बैंकिंग क्षेत्र की प्रचलित शब्‍दावली

बैंक दर: जिस सामान्‍य ब्याज दर रिजर्व बैंक द्वारा वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार दिया जाता है, 'बैंक दर' कहलाती है। इसके माध्यम से रिजर्व बैंक द्वारा साख नियंत्रण/ क्रेडिट कन्‍ट्रोल किया जाता है।

रेपो रेट: अल्पकालिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु जिस ब्याज दर कॉमर्शियल बैंक रिजर्व बैंक से नकदी ऋण प्राप्‍त करते है, 'रेपो रेट' कहलाती है।

रिवर्स रेपो दर: अल्पकालिक अवधि के लिए रिजर्व बैंक द्वारा कॉमर्शियल बैंकों से जिस ब्याज दर पर नगदी प्राप्‍त की जाती है, 'रिवर्स रेपों दर' कहलाती है।

बचत बैंक दर: बैंक ग्राहक की छोटी-छोटी बचतों पर बैंक द्वारा दी जाने वाली ब्याज दर को बचत बैंक दर कहा जाता है।

नकद आरक्षित अनुपात(सी.आर.आर.): किसी वाणिज्यिक बैंक में कुल जमा राशि का वह प्रतिशत भाग जिसे रिजर्व बैंक के पास अनिवार्य रूपर से जमा करना पडता है, नकद आरक्षित अनुपात कहा जाता है।

वैधानिक तरलता अनुपात (एस.एल.आर.): किसी भी वाणिज्यिक बैंक में कुल जमा राशि का वह प्रतिशत भाग जो नकद स्‍वर्ण व विदेशी मुद्रा के रूप में उसें अपने पास अनिवार्य रूपर से रखना पडता है वैधानिक तरलता अनुपात कहलाता है।

प्राइम लैडिंग रेट (पी.एल.आर.): किसी बैंक के लिए प्राइम लैडिंग रेट वह ब्याज दर है, जिस पर बैंक उस ग्राहक को जिसके संबंध में जोखिम शून्य है, को ऋण देने को तैयार है। यह दर एक तरह से आधार दर के रूप में कार्य करती है जिसका ध्‍यान में रखकर अन्‍य उद्यमियों के संबंध में बैंक अपनी ब्याज दर निर्धारित करता है।

आधार दर प्रणाली (बेस रेट): आरबीआई ने पीएलआर आधारित उधार देय प्रणाली के स्‍थान पर जुलाई 2010 से आधार दर प्रणाली लागू किया है। इसकी गणना लागत आधारित सूत्र से की जाएगी यह पीएलआर से कम होगा तथा कोई भी बैंक इससे निम्न दर पर किसी को उधार नहीं देगा।




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