महत्वपूर्ण आर्थिक शब्दावली
1. समष्टि तथा व्यष्टि अर्थशास्त्र (Macro and Micro Economics) : अर्थशास्त्री, अर्थव्यवस्था को दो तरीके से देखते है, समष्टि(मैंक्रो) अर्थशास्त्र तथा व्यष्टि(माइक्रो) अर्थशास्त्र। मैंको अर्थशास्त्र (यूनानी भाषा में मैंक्रो का अर्थ वृहद होता है) अर्थव्यवस्था की गतिविधियों को एक समग्र रूप में देखता है, जैसे मुद्रास्फीति रोजगार की दर, आर्थिक विकास, व्यापार संतुलन आदि। व्यष्टि(माइक्रो)अर्थशास्त्र (यूनानी भाषा में व्यष्टि का अर्थ छोटा होता है। इकाइयों के गतिविधियों का अध्ययन है, जैसे व्यक्ति, परिवार, कम्पनियॉं, एक विशेष उद्योग; जो मिलकर एक अर्थव्यवस्था का निर्माण करते है।
3. कर्ब डीलिंग : शेयर बाजार के बाहर होने वाले सभी व्यापार को कर्ब डींलिंग कहते है।
4. बजट(Budget): किसी संस्था या सरकार के एक वर्ष की अनुमानित आय-व्यय का लेखा-जोखा बजट कहलाता है, सरकार का बजट अब केवल आय-व्यय का विवरण मात्र ही नहीं होता, अपितु यह सरकार के क्रिया-कलापों एवं नीतियों का विवरण भी है। यह आधुनिक काल में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का साधन भी बन गया है।
6. तेजडिया और मंदडिया(Bulls and Bears): यह स्टॉंक एक्सचेंस के शब्द हैं, जो व्यक्ति स्टॉक की कीमतें बढाना चाहता है, तेजडिंया कहलाता है, जो व्यक्ति स्टॉंक कीमतें गिरने की आशा करके किसी वस्तु को भविष्य में देने का वायदा करके बेचता है, यह मंदडिया कहलाता है।
10. अवमूल्यन(Devaluation): यदि किसी मुद्रा का विनिमय मूल्य अन्रू मुद्राओं की तुलना में जान-बुझकर कम कर दिया जाता है, तो इसे उस मुद्रा का अवमूल्यन कहते है। यह अवमूल्यन परिस्थितियों के अनुसार सरकार स्वयं करती है।
13. एस्टेट ड्यूटी : किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात् उसकी सम्पत्ति के हस्तान्तरण के समय जो कर उस सम्पत्ति पर लगाया जाता है, उसे एस्टेट ड्यूटी कहते है।
14. हीनार्थ प्रबन्धन(Deficit Financing): जब सरकार का बजट घाटें का होता है, अर्थात आय कम होती है, और व्यय अधिक होता है और व्यय के इस अधिक्य को केन्द्रीय बैंक से ऋण लेकर अथवा अतिरिक्त पत्र मुद्रा निर्गमित कर पूरा किया जाता है, तो यह व्यवस्था घाटे की वित्त व्यवस्था अथवा हीनार्थ प्रबन्धन कहलाती है। सीमित यात्रा में ही इसे उचित माना जाता है, हीनार्थ प्रबन्धन को स्थायी नीति बना लेने के परिणाम अच्छे नहीं होते।
17. रिसेशन(Recession): रिसेशन से तात्पर्य मन्दी की अवस्था से है, जब वस्तुओं की पूर्ति की तुलना में मॉंग कम हो तो रिसेशन की स्थिति उत्पन्न होती है। ऐसी स्थिति में धनाभाव के कारण लोगों की क्रय-शक्ति कम होती है और उत्पादित वस्तुऍं अनबिकी रह जाती है, इससे उघोग को बंद करने की प्रक्रिया प्रारंभ होती है, बेरोजगारी बढ जाती है। 1930 के दशक में विश्वव्यापी रिसेशन की स्थिति उत्पन्न हुई थी।
