ईंधन (Fuel):

वे पदार्थ, जिन्हें जलाकर ऊष्मा उत्पन्न की जाती है, उन पदार्थों को ईंधन कहते हैं। ईधनों का सबसे महत्वपूर्ण वर्गीकरण उनकी भौतिक अवस्था के आधार पर होता है। भौतिक अवस्था के आधार पर तीन प्रकार के ईधन होते हैं- ठोस ईंधन, द्रव, ईधन तथा गैसीय ईधन। इनके उदाहरण निम्नलिखित हैं-
  1. ठोस ईधन (Solid Fuel): लकड़ी, कोयला, कोक, चारकोल (काष्ठ कोयला या लकड़ी का कोयला) तथा पैराफिन वैक्स (मोम), ठोस ईंधन हैं।
  2. द्रव ईधन या तरल ईधन (Liquid Fuel): कैरोसिन (मिट्टी का तेल), पेट्रोल, डीजल, ऐल्कोहल तथा द्रवित हाइड्रोजन, द्रव ईंधन हैं या तरल ईंधन हैं।
  3. गैसीय ईंधन (Gaseous Fuel): प्राकृतिक गैस, तरल पेट्रोलियम गैस, कोल गैस, जल गैस, बायो गैस (गोबर गैस), ऐस्टिलीन तथा हाइड्रोजन गैस, गैसीय ईंधन हैं।

प्राकृतिक गैस(Natural Gas) : 
यह पेट्रोलियम कुआ से निकलती है। इसमें 95% हाइड्रोकार्बन होता है, जिसमें 80% मीथेन रहता है। घरों में प्रयुक्त होने वाली द्रवित प्राकृतिक गैस को एल. पी. जी. कहते है। यह ब्यूटेन एवं प्रोपेन का मिश्रण होता है, जिसे उच्च दाब पर द्रवित कर सिलेंडरों में भर लिया जाता है। प्राकृतिक गैस एक बहुत महत्वपूर्ण जीवाश्म ईंधन है,

वर्तमान में इसका परिवहन पाइपों द्वारा सरलतापूर्वक हो जाता है। प्राकृतिक गैस को उच्च दाब पर संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) के रूप में भंडारित किया जाता है। सीएनजी का उपयोग ऊर्जा उत्पादन हेतु किया जाता है।अब इसका उपयोग परिवहन वाहनों में ईंधन के रूप में किया जा रहा है क्योंकि यह कम प्रदूषणकारी है। यह एक स्वच्छ ईंधन है।

द्रवित पैट्रोलियम गैस (Liquid Petroleum Gas):
घरों में ईंधन के रुप में प्रयुक्त की जाने वाली द्रवित प्राकृतिक गैस को एल.पी.जी. कहते हैं। यह ब्यूटेन तथा प्रोपेन गैसों का मिश्रण होती है, जिसे उच्च दाब पर द्रवित कर सिलेण्डरों में भर लेते हैं। ईथाइल मरकपटन गैस में महक के लिए मिलाया जाता है।
गोबर गैस (Dung Gas):
गीले गोबर के सड़ने पर ज्वलनशील मीथेन गैस बनती है, जो वायु की उपस्थिति में सुगमता से जलती है। गोबर गैस संयंत्र में गोबर से गैस बनाने के पश्चात् शेष रहे पदार्थ (स्लरी) का उपयोग कार्बनिक खाद के रुप में किया जाता है।
प्रोड्यूसर गैस (Producer gas):
यह गैस लाल तप्त कोक पर वायु प्रवाहित करके बनाई जाती है। इसमें मुख्यत: कार्बन मोनोऑक्साइड ईधन का काम करती है।

जल गैस (Water Gas): 
इसमें हाइड्रोजन 49%, कार्बन मोनोक्साइड 45% तथा कार्बन डाइ आक्साइड 4.5% होता है। इसका उष्मीय मान 2500 से 2800 kcal/ kg होता है। इसका उपयोग हाइड्रोजन एवं अल्कोहल के निर्माण में अपचायक के रूप में होता है।

कोल गैस(Coal Gas): 
यह कोयले के भंजक आसवन से बनाया जाता है। यह  रंगहीन तीक्ष्ण गंध वाली गैस है। यह वायु के साथ विस्फोटक मिश्रण बनती है। इसमें 54% हाइड्रोजन, 35% मीथेन, 11%  कार्बन मोनोक्साइड, 5% हाइड्रोकार्बन, 3% कार्बनडाइ आक्साइड होता है।
रॉकेट ईंधन (Rocket Fuel):
रॉकेट में उपयोग किये जाने वाले ईंधन को नोदक कहते हैं। यह नोदक ऑक्सीडाइजर के संयोग से बनता है, जैसे- तरलीय ऑक्सीजन, सभी नोदकों को तीन वगों में रखा जाता है।
  1. तरलीय नोदक (Liquid Propellant): अल्कोहल, तरलीय हाइड्रोजन, तरलीय अमोनिया, केरोसीन तेल, हाइड्राजीन और बोरोन के हाइड्राइड का उपयोग तरलीय नोदक से अधिक शक्ति प्रदान करता है और इसका नियन्त्रण, प्रवाह को नियंत्रित करके किया जाता है। मिथाइल नाइट्रेड, नाइट्रोमीथेन, हाइड्रोजन पेरोक्साइड आदि भी उपयोगी तरलीय नोदक हैं।
  2. ठोस नोदक (Solid Propellant): ठोस ईंधन, जैसे-पॉली ब्यूटाडीन और एक्राइलिक अम्ल का उपयोग ऑक्सीडाइजर के साथ होता है। जैसे-एल्युमीनियम परक्लोरेट, नाइट्रेट या क्लोरेट उच्च दहन तापक्रम होने के कारण मैग्नीशियम या एल्युमीनियम को भी ठोस ईंधन के रुप में उपयोग किया जाता है। इस तरह के नोदक को संयुक्त नोदक भी कहा जाता है।
  3. मिश्रित नोदक (Mixed Propellant): मिश्रित राकेट नोदक में ठोस ईंधन एवं तरलीय ऑक्सीडाइजर का उपयोग किया जाता है। इसमें N2O4 एक सामान्य संघटक है। विभिन्न राष्ट्रों द्वारा कुछ महत्वपूर्ण नोदक का उपयोग किया जाता है, जो इस प्रकार हैं- रुस द्वारा प्रोटोन (Proton) नोदक का उपयोग किया जाता है, जो कैरोसीन एवं तरलीय ऑक्सीजन से बना होता है।सैटर्न बूस्टर (अमेरिकन रॉकेट) में भी कैरोसीन एवं ऑक्सीजन के संयोग से बना ईंधन उपयोग किया जाता है। एस. एल.वी.-3 और ए.एस.एल.वी. नामक भारतीय रॉकेट द्वारा प्रथम अवस्था में ठोस नोदक का उपयोग किया गया और तृतीय अवस्था में तरलीय नोदक का उपयोग किया गया है।

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