
बड़ा
एवं
अत्यधिक
गर्म
गैसों
से
बना
है।
इसका
खिंचाव
बल
इससे
सौरमंडल
को
बाँधे
रखता
है।
सूर्य,
सौरमंडल
के
लिए
प्रकाश
एवं
ऊष्मा
का
एकमात्र
स्रोत
है।
लेकिन
हम
इसकी
अत्यधिक
तेज
ऊष्मा
को
महसूस
नहीं
करते
हैं,
क्योंकि
सबसे
नजदीक
का
तारा
होने
के
बावजूद
यह
हमसे
बहुत
दूर
है। सूर्य
पृथ्वी
से
लगभग
15 करोड़
किलोमीटर
दूर
है।
सूर्य के
प्रकाश
को
पृथ्वी
तक
पहुँचने
में
8 मिनट
16.6 सेकेण्ड
का
समय
लगता
है।
सूर्य एक
गैसीय
गोला
है,
जिसमें
हाइड्रोजन
71%, हीलियम 26.5%, एवं
अन्य
तत्व
2.5% होता
है।
सूर्यग्रहण के
समय
सूर्य
का
दिखाई
देने
वाला
भाग
को
सूर्य
किरीट
कहा
जाता
है।
सूर्य
किरीट
से
उत्सर्जित
करता
है
जिसे
सूर्य
का
मुकुट
कहा
जाता
है।
पूर्ण
सूर्य
ग्रहण
के
समय
सूर्य
मुकुट
भाग
से
प्रकाश
की
प्राप्ति
होती
है।
सूर्य की
दीप्तिमान
सतह
को
प्रकाश
मण्डल(Photoshpere)
है।
प्रकाश
मण्डल
के
किनारे
प्रकाशमान
नही
होते,
क्योंकि
सूर्य
का
वायुमण्डल
प्रकाश
को
अवशोषण
कर
लेता
है।
इसे
वर्णमण्डल(Chromoshpere)
कहते
है।
यह
लाल
रंग
का
होता
है।
सूर्य का केन्द्रीय (आांतरिक) भाग
क्रोड कहलाता है जिसका ताप 1.5 × 10"C होता है तथा
सूर्य
के
बाहरी
सतह
का
तापमान 60000 c है।
सौर ज्वाला
को
उत्तरी ध्रुव पर औरोरा
बोरियालिस
और
दक्षिणी ध्रुव पर औरोरा
औस्ट्रेलिस
कहते
है।
सूर्य हमारी
पृथ्वी
से
13 लाख
गुना
बड़ा
है,
और
पृथ्वी
को
सूर्यताप
का
2 अरबवां
भाग
मिलता
है।
सूर्य पृथ्वी
से
लगभग
15 करोड़
किलोमीटर
दूर
है।
ग्रह(Planets):
ग्रह तारों
के
समान
हमे
दिखते
है
परन्तु
ग्रहों
में
अपना
प्रकाश
नहीं
होता।
वह
केवल
अपने
ऊपर
पड़ने
वाले
सूर्य के
प्रकाश
को
परावर्तित
करते
हैं।
ग्रहों
तथा
तारों
को
एक
सरल
अन्तर
से
पहचाना
जा
सकता
है।
तारे
टिमटिमाते
हैं
जबकि
ग्रह
ऐसा
नहीं
करते।
तारों
के
सापेक्ष
सभी
ग्रहों
की
स्थिति
भी
बदलती
रहती
है।
प्रत्येक
ग्रह
एक
निश्चित
पथ
पर
सूर्य
की
परिक्रमा
करता
है।
इस
पथ
को
कक्षा
कहते
हैं।
किसी
भी
ग्रह
द्वारा
सूर्य
की
एक
परिक्रमा
पूरी
करने
में
लगे
समय
को
उस
ग्रह
का
परिक्रमण
काल
कहते
हैं।
ग्रहों
की
सूर्य
से
दूरी
बढने
पर
उनके
परिक्रमण
काल
में
भी
वृद्धि
हो
जाती
है।
हमारे सौरमंडल
में
आठ
ग्रह
हैं।
सूर्य
से
दूरी
के
अनुसार,
वे
हैं -बुध, शुक्र, पृथ्वी,
मंगल,
बृहस्पति,
शनि,
अरूण तथा
वरूण
(ट्रिक-MY VERY EFFICIENT MOTHER JUST SERVED US NUTS)
आकार के
अनुसार
ग्रहों
का
क्रम-बृहस्पति,शनि,अरुण,वरुण,पृथ्वी,शुक्र,मंगल,बुध
(ट्रिक-बस
अव पशु
को
मंगल
बुद्धि
दो)
नंगी आँखों
से
दिखाई
देने
वाले
पाँच
ग्रह-मंगल,
बुध,बृहस्पति,शुक्र,शनि,
(ट्रिक-मंगल से लेकर शनि तक सभी साप्ताहिक वार हैं।)