19. स्टैगफ्लेशन : यह अर्थव्यवस्था की ऐसी स्थिति है जिसमें मुद्रास्फीति के साथ-साथ मंदी की स्थिति होती है।
20. टैरिफ : किसी देश द्वारा आयातों पर लगाये गये कर को ही टैरिफ कहा जाता है।
21. मुद्रा अपस्फीति अथवा विस्फीति : मुद्रास्फीति पर नियंत्रण लाने हेतु जो प्रयास किये जाते है (जैसे साख-नियंत्रण) उनके परिणामस्वरूप मुद्रास्फीति की दर घटने लगती है, यह स्थिती मुद्रा अपस्फीति अथवा विस्फीति की स्थिति कहलाती है। इस स्थिति में यद्यपि मूल्य-स्तर गिरता है तथापि यह सामान्य मूल्य स्तर से ऊपर ही रहता है।
22. एक्टिव शेयर : वैसे शेयर जिनका क्रय-विक्रय नियमित रूप से प्रतिदिन शेयर बाजार में होता है एक्टिव शेयर कहलाते है।
23. राइट शेयर : किसी कम्पनी द्वारा जारी नये शेयरों को क्रय करने का पहला अधिकार वर्तमान शेयर होल्डर को होता है। वर्तमान शेयरहोल्डर के इस अधिकार को पूर्ण क्रय का अधिकार कहा जाता है। तथा इस अधिकार के कारण उनको जो शेयर प्राप्त होता है, उसे राइट शेयर कहा जाता है।
25. ब्लो आउट : जब कोई कंपनी अपना नया इश्यू जारी करती है और उसका सब्सक्रिप्शन पहले ही दिन पूरा होकर बंद हो जाता है तो उसे ब्लो आउट या आउट ऑफ विंडो कहा जाता है।
26. इनसाइडर ट्रेडिंग : यह एक अवैध कार्य है। जब उन व्यक्तियों द्वारा भारी मात्रा में शेयरों का क्रय-विक्रय करके लाभ कमाया जाता है, जिनके पास कम्पनियों की गुप्त सूचनाएं रहती हैं, तो इस प्रकार के शेयरों के क्रय-विक्रय को इनसाइडर ट्रेडिंग कहा जाता है।
31. ग्रे-मार्केट : यह अनाधिकृत बाजार होता है, जहॉ नयी तथा अभी शेयर बाजार में सूचीबद्ध न हुई प्रतिभूतियों का प्रीमियम पर लेन-देन होता है। ये सौदे भी अनाधिकृत होते है। इन सौदों को शेयर का संरक्षण नहीं होता है।
32. ट्रेडिंग लॉट : शेयरों की वह न्यूनतम संख्या या गुणांक को ट्रेडिंग लॉट कहा जाता है, जिसे शेयर बाजार में एक बार में बेचा या क्रय किया जा सकता है। सामान्यत: 10 रुपये मूल्य वाले शेयरों की न्यूनतम संख्या 50 से 100 निर्धारित की जाती है, जबकि 100 रुपये मूल्य वाले शेयरों की संख्या 5 या 10 निर्धारित की जाती है।
नई आर्थिक सुधार नीति से सम्बद्ध कुछ महत्वपूर्ण शब्दावली:
निजीकरण : सार्वजनिक क्षेत्र में पूँजी या प्रबंधन या दोनों में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढाना अथवा उन्हें निजी क्षेत्र को सौंप देना ही निजीकरण है।
उदारीकरण : उदारीकरण, सरकारी नियंत्रण को शिथिल या समाप्त करने क्रिया विधि है। इसके अन्तर्गत निजीकरण भी शामिल होता है।
विश्वव्यापीकरण : किसी अर्थव्यवस्था को विश्व-अर्थव्यवस्था से जोड़ने की क्रिया ही विश्वव्यापीकरण है। ऐसा करने से उक्त्त क्षेत्र में निजी कार्यकुशलता तथा बाहरी तकनीकी ज्ञान प्राप्त होते हैं।
विनिवेश : सरकारी क्षेत्र में सरकारी हिस्सेदारी को कम करना ही विनिवेश कहलाती है।
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