पठार(Plateau)


पठार उठी हुई एवं सपाट भूमि होती है। यह आस-पास के क्षेत्रों से अधिक उठा हुआ होता है तथा इसका ऊपरी भाग मेज के समान सपाट होता है। किसी पठार के एक या एक से अधिक किनारे होते हैं जिनके ढाल खड़े होते हैं। पठारों की ऊँचाई प्रायः कुछ सौ मीटर से लेकर कई हजार मीटर तक हो सकती है। पर्वतों की तरह पठार भी नये या पुराने हो सकते हैं। पठार निम्न प्रकार के होते हैः-

अन्तपर्वतीय पठार-पर्वतमालाओं के बीच बने पठार।

तटीय पठार-समुद्र के तटीय भाग में स्थित पठार

पर्वतपदीय पठार-पर्वत तल व मैदान के बीच उठे समतल भाग।

महाद्वीपीय पठार-जब पृथ्वी के भीतर जमा लैकोलिथ भू-पृष्ठ के अपरदन के कारण सतह पर उभर आते है, तब ऐसे पठार बनते है। दक्षिण का पठार इसका उदाहरण है।

गुम्बदाकार पठार-चलन क्रिया के फलस्वरूप निर्मित्त पठार। जैसे-रामगढ़ गुम्बद

भारत में छोटानागपुर के पठार में लोहा, कोयला तथा मैंगनीज के बहुत बड़े भंडार पाए जाते हैं।

भारत में दक्कन पठार पुराने पठारों में से एक है।

तिब्बत का पठार विश्व का सबसे ऊँचा पठार है, जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से 4,000 से 6,000 मीटर तक है।

अफ्रीका का पठार सोना एवं हीरों के खनन के लिए प्रसिद्ध है। 

बोलीविया का पठार, कोलम्बिया का पठार अधिक ऊँचाई पर स्थित पठार है।

पर्वत एवं पठार में अन्तर

पर्वतपठार
पर्वतों का शिखर छोटा होता हैपठार का उपरी भाग मेज के समान सपाट होता है।
पहाड़ों की ऊँचाई कई हजार मीटर तक होती है।पठारो की ऊँचाई प्रायः कुछ सौ मीटर से लेकर कई हजार मीटर तक होती है।
पर्वतों का शिखर बर्फ से ढ़का होता है।पठार का ऊपरी भाग बर्फ से नहीं ढ़का होता है।
पहाड़ों से वन संपदा और जड़ी-बूटियाँ प्राप्त होती हैं।पठार से विभिन्न तरह के खनिज पदार्थ प्राप्त होते हैं।

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