सौर परिवार
के
प्रथम
चार
ग्रह
- बुध,
शुक्र,
पृथ्वी
तथा
मंगल
अन्य
चार
ग्रहों
की
तुलना
में
सूर्य
के
अत्यन्त
निकट
हैं।
इन्हें आन्तरिक
ग्रह कहते हैं। आन्तरिक
ग्रहों
के
बहुत
कम
चन्द्रमा
होते
हैं।
वे ग्रह जो मंगल की कक्षा से बाहर हैं, जैसे-बृहस्पति, शनि, यूरेनस तथा नेप्ट्यून, आन्तरिक ग्रहों की तुलना में कहीं अधिक दूर हैं। इन्हें बाह्य ग्रह कहते हैं।
बुध(Mercury):
बुध ग्रह
सूर्य
से
निकटतम
एवं
सौर
परिवार
का
लघुतम(छोटा)
ग्रह
है।
क्योंकि
बुध
सूर्य
के
अत्यधिक
निकट
है।
बुध
सूर्य
निकलने
के
दो
घण्टा
पहले
दिखाई
पड़ता
है।
बुध का
अपना
कोई
उपग्रह
नहीं
है।
यह
सूर्य
की
परिक्रमा
सबसे
कम (88
दिन)समय
में
पूरी
करता
है।
इसका तापान्तर सभी
ग्रहो
में
सबसे
अधिक
होता
है।
इस ग्रह
का
विशिष्ट
गुण-इसमें
चुम्बकीय
क्षेत्र
का
होना
है।
बुध सूर्य निकलने के दो घण्टा पहले दिखाई पड़ता है।
बुध का अपना कोई उपग्रह नहीं है।
यह सूर्य की परिक्रमा सबसे कम (88 दिन)समय में पूरी करता है।
इसका तापान्तर सभी ग्रहो में सबसे अधिक होता है।
इस ग्रह का विशिष्ट गुण-इसमें चुम्बकीय क्षेत्र का होना है।
शुक्र(Venus):
यह पृथ्वी
का
निकटतम,
सभी
ग्रहो
में
सबसे
अधिक
चमकीला
एवं
सबसे
गर्म
ग्रह
है।
यह ग्रह
आकाश
में
सूर्योदय
से
पूर्व
एवं
कभी-कभी
सूर्यास्त
के
तुरन्त
पश्चात यह
पश्चिमी
दिशा
में
दिखाई
देता
है।
इसीलिए
इसे
प्रातः
तारा
अथवा
सांध्य
तारा
(साँझ/भोर)कहते
है।
इसका कोई
उपग्रह
नही
है।
यह घनत्व,
आकार
एवं
व्यास
में
पृथ्वी
के
समान
है।
इसीलिए
इसे
पृथ्वी
का
भागिनी
ग्रह
कहते
है।
सूर्य की
परिक्रमा
में
इसे
255 दिन
और
अपने
अक्ष पर
एक
परिक्रमा
पूरी
करने
में
243 दिन
का
समय
लगता
है।
बृहस्पति(Jupiter):
बृहस्पति सौर
परिवार
का
सबसे
बड़ा
ग्रह
है। इसका
रंग
पीला
होता
है।
यह ग्रह
इतना
बड़ा
है
कि
लगभग 1300
पृथ्वियाँ
इस
विशाल
ग्रह
के
भीतर
रखी
जा
सकती
हैं।
परन्तु,
बृहस्पति
का
द्रव्यमान
पृथ्वी
के
द्रव्यमान
का
लगभग
318 गुना
है।
यह अपने
अक्ष
पर
अत्यधिक तीव्र
गति
(9 घण्टे 55
मिनट)
से
घूर्णन
करता
है।
बृहस्पति
सूर्य
की
परिक्रमा
करने
में
12 वर्ष
लगते
है।
बृहस्पति के
63 उपग्रह
हैं।
इसका
प्रमुख
उपग्रह
ग्यानीमीड
है।
इसके चारों
ओर
धुँधले
वलय
भी
हैं।
यदि
आप
इसका
प्रेक्षण
दूरबीन
की
सहायता
से
करें
तो
आप
इसके
चार
बड़े
चन्द्रमा
भी
देख
सकते
हैं।
जिनका
नाम
आयो,
युरोपा,
गैनिमीड
और
कैलिस्टो
है।
मंगल(Mars):
आयरन ऑक्साइड
के
कारण
इस
ग्रह
का
रंग
लाल
होता
है।
इसे
लाल
ग्रह
भी
कहते
है।
यह 24 घण्टे
37 मिनट
में
अपनी
धुरी
का
चक्कर
लगाती
है।
इसे
सूर्य
की
परिक्रमा
करने
में
687 दिन
लगते
है।
इसके अक्ष
का
झुकाव
