हाइड्रोकार्बन
हाइड्रोकार्बन कार्बनिक यौगिक होते हैं जिन्हें हाइड्रोजन और कार्बन के सरल संयोजन से प्राप्त किया जाता है जैसे पेट्रोल, डीजल और केरोसिन तेल आदि। हाइड्राकार्बन तीन प्रकार के होते हैः
1.संतृप्त हाइड्राकार्बनः जिस हाइड्रोजन मेंं प्रत्येक कार्बन परमाणु की चारों संयोजकताएँ एक सहसंयोजी बंधों द्वारा संतुष्ट होती है, उसे संतृप्त हाइड्रोकार्बन या एल्केन कहते है। एल्केन श्रेणी का सामान्य सूत्र CnH2n+2 है।
एसीटिलीन अथवा एथीन (C2H2): यह अत्यधिक अभिक्रियाशील गैस है। आर्सीन तथा फॉस्फीन मिली होने के कारण इसकी गंध लहसुन जैसी होती है। इसका उपयोग ईंधन तथा प्रकाश के रूप में, कृत्रिम रबर (निओप्रीन) बनाने में, विषैली गैस ल्यूसाइट बनाने में, जो प्रथम विश्वयुद्ध में प्रयुक्त हुई थी, होता है। इसके अतिरिक्त ऑक्सी-एसिटलीन ज्वाला बनाने में, जो धातुओं को जोड़ने तथा काटने में प्रयुक्त होती है, फलों को पकाने में भी इसका उपयोग होती है।
पेट्रोलियम: पेट्रोलियम एक विशेष गंध युक्त भूरे-काले रंग का गाढ़ा तेल होता है। यह पृथ्वी के भीतर चट्टानों के नीचे पाया जाता है। यह एक प्राकृतिक ईंधन है। प्राकृतिक रूप में इसे कच्चा तेल या अपरिपक्व तेल (Crude Oil) भी कहते हैं। पृथ्वी के नीचे पाये जाने के कारण इसे खनिज तेल (Mineral Oil) भी कहते हैं। अपरिष्कृत पेट्रोलियम का इसी रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है। अत: इसके निरंतर प्रभाजी आसवन द्वारा औद्योगिक उपयोग के विभिन्न प्रभाज प्राप्त किये जाते हैं। यह प्रक्रिया परिष्करण (Refining) कहलाती है। प्रभाजी आसवन संप्राप्त प्रभाज निम्न हैं- ऐस्फाल्ट (डामर) पैराफिन मोम, स्नेहक तेल, ईंधन तेल, डीजल, करोसिन (मिट्टी का तेल), पेट्रोल तथा पेट्रोलियम गैस।
प्राकृतिक गैस: यह मुख्यतः मेथेन (CH4) होती है (95%)। इसमें मेथेन के साथ थोड़ी मात्रा में इथेन और प्रोपेन भी रहती है। प्राकृतिक गैस एक अच्छा ईधन है। यह धुआँ रहित ज्वाला के साथ जलती है, जिससे प्रदूषण नहीं होता। इसके जलने पर कोई विषैली गैस भी नहीं बनती है। CNG – Compressed Natural Gas का प्रयोग वाहनों में होता है।
द्रवित या तरल पैट्रोलियम गैस (Liquified Petroleum Gas L.P.G.): यह एथेन (C2H6) प्रोपेन, (C3H8) तथा ब्यूटेन (C4H10) का मिश्रण है। लेकिन इसका मुख्य अवयव, ब्यूटेन तथा आइसो ब्यूटेन है। इसका ऊष्मीय मूल्य काफी उच्च होता है। इसलिए यह एक अच्छा ईधन है, यह धुआँ रहित ज्वालों के साथ जलती है, तथा जलने पर इससे कोई विषैली गैस उत्पन्न नहीं होती। गैस के सिलिण्डर में गैस रिसाव का पता लगाने के लिए एक तीक्ष्ण गंध वाला पदार्थ एथिल मर्केप्टन (C2H5SH) मिला देते हैं। इसमें हाइड्रोजन सल्फाइड के समान गंध होती है जिसे आसानी से पहचाना जा सकता है। एल. पी. जी. वायु से मिलकर विस्फोटक मिश्रण बनाती है।
कोल गैस: इसमें 54% हाइड्रोजन, 35% मीथेन, 11% कार्बन मोनो ऑक्साइड, 5% हाइड्रोकार्बन एवं 3% कार्बन डाइऑक्साइड आदि गैसों का मिश्रण होता है। कोल गैस, कोयले के भंजक आसवन द्वारा बनाई जाती है। यह वायु के साथ विस्फोटक मिश्रण बनाती है।
