उद्योग

  • आजादी के बाद देश की प्रथम औद्योगिक नीति की घोषणा अप्रैल 1948 को तत्कालीन केन्‍द्रीय उद्योग मंत्री डॉ. श्‍यामप्रसाद मुखर्जी द्वारा की गई थी।
  • सन् 1948 की औद्योगिक नीति में सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र दोनों के ही महत्व को स्‍वीकार किया गया। परन्‍तु मूल उद्योगों के विकास का दायित्व सार्वजनिक क्षेत्र को सौंपा गया
  • भारत में औद्योगिक नीति पुन: सन् 1956 में लायी गयीजिसमें सार्वजनिक क्षेत्र का विस्‍तारसहकारी क्षेत्र का विकास तथा निजी एकाध कारों पर नियंत्रण जैसे उद्देश्‍य शामिल किये गये।
  • सन् 1948 की औद्योगिक नीति में उद्योगों की चार श्रेणियां बनायी गई जबकि सन् 1956 की नीति में इसे घटाकर तीन कर दिया गया।
  • सन् 1973 में दत्त समिति की सिफारिशों के आधार पर संयुक्‍त क्षेत्र का गठन किया गया।
  • सन्1980 की औद्योगिक नीति आर्थिक संघवाद की धारणा से प्रेरित थी तथा इसमें कृषि पर आधारित उद्योगों को रियायतें देने की नीति अपनायी गई।
  • नई औद्योगिक नीति की घोषणा 24 जूलाई 1991 को की गई जिसमें व्यापक स्‍तर पर उदार वादी कदमों की घोषणा की गई। इस नई औद्योगिक नीति में 18 प्रमुख उद्योगों को छोडकर अन्‍य सभी उद्योगों को लाइसेंस से मुक्त कर दिया गया। बाद में 13 और उद्योगों लाइसेंस की आवश्‍यकता से मुक्त कर दिया गया जिसमें लाइसेंसिंग की आवश्‍यकता से युक्त उद्योगों की संख्‍या वर्तमान में घटकर पॉंच रह गया है।
  • नई औद्योगिक नीति में निजीकरण एवं उदरीकरण प्रमुख है।
  • सार्वजनिक उद्यम वैसे उद्यम हैं जिनका संचालन एवं नियंत्रण सरकार द्वारा होता है
  • सरकारी क्षेत्र के लिए आरक्षित उद्योग की संख्‍या दो है --(1)परमाणु ऊर्जा (2) रेलवे परिवहन
  • रक्षा संबंधी उत्‍पादन के क्षेत्र में निजी क्षेत्र के प्रवेश की अनुमति प्रदान कर दी गईजिसमें 49 प्रतिशत तक विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश की अनुमति 2015 में प्रदान की गई है।
  • नवरत्न का दर्जा केन्‍द्रीय लोक उद्यम विभाग द्वारा दिया जाता है। 1997 में यह दर्जा मूलतः: नौ कम्‍पनियों के लिए सृजित किया गया था। कालन्‍तर में यह संख्‍या बढती रही।

  •  21 दिसम्‍बर 2009 को केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल सार्वजनिक क्षेत्र की कम्‍पनियों के लिए महारत्न दर्ज के सृजन का निर्णय लिया। यह दर्जा उन्‍ही कम्‍पनियों को मिलेगाजिन्होंने पिछले तीन वर्षो में औसतन 5 हजार करोड रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया होसाथ ही तीन वर्षो में इनका औसत सालाना टर्नओवर 25 हजार करोड रुपये का हो तथा इस अवधि में इन कम्‍पनियों का नेट वर्थ भी औसतन 15 हजार करोड रुपये रहा हो।  इसके साथ ही कम्‍पनी के पास नवरत्न का दर्जा प्राप्‍त हो और कम्‍पनी का विदेश में भी कारोबार हो।
·         मिनी रत्न : मिनी रत्न योजना का प्रारंभ अक्‍टूबर 1997 को किया गया। 2 जून 2015 को इंडियन रिन्‍यूएबल एजर्नी एण्‍ड डेवलपमेंट एजेंसी -इरडा को मिनी रत्न का दर्जा प्रदान किया गया। परिणामतः: मिनी रत्न कंपनियों की संख्‍या मई 2016 तक 74 हो गई जिसमें मिनी रत्न-की संख्‍या 57 व मिनी रत्न-II की संख्‍या 17 है।