एवं
मान
पृथ्वी
के
समान
है।
इसका 250 के कोण
पर
झुका
हुआ
है,
जिसके
कारण
यहाँ
पृथ्वी
के
समान
ऋतु
परिवर्तन
होता
है।
इसके दो
उपग्रह
फोबोस
और
डीमोस
है।
मंगल ग्रह में सौरमण्डल का सबसे ऊँचा पर्वत निक्स ओलम्पिया सबसे बडा ज्वालामुखी ओलिपस मेसी स्थित है।
यह आकार में दूसरा सबसे बडा ग्रह है।
इसे अपनी
धुरी
पर
चक्कर
लगाने
में
10 घण्टे
33 मिनट
एवं
शनि
को
सूर्य
की
परिक्रमा
करने
में
29 वर्ष
लगते
है।
शनि का
सबसे
बडा
उपग्रह टाइटन है
जो
सौरमण्डल
का
दूसरा
सबसे
बडा
उपग्रह
है।
जो
आकार
में
बुध
के
बराबर
है।
इसका घनत्व
सभी
ग्रहों
एवं
जल
से
भी
कम
है।
जल
में
रखने
पर
यह
तैरने
लगेगा।
फोबे नामक शनि का उपग्रह इसकी कक्षा में घूमने की विपरीत दिशा में परिक्रमा करता है।
अरूण(Uranus):
अरूण अपनी
धुरी
का
चक्कर
लगाने
में
17 घण्टे
14 मिनट
का
समय
लगता
है।
यह आकार
में तीसरा सबसे
बडा
ग्रह
है।
इसके 27 उपग्रह
है
जिसमें
सबसे
बड़ा
उपग्रह टाइटेनिया है।
यह अपने
अक्ष
पर
पूर्व
से
पश्चिम
की
ओर
(दक्षिणावर्त)
घूमता
है
जबकि
अन्य
ग्रह
पश्चिम
से
पूर्व
की
ओर
(वामावर्त)
की
ओर
घूमते
है।
इसके सभी
ग्रह
भी
पृथ्वी
की
विपरीत
दिशा
में
परिभ्रमण
करते
है।
अरूण ग्रह
में
सूर्योदय
पश्चिम
में
और
सूर्यास्त
पूरब
दिशा
में
होता
है।
यह अपनी धुरी पर सूर्य की ओर इतना झुका हुआ है कि लेटा हुआ सा दिखलाई पडता है, इसलिए इसे लेटा हुआ ग्रह कहा जाता है।
वरुण(Neptune):
वरुण सूर्य
से
सबसे
अधिक
दूरी
पर
स्थित
ग्रह
है। इसे सौरमण्डल का
अंतिम
ग्रह
भी
कहते
है।इसके 13 उपग्रह
है
जिसमें ट्रिटॉन प्रमुख है।
यह आकार के आधार पर सौरमंडल का चौथा सबसे बड़ा ग्रह है। वरुण अपने अक्ष पर चक्कर लगाने में 15 घण्टे 57 मिनट का समय लगता है।
यह हरे
रंग
का
ग्रह
है।
इसके
चारो
और
अति
शीतल
मीथेन
का
बादल
छाया
हुआ
है।
बौने
ग्रह(Dwarf
Planets):
यम(Pluto)
अंतर्राष्ट्रीय
खगोलीय
संघ
ने
इसका
नाम
1,34,340 रखा
है।
अगस्त
2006 ई0
की
अंतर्राष्ट्रीय
खगोलीय
संघ
की
प्राग
सम्मेलन
में
ग्रह
कहलाने
के
मापदण्ड
पर
खरे
नही
उतरने
के
कारण
यम
को
ग्रह
की
श्रेणी
से
अलग
कर
बौने
ग्रह
की
श्रेणी
में
रखा
गया
हैं।
यम को ग्रह को श्रेणी से निकाले जाने का कारण है-(1)आकार में चन्द्रमा से छोटा होना (2)इसकी कक्षा का वृत्ताकार नहीं होना (3)वरूण की कक्षा को काटना
सौर परिवार
के
कुछ
अन्य
सदस्य:
ग्रहों के
अतिरिक्त
सूर्य
की
परिक्रमा
करने
वाले
कुछ अन्य
पिंड
भी
हैं।
ये
भी
सौर
परिवार
के
सदस्य
हैं।
1.क्षुद्रग्रह(Asteroid):
मंगल तथा
बृहस्पति
की
कक्षाओं
के
बीच
काफी
बड़ा अंतराल
है।
इस
अन्तराल
के
बीच
छोटे-छोटे
पिण्ड
है
जो
सूर्य
की
परिक्रमा करते
हैं।
इन्हें