प्रोड्यूसर गैस: यह मुख्यतः नाइट्रोजन व कार्बन मोनोओंक्साइड गैसों का मिश्रण है। इसमें 60% नाइट्रोजन, 30% कार्बन मोनो ऑक्साइड व शेष कार्बन डाइ ऑक्साइड व मीथेन गैस होती है। इसका उपयोग ईंधन तथा कांच व इस्पात बनाने में किया जाता है। CO+N2
वाटर गैस: यह कार्बन मोनो ऑक्साइड (CO) व हाइड्रोजन (H) गैसों का मिश्रण होती है। इससे बहुत अधिक ऊष्मा निकलती हैं। इसका प्रयोग अपचायक के रूप में ऐल्कोहल, हाइड्रोजन आदि के औद्योगिक निर्माण में होता है। CO + H2
गैसोलीन: इससे हेक्सेन्स, हेप्टेन्स तथा ऑक्टेन्स उत्पन्न होते हैं। इसे पैट्रोल भी कहा जाता है। कार के उपयोग में लाये जाने वाले पैट्रोल की गुणवत्ता को उसके एण्टी नोक गुण द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। पैट्रोल सेम्पुल में एण्टीनॉक गुणों को उसके आक्टेन नंबर वैल्यू द्वारा ज्ञात किया है। किसी पैट्रोल सेंपल का ऑक्टेन नम्बर जितना अधिक होता है, उसका एन्टीनॉकिंग गुण उतना ही अधिक होगा तथा वह उतना ही अधिक उपयोगी होगा। आॉक्टेन नंबर का सबसे अधिक मान 100 होता है। ऑक्टेन नंबर बढ़ाने के लिए पेट्रोल में ट्रेटा एथाइल लैड (TEL) मिलाया जाता है।
ईधनों के ऊष्मीय मान: किसी ईंधन का ऊष्मीय मान इस कथन का मापक है, कि ईंधन कितना उपयोगी है। जिस ईंधन का ऊष्मीय मान अधिक होता है वह उतना ही अच्छा और उपयोगी होता है।
मेथिल ऐल्कोहल: यह बहुत विषैला होता है, इसको पीने से व्यक्ति अंधा या पागल हो सकता है, और अधिक पीने से मृत्यु हो जाती है। इसका उपयोग मेथिलित स्पिरिट (Methylated sprit) बनाने में होता है। मेथिल ऐल्कोहल युक्त एथिल ऐल्कोहल, मेथिलित स्पिरिट या विकृती (Methylated sprit) बनाने में होता है। मेथिल ऐल्कोहल युक्त एथिल ऐल्कोहल, मेथिलित स्पिरिट या विकृतीकृत स्प्रिट कहलाता है। मेथिल ऐल्कोहल और जल का मिश्रण आटोमोबाइल में रेडियेटर के लिए ऐन्टफ्रीज के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
ईंधन | ऊष्मीय मान |
लकड़ी | 17 किलो जूल प्रति ग्राम |
कोयला | 25-33 किलो जूल प्रति ग्राम |
चारकोल | 33 किलो जूल प्रति ग्राम |
गोबर के उपले | 6-8 किलो जूल प्रति ग्राम |
कैरोसिन | 48 किलो जूल प्रति ग्राम |
ऐल्कोहल | 30 किलो जूल प्रति ग्राम |
बायोगैस | 35-40 किलो जूल प्रति ग्राम |
मिथेन | 55 किलो जूल प्रति ग्राम |
एल.पी.जी. | 55 किलो जूल प्रति ग्राम |
हाइड्रोजन | 150 किलो जूल प्रति ग्राम |
एथिल ऐल्कोहल या एथेनॉल (C2H5OH): यह फलों, वनस्पतियों और सुगधित तेलों में पाया जाता है। यह सभी प्रकार की शराब (wines) का मुख्य अवयव है। अत: इसे स्पिरिट ऑफ वाइन भी कहते हैं। 100% एथिल ऐल्कोहल (निर्जल एथिल एल्कोहल) परिशुद्ध ऐल्कोहल (Absolute Alcohol) कहलाता है।
95.5% एथिल ऐल्कोहल और 4.4% जल का मिश्रण परिशोधित ऐल्कोहल (Rectified Spirit) कहलाता है।
पेट्रोल, औद्योगिक ऐल्कोहल (परिशोधित स्प्रिट) और बेंजीन का मिश्रण पावर ऐल्कोहल कहलाता है। इसका उपयोग मोटर ईधन में होता है।
फार्मिक अम्ल (मेथेनोइक अम्ल HCOOH): यह लाल चीटियों में तथा मधुमक्खी, बर्रे (wasps), बिच्छू आकद के डंक में तथा कुछ अन्य जीवों में पाया जाता है। चींटी, मधुमक्खी या बर्रे आदि के काटने या डंक मारने पर शरीर में खुजली, जलन व चिड़चिड़ापन फार्मिक अम्ल के कारण होता है।
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