नोट : बढ़े उद्योगों लिए IDBI, IFCI, ICICI, IRCI तथा लघु उद्योगों के लिए SIDBI ऋण देता है।

·         आर्थिक गणना 2005 के अनुसार देश के कुल 4.212 करोड उद्योगों में 50प्रतिशत से अधिक उद्यम पॉंच राज्यों तमिलनाडूमहाराष्‍ट्रप.बंगालआन्‍ध्रप्रदेश व उत्तरप्रदेश में स्‍थापित है।
·         औद्योगिक क्षेत्र (द्वितीय क्षेत्र) का जीडीपी में हिस्‍सा जो 1950-1951 में 1994-95 की कीमतों पर 13.3प्रतिशत तथाजो 2011-12 में 27प्रतिशत अनुमानित किया गया था।
·         वर्ष 2011-12 को आधार वर्ष मानते हुये वर्ष 2016-17(अप्रैल दिसम्‍बर) में औद्योगिक विकास दर केवल 0.3प्रतिशत दर्ज की गईजबकि वर्ष 2015-16 की इसी अवधि में यह दर 3.2प्रतिशत दर्ज की गई थी।
·         कपड़ा उद्योग भारत का कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदान करने वाला उद्योग है। भारत का सबसे बड़ा वस्त्र उद्योग केन्‍द्र मुम्‍बई है।
·         चीन के बाद भारत विश्‍व में प्राकृतिक रेशम उत्‍पन्‍न करने वाला दूसरा बड़ा उत्‍पादक देश है। देश के कुल रेशम उत्‍पादन का आधा से कुछ अधिक भाग अकेले कर्नाटक में ही उत्पादित किया जाता है।
·         लघु व कुटीर उद्योग पर विशेष ध्‍यान 1977 की औद्योगिक नीति में दिया गया। जिला उद्योग केन्द्रों की स्‍थापना 1977 में की गई। इस समय देश में 422 जिला उद्योग केन्‍द्र है।
·         लघु उद्योग को वित्त प्रदान करने के उद्देश्‍य से 1990 में सीडबी (SIDBI) अर्थात भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक की स्‍थापना की गई।
·         आबिद हुसैन समिति लघु उद्योगों में सुधार से संबद्ध है।
·         लघु उद्योग वैसे उद्योग हैजिसमें अधिक से अधिक करोड रुपये का निवेश हुआ हों।
·         कुटीर उघोग की अधिकतम निवेश सीमा 25 लाख रुपये है।

नोट : शुमाखरन की प्रसिद्ध पुस्‍तक 'स्‍माल इज ब्‍यूटिफूललघु उद्योगों की उपयोगी भूमिका पर महत्‍वपूर्ण एवं बहुचर्चित पुस्‍तक है।