क्षुद्रग्रह
कहते
हैं।
खगोलशास्त्रियों के
अनुसार
ग्रहों
के
विस्फोट
के
फलस्वरूप
टूटे
टुकडों
से
क्षुद्र
ग्रह
का
निर्माण
हुआ
है। क्षुद्र
ग्रह
जब
पृथ्वी
से
टकराता
है,
तो
पृथ्वी
के
पृष्ठ
पर
विशाल
गर्त
बनता
है।(लोनार
झील-महाराष्ट्र)
फोर वेस्टा
एकमात्र
क्षुद्र
ग्रह
है
जिसे
नंगी
आँखों
से
देखा
जा
सकता
है।
क्षुद्र ग्रहों
को
केवल
बड़े
दूरदर्शकों
द्वारा
ही
देखा
जा
सकता
है।
2.धूमकेतु(Comet):
धूमकेतु बर्फीले
पिंड
होते
हैं
जिनसे
गैस
और
धूल
का
उत्सर्जन
होता
है। धूमकेतु
में
धूल,
बर्फ,
कार्बन
डाइ
ऑक्साइड,
अमोनिया,
मीथेन
आदि
होते
है। धूमकेतु
भी
हमारे
सौर
परिवार
के
सदस्य
हैं।
ये
अत्यन्त परवलीय
कक्षाओं
में
सूर्य
की
परिक्रमा
करते
हैं।
परन्तु, इनका
सूर्य
का
परिक्रमण
काल
सामान्यतः
काफी
अधिक होता
है।
सामान्यतः
धूमकेतु
चमकीले
सिर
तथा
लम्बी पूँछ
वाले
होते
हैं।
जैसे-जैसे
कोई
धूमकेतु
सूर्य
के
समीप आता
जाता
है
इसकी
पूँछ
आकार
में
बढ़ती
जाती
है।
किसी धूमकेतु की पूँछ सदैव ही सूर्य से परे होती है। ऐसे बहुत से धूमकेतु ज्ञात हैं जो समय-समय पर एक निश्चित काल-अंतराल पर दृष्टिगोचर होते हैं। हैलेका धूमकेतु एक ऐसा ही धूमकेतु है जो लगभग हर 76 वर्ष के अंतराल में दिखाई देता है। इसे वर्ष 1986 में पिछली बार देखा गया था। इसे अब हम वर्ष 2062 में देख पायेंगे।
3.उल्काएँ तथा
उल्कापिंड(Meteors):
रात के
समय
जब
आकाश
साफ
हो
तथा
चन्द्रमा
भी
न
दिखाई
दे
रहा
हो
तो
आप
कभी-कभी
आकाश
में
प्रकाश
की
एक
चमकीली
धारी-सी
देख
सकते
हैं
इसे
शूटिंग
स्टार-सा
टूटता
तारा
कहते
हैं
यद्यपि
यह
तारा
नहीं
है।
इन्हें
उल्का
कहते
हैं।
उल्का
सामान्यतः
छोटे
पिंड
होते
हैं
जो यदा-कदा
पृथ्वी
के
वायुमण्डल
में
प्रवेश
कर
जाते
हैं।
उस
समय
इनकी
अति
उच्च
चाल
होती
है।
वायुमण्डलीय
घर्षण
के
कारण
ये
तप्त
होकर
जल
उठते
हैं
और
चमक
के
साथ
शीघ्र
ही
वाष्पित
हो
जाते
हैं।
यही
कारण
है
कि
प्रकाश
की
चमकीली
धारी
अति अल्प
समय
के
लिए
ही
दृष्टिगोचर
होती
है।
कुछ
उल्का
आकार
में
इतनी
बड़ी
होती
हैं
कि
पूर्णतः
वाष्पित
होने
से
पूर्व
ही
वे
पृथ्वी
पर
पहुँच
जाती
हैं।
वह
पिंड
जो
पृथ्वी
पर
पहुँचता
है
उसे
उल्का
पिंड
कहते
हैं।
उल्का
पिंड
वैज्ञानिकों
को
उस
पदार्थ
की
प्रकृति
की
खोज
करने
में
सहायता
करते
हैं
जिससे
सौर
परिवार
बना
है।
- यह पेशेवर खगोलविदों का एक संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1919 में की गई थी।
- इसका केंद्रीय सचिवालय पेरिस में है।
- अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) का उद्देश्य खगोलीय विज्ञान को बढ़ावा देना है।
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