भारतीय नागरिकता (भाग-2  अनुच्छेद 5-11)


भारत के संविधान के भाग-2 (अनुच्छेद 5 से 11) भारत की नागरिकता से संबंधित है। संविधान  (26 नवंबर, 1949) के प्रारंभ में अनुच्छेद 5 भारत की नागरिकता के बारे में  है। अनुच्छेद 11 ने कानून द्वारा नागरिकता के अधिकार को नियंत्रित करने के लिए भारत की संसद को शक्ति दी। इस प्रकार संसद द्वारा नागरिकता अधिनियम 1955 (Citizenship Act–1955) लागू किया गया था। यह भारतीय नागरिकता के अधिग्रहण और समापन  के लिए प्रदान करने वाला एक कार्य है,  और संविधान के प्रारंभ होने के बाद वही कार्य भारत की नागरिकता के बारे में  है।

अनुच्छेद 5- जन्म से भारत का नागरिक हो

1.      यदि कोई व्यक्ति भारत में जन्मा हो तो वह भारत का नागरिक होगा

2.      यदि उसके मातापिता भारत में जन्में  हो

3.      उसके मातापिता में से कोई भी एक भारत में जन्मा हो।

4.     यदि कोई व्यक्ति संविधान (Constitution) लागू होने से पूर्व लगातार 5 वर्षो तक भारत में रहा हो, तो वह भारतीय नागरिक होगा

अपवाद-राजनयिकों के बच्चे, विदेशियों के बच्चे

नोटः-माता की नागरिकता के आधार पर विदेश में जन्म लेने वाले को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान नागरिकता संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा किया गया है। 

अनुच्छेद 6- पाकिस्तान (Pakistan) से आव्रजन (Migrate) करके आने वालो की नागरिकता

1. वे लोग जो 19 July 1948 तक या उससे पहले भारत में गए  हो भारतीय नागरिक होंगे।

2. वे लोग जो 19 July 1948 के बाद भारत में आए उन्हें  भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन देना होगा।

अनुच्छेद 7- भारत (India) से पाकिस्तान (Pakistan) को आव्रजन (Migrate) करने वाले व्यक्ति 

1 March 1947 को जो लोग पाकिस्तान को चले गए, वें भारत के नागरिक नहीं होंगे, किन्तु अगर वें 19 July 1948 से पहले भारत वापस गए, तो वे भारतीय नागरिक होंगे।

अनुच्छेद 8- भारत में जन्मा हो परन्तु विदेश में रहता हो 

ऐसे व्यक्ति जो भारत सरकार अधिनियम 1935 (Government of India Act, 1935) के अंतर्गत भारत के नागरिक थे, तो वे भारत के नागरिक होंगे

अनुच्छेद 9- विदेशी राज्य की नागरिकता लेने पर भारत का नागरिक ना होना

यदि कोई व्यक्ति दूसरे देश की नागरिकता ग्रहण कर ले तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वत: ही समाप्त हो जाएगी।

अनुच्छेद 10- नागरिकता के अधिकारों की निरंतरता

प्रत्येक व्यक्ति जो इस भाग के पूर्वगामी प्रावधानों के तहत भारत के नागरिक  ​​है या किसी भी कानून के प्रावधानों के अधीन होगा जो संसद द्वारा तैयार किया जा सकता है, ऐसे नागरिक बने रहेंगे।

अनुच्छेद 11- संसद द्वारा नागरिकता के अधिकार को नियंत्रित करने के लिए कानून

नागरिकता के विषय पर विधि (Law) बनाने का अधिकार केवल संसद के पास हैं

भारतीय नागरिकता का अन्त निम्न प्रकार से हो सकता हैः-

1. नागरिकता का परित्याग करने से।

2. किसी अन्य देश की नागरिकता स्वीकार कर लेने पर।

3. सरकार द्वारा नागरिकता छीनने पर।

भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम, 1986 इस अधिनियम के आधार पर भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम, 1955 में निम्न संशोधन किए गए हैं:

(i) अब भारत में जन्मे केवल उस व्यक्ति को ही नागरिकता प्रदान की जाएगी, जिसके माता-पिता में से एक भारत का नागरिक हो

(ii) जो व्यक्ति पंजीकरण के माध्यम से भारतीय नागरिकता प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें अब भारत में कम से कम पांच सालों तक निवास करना होगा. पहले यह अवधि छह महीने थी

(iii) देशीयकरण द्वारा नागरिकता तभी प्रदान की जायेगी, जबकि संबंधित व्यक्ति कम से कम 10 सालों तक भारत में रह चुका हो. पहले यह अवधि 5 वर्ष थी. नागरिकता संशोधन अधिनियम, 1986 जम्मू-कश्मीर व असम सहित भारत के सभी राज्यों पर लागू होगा


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