·         सूक्ष्मलघु तथा मध्यम दर्जे के उद्योग का देश के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान लगभग 8प्रतिशतविनिर्मित उत्पाद में 45प्रतिशत तथ निर्यातों में 40प्रतिशत रहा है
·         MSME की चौथी अखिल भारतीय संगणना के अनुसार इसमें करोड लोग रोजगार में है इसमें से 28प्रतिशत इकाइयां विनिर्माण तथा 72प्रतिशत सेवा क्षेत्र में थी।
·         लघु उद्योग विकास संगठन (SIDO) : यह केन्‍द्रीय उद्योग मंत्रालय के अधीन होता है तथा इसका मुख्‍य अधिकारी विकास कमिश्नर होता है। यह लघु उद्योगों के सम्बन्ध में नीति निर्धारकसमन्वयक तथा नायक एजेन्‍सी के रूप में कार्य करता है। इसकी स्‍थापना 1954 में हुई।
·         राष्‍ट्रीय लघु उद्योग निगम (NSIC) इसकी स्‍थापना 1955 में हुई। इसका मुख्‍य कार्य किराया क्रय पद्धति पर छोटे उद्योगों को मशीनरी उपलब्‍ध करना है।
·         इन दोनों के अतिरिक्‍त देश में तीन राष्‍ट्रीय स्‍तर के उद्यमशीलता एवं लघु विकास संस्‍थान है -
o    भारतीय उद्यमशीलता संस्‍थान - गुवाहाटी
o    राष्‍ट्रीय उद्यमशीलता एवं लघु विकास व्‍यापार संस्‍थान- नोएडा
o    राष्‍ट्रीय लघु उद्योग विस्‍तार प्रशिक्षण संस्‍थान- हैदराबाद
·         भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) इसने अपना कार्य अप्रैल 1990 से करना शुरू किया। इसका मुख्‍यालय लखनऊ है। इसकी समता पूँजी 250 करोड रुपया है। यह उन सभी संस्‍थाओं के कार्यों में समन्वयक स्‍थापित करने के कार्य करती है जो लघु उद्योगों के प्रवर्तक में जुटे हैं।

औद्योगिक रुग्णता
·         किसी कंपनी रुग्ण औद्योगिक कम्‍पनी तब कहा जाएगा जब विगत लगातार चार वर्षो में से किसी एक या अधिक वर्षो में वित्तीय वर्ष के अंत में इसकी संचित हानि इसकी नेट वर्थ का 50प्रतिशत या उससे अधिक हो अथवा जो लगातार तीन तिमाहियों तक अपने ऋणदाताओं को अपनी देयताओं का भुगतान करने मं असफल रही है।
·         औद्योगिक रुग्णता के संबंध में 1985 में नारायण दत्त तिवारी समिति की सिफारिशों पर रुग्ण औद्योगिक कंपनी अधिनियम (SICA)पारित किया गया
·         जनवरी 1987 में औद्योगिक एवं वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड- BIFR की स्‍थापना की गई। जो मई 1987 से प्रभावी हुआ।
·         1993 में गठित ओंकार गोस्वामी समिति ने BIFR की भूमिका में परिवर्तन की बात कीवही बाल कृष्‍ण इराडी समिति ने BIFR को समाप्‍त करने तथा राष्‍ट्रीय कम्‍पनी ला ट्रिब्‍यूनल-NCLT के स्‍थापना का सुझाव दिया।
·         NCLT को यह शक्ति प्राप्‍त हैं कि वह रुग्ण कंपनियों में जांच के बारे में कारगर व्‍यवस्‍था करें तथा निवारण हेतु आवश्यक कार्यवाही करें। यदि रुग्ण इकाइयों का उद्धार संभव नहीं हो तो उनके विलयपुनर्गठन के यथास्थिति आदेश पारित करें।
·         रुग्ण कंपनियों के पुनर्वास हेतु कम्‍पनी ऐक्‍ट में संशोधन के द्वारा पुनर्वास विधि की स्‍थापना की गयी है जिसका निर्माण कम्‍पनियों की वार्षिक बिक्री या सकल प्राप्ति पर 0.5 से 1प्रतिशत उपकर के द्वारा होगा।
·         भारतीय औद्योगिक वित्त निगम (IFCI) की स्‍थापना संविधान विशेष अधिनियम द्वारा जुलाई 1948 को की गई।
·         IFCI का उद्देश्‍य निजी तथा सहकारी क्षेत्र के उद्योग को दीर्घकालीन व मध्‍यकालीन साख उपलब्‍ध कराना है।
·         ICICI अर्थात् भारतीय औद्योगिक साख एवं निवेश निगम लिमिटेड की स्‍थापना सन् 1955 में भारतीय कम्‍पनी अधिनियम के अन्‍तर्गत की गई
·         ICICI कार्य निजी क्षेत्र में स्‍थापित होने वाले उद्योग की स्‍थापनाविकास तथा अधुनिकीकरण में सहायता करना है।
·         औद्योगिक वित्त के क्षेत्र मं भारतीय औद्योगिक विकास बैंक का स्‍थान सबसे ऊँचा है।
·          
लाइसेंसिग की आवश्‍यकता से युक्त उद्योग
1.   एल्‍कोहलयुक्‍त पेयों का आसवन व इनसे शराब बनाना।
2.   तम्‍बाकू के सिंगार एवं सिगरेटें तथा विनिर्मित तम्‍बाकू अन्‍य विकल्प
3.   इलेक्‍ट्रानिकएयरोस्पेस तथा रक्षा उपकरण सभी प्रकार के।
4.   डिटोनेटिंग फ्यूजसेफ्टी फ्यूजगन पाउडरनाइट्रोसेल्‍यूलोज तथा माचिस सहित औद्योगिक विस्फोटक सामग्री।
5.   खतरनाक रसायन।

नवरत्न कम्‍पनियॉं
क्रम.
नवरत्न का दर्जा प्राप्‍त कम्‍पनियॉं
स्‍थापना वर्ष
मुख्‍यालय
1
हिन्‍दुस्‍तान पेट्रोलियम कॉपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल)
1974
मुम्‍बई
2
महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल)
1986
नई दिल्‍ली
3
भारत इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स  लिमिटेड (बीईएल)
1954
बंगलुरू
4
हिन्‍दुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (एचएएल)
1940
बंगलुरू
5
पॉवर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (पीएफसी)
1986
नई दिल्‍ली
6
राष्‍ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी)
1958
हैदराबाद
7
पॉवर ग्रिड कॉपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड  (पीजीसीआईएल)
1989
नई दिल्‍ली
8
ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड  (आरईसी)
1969
नई दिल्‍ली
9
नेशनल एल्यूमिनियम कम्‍पनी (एनएएलसीओ)
1981
ओडिशा
10
भारतीय नौ वहन निगम (एससीआई)
1961
मुम्‍बई
11
राष्‍ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड  (आरआईएनएल)
1982
विशाखापत्तनम
12
ऑयल इंडिया लिमिटेड . (आईल)
1959
डुलियाजन
13
निवेली लिग्‍नाइट कॉपोरेशन (एनएलसी)
1956
चेन्नई
14
नेशनल बिल्डिंग कान्‍सट्रक्‍शन कॉर्पोरेशन लिमिटेड
1960
नई दिल्‍ली
15
इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (येल)
1965
नई दिल्‍ली
16
भारतीय कंटेनर निगम लिमिटेड (जुलाई 2014 में इसे नवरत्न का दर्जा प्रदान किया गया। यह रेल मंत्रालय के अधीन है)
1988



महारत्न कम्‍पनियॉ
क्रम.
भारत की महारत्न कम्‍पनियॉं
स्‍थापना वर्ष
मुख्‍यालय
1
राष्‍ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी)
1975
नई दिल्‍ली
2
तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी)
1956
देहरादुन
3
भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (एसएआईएल)
1974
नई दिल्‍ली
4
भारतीय तेल निगम (आईओसी)
1964
नई दिल्‍ली
5
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल)
1975
कोलकाता
6
भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्‍स लिमिटेड (बीएचईएल)
1964
नई दिल्‍ली
7
गैस अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड (जीएआईएल)
1984
नई दिल्‍ली
8
भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल)
1977
मुम्‍बई



मेक इन इंडिया कार्यक्रम
देश को विश्‍व का पसंदीदा 'मैन्‍युफैक्‍चरिंग हबबनाकर औद्योगिक विकास की गति तेज करने के लिए मेक इन इंडिया (MAKE IN INDIA) कार्यक्रम की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 25 सितम्बर, 2014 को की। मेक इन इंडिया का प्रतीक कोन्‍स से बने शेर है।

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